https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 09/04/20

।। मधुराष्टकं ।।मधुराष्टकं अर्थ अनुवाद सहित

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। मधुराष्टकं ।।

मधुराष्टकं अर्थ अनुवाद सहित 

अधरं मधुरं वदनं मधुरं,
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1।।
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)

अर्थ (Meaning in Hindi):
अधरं मधुरं – श्री कृष्ण के होंठ मधुर हैं
वदनं मधुरं – मुख मधुर है
नयनं मधुरं – नेत्र (ऑंखें) मधुर हैं
हसितं मधुरम् – मुस्कान मधुर है
हृदयं मधुरं – हृदय मधुर है
गमनं मधुरं – चाल भी मधुर है
मधुराधिपते – मधुराधिपति (मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण)
अखिलं मधुरम् – सभी प्रकार से मधुर है

वचनं मधुरं चरितं मधुरं,
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2।।
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)

अर्थ (Meaning in Hindi):
वचनं मधुरं – भगवान श्रीकृष्ण के वचन (बोलना) मधुर है
चरितं मधुरं – चरित्र मधुर है
वसनं मधुरं – वस्त्र मधुर हैं
वलितं मधुरम् – वलय, कंगन मधुर हैं
चलितं मधुरं – चलना मधुर है
भ्रमितं मधुरं – भ्रमण (घूमना) मधुर है
मधुराधिपते – मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः,
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3।।

अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
वेणुर्मधुरो – श्री कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है
रेणुर्मधुरः – चरणरज मधुर है, उनको चढ़ाये हुए फूल मधुर हैं
पाणिर्मधुरः – हाथ (करकमल) मधुर हैं
पादौ मधुरौ – चरण मधुर हैं
नृत्यं मधुरं – नृत्य मधुर है
सख्यं मधुरं – मित्रता मधुर है
मधुराधिपते – हे श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

गीतं मधुरं पीतं मधुरं,
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4।।

अर्थ (Meaning in Hindi):
गीतं मधुरं – श्री कृष्ण के गीत मधुर हैं
पीतं मधुरं – पीताम्बर मधुर है
भुक्तं मधुरं – भोजन (खाना) मधुर है
सुप्तं मधुरम् – शयन (सोना) मधुर है
रूपं मधुरं – रूप मधुर है
तिलकं मधुरं – तिलक (टीका) मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
करणं मधुरं तरणं मधुरं,
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5।।

अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
करणं मधुरं – कार्य मधुर हैं
तरणं मधुरं – तारना मधुर है (दुखो से तारना, उद्धार करना)
हरणं मधुरं – हरण मधुर है (दुःख हरण)
रमणं मधुरम् – रमण मधुर है
वमितं मधुरं – उद्धार मधुर हैं
शमितं मधुरं – शांत रहना मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

गुंजा मधुरा माला मधुरा,
यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6।।

अर्थ (Meaning in Hindi):
गुंजा मधुरा – गर्दन मधुर है
माला मधुरा – माला भी मधुर है
यमुना मधुरा – यमुना मधुर है
वीची मधुरा – यमुना की लहरें मधुर हैं
सलिलं मधुरं – यमुना का पानी मधुर है
कमलं मधुरं – यमुना के कमल मधुर हैं
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

गोपी मधुरा लीला मधुरा,
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7।।

अर्थ (Meaning in Hindi):
गोपी मधुरा – गोपियाँ मधुर हैं
लीला मधुरा – कृष्ण की लीला मधुर है
युक्तं मधुरं – उनक सयोग मधुर है
मुक्तं मधुरम् – वियोग मधुर है
दृष्टं मधुरं – निरिक्षण (देखना) मधुर है
शिष्टं मधुरं – शिष्टाचार (शिष्टता) भी मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

गोपा मधुरा गावो मधुरा,
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8।।

अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
गोपा मधुरा – गोप मधुर हैं
गावो मधुरा – गायें मधुर हैं
यष्टिर्मधुरा – लकुटी (छड़ी) मधुर है
सृष्टिर्मधुरा – सृष्टि (रचना) मधुर है
दलितं मधुरं – दलन (विनाश करना) मधुर है
फलितं मधुरं – फल देना (वर देना) मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है ।।8
जय श्री कृष्ण....!!!!🙏🙏🙏
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*रात्रि की कहानी**"परहित का चिंतन"*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*रात्रि की कहानी*

*"परहित का चिंतन"*

एक राजा था जिसे *शिल्प कला* अत्यंत प्रिय थी। वह मूर्तियों की खोज में देस-परदेस जाया करता थे। इस प्रकार राजा ने कई मूर्तियाँ अपने राज महल में लाकर रखी हुई थी और स्वयं उनकी देख रेख करवाते।

सभी मूर्तियों में उन्हें *तीन मूर्तियाँ* जान से भी ज्यादा प्यारी थी। सभी को पता था कि राजा को उनसे अत्यंत लगाव हैं।

एक दिन जब *एक सेवक* इन मूर्तियों की सफाई कर रहा था तब *गलती* से उसके हाथों से उनमें से *एक मूर्ति टूट गई*। जब राजा को यह बात पता चली तो उन्हें *बहुत क्रोध आया* और उन्होंने उस *सेवक को तुरन्त मृत्युदण्ड दे दिया।*

