https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 01/20/21

एक बहुत ही सुंदर सी बात :

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

 *एक बहुत ही सुंदर सी बात*


◆◆  *एक बहुत ही सुंदर सी बात*


*कृपया इसे पूरा अवश्य पढ़ें और तन मन से इसका अपने जीवन में मनन करें।*

जब हमारे मोबाइल मे बेलेंस की कमी होती है तो हम सामने वाले को मिस कॉल करते हैं ।

तो सामने वाला हमें कॉल करता है और बात होती है और हम पक्के होते हैं ।

कि वो कॉल जरूर करेगा लेकिन मिस कॉल हमें करना पड़ता है ।

क्योकि हमें पक्का विश्वास होता है कि सामने वाले के पास बेलेंस है ।

तो वो हमें कॉल जरूर करेगा।






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*यही रिश्ता हमारा परमात्मा के साथ होना चाहिए।*

हमें रोज़ उन्हें अमृत वेले उठकर मिस कॉल करनी चाहिए ।

क्योंकि अमृत वेले में लाईन बिजी नही मिलती।

वो कॉल जरूर करेंगे लेकिन उन्हें भी तो पता चले कि कॉल किस नंबर से आयी है।  

इसी लिए मिस कॉल आपको ही करनी है।

सो सभी प्रभु प्रेमी अमृत वेले उठने की कोशिश करें और परमात्मा की  कृपा  पाकर अपने को दिन भर के लिए रिचार्ज करें।

हमें सिर्फ एक कदम उठाना है वो तो सौ कदम उठाने के लिए तैयार बैठा है ।

लेकिन पहला कदम हमें ही उठाना पड़ेगा।

*एक यही वह समय है ।

जिसमेँ जागने वाला कमाता है और*
*सोने वाला गंवाता है।*

  🌹*राधे-राधे जयश्री कृष्णा🌹*

|| समय बहुत बलवान होता है ||

       
शिखण्डी से भीष्म को मात दिला सकता है !

   कर्ण के रथ को फंसा सकता है !

द्रौपदी का चीरहरण करा सकता है !

इस लिये किसी से डरना है तो वह है समय !

महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुँचकर कहा-

हे राजन ! 

मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम कंक है मैं द्यूत विद्या में निपुण आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ। 

द्यूत जुआ वह खेल जिसमें धर्मराज अपना सर्वस्व हार गए थे अब कंक बन कर वही खेल वह राजा विराट को सिखाने लगे।

जिस बाहुबली के लिये रसोइये भोजन परोसते थे वह भीम बल्लभ का भेष धारण कर रसोइया बन गये!  

नकुल और सहदेव पशुओं की देखरेख करने लगे ! 

दासियों से घिरी रहने वाली महारानी द्रौपदी स्वयं एक दासी सैरन्ध्री बन गयी और धनुर्धर उस युग का सबसे आकर्षक युवक, वह महाबली योद्धा द्रोण का सबसे प्रिय शिष्य ! 

जिसके धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ते ही युद्ध का निर्णय हो जाता था वह अर्जुन पौरुष का प्रतीक महानायक अर्जुन एक नपुंसक बन गया।

उस युग में पौरुष को परिभाषित करने वाला अपना पौरुष त्याग कर होठों पर लाली और आंखों में काजल लगा कर बृह्नलला बन गया।

परिवार पर एक विपदा आयी तो धर्मराज अपने परिवार को बचाने हेतु कंक बन गया। 

पौरुष का प्रतीक एक नपुंसक बन गया एक महाबली साधारण रसोईया बन गया नकुल और सहदेव पशुओं की देख रेख करते रहे! 

और द्रौपदी एक दासी की तरह महारानी की सेवा करती रही।पांडवों के लिये वह अज्ञातवास का काल उनके लिये अपने परिवार के प्रति अपने समर्पण की पराकाष्ठा थी।

वह जिस रूप में रहे जो अपमान सहा,जिस कठिन दौर से गुज़रे उसके पीछे उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था अपितु परिस्थितियों को देखते हुये परिस्थितियों के अनुरूप ढल जाने का काल था !

