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जय द्वारकाधीश
।। श्री भविष्य पुराण के प्रवचन ।।
।।🌞सूर्य देव ( आदित्य ) के 12 स्वरूप इनके नाम और काम 🌞।।
🌞।। ऊं सूर्याय नमः।।🌞
सूर्य देव ( आदित्य ) के 12 स्वरूप इनके नाम और काम:
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हिंदू धर्म में प्रमुख रूप से 5 देवता माने गए हैं।
सूर्यदेव उनमें से एक हैं।
भविष्यपुराण में सूर्यदेव को ही परब्रह्म यानी जगत की सृष्टि, पालन और संहार शक्तियों का स्वामी माना गया है।
भगवान सूर्य जिन्हें आदित्य के नाम से भी जाना जाता है, के 12 स्वरूप माने जाते हैं, जिनके द्वारा ये उपरोक्त तीनों काम सम्पूर्ण करते हैं।
जानते हैं क्या हैं इन 12 स्वरूप के नाम और क्या है इनका काम।
इन्द्र
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भगवान सूर्य (आदित्य) के प्रथम स्वरुप का नाम इंद्र है।
यह देवाधिपति इन्द्र को दर्शाता है।
इनकी शक्ति असीम हैं।
दैत्य और दानव रूप दुष्ट शक्तियों का नाश और देवों की रक्षा का भार इन्हीं पर है।
धाता
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भगवान सूर्य (आदित्य) के दूसरे स्वरुप का नाम धाता है।
जिन्हें श्री विग्रह के रूप में जाना जाता है।
यह प्रजापति के रूप में जाने जाते हैं जन समुदाय की सृष्टि में इन्हीं का योगदान है, सामाजिक नियमों का पालन ध्यान इनका कर्तव्य रहता है।
इन्हें सृष्टि कर्ता भी कहा जाता है।
पर्जन्य
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भगवान सूर्य (आदित्य) के तीसरे स्वरुप का नाम पर्जन्य है।
यह मेघों में निवास करते हैं।
इनका मेघों पर नियंत्रण हैं।
वर्षा करना इनका काम है।
त्वष्टा
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भगवान सूर्य (आदित्य) के चौथे स्वरुप का नाम त्वष्टा है।
इनका निवास स्थान वनस्पति में हैं पेड़ पौधों में यही व्याप्त हैं औषधियों में निवास करने वाले हैं।
अपने तेज से प्रकृति की वनस्पति में तेज व्याप्त है जिसके द्वारा जीवन को आधार प्राप्त होता है।
पूषा
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भगवान सूर्य (आदित्य) के पांचवें स्वरुप का नाम पूषा है।
जिनका निवास अन्न में होता है।
समस्त प्रकार के धान्यों में यह विराजमान हैं।
इन्हीं के द्वारा अन्न में पौष्टिकता एवं उर्जा आती है।
अनाज में जो भी स्वाद और रस मौजूद होता है वह इन्हीं के तेज से आता है।
अर्यमा
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भगवान सूर्य (आदित्य) के छठवें स्वरुप का नाम अर्यमा है।
यह वायु रूप में प्राणशक्ति का संचार करते हैं।
चराचर जगत की जीवन शक्ति हैं।
प्रकृति की आत्मा रूप में निवास करते हैं।
भग
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भगवान सूर्य ( आदित्य ) के सातवें स्वरुप का नाम भग है।
प्राणियों की देह में अंग रूप में विद्यमान हैं यह भग देव शरीर में चेतना, उर्जा शक्ति, काम शक्ति तथा जीवंतता की अभिव्यक्ति करते हैं।
विवस्वान
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भगवान सूर्य ( आदित्य ) के आठवें स्वरुप का नाम विवस्वान है।
यह अग्नि देव हैं।
कृषि और फलों का पाचन, प्राणियों द्वारा खाए गए भोजन का पाचन इसी अग्नि द्वारा होता है।
विष्णु
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भगवान सूर्य ( आदित्य ) के नवम् स्वरुप का नाम विष्णु है।
यह संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति कराने वाले हैं।
अंशुमान
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भगवान सूर्य (आदित्य ) के दसवें स्वरुप का नाम अंशुमान है।
वायु रूप में जो प्राण तत्व बनकर देह में विराजमान है वहीं दसवें आदित्य अंशुमान हैं।
इन्हीं से जीवन सजग और तेज पूर्ण रहता है।
वरूण
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भगवान सूर्य ( आदित्य ) के ग्यारहवें स्वरुप का नाम वरूण है।
वरूण देवजल तत्व का प्रतीक हैं।
यह समस्त प्रकृत्ति में के जीवन का आधार हैं।
जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
मित्र
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भगवान सूर्य (आदित्य ) के बारहवें स्वरुप का नाम मित्र है।
विश्व के कल्याण हेतु तपस्या करने वाले, ब्राह्मण का कल्याण करने की क्षमता रखने वाले मित्र देवता हैं।
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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जय द्वारकाधीश....
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