सजा सुनने के बाद *सेवक* ने तुरन्त अन्य *दो मूर्तियों को भी तोड़ दिया*। यह देख कर सभी को *आश्चर्य* हुआ।

राजा ने उस *सेवक* से इसका कारण पूछा,तब उस सेवक ने कहा - *"महाराज !! क्षमा कीजियेगा, यह मूर्तियाँ मिट्टी की बनी हैं, अत्यंत नाजुक हैं। अमरता का वरदान लेकर तो आई नहीं हैं। आज नहीं तो कल टूट ही जाती अगर मेरे जैसे किसी प्राणी से टूट जाती तो उसे अकारण ही मृत्युदंड का भागी बनना पड़ता।*

मुझे तो *मृत्यु दंड* मिल ही चुका हैं इसलिए मैंने ही अन्य *दो मूर्तियों* को तोड़कर उन *दो व्यक्तियों की जान बचा ली*

यह सुनकर राजा की *आँखे खुली* की खुली रह गई उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सेवक को *सजा से मुक्त कर दिया।*

*सेवक ने उन्हें साँसों का मूल्य सिखाया, साथ ही सिखाया की न्यायाधीश के आसन पर बैठकर अपने निजी प्रेम के चलते छोटे से अपराध के लिए मृत्युदंड देना उस आसन का अपमान हैं। एक उच्च आसन पर बैठकर हमेशा उसका आदर करना चाहिये। राजा हो या कोई भी अगर उसे न्याय करने के लिए चुना गया हैं तो उसे न्याय के महत्व को समझना चाहिये।*

*मूर्ति से राजा को प्रेम था लेकिन उसके लिए सेवक को मृत्युदंड देना न्याय के विरुद्ध था। न्याय की कुर्सी पर बैठकर किसी को भी अपनी भावनाओं से दूर हट कर फैसला देना चाहिये।* 

*राजा को समझ आ गया कि मुझसे कई गुना अच्छा तो वो यह सेवक था जिसने मृत्यु के इतना समीप होते हुए भी परहित का सोचा..!!*

*राजा ने सेवक से पूछा कि अकारण मृत्यु को सामने पाकर भी तुमने ईश्वर को नही कोसा, तुम निडर रहे, इस संयम, समस्वस्भाव तथा दूरदृष्टि के गुणों के वहन की युक्ति क्या है।*

सेवक ने बताया कि आपके यहाँ काम करने से पहले मैं *एक अमीर सेठ* के यहां नौकर था। मेरा सेठ मुझसे तो बहुत खुश था लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह *ईश्वर को बहुत गालियाँ देता था ।*

एक दिन सेठ ककड़ी खा रहा था । संयोग से वह ककड़ी कड़वी थी । सेठ ने वह ककड़ी मुझे दे दी । *मैंने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो ।*

सेठ ने पूछा – “ ककड़ी तो बहुत कड़वी थी । भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?”
तो मैने कहा – “ सेठ जी आप मेरे मालिक है । रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है । अगर एक दिन *कुछ कड़वा* भी दे दिए तो उसे *स्वीकार करने में क्या हर्ज है।"*

राजा जी इसी प्रकार अगर *ईश्वर ने इतनी सुख–सम्पदाएँ* दी है, और कभी कोई कटु अनुदान दे भी दे तो उसकी *सद्भावना* पर संदेह करना ठीक नहीं । *जन्म, जीवनयापन तथा मृत्यु सब उसी की देन है*

असल में यदि हम समझ सके तो जीवन में जो कुछ भी होता है,

 *सब ईश्वर की दया ही है* । ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है..!! यदि सुख दुख को ईश्वर का प्रसाद समझकर संयम से ग्रहण करें तथा हर समय परिहित का चिंतन करे 

*जय श्री राम*
*सदैव प्रसन्न रहिये*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*हम हर रोज बाजार में मिठाई देखते हैं और खरीदते हैं तथा अपने तथा अपने परिवार वालों का मुंह मीठा करते हैं**🌹 मिठाई सबको प्रिय होती है 🌹*

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जय द्वारकाधीश

*हम हर रोज बाजार में मिठाई देखते हैं और खरीदते हैं तथा अपने तथा अपने परिवार वालों का मुंह मीठा करते हैं*

*🌹 मिठाई सबको प्रिय होती है 🌹*

 *लेकिन क्या कभी आपने सोचा  है कि यह मिठाईयां हम सबको अपने गुणों से कुछ न कुछ ज्ञान प्रदान करती है..जो सोचने लायक है* 
*🤔जैसे🤔*

1️⃣ *जलेबी*
आकार मायने नहीं रखता, 
स्वभाव मायने रखता  है, 
जीवन मे उलझने कितनी भी हो, *रसीले और मधुर रहो* ॰॰

2️⃣ *रसगुल्ला*
कोई फर्क नहीं पड़ता कि,
जीवन आपको कितना निचोड़ता है,
*अपना असली रूप सदा बनाये रखें*

3️⃣ *लड्डू*
बूंदी-बूंदी से लड्डू बनता, छोटे-छोटे प्रयास से ही सबकुछ होता हैं!
*सकारात्मक प्रयास करते रहे.* ॰॰

