https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 08/27/20

।। सुंदर सुविचार ।।💝💝💝जय श्री कृष्ण💝💝💝

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर सुविचार  ।।

💝💝💝जय श्री कृष्ण💝💝💝
*प्रभु के सामने जो झुकता है*
*वह सबको अच्छा लगता है,*
              *लेकिन*
*जो सबके सामने झुकता है*
*वो प्रभु को अच्छा लगता है*      
    
✴️जय द्वारकाधीश ✴️

🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।

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जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

*एक आदमी था, जो हमेशा अपने संगठन में सक्रिय रहता था* 

*उसको सभी जानते थे बड़ा मान सम्मान मिलता था, अचानक किसी कारण वश वह*


 *निश्क्रिय रहने लगा मिलना - जुलना बंद कर दिया और* 

*संगठन से दूर हो गया*


        *कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस संगठन के मुखिया ने उससे मिलने का फैसला किया ।*


        *मुखिया उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक बोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक मुखिया का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।*


           *दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे।*

              *कुछ देर के बाद मुखिया ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया। और फिर से शांत बैठ गया।*

                *मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने संगठन के मुखिया के साथ है।*

                 *लेकिन उसने देखा कि अलग की हुए लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई।*

            *कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था।*


              *इस बीच.. दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त अभिवादन किया, कम से कम शब्द बोले।*

           *जानें से पहले मुखिया ने अलग की हुई  बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी, और चारों ओर रोशनी और ताप बिखेरने लगी।*

          *जब आदमी, मुखिया को छोड़ने के लिए दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मुखिया से कहा मेरे घर आकर मुलाकात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।*

                  *आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है। कि अकेले व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता, संगठन का साथ मिलने पर ही वह चमकता है और रोशनी बिखेरता है संगठन से अलग होते ही वह लकड़ी की भाँति बुझ जाता है।*
      *संगठन से ही हमारी पहचान बनती है इसलिए संगठन हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिये
जय श्री कृष्ण
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जय द्वारकाधीश

।। सुंदर सुविचार ।।

आकाश से गिरने वाला जल कण यदि भूमि मे न गिरकर किसी पत्ते पर गिरे तो गंदा नहीं होता और पुनः वाष्पीकृत होकर सूर्य किरणों में समा जाता है।
गंदा कब होगा जब भूमि को स्पर्ष करे।
यही भगवान का खेल है।
अपने से अलग तो कर देते हैं ,लेकिन साथ मे माया रुप भूमि भी छोड़ रखे हैं।
जीव माया के बंधन से कैसे छूटे और पुनः उस परमात्मा तक पहुंचे यहीं भगवान का खेल है।
मछुआरा जाल डालता है पर जो मछली केंवट के शरण में रहे जाल में नहीं फंसता।
बालक रेत से घर बना कर खेलता है,मन भर जाय तो पैरों से उजाड़ कर चला जाता है।
इस बीच यदि कोई दूसरा उसके घर को उजाड़ने का प्रयत्न करें तो उस उजाड़ने वाले की खैर नहीं।
सृष्टि रचना और संहार यह भी भगवान का खेल ही है।
हम सब तो मुहरे हैं।
खिलाड़ी की इच्छा से मुहरों का मिलना बिछुड़ना होता है वैसे ही यहां सब हरि इच्छा से ही होता है।
लोह दारु मयै पाशैर्पुमान बद्धो विमुच्यते।
पुत्र दार मयै पाशैर्मुच्यते न कदाचन्।।
सब कुछ माया का खेल है।
फंस गया सो चौरासी में पड़ गया।
समझ गया सो भवसागर तर गया।।
जय ठाकर 
जय मुरलीधर
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*गोपीगीत* *पुष्प-*🌹

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*गोपीगीत*

  *पुष्प-*🌹

 *सुरतवर्धनम् शोक नाशनम् स्वरित वेणुना सुष्ठु चुम्बितम् ।* *इतररागविस्मारणं नृणां वितर वीर नस्तेऽ-धरामृतम्।।1️⃣4️⃣।।*

