https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 09/21/20

।। श्रीरामचरित्रमानस प्रर्वचन ।।*‼️राम कृपा ही केवलम्‼️**❗सच्चिदानन्द-- असली सुख, सत्य और ज्ञान से अलग नहीं है, एक ही है❗* दुनियामें सुख चाहनेवाले तो सभी लोग हैं- सब चाहते हैं कि हमको सुख मिले, पर सुख कैसे मिले- इसको भी पक्का कर लेते हैं कि सुख ऐसे मिले। आप देखो, हमारे वृन्दावनमें बिहारीजीके मन्दिर जाते हैं तो कहते हैं कि हे बिहारीजी हमको सुख चाहिए।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्रीरामचरित्रमानस प्रर्वचन ।।

*‼️राम कृपा ही केवलम्‼️*

*❗सच्चिदानन्द-- असली सुख, सत्य और ज्ञान से अलग नहीं है, एक ही है❗*

     दुनियामें सुख चाहनेवाले तो सभी लोग हैं- सब चाहते हैं कि हमको सुख मिले, पर सुख कैसे मिले- इसको भी पक्का कर लेते हैं कि सुख ऐसे मिले। 

आप देखो, हमारे वृन्दावनमें बिहारीजीके मन्दिर जाते हैं तो कहते हैं कि हे बिहारीजी हमको सुख चाहिए।

 बिहारीजी चुप रहे, कि यह तो मैं जानता ही हूँ बोलनेकी कोई जरूरत नहीं है। 

फिर बोले कि महाराज, वह सुख हमको बेटेके रूपमें चाहिए- बेटा मिले तब हम सुखी होंगे। 

तो बिहारीजीने सोचा कि यह बात तो हमको नहीं मालूम थी, इसने हमको अज्ञानी बनाया। 

फिर बोले कि महाराज, बेटेके रूपमें जो सुख चाहिए वह एक वर्षके भीतर ही चाहिए।

 समयका भी बन्धन लगाया बिहारीजी के और महाराज बेटी न हो, बेटा ही हो और वह गोरा हो, हृष्ट हो, पुष्ट हो, बलिष्ठ हो, सेवा करनेवाला हो- माने बिहारीजीकी बुद्धिपर तो कुछ छोड़ा ही नहीं- सारा अपनी बुद्धिमें ले लिया।

          तो सुख चाहते हैं और उसको अपने माने हुए तरीकेसे चाहते हैं- इसमें न ईश्वरकी बात माने, न गुरुकी बात मानें, हमें तो
हमारी वासनाके अनुसार जो वस्तु है उससे सुख मिलना चाहिए।

 अब कभी-कभी ईश्वरकी इच्छामें और अपनी वासनामें मेल नहीं खाता है तो रोना पड़ता है। 

रोना कहाँसे आता है कि जब हमारा ईश्वरसे मतभेद होता है तभी आता है।

अगर ईश्वरके मतसे हमारा मत मिलता जाये तो रोना कहाँ आवेगा? 

'जो थारी राय सो म्हारी राय। 

तो जिसने अपनी राय ईश्वरकी रायके साथ मिला दी। 

‘स देवो यदेव कुरुते तदेव मङ्गलाय'-ईश्वर जो करता है
उसीमें अपना मङ्गल है- रातमें अपना मङ्गल, दिनमें अपना मङ्गल, प्रातः अपना मङ्गल है, सायं अपना मङ्गल है, पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण अपना मङ्गल है- मरना-जीना सब अपना मङ्गल है। 

दिशाओंमें पूरब-पश्चिम होता है और कालमें सायं-प्रातः होता है और वस्तुओंमें आना-जाना-मरना-जीना होता है- यह सब एक ही चीज है, जैसे सायं-प्रातःका भेद है वैसे ही मरने-जीनेका भेद है। 

तो जो ईश्वर करता है वह मङ्गल-ही-मङ्गल है।

 अब जब ईश्वरकी रायसे अपनी राय मिल गयी तब दुःखका सवाल कहाँ रहा?

        अब आपको इसमें जो मर्म है वह सुनाता हूँ- तुम सत्यसे सुखी होना चाहते हो कि असत्यसे भी सुख लेना चाहते हो? 

भले असत्यसे मिले लेकिन हमको सुख मिले; भले बेईमानीसे मिले लेकिन हमको सुख मिले; चोरीसे मिले लेकिन हमको सुख मिले; दूसरेके धनसे मिले लेकिन हमको सुख मिले- हमको तो सुख चाहिए, हम धर्म-अधर्म, ईमानदारी-बेईमानी कुछ नहीं जानते। 

तो बोले-बेटा, अभी 'जायस्व म्रियस्व' अभी तुम संसारमें पैदा होओ और मरो, तुम्हारे लिए ईश्वरकी क्या चर्चा है? 