4️⃣ *सोहन पापड़ी*
हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता, लेकिन बनानेवाले ने कभी हिम्मत नहीं हारी।
*अपने लक्ष्य पर टिके रहो* ॰॰

5️⃣ *काजू कतली*
अपने आप को इतना सस्ता ना रखे,
की राह चलता कोई भी आपका दाम पूछता रहे !
*आंतरिक गुणवत्ता हमें सबसे अलग बनाती है*

6️⃣ *गुलाब जामुन*
सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं है! ये आपकी खासियत भी है।
*नम्रता यह एक विशेष गुण है*

7️⃣ *बेसन के लड्डू*
यदि दबाव में बिखर भी जाय तो, फिरसे बंधकर लड्डु हुआ जा सकता है।
*परिवार में एकता बनाए रखें* ॰॰
आप सभीका हर दिन, इन्हीं मिष्ठान्नों की भाँति,
 *मधुर एवं मंगलमय हो* ....

*जीवन में अगर कड़वा बनकर जिओगे तो सबकी नजरों से उतर जाओगे लेकिन मिठाई की भांति मीठे बनकर रहोगे तो दुश्मन के दिल में भी तुम बने रहोगे इसलिए सदा मीठा बोलिए और मीठे गुणों की व्याख्या कीजिए ताकि आप सबके दिलों में यथा स्थान पाकर विराजमान रहे ताकि लोग आपके जीवन को सदा याद करते रहे*
🌺🌺🙏🏻🙏🏻🌺🌺
 *अब तो आप मिठाई की भांति एक बार मीठे बोल राधे राधे बोल दीजिए*
🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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🚩 पंचामृत...

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
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🚩 पंचामृत...

पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत'। दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। 
इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाला पंचामृत कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। 
इसका एक आध्यात्मिक पहलू भी है। वह यह कि पंचामृत आत्मोन्नति के 5 प्रतीक हैं। जैसे-

🚩 दूध- दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए।

🚩 दही- दही का गुण है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यही है कि पहले हम निष्कलंक हो सद्गुण अपनाएं और दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।
🚩 घी- घी स्निग्धता और स्नेह का प्रतीक है। सभी से हमारे स्नेहयुक्त संबंध हो, यही भावना है।

🚩 शहद- शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता, तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफलता पा सकता है।

🚩 शक्कर- शक्कर का गुण है मिठास, शकर चढ़ाने का अर्थ है जीवन में मिठास घोलें। मीठा बोलना सभी को अच्छा लगता है और इससे मधुर व्यवहार बनता है।

उपरोक्त गुणों से हमारे जीवन में सफलता हमारे कदम चूमती है।

🚩 पंचामृत के लाभ : पंचामृत का सेवन करने से शरीर पुष्ट और रोगमुक्त रहता है। पंचामृत से जिस तरह हम भगवान को स्नान कराते हैं ऐसा ही खुद स्नान करने से शरीर की कांति बढ़ती है। पंचामृत उसी मात्रा में सेवन करना चाहिए जिस मात्रा में किया जाता है। उससे ज्यादा नही..
जय श्री कृष्ण...!!!
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*....एक सुन्दर कहानी....*एक बहुत ही बड़े उद्योगपति

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
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*....एक सुन्दर कहानी....*

एक बहुत ही बड़े उद्योगपति का पुत्र कॉलेज में अंतिम वर्ष की परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है,

तो उसके पिता उसकी परीक्षा के विषय में पूछते है तो वो जवाब में कहता है कि हो सकता है कॉलेज में अव्वल आऊँ,

अगर मै अव्वल आया तो मुझे वो महंगी वाली कार ला दोगे जो मुझे बहुत पसन्द है..

तो पिता खुश होकर कहते हैं क्यों नहीं अवश्य ला दूंगा.

ये तो उनके लिए आसान था. उनके पास पैसो की कोई कमी नहीं थी।

जब पुत्र ने सुना तो वो दो गुने उत्साह से पढाई में लग गया। रोज कॉलेज आते जाते वो शो रुम में रखी कार को निहारता और मन ही मन कल्पना करता की वह अपनी मनपसंद कार चला रहा है।

दिन बीतते गए और परीक्षा खत्म हुई। परिणाम आया वो कॉलेज में अव्वल आया उसने कॉलेज से ही पिता को फोन लगाकर बताया की वे उसका इनाम कार तैयार रखे मै घर आ रहा हूं।

घर आते आते वो ख्यालो में गाडी को घर के आँगन में खड़ा देख रहा था। जैसे ही घर पंहुचा उसे वहाँ कोई कार नही दिखी.
वो बुझे मन से पिता के कमरे में दाखिल हुआ.

उसे देखते ही पिता ने गले लगाकर बधाई दी और उसके हाथ में कागज में लिपटी एक वस्तु थमाई और कहा लो यह तुम्हारा गिफ्ट।

पुत्र ने बहुत ही अनमने दिल से गिफ्ट हाथ में लिया और अपने कमरे में चला गया। मन ही मन पिता को कोसते हुए उसने कागज खोल कर देखा उसमे सोने के कवर में रामायण दिखी ये देखकर अपने पिता पर बहुत गुस्सा आया..