आज भी अज्ञातवास जी रहे ना जाने कितने महायोद्धा हैं कोई धन्ना सेठ की नौकरी करते उससे बेवजह गाली खा रहा है क्योंकि उसे अपनी बिटिया की स्कूल फीस भरनी है।

बेटी के ब्याह के लिये पैसे इकट्ठे करता बाप एक सेल्समैन बन कर दर दर धक्के खा कर सामान बेचता दिखाई देता है।

ऐसे असंख्य पुरुष निरंतर संघर्ष से हर दिन अपना सुख दुःख छोड़ कर अपने परिवार के अस्तिव की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

रोज़मर्रा के जीवन में किसी संघर्षशील व्यक्ति से रूबरू हों तो उसका आदर कीजिये उसका सम्मान करें। 

फैक्ट्री के बाहर खड़ा गार्ड होटल में रोटी परोसता वेटर सेठ की गालियां खाता मुनीम वास्तव में कंक , बल्लभ और बृह्नला ही है।

क्योंकि कोई भी अपनी मर्ज़ी से संघर्ष या पीड़ा नही चुनता वे सब यहाँ कर्म करते हैं वे अज्ञात वास जी रहे हैं......!

परंतु वो अपमान के भागी नहीं बल्कि प्रशंसा के पात्र हैं यह उनकी हिम्मत,ताकत और उनका समर्पण है कि विपरीत परिस्थितियों में भी वह डटे हुये हैं।

वो कमजोर नहीं हैं उनके हालात कमज़ोर हैं उनका वक्त कमज़ोर है।

अज्ञातवास के बाद बृह्नला जब पुनः अर्जुन के रूप में आये तो कौरवों के नाश कर दिया। 

वक्त बदलते वक्त नहीं लगता इस लिये जिसका वक्त खराब चल रहा हो!

उसका उपहास और अनादर ना करें उसका सम्मान करें!

उसका साथ दें क्योंकि एक दिन संघर्ष शील कर्मठ ईमानदारी से प्रयास करने वालों का अज्ञातवास अवश्य समाप्त होगा।

समय का चक्र घूमेगा और इतिहास बृह्नला को भूलकर अर्जुन को याद रखेगा।

यही नियति है ; 

यही समय का चक्र है। 

यही महाभारत की भी सीख है!






कृष्ण का मिट्टी खाना :
        
भगवान प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने पधारते है। 

लेकिन आज भगवान का मन खेलने में नहीं है। 

भगवान बोले की माखन तो बहुत खायो है और अंदर से पेट भी चिकनो हो गयो है। 

जैसी सफाई मिट्टी से हो सकती है और किसी चीज से नहीं हो सकती। 

भगवान ने मिट्टी उठा कर मुँह में रख ली। 

भगवान को मिट्टी खाते हुए श्रीदामा ने देख लिए और बोले की क्यों रे कनवा तूने मिट्टी खाई?

भगवान के मुँह में मिट्टी थी, बोल तो सकते नही थे तो भगवान ने गर्दन हिला कर ना में जवाब दिया।

श्रीदामा बोले ये ऐसे नही बतावेगो। 

श्रीदामा ने बलराम जी को बुला लिए और बलराम ने पूछा- क्यों रे लाला, तेने माटी  खाई?

भगवान ने फिर से ना में गर्दन हिलाकर जवाब दिया। 

और कहा की इसे आज मैया के पास ले चलो। 

पहले ये माखन चुरा के खाता था और अब मिट्टी भी खाने लगा है।

तो दो सखाओ ने भगवान के हस्त कमल पकडे और दो सखाओ ने चरण कमल पकडे। 

और डंडा डोली ( झूला झुलाते हुए ) करते हुए लेके माँ के पास गए।
        
और मैया के पास जाकर बोले-

        तेरे लाला ने माटी खाई यशोदा सुन माई
        सुनत ही माटी को नाम ब्रजरानी दौड़ी आई
        और पकड़ हरी को हाथ, कैसे तूने माटी खाई?

