https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 02/25/22

।। श्री यजुर्वेद श्री ऋग्वेद और श्री शिव महापुराण के अनुसार शिव मानस पूजन , स्त्रोत्र ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री यजुर्वेद श्री ऋग्वेद और श्री शिव महापुराण के अनुसार शिव मानस पूजन , स्त्रोत्र ।।


श्री यजुर्वेद श्री ऋग्वेद और श्री शिव महापुराण के अनुसार   शिव की मानस पूजा और स्त्रोत्र स्तुति।


1. शिव पूजन विधि 

મન થી કલ્પિત સામગ્રી દ્વારા કે જવાની પૂજા પણ માનસ પૂજા કહે છે | 

આ પૂજા બ્રહ્મ પૂજા થી શાસ્ત્રો મે હઝાર ગુના મહત્વ પૂર્ણ થયું છે | 

मानस पूजा का आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भी वर्णन किया | 



जो लक्ष्मी की प्राप्ति की इच्छा हो वो कमल, बिल्वपत्र, शतपत्र और शंख पुष्प भगवान से शिव की पूजा करें | 

જો એક લાખની સંખ્યામાં પુષ્પો દ્વારા ભગવાન શિવની પૂજા સંપન્ન થાય તો બધા જ પાપોનો નાશ થાય અને लक्ष्मी की भी प्राप्ती हो | 


2. बिल्व पत्र तोड़ने का निषिद्ध काल 
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिधि को सक्रांति के समय और सोमवार को बिल्वपत्र तोड़े, किन्तु बिल्वपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है | 

અત: નિષિદ્ધ સમય પહેલાનો દિવસ થયો બિલ્વપત્ર ચઢાવવું જોઈએ | 

શાસ્ત્રે તો અહીં કહ્યું છે કે નવું બિલ્વપત્ર ન મળે તો ચઢાવે છે 

બિલ્વपत्र को ही फिर से शुद्ध जल से धोकर बार चढते हैं, मुझे कोई दोष नहीं है | 

फूल तोड़ते समय क्रमश: 

ॐ वरुणाय नमः: 

ॐ व्योमाय नमः 

ॐ पृथीवयो नमः बोले | 


3. માં બાસી જળ, ફૂલનો વિરોધ 

ભગવાન પર ચઢાયા, સુંઘા થયું આ અંગ સે લગાવ્યા ફળ-ફૂલ નિર્માલ્ય તુલ્ય હતું, અત: તે ન ચઢાયા | 

अपवित्र स्थान में उत्पन्न, अपवित्र पात्र में, आग से झुलसा हुआ, किड़ायुक्त, जो सुंदर न हो, जिसकी पंखुड़ियाँ बिखर हो, पृथ्वी पर गिरा हो, जो खिला न हो, निर्गंध य अगंध वाला फूल देवताओं पर न चढ़ा। | 

કાલીયનોને પ્રતિબંધિત છે | 

કિન્તુ આ નિયમ કમલ પુષ્પ પર લાગતો નથી | 

पुष्पादि चढाने उतारने की विधि 

તમારા હાથથી ત્રણ વાર આચમન કરો | 

हाथ धोने के बादिने हाथ में जल, पुष्प और चावलः 

ॐ नमः शिवाय: का मंत्र जप करते हैं।

भगवान शंकर का अनुरोध करें | 

तत बाद शिवलिंग पर जल चढ़ायाये | 

क्रम से दूध, दही, घी, शहद, शककर चढ़ाएं | 

और दोनो हाथो से शिव जी का ध्यान करे | 

तत्पश्चात क्रम से शुद्ध गंगा जल अथवा जल, इत्र और सुगन्धित जल से स्नान कराएं | 

क्रम से वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, भस्म, कुमकुम, बेलपत्र, पुष्पमाला यदि प्रमाण हो तो सभी पत्र एवं मदार का पुष्प चढाएं | 

इसके बाद नित्य पूजन में गुर्च, तिल, जौ, धतूरे का पुष्प और फलते हुए धुप - दीप दिखाकर मिठाई का ही भोग भोग | 

फिर पान में कमल गट्टा, सुपाड़ी, इल्ली, लौंग रखकर भगवान को अर्पित करे इसके बाद फल चढ़ाएं |

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते
  नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य,
  नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्य॥

भावार्थ~ हे मेरे प्राणनाथ हे विश्वमूर्ते हे विभो आपको नमस्कार है नमस्कार है।

हे चिदानन्दमूर्ते आपको नमस्कार है नमस्कार है।

हे तप तथा योग से प्राप्तव्य प्रभो आपको नमस्कार है नमस्कार है।

हे वेदवेद्य भगवन् आपको नमस्कार है नमस्कार है…।

त्वदन्य: शरण्य: प्रपन्नस्य नेति
   प्रसीद स्मरन्नेव हन्यास्तु दैन्यम्।
न चेत्ते भवेद् भक्तवात्सल्यहानि-
 स्ततो मे दयालो दयां सन्निधेहि।।

अयं दानकालस्त्वहं दानपात्रं
  भवन्नाथ दाता त्वदन्यं न याचे।
भवद्भक्तिमेव स्थिरां देहि मह्यं
 कृपाशीलशम्भो कृतार्थोऽस्मि तस्मात्।।

हे शिवजी! 