लेकिन उसने अपने गुस्से को संयमित कर एक चिठ्ठी अपने पिता के नाम लिखी की पिता जी आपने मेरी कार गिफ्ट न देकर ये रामायण दी शायद इसके पीछे आपका कोई अच्छा राज छिपा होगा.. लेकिन मै यह घर छोड़ कर जा रहा हु और तब तक वापस नही आऊंगा जब तक मै बहुत पैसा ना कमा लू।और चिठ्ठी रामायण के साथ पिता के कमरे में रख कर घर छोड कर चला गया।

समय बीतता गया..

पुत्र होशियार था होन हार था जल्दी ही बहुत धनवान बन गया. शादी की और शान से अपना जीवन जीने लगा कभी कभी उसे अपने पिता की याद आ जाती तो उसकी चाहत पर पिता से गिफ्ट ना पाने की खीज हावी हो जाती, वो सोचता माँ के जाने के बाद मेरे सिवा उनका कौन था इतना पैसा रहने के बाद भी मेरी छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं की.

यह सोचकर वो पिता से मिलने से कतराता था।

एक दिन उसे अपने पिता की बहुत याद आने लगी.

उसने सोचा क्या छोटी सी बात को लेकर अपने पिता से नाराज हुआ अच्छा नहीं हुआ.

ये सोचकर उसने पिता को फोन लगाया बहुत दिनों बाद पिता से बात कर रहा हूँ .

ये सोच धड़कते दिल से रिसीवर थामे खड़ा रहा.

तभी सामने से पिता के नौकर ने फ़ोन उठाया और उसे बताया की मालिक तो दस दिन पहले स्वर्ग सिधार गए और अंत तक तुम्हे याद करते रहे और रोते हुए चल बसे.

जाते जाते कह गए की मेरे बेटे का फोन आया तो उसे कहना की आकर अपना व्यवसाय सम्भाल ले.

तुम्हारा कोई पता नही होनेे से तुम्हे सूचना नहीं दे पाये।

यह जानकर पुत्र को गहरा दुःख हुआ और दुखी मन से अपने पिता के घर रवाना हुआ.
घर पहुच कर पिता के कमरे जाकर उनकी तस्वीर के सामने रोते हुए रुंधे गले से उसने पिता का दिया हुआ गिफ्ट रामायण को उठाकर माथे पर लगाया और उसे खोलकर देखा.

पहले पन्ने पर पिता द्वारा लिखे वाक्य पढ़ा जिसमे लिखा था "मेरे प्यारे पुत्र, तुम दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करो और साथ ही साथ मै तुम्हे कुछ अच्छे संस्कार दे पाऊं.. ये सोचकर ये रामायण दे रहा हूँ ",

पढ़ते वक्त उस रामायण से एक लिफाफा सरक कर नीचे गिरा जिसमे उसी गाड़ी की चाबी और नगद भुगतान वाला बिल रखा हुआ था।
ये देखकर उस पुत्र को बहुत दुख हुआ और धड़ाम से जमींन पर गिर रोने लगा।

हम हमारा मनचाहा उपहार हमारी पैकिंग में ना पाकर उसे अनजाने में खो देते है।

पिता तो ठीक है.

इश्वर भी हमे अपार गिफ्ट देते है, लेकिन हम अज्ञानी हमारे मन पसन्द पैकिंग में ना देखकर, पा कर भी खो देते है।

हमे अपने माता पिता के प्रेम से दिये ऐसेे अन गिनत उपहारों का प्रेम का सम्मान करना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिये।

मेरी बात अगर आपके हृदय को छुई हो तो इस मैसेज को आप चाहो तो अपनों को शेयर करो.
हो सकता है और कोई पुत्र ऐसे ही अपने पिता के गिफ्ट से वंचित ना रहे उनके प्रेम से वंचित ना रहे।।

🙏🙏जय श्री कृष्ण🙏🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर अच्छी शिख ।।Must Read Saakhiकिसी नगर में एक सत्संगी जुलाहा

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर अच्छी शिख ।।

Must Read Saakhi

किसी नगर में एक सत्संगी जुलाहा, भक्ति के गीत गाते हुए आनंद से बहुत बढ़िया कम्बल बुनता। वह सच्चा था इसलिए उसका धंधा भी सच्चा था, रत्ती भर भी कहीं खोट कसर नहीं थी। एक दिन उसने एक साहूकार को दो कम्बल दिए जिसने दो दिन बाद पैसा ले जाने को कहा।

 साहूकार मन का मैला था, रोजगार छल कपट से चलाता था, दो दिन बाद जब जुलाहा पैसा लेने आया तो साहूकार ने कहा, यहां आग लग गई और दोनों कम्बल जल गए, अब मैं पैसे क्यों दूं? जुलाहा बोला, यह नहीं हो सकता, मेरा धंधा सच्चाई पर चलता है और सच में कभी आग नहीं लग सकती। 
जुलाहे के कंधे पर एक कम्बल पड़ा था उसे सामने करते हुए उसने कहा के यह लो, लगाओ इसमें आग, काफी लोग वहां इकट्ठे हो गए। सबके सामने कम्बल को मिट्टी के तेल में भिगोकर आग लगा दी गई, लोगों ने देखा कि तेल जल गया लेकिन कम्बल जैसा था वैसा बना रहा। जुलाहे ने कहा, याद रखो सांच को आंच नहीं, साहूकार ने लज्जा से सिर झुका लिया और जुलाहे के पैसे चुका दिए। सत्संग में कहते हैं कि जिसके साथ सच होता है उसका साथ तो सतगुरु भी नहीं छोड़ता, जुलाहा भी सच्चा था इसीलिए सतगुरु ने भी उसका साथ दिया, धन्य हैं ऐसे सतगुरु और ऐसे शिष्य जो एक दूसरे की लाज रखते हैं🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय श्री कृष्ण..!!🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कविता ।।*धीरे-धीरे एक एक शब्द पढियेगा, हर एक वाक्य में कितना दम है ।*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कविता ।।

