सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।
।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन / शक्तिशाली योद्धा वीर हनुमान ।।
🙏 *【】श्री राम राम राम सीताराम शरणं मम् 【】*_ 🙏
🌱 *【 ™विनय पत्रिका™ 2️⃣2️⃣ 】* 🌱
**श्रीसिया जू -स्तुति ~ 1**
*राग___केदार*
कबहुँक अंब, अवसर पाइ ।
मेरिऔ सुधि द्याइबी, कछु-करुन कथा चलाइ ॥१॥
दीन, सब अंगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ ।
नाम लै भरै उदर एक प्रभु-दासी-दास कहाइ ॥२॥
बुझिहैं 'सो है कौन', कहिबी नाम दसा जनाइ ।
सुनत राम कृपालुके मेरी बिगरिऔ बनि जाइ ॥३॥
जानकी जगजननि जनकी किये बचन सहाइ ।
तरै तुलसीदास भव तव नाथ-गुन-गन गाइ ॥४॥
हे माता!
कभी अवसर हो तो कुछ करुणाकी बात छोड़कर श्रीरामचन्द्रजीको मेरी भी याद दिला देना, ( इसी से मेरा काम बन जायगा )॥१॥
यों कहना कि एक अत्यन्त दीन, सर्व साधनोंसे हीन, मनमलीन, दुर्बल और पूरा पापी मनुष्य आपकी दासी ( तुलसी ) का दास कहलाकर और आपका नाम ले - लेकर पेट भरता है ॥२॥*
इस पर प्रभु कृपा करके पूछें कि वह कौन है, तो मेरा नाम और मेरी दशा उन्हें बता देना। कृपालु श्रीरामचन्द्रजीके इतना सुन लेनेसे ही मेरी सारी बिगड़ी बात बन जायगी ॥३॥*
हे जगज्जननी श्रीजानकीजी !
यदि इस दासकी आपने इस प्रकार वचनोंसे ही सहायता कर दी तो यह तुलसीदास आपके स्वामीकी गुणावली गाकर भवसागरसे तर जायगा ॥४॥*
श्रीसिया जू -- स्तुति ~ 2
कबहुँ समय सुधि द्यायबी, मेरी मातु जानकी।
जन कहाइ नाम लेत हौं, किये पन चातक ज्यों, प्यास प्रेम - पानकी॥१॥
सरल कहाई प्रकृति आपु जानिए करुना - निधानकी।
निजगुन, अरिकृत अनहिती, दास - दोष सुरति चित रहत न दिये दानकी ॥२॥
बानि बिसारनसील मानद अमानकी।
तुलसीदास न बिसारिये, मन करम बचन जाके, सपनेहुँ गति न आनकी ॥३॥
हे जानकी माता! कभी मौका पाकर श्रीरामचन्द्रजीको मेरी याद दिला देना।
मैं उन्हीं का दास कहाता हूँ, उन्हीं का नाम लेता हूँ, उन्हीं के लिये पपीहे की तरह प्रण किये बैठा हूँ, मुझे उनके स्वाती-जलरूपी प्रेमरस की बड़ी प्यास लग रही है ॥१॥*
यह तो आप जानती ही हैं कि करुणा - निधान श्रीरामजीका स्वभाव बड़ा सरल है;
उन्हें अपना गुण, शत्रुद्वारा किया हुआ अनिष्ट, दासका अपराध और दिये हुए दानकी बात कभी याद ही नहीं रहती ॥२॥*
उनकी आदत भूल जानेकी है जिसका कहीं मान नहीं होता, उसको वह मान दिया करते हैं; पर वह भी भूल जाते हैं !
हे माता! तुम उनसे कहना कि तुलसीदासको न भूलिये, क्योंकि उसे मन, वचन और कर्मसे स्वप्न में भी किसी दूसरे का आश्रय नहीं है ॥३॥
_*शेष [ पद ] अगले भाग में ..............*_
|| शक्तिशाली योद्धा वीर हनुमान ||
रामायण में हनुमान जी बेहद शक्तिशाली योद्धा थे।
शायद शारीरिक रूप से वह रामायण के सबसे शक्तिशाली योद्धा थे।
अपनी ताकत साबित करने के लिए वाल्मीकि रामायण के कुछ करतब दिए गए हैं।
वह वाल्मीकि रामायण के अनुसार वायु के पुत्र थे और महाभारत भी उन्हें शिव के अंश के रूप में संदर्भित करता है।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी को एक महत्वपूर्ण और रचनात्मक व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है।
वे राम के सहायक और संदेशवाहक थे।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के बारे में ये बातें कही गई हैं:-
हनुमान जी ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद के विद्वान थे।वे अष्टांग बुद्धि से संपन्न थे।
वे चार प्रकार के बल से युक्त थे।
वे राजनीति के चौदह गुणों से युक्त थे।
वे वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष थे।
उनका शरीर अत्यंत मांसल एवं बलशाली था।
उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता था।
उनका मुख्य अस्त्र गदा माना जाता है।
उनका शरीर पर्वत के समान विशाल और कठोर था।
उनका मुख सदेव राम नाम की धुन से भरा रहता था।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी और वानरों को मात्र बंदरों के रूप में नहीं, बल्कि दिव्य उत्पत्ति वाले विकसित प्राणियों के रूप में दर्शाया गया है।
|| जय श्री राम जय हनुमान ||
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🙏 _*गोस्वामी श्रीतुलसीदास कृत*_ 🙏
🙏 *【 जय जय श्री राम राम राम सीताराम जी 】* 🙏
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