मुझ शरणागत की रक्षा आपके सिवा और कौन कर सकता है? 

मैं जब भी आपका स्मरण करूं, उसी समय आप मुझपर प्रसन्न हों।

मेरी दीनता और दुखों का हरण करें। 

यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपकी दीनवत्सलता नष्ट हो जायेगी। 

हे दयालु! 

है नाथ!

आपके लिए यही दान का उचित समय है और मैं आपसे दान पाने के लिए सत्पात्र हूं।

 हे नाथ!

आप औढरदानी हैं और मैं आपके सिवाय अन्य किसी से भी याचना नहीं कर सकता हूं। 

मुझे तो केवल आपके चरणों की स्थिर भक्ति चाहिए। 

हे कृपाशील शम्भो! 

वही अविचल भक्ति मुझे प्रदान कर कृतार्थ करने की कृपा करें।

तीनों लोको के नाथ को, मन में लिया बसाया।
जीवन अब महादेव भरोसे वो ही पार लगाय।।

नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।
 नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः।।

जिसे सभी मुनि सम्मान और श्रद्धा से प्रणाम करते हैं।

जिसे सभी देवता आदर और श्रद्धा से प्रणाम करते हैं।

जिसे सभी अप्सराएं सम्मान और श्रद्धा से नमन करती हैं।

जिसे मनुष्य भी सम्मान और श्रद्धा से नमन करते हैं।

मैं ऐसे शिव को नमन करता हूं।

जो देवताओं के देवता हैं।

महाकाल स्तोत्रं:-
 
दिन में एक बार जाप करने से कठीन से कठीन काम भी हो जाएगे आसान।

अधिकतर लोगों को पता होगा कि भगवान शंकर के अनेकों नाम है। 

भक्त भिन्न - भिन्न नामों से इनका गुणगान करते हैं।

कोई महादेव तो कोई भोलेनाथ, कोई अघोरी तो कोई शंभु। 

भोलेनाथ के अलग - अलग रूपों के कारण ही उनके इतने नाम हैं। 

इन्हें तंत्र साधना का जनक भी कहा जाता है।

इस लिए कोई भी तंत्र साधना उनके बिना पूरी नहीं होती। 

जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से इनकी अराधना करता है।

उसके जीवन से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं।

भगवान शिव का एक स्वरूप महाकाल का भी है।

यानि वे मृत्यु को भी अपने वश में रखते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र के विषय में तो यह भी माना जाता है ।

कि वह आसन्न मृत्यु को भी टाल सकता है। 

लेकिन बहुत ही कम महाकाल स्तोत्रं के बारे में जानते हैं।

जिसे स्वयं भगवान शिव ने भैरवी को बताया था। 

इस स्तोत्रं में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति की गई है। 

धार्मिक ग्रंथों की मानें तो यह स्तोत्रं भगवान शिव के भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

प्रति दिन बस :

एक बार इस स्तोत्रं का जाप भक्त के भीतर नई ऊर्जा और शक्ति का संचार कर सकता है। 

इस स्तोत्रं का जाप आपको सफलता के बहुत निकट लेकर जा सकता है।

ॐ महाकाल महाकाय ।महाकाल जगत्पत।।

महाकाल महायोगिन ।महाकाल नमोस्तुते।।

महाकाल महादेव ।
महाकाल महा प्रभो।।

महाकाल महारुद्र ।
महाकाल नमोस्तुते।।

महाकाल महाज्ञान ।
महाकाल तमोपहन।।

महाकाल महाकाल ।महाकाल नमोस्तुते।।

भवाय च नमस्तुभ्यं ।
शर्वाय च नमो नमः।।


रुद्राय च नमस्तुभ्यं ।
पशुना पतये नमः।।

उग्राय च नमस्तुभ्यं ।महादेवाय वै नमः।।

भीमाय च नमस्तुभ्यं ।मिशानाया नमो नमः।।

ईश्वराय नमस्तुभ्यं ।
तत्पुरुषाय वै नमः।।

सघोजात नमस्तुभ्यं ।
शुक्ल वर्ण नमो नमः।।

अधः काल अग्नि रुद्राय ।
रूद्र रूप आय वै नमः।।

स्थितुपति लयानाम च ।
हेतु रूपआय वै नमः।।

*परमेश्वर रूप स्तवं ।
नील कंठ नमोस्तुते।।

पवनाय नमतुभ्यम ।
हुताशन नमोस्तुते।।

सोम रूप नमस्तुभ्यं 
सूर्य रूप नमोस्तुते।

यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः।।

सर्व रूप नमस्तुभ्यं ।
विश्व रूप नमोस्तुते।।

ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं ।
विष्णु रूप नमोस्तुते।।

रूद्र रूप नमस्तुभ्यं ।
महाकाल नमोस्तुते।।

स्थावराय नमस्तुभ्यं ।
जंघमाय नमो नमः।।

नमः उभय रूपा भ्याम ।शाश्वताय नमो नमः।।

हुं हुंकार नमस्तुभ्यं। निष्कलाय नमो नमः।।

सचिदानंद रूपआय ।महाकालाय ते नमः।।

प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते।
प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः।।

ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे।
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः।।

इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी ।
कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम।।

     || जय श्री महाकाल ||

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         !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!
🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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जय द्वारकाधीश....
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रामेश्वर कुण्ड

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