सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
माघ मास पूर्णिमा है / बसंत पंचमी या श्री पंचमी
|| माघ मास पूर्णिमा है ||
हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि हर महीने आती है, लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का खास महत्व होता है।
इसे माघी पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, चंद्रदेव की आराधना करने का विधान है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा - अर्चना और दान - पुण्य करने से जीवन में सुख - समृद्धि और खुशहाली आती है।
वहीं, महाकुंभ के दौरान इस पूर्णिमा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
माघ पूर्णिमा 2025 की तिथि, धार्मिक महत्व और स्नान - दान का शुभ मुहूर्त।
माघ पूर्णिमा 2025 स्नान - दान शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी 2025 को शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और 12 फरवरी 2025 को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में इस साल माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
माघ पूर्णिमा का महत्व -
ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दान करने से व्यक्ति को जीवन के समस्त पापों से छुटकारा मिलता है।
इस के साथ ही इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
मान्यता है कि इस दिन देवी - देवता भी गंगा में स्नान करने के लिए धरती पर आते हैं।
|| हर हर गंगे ||
बसंत पंचमी या श्री पंचमी
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।।
बसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दू त्यौहार है।
इस दिन विद्या की देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है।
यह पूजा विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।
भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज...!
अर्थात :
सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है...!
इस लिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है...!
जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है....!
पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं....!
पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है।
मां सरस्वती की पूजा -
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विधि खास होती है।
पूजा में सफेद फूल, पीले वस्त्र, सफेद तिल और संगीत अर्पित किया जाता है।
मां सरस्वती के चरणों में वीणा और पुस्तक रखना शुभ माना जाता है।
इस दिन लोग मां से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लेते हैं।
बसंत पंचमी का सीधा संबंध माता सरस्वती से है।
पौराणिक कथा के अनुसार...!
जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की....!
तो सृष्टि में कोई जीवन था...!
लेकिन वह जीवन शांत और बिना किसी आवाज के था।
भगवान ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छींटा, जिससे देवी सरस्वती प्रकट हुईं।
देवी सरस्वती ने वीणा बजाकर पूरे संसार में मधुर आवाज फैलाई और सृष्टि में जीवन का संचार हुआ।
तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है, और इस तिथि पर बसंत पंचमी मनाए जाने लगी।
वसंत पंचमी और सरस्वती - लक्ष्मी पूजन दिवस है।
तृतीय अमृत स्नान महाकुंभ महापर्व ( प्रयागराज )भी है।
ज्ञान, स्वाध्याय, चिंतन, मौन के सागर में डुबकी लगाएं।
( १ ) लगता अहंकार है पर ये स्वाभिमान होता है, जब बात अपने अधिकार, चरित्र और सम्मान की होती है।
( २ ) कुछ लोग भरोसे के लिए रोते हैं और कुछ लोग भरोसा करके रोते हैं।
( ३ ) लोगों को आपकी बात का तब फ़र्क पड़ना शुरू होता है जब आपको किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।
( ४ ) मैने ज़िंदगी की गाड़ी से वो साइड ग्लास ही हटा दिया जिसमें पीछे छूटे रास्ते और बुराई करते लोग नज़र आते हैं।
( ५ ) अभाव का प्रभाव अक्सर जीवन का स्वभाव बदल देता है।
यथाशक्ति गरीबों में शिक्षण सामग्री वितरण करें, करवाएं।
|| बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं ||
🙏🙏जय श्री कृष्ण 🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