*धीरे-धीरे एक एक शब्द पढियेगा,   हर एक वाक्य में कितना दम है ।* 

*"आंसू" जता देते है, "दर्द" कैसा है?*
*"बेरूखी" बता देती है, "हमदर्द" कैसा है?*

*"घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है?*
 *"संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है?*

*"बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है?*
*"बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है?*

*"ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है?*
*"नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है?*

*"स्पर्श" बता देता है, "नीयत" कैसी है?*
 *और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा समाज में बदलाव क्यों नहीं आता क्योंकि गरीब मैं हिम्मत नहीं मध्यम को फुर्सत नहीं और अमीर को जरूरत नहीं
           
*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय"*
     समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....
       *पानी के बिना, नदी बेकार है*
     अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
  *प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*
       पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है।
           *और जीवन में गुरु न हो*
               तो जीवन बेकार है।
                इसलिए जीवन में 
                  *"गुरु"जरुरी है।*
                  *"गुरुर" नही"*
 
    
*जीवन में किसी को रुलाकर*
    *हवन भी करवाओगे तो*
       *कोई फायदा नहीं*
🌼🌿🌼🌿🌼🌿🌼
 *और अगर रोज किसी एक*
*आदमी को भी हँसा दिया तो*
             *मेरे दोस्त*
     *आपको अगरबत्ती भी*
   *जलाने की जरुरत नहीं*
🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸
       *कर्म ही असली भाग्य है*

 धीरे धीरे पढिये पसंद आएगा...
1👌मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....

2👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं.... 

3👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

4👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...

5👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...

6👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है कि माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....

7👌जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है.. सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...

8👌खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...

9👌ज़िंदगी भी वीडियो गेम सी हो गयी है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल और मुश्किल आ जाता हैं.....

10👌इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......

11👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो, क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है..

​मनुष्य का अपना क्या है ?​
​जन्म :-​     दुसरो ने दिया
​नाम  :-​     दुसरो ने रखा
​शिक्षा :-​    दुसरो ने दी
​रोजगार :-​ दुसरो ने दिया और
​शमशान :-​ दुसरे ले जाएंगे
तो व्यर्थ में घमंड किस बात का
🙏🙏जयश्री कृष्ण 🙏🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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।। सुंदर कहानी ।।रात के ढाई बजे था, एक सेठ को नींद नहीं

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
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।। सुंदर कहानी ।।

रात के ढाई बजे था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी,
वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था।
पर चैन नहीं पड़ रहा था ।
आखिर  थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली
 शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में एक मंदिर दिखा सोचा थोड़ी देर इस मंदिर में जाकर भगवान के पास बैठता हूँ। 
प्रार्थना करता हूं तो शायद शांति मिल जाये।

वह सेठ मंदिर के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही भगवान की मूर्ति के सामने बैठा था, मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी।

सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को मन्दिर में क्या कर रहे हो ?"

आदमी ने कहा " मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है "

उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे  वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थीं ।
सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना। 

उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा
"मेरे पास उसका पता है " इस पते की जरूरत नहीं है सेठजी

आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई
"उस गरीब आदमी ने कहा
"जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका"

इतने अटूट विश्वास से सारे कार्य पूर्ण हो जाते है

घर से जब भी बाहर जाये*

 *तो घर में विराजमान अपने प्रभु से जरूर मिलकर जाएं*
*और*
 *जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले*
*क्योंकि*
 *उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार रहता है*
 💐💐💐🙏💐💐💐

"घर" में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर "प्रभु चलिए..आपको साथ में रहना हैं"..!

ऐसा बोल कर ही निकले क्यूँकि आप भले ही *"लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो पर "समय" तो "प्रभु के ही हाथ" में हैं न*👍👍👍👍
🙏🙏🙏जय द्वारकाधीश🙏🙏
🙏जय श्री कृष्णा जी 🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

* ✍🏻✍🏻 ..... * *एक सुंदर कहानी। इसे देखिये जरूर।* *ए टचिंग स्टोरी* ………।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

* ✍🏻✍🏻 ..... *

 *एक सुंदर कहानी।  इसे देखिये जरूर।*

 *ए टचिंग स्टोरी* ………।

अँधेरा हो रहा था। कोई लोहे के गेट के पीछे से पुकार रहा था।  सोच रहा था कि यह कौन हो सकता है।  

एक बुजुर्ग व्यक्ति गेट के पीछे खड़ा था।  कपड़े झुर्रीदार और हाथ में एक छोटा बैग के साथ वह कुछ दूरी की यात्रा कर आ रहा था। 

अपने हाथों में एक छोटे से कागज को देखते हुए उन्होंने पूछा, "क्या यह आनंद, नंबर 8, योगानंद, मेरा बेटा नहीं है?"  