🌹     भगवान हंसते हुए कहते हैं, 'अरी सखि ! तुमने अपने लिये तो कुछ भी नहीं माँगा, सब कुछ तो तुमने मेरे लिये ही माँगा है। गोपिका प्रत्युत्तर में कहती है, महाराज ! अब तो मैं रही ही कहाँ हूँ? आप ही तो सर्वत्र हैं। मेरे शरीर का, मेरे मन का एक कोना आप ऐसा तो बताइये कि जहाँ मैं होऊँ और आप न हों? आपही आत्मा है और आपही आनन्द हैं। इसका नाम है, 'सुरति'।
🌹    जब श्यामसुन्दर वेणु के नाद में अधरामृत पधराते हैं तब भक्ति की सुरति को अभिवृद्ध करते हैं। अनन्य प्रेम को और अधिक अनन्य बनाते हैं तथा निष्काम प्रेम को और अधिक निष्काम बनाते हैं। आसक्ति वाला प्रेम वेणुनाद में स्थित अमृत का पान करते हुए व्यसन को प्राप्त हो जाता है। हमें यदि एक बार किसी व्यंजन का स्वाद लग जाय तो हम उस व्यजन को बनवाने के लिये बार-बार प्रयास करेंगे। अपना मन पसंद भोजन करने की सबको इच्छा होती है। भक्तों के लिये प्रभु का स्वरूपामृत ही 'सुरत वर्धन' है । मन पसंद भोजन है।

🌹    यह अधरामृत तो मात्र 'सुरत वर्धन' ही नहीं है, वह तो तापनाशनम् शोक नाशन भी है। इस अमृत में भक्त के ताप, पाप तथा सन्ताप धुल जाते
हैं। अविद्या व्यक्ति को तीन वस्तुओं से दुःख देती है। शोक, मोह तथा भय। ये तीनों त्रिविध ताप को देने वाले हैं। भूतकाल को याद करने से शोक होता है, वर्तमान में होश खो जाने पर (भान भूल जाने पर) मोह उत्पन्न होता है तथा भविष्यत् काल को याद करने से भय उत्पन्न होता है। हम कभी भूतकाल में कभी वर्तमान काल में और कभी भविष्यत् काल में उलझ जाते हैं। उसमें से ही शोक, मोह तथा भय जागृत होता है। भगवान की भक्ति, भगवान की सेवा तथा भगवान का वेणुनाद इन शोक, मोह तथा भय को दूर करने वाले हैं।

           क्रमशः.......
        
     €﹏^°*)🌼(*°^﹏€
            *🌴🌹🌴*
   *)🌼कृष्णमयीरात्रि🌼(*
*°🌹श्रीकृष्णाय समर्पणं 🌹°*
   *)🌼जैश्रीराधेकृष्ण (*
             *🌴 🌹🌴*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर अच्छा सुवाक्य ।।*सुनि रावन पठए भट नाना ।**तिनहिं देखि गर्जेउ हनुमाना ।।*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर अच्छा सुवाक्य ।।

*सुनि रावन पठए भट नाना ।*
*तिनहिं देखि गर्जेउ हनुमाना ।।*
*सब रजनीचर कपि संघारे ।*
*गए पुकारत कछु अधमारे ।।3।।*
*पहरेदारों से श्री हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका उजाड़े जाने का समाचार सुन कर रावण ने उनके साथ कुछ और महाबली योद्धा राक्षस भेज दिए, श्री हनुमानजी तो बस उनका इंतजार ही कर रहे थे तो जैसे ही वो वहां पहुंचे उन्हें देख कर श्री हनुमानजी जोर से गर्जे और तुरन्त उन सब को मार दिया व पहले वाले बचे हुए पहरेदारों को पीट-पीट कर अधमरा कर के  बोले की भाग जाओ रावण के पास और पूछो कोई और योद्धा बचा हो लंका में तो भेज दो वरना मैं आता हूँ दुष्ट रावण के दरबार में उसके बल को तोलने !*

                  *।। राम  राम ।।*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...