सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। सुंदर कहानी ।।
ध्यान न लगे, तो क्या करें ?
एक बार कबीर दास जी के पास एक साधक आया *अथाह विचलित!
मन की उदासी उसके चेहरे पर भी साफ़ मुखर थी* मुरझाया- सा मुंह लेकर गुरु को प्रणाम कर वहीं बैठ गया
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कबीर दास जी ने शिष्य की और अपनी दृष्टि घुमाई* और उससे उसकी मायूसी का कारण पूछा!
*साधक -* गुरुदेव! आपने मुझे ब्रह्मज्ञान की महान ध्यान- साधना दी *लेकिन मै क्या करूं महाराज, बहुत प्रयास करने पर भी मै ध्यान नहीं लगा पाता?*
न जाने कैसे कर्म- संस्कारों को अपने संग जमा कर लाया हूं, कि *आंख मूंदते ही मन विचारों की गलियों में दौड़ने लगता है* मै चाहकर भी इस मन को टिका नहीं पाता! मै क्या करूं?
कबीर दास जी -* दुःखी मत हो वत्स! चलो *मै तुम्हें इस समस्या के समाधान हेतु आज एक उपाय बताता हूं* जब भी तुम्हारा चंचल मन ध्यान में टिकने से इंकार करे, तो इस सूत्र का सहारा ले लिया करो-
*' ध्यानमूलं गुर्रोर्मुति:'!*
अर्थात् आंखे मूंदकर सर्वप्रथम गुरु की मूर्ति का ध्यान किया करो *उनके दिव्य स्वरूप की आभा में मन रमाते हुए* ध्यान की गहराईओ में उतर जाओ!
साधक हाथ जोड़कर--* जी गुरुदेव! *आपके वचनानुसार प्रयास करूंगा* परन्तु यदि चंचल मन तब भी न टिक पाया, तो मै क्या करूं?
कबीर दास जी -* तब फ़िर तुम गुरु के श्री चरणों में ध्यान लगाना गुरु के चरण- कमलों में आराधना का मूल समाया हैं-
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' पूजा मूलं गुरोर्पदम् '!*
साधक -* मै पूरा प्रयत्न करूंगा *पर मुझे क्षमा करें गुरुदेव... मै इस हठी मन के स्वभाव को भली- भांति जानता हूं* यदि तब भी इस मन ने ढीटता न छोड़ी, तो मै क्या करूं?
कबीर दास जी -* यदि तब भी मन न लगे, तो फ़िर तुम उन दिव्य वचनों को स्मरण करना *जो तुम्हारे गुरु ने तुमसे कहे हो* क्योंकि गुरु के वचन महामंत्र हुआ करते हैं-
' मंत्र मूलं गुरोर्वाक्यं '!
उनका चिंतन मन को नियंत्रित करने में अत्यंत सहायक होता हैं
साधक के चेहरे पर से उदासी के बादल काफ़ी हद तक छंट चुके थे* किन्तु अब भी निश्चिंतता का सूर्य पूरी तरह उदित नहीं हुआ था *वह याचना भरे स्वर में बोला*-- मै जानता हूं, यूं बार- बार पूछना धृष्टता ही होगी!
लेकिन इस पर भी यदि मेरे मन ने कोई चाल चली* तब मै क्या करूंगा, महाराज?'
कबीर दास जी बुलंद स्वर में ऐलान कर उठे --* तब फ़िर एक ब्रह्मास्त्र चला देना!
साधक -* कौन सा ब्रह्मास्त्र, प्रभु?
कबीर दास जी -* हुं! तुम अपने मन को उन पलो की याद में भिगो देना *जब- जब गुरु ने तुम पर कृपा की* तुम्हें सहारा दिया!