“हां, मैं आनंद हूं और यह संबोधन है।

और तुम… ”, 

वह गिड़गिड़ाया।  थोड़ा सा कांपते हुए और अपने सूखे होंठों को जीभ से सहलाते हुए उसने जवाब दिया, "बाबू, मैं आपके पिता का दोस्त हूं।"  मैं आपके गाँव से आ रहा हूँ।  आपके पिता ने मुझे यह पत्र दिया और सलाह दी कि मैं आपसे मदद लू ”।

उस पत्र को उनसे लेते हुए, "पिता?" का उच्चारण करते हुए, मैंने उत्सुकता से उस पत्र को पढ़ा।  “प्रिय आनंद, आपको आशीर्वाद।  इस पत्र को ले जाने वाला व्यक्ति मेरा दोस्त है। 

 उसका नाम रामायण है।  कठिन परिश्रम।  कुछ दिनों पहले एक दुर्घटना में उनके इकलौते बेटे की मौत हो गई।  वह मुआवजे की मांग कर रहा है।  

इससे उन्हें और उनकी पत्नी को अन्य अल्प आय के साथ जीने में मदद मिलेगी।  मैं, दुर्घटना के बाद पुलिस रिपोर्ट भेज रहा हूं, ट्रैवल एजेंटों द्वारा दिए गए मुआवजे के हलफनामे और अन्य प्रासंगिक कागजात।  उन्हें बताया गया कि अंतिम भुगतान प्रधान कार्यालय में एकत्र किया जा सकता है। 

 यह उनकी हैदराबाद की पहली यात्रा है और वह एक अजनबी हैं।  मैं उम्मीद कर रहा हूं कि आप उसकी मदद कर पाएंगे।  अपनी सेहत का ख्याल रखें।  हमें अपनी प्रारंभिक सुविधा पर जाएँ।  तुम्हारे प्यार करने वाले पिता ”।

 रामयज्ञु मुझे खड़े देख रहे थे।  मैंने एक पल के लिए सोचा और उसे अंदर बुला लिया।  उसे पीने के लिए थोड़ा पानी देते हुए, मैंने पूछा, "क्या आपके पास खाने के लिए कुछ है?"  उसने जवाब दिया, "नहीं, मेरे बेटे।  जैसे-जैसे यात्रा में विलंब होता गया, मैंने अपने साथ लाए दो फलों को खाया।"

अंदर जाकर मैंने चार डोसे तैयार किए और उन्हें अचार के साथ परोसा।  यह कहते हुए, "आप कृपया भोजन करें", मैं बाहर गया और एक दो फोन किए और लौट आया।  जब मैं वापस लौटा, तो मैंने पाया कि उसने टिफिन खत्म कर लिया है और हाथ में कुछ कागज लेकर बैठा है।  उसमें उनके मृतक बेटे की फोटो थी।  लड़का सुंदर और जवान था।  22 साल हो सकता हैं। मेरी आँखें नम हो गईं।

 “वह मेरा इकलौता बेटा है।  जो लोग उससे पहले पैदा हुए थे, उनकी मृत्यु कई अन्य कारणों से हुई थी।  वह केवल एक ही हमारे पास था।  महेश उसका नाम था।  उन्होंने अच्छी पढ़ाई की और नौकरी हासिल की। 

 हमें विश्वास दिलाते हुए कि वह हमारा ध्यान रखेगा और हम उन सभी कठिनाइयों से पार पा लेंगे जो उसने काम में ली थीं।  भाग्य के दिन वह सड़क पार करते समय एक सड़क दुर्घटना में शामिल हो गया था।  मौके पर ही मौत हो गई।  मृत बेटे के नाम पर मुआवजा लेने की इच्छा न करते हुए हम शुरू में अनिच्छुक थे।  लेकिन दिन-ब-दिन मैं कमजोर होता जा रहा हूं और मेरी पत्नी भी अच्छा नहीं कर रही है। 

 आपके पिता की जिद के कारण मैं यहां आया।  यह कहते हुए कि मेरा बेटा मदद करेगा, उसने मुझे इस पत्र के साथ भेजा ”, ।
मैंने निष्कर्ष निकाला।

 "ठीक।  अब देर हो चुकी है।  आराम करो"।  यह कहते हुए मैं भी सो गया।

अगली सुबह, हम तैयार हो गए, घर पर कॉफी पी और शुरू हो गए।  रास्ते में नाश्ता खत्म करते हुए, हम दस्तावेजों में उल्लिखित कार्यालय के पते पर पहुँचे। 

 “आनंद, मैं बाकी लोगों का ध्यान रखूंगा।  आप अपने कार्यालय के काम में भाग लेते हैं तो।  

