सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
🙏परमात्मा से मिलन🙏
एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर भगवान से मिलने की जिद किया करता था। उसे भगवान् के बारे में कुछ भी पता नही था , पर मिलने की तमन्ना, भरपूर थी। उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो भगवान के साथ बैठकर खाये।
1 दिन उसने 1 थैले में 5 ,6 रोटियां रखीं और परमात्मा को को ढूंढने के लिये निकल पड़ा।
चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया।
उसने देखा एक नदी के तट पर 1 बुजुर्ग माता बैठी हुई हैं, जिनकी आँखों में बहुत ही गजब की चमक थी, प्यार था, किसी की तलाश थी , और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहां बैठी उसका रास्ता देख रहीं हों।
वो 6 -7 साल का मासूम बालक बुजुर्ग माता के पास जा कर बैठ गया, अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया।
फिर उसे कुछ याद आया तो उसने अपना रोटी वाला हाँथ बूढी माता की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा, बूढी माता ने रोटी ले ली , माता के झुर्रियों वाले चेहरे पे अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे ,,,,
बच्चा माता को देखे जा रहा था , जब माता ने रोटी खाली बच्चे ने 1 और रोटी माता को दे दी ।
माता अब बहुत खुश थी। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताये।
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जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाजत लेकर घर की ओर चलने लगा और वो बार- बार पीछे मुडकर देखता ! तो पाता बुजुर्ग माता उसी की ओर देख रही होती हैं ।
बच्चा घर पहुंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देखकर जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी,
बच्चा बहूत खुश था। माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा,
तो बच्चे ने बताया!
माँ ! ....आज मैंने भगवान के साथ बैठकर रोटी खाई, आपको पता है माँ उन्होंने भी मेरी रोटी खाई,,, पर माँ भगवान् बहुत बूढ़े हो गये हैं,,, मैं आज बहुत खुश हूँ माँ....
उधर बुजुर्ग माता भी जब अपने घर पहुँची तो गाव वालों ने देखा माता जी बहुत खुश हैं, तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण पूछा ..??
माता जी बोलीं,,,, मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेली भूखी बैठी थी,, मुझे पता था भगवान आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।
आज भगवान् आए थे, उन्होंने मेरे सांथ बैठकर रोटी खाई मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई, बहुत प्यार से मेरी ओर देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया,, भगवान बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।
इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है।
वास्तव में बात सिर्फ इतनी है की दोनों के दिलों में ईश्वर के लिए अगाध सच्चा प्रेम था ।
और प्रभु ने दोनों को , दोनों के लिये, दोनों में ही ( ईश्वर) खुद को भेज दिया।
जब मन ईश्वर भक्ति में रम जाता है तो, हमे हर एक जीव में वही नजर आता है।
🙏🌹🙏जय माताजी🙏🌹🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