      जब मनुष्य कहता है कि सत्यसे ही हमको सुख चाहिए, असत्यसे हमको सुख नहीं चाहिए, चोरी-बेईमानी-व्यभिचारसे हमको सुख नहीं चाहिए, हमको अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रहसे सुख चाहिए, हमको बेईमानीसे नहीं; ईमानदारीसे सुख चाहिए, हमको असत्यसे नहीं, सत्यसे सुख चाहिए। 

तब तुम ईश्वरके मार्गमें चलनेके अधिकारी होते हो। 

यह बात प्रारम्भमें इसलिए कह देता हूँ कि सबके कामकी कोई बात इसमें से निकले। 

असलमें सत्य ही सुख है, जहाँ तुम सत्यसे च्युत हो जाते हो वहाँ ज्ञानसे भी च्युत हो गये और सुखसे भी च्युत हो गये, क्योंकि जो सत्य है वही ज्ञान है और वही सुख है। 

जो सत्यके ज्ञानके लिये व्याकुल है, सत्यकी प्राप्तिके लिए व्याकुल है वही सच्चा ज्ञान प्राप्त करनेके लिए भी व्याकुल है और वही सच्चा सुख प्राप्त करनेके लिए व्याकुल है, नहीं तो झूठी चीजसे जो ज्ञान होगा वह सच्चा तो होगा नहीं, वह झूठा ज्ञान भी होगा और झूठा सुख भी होगा।

 इसीलिए, ये झूठे लोग जो हैं, एक बार इनके पास दस-बीस लाख रुपया आ भी जाय, पर बादमें उनको छटपटाना ही पड़ता है-रुपया आय तो कहाँ रखें, कैसे छिपावें, चोरसे कैसे बचावें, पुलिससे कैसे बचें, घरवालोंसे कैसे बचें- यह बेकली रहती है।

 रख दिया तो किसीको पता न लगे या अभिमान बढ गया कि हमारे पास इतना है। 

सबको पैसेसे तोलते हैं कि यह साधु हमारे पास आया है तो पैसेके लिए आया होगा; और पाना चाहते हैं ईश्वर और जिस दिलमें ईश्वर रहना चाहिए, सत्य रहना चाहिए, उस दिलमें आकर बैठ गया पैसा।

         तो, सत्यकी जिज्ञासा तुम्हारे हृदयमें कितनी है इससे तुम अपने दिलको ठोक-बजा लो, दूसरेको बतानेकी जरूरत नहीं है, असलमें जो सत्य है वही सुख है और सत्य ही ज्ञान है, सत्य ही सुख है, ज्ञान ही सत्य है और ज्ञान ही सुख है। 

जो लोग असत्यमें सुख लूटना चाहते हैं उनको सुख मिलनेवाला नहीं है , उनको सुख मिलेगा ही नहीं। वे सोचते ही रह जाते हैं- यह करेंगे, यह करेंगे और पैसा उठाकर कोई दूसरा ले जाता है।

        विष्णु-पुराणमें लिखा है कि पूर्वजन्मके जितने दुश्मन होते हैं- जिनका पैसा लेकर पूर्वजन्ममें मार लिया होता है- माने पूर्व जन्मका जिनका कर्ज रहता है, वे सब इस जन्ममें बेटा बनकर आते हैं कि इस जन्ममें इनसे सब वसूल करेंगे। 
ये मरेंगे तो हम सब-का-सब ले लेंगे, या तो मार करके ले लेंगे- बेटा बनकर आते हैं, मित्र बनकर आते हैं, रिश्तेदार बनकर आते हैं! यह भी लिखा है कि पाँच प्रकारके पुत्र होते हैं। 

उनमें से एक जिनकी धरोहर रखी है वे, एक- जिनका कर्ज लिया हुआ होता है-वे; एक जिनकी चोरी की हुई होती है वे- ऐसे पांच प्रकारके बेटे होते हैं। 

तो, सत्य और सुखको जिन्होंने अलग-अलग कर दिया वे परमार्थसे वंचित हो गये और जिन्होंने सत्य और सुखको एक कर दिया वे सत्यके जिज्ञासु हो गये, वे सुखके जिज्ञासु हो गये, परमार्थ-पथके पथिक हो गये

 (केनोपनिषद् प्रवचन'में संकलित प्रवचनों से)
*🌹🙏जय श्री सीताराम🙏🌹*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...