"कोई समस्या नहीं।  मैंने आज के लिए छुट्टी ले ली है ”, मैंने जवाब दिया।  उसके साथ होने के नाते मुझे उसका मुआवजा दिया गया।  “धन्यवाद, प्रिय पुत्र।  मेरी पत्नी घर पर अकेली है और मैं घर वापस जाऊंगा ”, बूढ़े ने कहा। 
"आओ, मैं तुम्हें बस-स्टैंड पर छोड़ दूंगा और तुम्हें देख लूंगा।"  मैं उसे बस-स्टैंड पर ले गया, उसे टिकट दिलवाया, रास्ते में खाने के लिए कुछ फल खरीदे।

 उन्होंने अपनी आंखों में खुशी के साथ कहा, उन्होंने कहा, “आनंदबाबू, मेरी खातिर छुट्टी लेकर आपने मेरी बहुत मदद की।  घर जाने के तुरंत बाद मैं आपके पिता को सब कुछ सुनाऊंगा और उन्हें धन्यवाद भी दूंगा। ”

*मैने मुस्कुराते हुए और उनके हाथों को पकड़ते हुए मैंने समझाया, “मैं तुम्हारे दोस्त का बेटा नहीं हूं।  मैं अरविंद हूं।  आप गलत पते पर आ गए।*  आनंद का घर 2 किमी दूर है। 

 आप पहले से ही थके हुए थे और आपके पास सच बताने के लिए मेरे पास दिल नहीं था।  मैंने आपके पत्र में नंबर पर कॉल किया और पूछताछ की।  उनकी पत्नी ने कहा कि आनंद किसी काम से शहर से बाहर गए थे। 

 मैंने आपके दोस्त को फोन किया और उसे भी बताया।  उसे बहुत दुख हुआ।  एक बार मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं ध्यान रखूंगा कि उन्हें अच्छा लगा।  आपको जो नुकसान हुआ है वह अपूरणीय है। 

 लेकिन मुझे लगा कि मुझे आपकी मदद करनी चाहिए।  मैंने ऐसा किया, इससे मुझे सबसे बड़ी खुशी मिली।”  

जैसे ही बस चली, मेरे हाथ पकड़ कर रामय्या ने अपनी आँखों में कृतज्ञता के आँसू छोड़ दिए।  "ईश्वर आपको आशीर्वाद दे, मेरा बच्चा", उनके बिदाई शब्द थे। 

 मेरे लिए इतना ही काफी है, मैंने सोचा।  मेरे पिता का पंद्रह साल पहले निधन हो गया।  अब रामयज्ञु को देखकर मुझे लगा कि मेरे पिता लौट आए हैं।

 आकाश की ओर देखते हुए मुझे लगा कि मेरे पिता अवश्य ही कहीं न कहीं होंगे।  “पिताजी, क्या आप जीवन में मेरी प्रगति की जाँच करने के लिए इस रूप में आए थे!  मुझे एक पत्र भेजकर, क्या आप मुझे परख रहे थे कि मैं मदद करूंगा या नहीं? 

 आपके जैसे एक महान पिता के लिए जन्मे, एक बेटे के रूप में मैंने अपना कर्तव्य निभाया है।  क्या तुम खुश हो?"

खुशी के आँसू मेरी आँखों में बह गए।

 *मदद करने का इरादा है। तो कुदरत करेगा काम*
 💧💧💧जय श्री कृष्ण💧💧💧
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।। जीवन की कहानी ।।*मुस्कुराइए*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
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।। जीवन की कहानी ।।

*मुस्कुराइए*

एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली

"डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"
मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"

तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।"

मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।"

"उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई। तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे ख़ुशी मिल सकती है,तो हो सकता है कि दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था,के लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।"

"हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी।"
"आज,मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।"

यह सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी।
लेकिन उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।
मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।
तो आईये आज शुभारम्भ करें इस संकल्प के साथ कि आज हम भी किसी न किसी की खुशी का कारण बनें।

*मुस्कुराइए*

अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।

*मुस्कुराइए*

अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।

*मुस्कुराइए*

अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

*मुस्कुराइए

अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

*मुस्कुराइए*

अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।

*मुस्कुराइए*

अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।

*मुस्कुराइए*

कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

*मुस्कुराइए*

क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।

*मुस्कुराइए*

क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।

*मुस्कुराइए*

क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।

*मुस्कुराइए*

क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।

*मुस्कुराइए*

क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।

*मुस्कुराइए*

क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।

*मुस्कुराइए*

क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है

और सबसे बड़ी बात

*मुस्कुराइए*

😊 क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।
इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं.
जय जय परशुरामजी....!!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। संपूर्ण पितृ तर्पण पूजन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। संपूर्ण पितृ तर्पण  पूजन ।।  

पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है जिसमें तर्पण महत्वपूर्ण होता है।
कैसे करें पितृ पूजन : -
 
तर्पण विधि - सर्वप्रथम अपने पास शुद्ध जल, बैठने का आसन (कुशा का हो), बड़ी थाली या ताम्रण (ताम्बे की प्लेट), कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल-माला, कुशा, सुपारी, जौ, काली तिल, जनेऊ आदि पास में रखे।
आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करें।
 
