सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्रीरामचरितमानस प्रवर्चन ।।
*‼️राम कृपा ही केवलम्‼️*
*❗वास्तविक गुरु❗*
वास्तविक गुरु वह होता है, जिसमें केवल चेलेके कल्याणकी चिन्ता होती है ।
जिसके हृदयमें हमारे कल्याणकी चिन्ता ही नहीं है, वह हमारा गुरु कैसे हुआ ?
जो हृदयसे हमारा कल्याण चाहता है, वही हमारा वास्तविक गुरु है, चाहे हम उसको गुरु मानें या न मानें और वह गुरु बने या न बने ।
उसमें यह इच्छा नहीं होती कि मैं गुरु बन जाऊँ, दूसरे मेरेको गुरु मान लें, मेरे चेले बन जायँ ।
जिसके मनमें धनकी इच्छा होती है, वह धनदास होता है ।
ऐसे ही जिसके मनमें चेलेकी इच्छा होती है, वह चेलादास होता है ।
जिसके मनमें गुरु बननेकी इच्छा है, वह दूसरे का कल्याण नहीं कर सकता ।
जो चेलेसे रुपये चाहता है, वह गुरु नहीं होता, प्रत्युत पोता - चेला होता है ।
कारण कि चेलेके पास रुपये हैं तो उसका चेला हुआ रुपया और रुपयेका चेला हुआ गुरु तो वह गुरु वास्तवमें पोता - चेला ही हुआ !
विचार करें, जो आपसे कुछ भी चाहता है, वह क्या आपका गुरु हो सकता है ?
नहीं हो सकता ।
जो आपसे कुछ भी धन चाहता है, मान - बड़ाई चाहता है, आदर चाहता है, वह आपका चेला होता है, गुरु नहीं होता ।
सच्चे महात्माको दुनियाकी गरज नहीं होती, प्रत्युत दुनियाको ही उसकी गरज होती है ।
जिसको किसीकी भी गरज नहीं होती, वही वास्तविक गुरु होता है ।
कबीर जोगी जगत गुरु,
तजै जगत की आस ।
जो जग की आसा करै तो जगत गुरु वह दास ॥
जो सच्चे सन्त - महात्मा होते हैं, उनको गुरु बननेका शौक नहीं होता, प्रत्युत दुनियाके उद्धारका शौक होता है ।
उनमें दुनियाके उद्धारकी सच्ची लगन होती है ।
मैं भी अच्छे सन्त - महात्माओंकी खोजमें रहा हूँ और मेरेको अच्छे सन्त - महात्मा मिले भी हैं ।
परन्तु उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा कि तुम चेला बन जाओ तो कल्याण हो जायगा ।
जिनको गुरु बननेका शौक है, वही ऐसा प्रचार करते हैं कि गुरु बनाना बहुत जरूरी है, बिना गुरुके मुक्ति नहीं होती, आदि - आदि ।
कोई वर्तमान मनुष्य ही गुरु होना चाहिये ‒
ऐसा कोई विधान नहीं है ।
श्रीशुकदेवजी महाराज हजारों वर्ष पहले हुए थे, पर उन्होंने चरणदासजी महाराजको दीक्षा दी !
सच्चे शिष्यको गुरु अपने - आप दीक्षा देता है ।
कारण कि चेला सच्चा होता है तो उसके लिये गुरुको ढूँढ़नेकी आवश्यकता नहीं होती, प्रत्युत गुरु अपने-आप मिलता है ।
सच्ची लगनवालेको सच्चा महात्मा मिल जाता है‒
जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू ।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू ॥
( मानस, बालकाण्ड २५९ / ३ )
*🌹🙏जय श्री सीताराम🙏🌹*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