        तो तुनक तुनक तुतलाय के हूँ बोले श्याम
        मैंने नाही माटी खाई नाहक लगायो नाम।।
        
        भगवान कहते है मैया मैंने माटी नहीं खाई? ये सब सखा झूठ बोल रहे है।

माँ बोली ,लाला एक संसार में तू ही सचधारी पैदा हुआ है बाकि सब झूठे है? 

आज मैं तेरे को सीधो कर दूंगी।
        
तो माँ हाथ में एक लकड़ी लेकर आई और भगवान को डरने लगी। 

जब भगवान ने माँ के हाथो में लकड़ी देखि तो झर - झर भगवान की आँखों से आंसू टपकने लगे।

राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा- गुरुदेव, जिनकी एक भृकुटि टेढ़ी हो जाये तो काल भी डर जाता है। 

लेकिन आज माँ के हाथ में लकड़ी देख कर भगवान की आँखों से आंसू आ रहे है। 

क्यों ?
       
(नन्द बाबा और यशोदा एक परिचय)
        
ये नन्द और यशोदा कोन है? 

जिनको भगवान ने इतना बड़ा अधिकार दे दिया?
        
शुकदेव जी कहते है परीक्षित, पूर्व जन्म में ये द्रोण नाम के वसु थे और इनकी पत्नी का नाम था धरा। 

ये निःसंतान थे। 

और इन्होने भगवान की तपस्या की। 

भगवान प्रकट हो गए और बोले की आप वार मांगिये।
        
तो इन्होने कहा भगवान, आप हमे ये वरदान दीजिये की हमे आपकी बाल लीला का दर्शन हो। 

हमे इस जन्म में सब कुछ मिला लेकिन हमारे संतान नही हुई। 

तो हम आपकी बाल लीला देखना चाहते है।
        
भगवान बोले की, कृष्णावतार में आप मेरी बाल लीला का दर्शन करोगे।
        
ये द्रोण, नन्द बाबा बने और उनकी पत्नी धरा ही यशोदा है। 

दोनों को भगवान अपनी बाल लीला का दर्शन करवा रहे है।
        
माँ पूछ रही है तेने माटी खाई?
        
भगवान कहते है नही खाई मैया , मैंने माटी नाही खाई।
        
हाथ में लकड़ी लेके माँ डरा रही है। 

भगवान ने कहा यदि मैया तेरे को मो पर विश्वास नही है तो मेरा मुख देख ले। 

साँच को आंच कहाँ
        
तो छोटो सो मुखारविंद कृष्ण हूँ ने फाड़ दियो।
        
भगवान ने अपना छोटा सा मुँह खोला।

( माँ यशोदा को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दर्शन )

और माँ मुँह में झांक-कर देखती है तो आज सारे ब्रह्माण्ड का दर्शन माँ को हो रहा है। 

केवल ब्रह्माण्ड ही नही गोकुल और नन्द भवन का दर्शन कर रही है। 

और नन्द भवन में कृष्णा और स्वयं का दर्शन भी माँ को हो रहा है।

अब माँ बोली की मेरे लाला के मुँह में अलाय - बलाय कहाँ से आ गई?

थर थर डर के माँ कांपने लगी।

भगवान समझ गए आज माँ ने मेरे ऐश्वर्ये का दर्शन कर लिया है कहीं ऐसा ना हो की माँ के अंदर से मेरे लिए प्रेम समाप्त ना हो जाये। 

और मैं तो ब्रजवासियों के बीच प्रेम लीला करने आया हूँ।

क्योंकि जहाँ ऐश्वर्ये है वहां प्रेम नही है। 

ऐसा सोचकर भगवान मंद मंद मुस्कराने लगे। 

भागवत में भगवान की हंसी को माया कहा है। 

भगवान ने माया का माँ पर प्रभाव डाला और जब थोड़ी देर में माँ ने आँखे खोली।

तो भगवान अपनी माँ से पूछने लगे मैया तेने हमारे मुख में माटी देखि?

माँ बोली की सब जग झूठो केवल मेरो लाला सांचो। 

भगवान की मुस्कराहट से माँ सब कुछ भूल गई।

इस प्रकार से प्रभु ने मृतिका भक्षण लीला की है।

         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 Web:Sarswatijyotish.com
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

एक बहुत ही सुंदर सी कथा :

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