इस सूत्र को सदैव याद रखना कि *गुरु की कृपा ही मोक्ष का मूल है-*
*' मोक्ष मूलं गुरोर्कृपा '!*
*और ध्यान मोक्ष की सीढ़ी है*
अत: ध्यान का आधार केवल और केवल गुरु की कृपा ही है-
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*' गुरुकृपा हि केवलम् '!*
इसलिए उनसे उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करना
साधक आशा व नवीन उत्साह के साथ--* सत्य वचन, महाराज! सत्य वचन! *इन ४ ब्रह्मास्त्रों के बल पर मै निश्चित ही विजयी होऊंगा*
||अच्छाई पलट-पलट कर आती रहती है ||
ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान था। एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था।
अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी ।
किसान ने अपना साजो सामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ लपका।
आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा कि एक बच्चा दलदल में डूब रहा था ।
वह बालक कमर तक कीचड़ में फंसा हुआ बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था।
वह डर के मारे बुरी तरह कांप पर रहा था और चिल्ला रहा था।
किसान ने आनन-फानन में लंबी टहनी ढूंढी।
अपनी जान पर खेलकर उस टहनी के सहारे बच्चे को बाहर निकाला।
अगले दिन उस किसान की छोटी सी झोपड़ी के सामने एक शानदार गाड़ी आकर खड़ी हुई।
उसमें से कीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे ।
उन्होंने किसान को अपना परिचय देते हुए कहा- मैं उस बालक का पिता हूं और मेरा नाम राँडॉल्फ चर्चिल है।
फिर उस अमीर राँडाल्फ चर्चिल ने कहा कि वह इस एहसान का बदला चुकाने आए हैं।
फ्लेमिंग नामक उस किसान ने उन सज्जन के ऑफर को ठुकरा दिया ।
उसने कहा, मैंने जो कुछ किया उसके बदले में कोई पैसा नहीं लूंगा।
किसी को बचाना मेरा कर्तव्य है, मानवता है, इंसानियत है और उस मानवता इंसानियत का कोई मोल नहीं होता ।
इसी बीच फ्लेमिंग का बेटा झोपड़ी के दरवाजे पर आया।
उस अमीर सज्जन की नजर अचानक उस पर गई तो उसे एक विचार सूझा।
उसने पूछा - क्या यह आपका बेटा है ?
किसान ने गर्व से कहा- हां यह मेरा बेटा है !
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उस व्यक्ति ने अब नए सिरे से बात शुरू करते हुए किसान से कहा- ठीक है अगर आपको मेरी कीमत मंजूर नहीं है तो ऐसा करते हैं कि आपके बेटे की शिक्षा का भार मैं अपने ऊपर लेता हूं ।
मैं उसे उसी स्तर की शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था करूंगा जो अपने बेटे को दिलवा रहा हूं।
फिर आपका बेटा आगे चलकर एक ऐसा इंसान बनेगा,जिस पर हम दोनों गर्व महसूस करेंगे।"
किसान ने सोचा मैं तो अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दिला पाऊंगा नहीं और ना ही सारी सुविधाएं जुटा पाऊंगा, जिससे कि यह बड़ा आदमी बन सके ।
अतः इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता हूँ।
बच्चे के भविष्य की खातिर फ्लेमिंग तैयार हो गया ।
अब फ्लेमिंग के बेटे को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने का मौका मिला।
आगे बढ़ते हुए उसने लंदन के प्रतिष्ठित सेंट मेरीज मेडिकल स्कूल से स्नातक डिग्री हासिल की।
फिर किसान का यही बेटा पूरी दुनिया में पेनिसिलिन का आविष्कारक महान वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के नाम से विख्यात हुआ।
लेकिन-
यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती! कुछ वर्षों बाद, उस अमीर के बेटे को निमोनिया हो गया और उसकी जान सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा बनाए गए पेनिसिलीन के इंजेक्शन से ही बची।
उस अमीर चर्चिल के बेटे का नाम था- विंस्टन चर्चिल,जो दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे !
हैं न आश्चर्यजनक संजोग।इसलिए ही कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए।
क्योंकि आपका किया हुआ काम आखिरकार लौटकर आपके ही पास आता है !
यानी अच्छाई पलट - पलट कर आती रहती है!
यकीन मानिए मानवता की दिशा में उठाया गया प्रत्येक कदम आपकी स्वयं की चिंताओं को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा ।
🙏🙏राम राम राम
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