ॐ केशवाय नम:,
ॐ माधवाय नम:,
ॐ गोविन्दाय नम: बोलें।
 
आचमन के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़के अर्थात् पवित्र होवें, फिर गायत्री मंत्र से शिखा बांधकर तिलक लगाकर कुशे की पवित्री (अंगूठी बनाकर) अनामिका अंगुली में पहन कर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर निम्न संकल्प लें। 
 
अपना नाम एवं गोत्र उच्चारण करें फिर बोले अथ् श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थ देवर्षिमनुष्यपितृतर्पणम करिष्ये।।
फिर थाली या ताम्र पात्र में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें। स्वयं पूर्व मुख करके बैठें, जनेऊ को रखें। कुशा के अग्रभाग को पूर्व की ओर रखें, देवतीर्थ से अर्थात् दाएं हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से तर्पण दें, इसी प्रकार ऋषियों को तर्पण दें।
 
फिर उत्तर मुख करके जनेऊ को कंठी करके (माला जैसी) पहने एवं पालकी लगाकर बैठे एवं दोनों हथेलियों के बीच से जल गिराकर दिव्य मनुष्य को तर्पण दें, इसके बाद दक्षिण मुख बैठकर, जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाए, थाली या ताम्र पात्र में काली तिल छोड़े फिर काली तिल हाथ में लेकर अपने पितरों का आह्वान करें।
 
ॐ आगच्छन्तु में पितर इमम ग्रहन्तु जलान्जलिम
 
फिर पितृ तीर्थ से अर्थात् अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग से तर्पण दें।
जय श्री कृष्ण....!!!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*--परमात्मा से सम्बन्ध --*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*--परमात्मा से सम्बन्ध --*

एक बार एक पंडित जी ने एक दुकानदार के पास पांच हजार  रुपये रख दिए।
उन्होंने सोचा कि जब मेरी बेटी की शादी होगी तो मैं ये पैसा ले लूंगा।

कुछ सालों के बाद जब बेटी सयानी हो गई,
तो पंडित जी उस दुकानदार के पास गए।

लेकिन दुकानदार ने नकार दिया और बोला- आपने कब मुझे पैसा दिया था?
बताइए! क्या मैंने कुछ लिखकर दिया है?

पंडित जी उस दुकानदार की इस हरकत से बहुत ही परेशान हो गए और बड़ी चिंता में डूब गए।
फिर कुछ दिनों के बाद पंडित जी को याद आया,
कि क्यों न राजा से इस बारे में शिकायत कर दूं।
ताकि वे कुछ फैसला कर देंगे और मेरा पैसा मेरी बेटी के विवाह के लिए मिल जाएगा।

फिर पंडित जी राजा के पास पहुंचे और अपनी फरियाद सुनाई।

राजा ने कहा- कल हमारी सवारी निकलेगी और तुम उस दुकानदार की दुकान के पास में ही खड़े रहना।

दूसरे दिन राजा की सवारी निकली।
सभी लोगों ने फूलमालाएं पहनाईं और किसी ने आरती उतारी।

पंडित जी उसी दुकान के पास खड़े थे।
जैसे ही राजा ने पंडित जी को देखा,
तो उसने उन्हें प्रणाम किया और कहा- गुरु जी! आप यहां कैसे?
आप तो हमारे गुरु हैं।
आइए! इस बग्घी में बैठ जाइए।

वो दुकानदार यह सब देख रहा था।
उसने भी आरती उतारी और राजा की सवारी आगे बढ़ गई।

थोड़ी दूर चलने के बाद राजा ने पंडित जी को बग्घी से नीचे उतार दिया और कहा- पंडित जी! हमने आपका काम कर दिया है।
अब आगे आपका भाग्य।

उधर वो दुकानदार यह सब देखकर हैरान था,
कि पंडित जी की तो राजा से बहुत ही अच्छी सांठ-गांठ है।
कहीं वे मेरा कबाड़ा ही न करा दें।
दुकानदार ने तत्काल अपने मुनीम को पंडित जी को ढूंढ़कर लाने को कहा।

पंडित जी एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ विचार-विमर्श कर रहे थे।
मुनीम जी बड़े ही आदर के साथ उन्हें अपने साथ ले आए।
दुकानदार ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और बोला- पंडित जी! मैंने काफी मेहनत की और पुराने खातों को‌ देखा,
तो पाया कि खाते में आपका पांच हजार  रुपया जमा है।
और पिछले दस सालों में ब्याज के एक लाख दस हजार रुपए भी हो गए हैं।
पंडित जी! आपकी बेटी भी तो मेरी बेटी जैसी ही है।
अत: 11 हजार रुपये आप मेरी तरफ से ले जाइए,
और उसे बेटी की शादी में लगा दीजिए।

इस प्रकार उस दुकानदार ने पंडित जी को एक लाख इक्कीस हजार पांच सौ रुपए देकर बड़े ही प्रेम के साथ विदा किया।

------ तात्पर्य ------
*जब मात्र एक राजा के साथ सम्बन्ध होने भर से हमारी विपदा दूर जो जाती है,*
*तो हम अगर इस दुनिया के राजा यानि कि परमात्मा से अपना सम्बन्ध जोड़ लें*,
*तो हमें कोई भी समस्या, कठिनाई या फिर हमारे साथ किसी भी तरह के अन्याय का तो कोई प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होगा।*
🙏जय श्री कृष्ण🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...