सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। सुंदर काव्य रचना ।।
स्त्री - सर्वदुखहर्ता
एक पति - पत्नी में तकरार हो गयी, पति कह रहा था :
" मैं नवाब हूँ इस शहर का लोग इस लिए मेरी इज्जत करते है और तुम्हारी इज्जत मेरी वजह से है। "
पत्नी कह रही थी :
" आपकी इज्जत मेरी वजह से है।
मैं चाहूँ तो आपकी इज्जत एक मिनट में बिगाड़ भी सकती हूँ और बना भी सकती हूँ। "
नवाब को तैश आ गया और बोला-
" ठीक है दिखाओ
मेरी इज्जत खराब करके..! "
बात आई गई हो गयी।
नवाब के घर शाम को महफ़िल जमी थी दोस्तों की...!
हंसी मजाक हो रहा था कि अचानक नवाब को
अपने बेटे के रोने की आवाज आई....!
वो जोर जोर से रो रहा था और नवाब की पत्नी बुरी तरह उसे डांट रही थी।
नवाब ने जोर से आवाज देकर पूछा कि क्या हुआ बेगम क्यों डाँट रही हो..??
बेगम ने अंदर से कहा.,
" देखिये न---
आपका बेटा खिचड़ी मांग रहा है और जबकि उसका पेट भी भर चुका है..! "
नवाब ने कहा..,
" दे दो थोड़ी सी और..! "
बेगम बोली.,
" घर में और भी तो लोग है सारी इसी को कैसे दे दूँ..? "
पूरी महफ़िल शांत हो गयी ।
लोग कानाफूसी करने लगे कि कैसा नवाब है ?
जरा सी खिचड़ी के लिए इसके घर में झगड़ा होता है।
नवाब की पगड़ी उछल गई।
सभी लोग चुपचाप उठ कर चले गए।
नवाब उठ कर अपनी बेगम के पास आया और बोला.,
" मैं मान गया, तुमने आज मेरी इज्जत तो उतार दी, लोग भी कैसी-
कैसी बातें कर रहे थे।
अब तुम यही इज्जत वापस लाकर दिखाओ..! "
बेगम बोली..,
" इसमे कौन सी बड़ी बात है आज जो लोग महफ़िल में थे उन्हें आप फिर किसी बहाने से उन्हें निमंत्रण दी जिये..! "
नवाब ने फिर से सबको बुलाया बैठक और मौज मस्ती के बहाने.,
सभी मित्रगण बैठे थे, हंसी मजाक चल रहा था कि फिर वही नवाब के बेटे की रोने की आवाज आई नवाब ने आवाज देकर पूछा...!
" बेगम क्या हुआ क्यों रो रहा है हमारा बेटा ? "
बेगम ने कहा.,
" फिर वही खिचड़ी खाने की जिद्द कर रहा है..! "
लोग फिर एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि यार एक मामूली खिचड़ी के लिए इस नवाब के घर पर रोज झगड़ा होता है।
नवाब मुस्कुराते हुए बोला.,
" अच्छा बेगम तुम एक काम करो तुम खिचड़ी यहाँ लेकर आओ ..
हम खुद अपने हाथों से अपने बेटे को देंगे.,
वो मान जाएगा और सभी मेहमानो को भी खिचड़ी खिलाओ..! "
बेगम ने जवाब दिया..,
" जी नवाब साहब...! "
बेगम बैठक खाने में आ गई पीछे नौकर खाने का सामान सर पर रख आ रहा था, हंडिया नीचे रखी और मेहमानो को भी देना शुरू किया अपने बेटे के साथ।
सारे नवाब के दोस्त हैरान - जो परोसा जा रहा था वो चावल की खिचड़ी तो कत्तई नहीं थी।
उसमे खजूर - पिस्ता-काजू बादाम - किशमिश गिरी इत्यादि से मिला कर बनाया हुआ
सुस्वादिष्ट व्यंजन था।
अब लोग मन ही मन सोच रहे थे कि ये खिचड़ी है?
नवाब के घर इसे खिचड़ी बोलते हैं तो - मावा - मिठाई किसे बोलते होंगे ?
नवाब की इज्जत को चार - चाँद लग गए ।
लोग नवाब की रईसी की बातें करने लगे।
नवाब ने बेगम के सामने हाथ जोड़े और कहा
" मान गया मैं कि घर की स्त्री इज्जत बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है---
और जिस व्यक्ति को घर में इज्जत हासिल नहीं उसे दुनियाँ मे कहीं इज्जत नहीं मिलती..! "
सृष्टि मे यह सिद्धांत हर जगह लागू हो जाएगा ।
अहंकार युक्त जीवन में स्त्री जब चाहे हमारे अहंकार की इज्जत उतार सकती है और नम्रता युक्त जीवन मे इज्ज़त बना सकती है..
हर हर महादेव
मैं नारी......
मै नारी नदी सी मेरे दो किनारे।
एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका
दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।
एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।
दूजी ओर सास जिनके लाल संग जुड़ा मेरे
जीवन भर का किस्सा
एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी
ससुराल का आँगन मेरे बच्चों की चिलकारी
मायके में मेरी बहने , मेरी हमजोली
ससुराल में मेरी ननदे है, शक्कर सी मीठी गोली।
मायके में मामा , काका है पिता सी मुस्कान
ससुराल के देवर जेठ हैं तीखे में मिष्टान।
मायके में भाभी
है ममता के खजाने की चाबी ।
ससुराल में देवरानी जेठानी
हैं मेरी तरह ही बहती नदी का पानी।
मायके में मेरा भईया
एक आस जो बनेगा दुख में मेरी नय्या
ससुराल में मेरे प्राणप्रिय सैया
जो हैं मेरे जीवन के खेवैया।
ससुराल ओर मायका हैं दो नदी की धारा
जो एक नारी में समाकर नारी को बनाती है सागर सा गहरा।
नारी शक्ति को प्रणाम
🙏🙏🙏🙏जय अंबे🙏🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