https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 09/24/20

।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।*‼️राम कृपा ही केवलम्‼️**❗अनपायनी भक्ति❗* *************प्रश्न उठता है भक्ति कैसी हो? **************तब इसके लिए हमें श्रीरामचरितमानस में स्वयं सर्व श्रीगोस्वामी तुलसीदास, सीता जी, हनुमान जी, भरत जी, लक्ष्मण जी, भगवान के सखा गुह, सनकादिक ऋषि-मुनि इत्यादि जैसी भक्ति का वरदान प्रभु से मांगते हैं उसे समझना होगा।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।

*‼️राम कृपा ही केवलम्‼️*

*❗अनपायनी भक्ति❗*
   
*************

प्रश्न उठता है भक्ति कैसी हो?
        **************

तब इसके लिए हमें श्रीरामचरितमानस में स्वयं सर्व श्रीगोस्वामी तुलसीदास, सीता जी, हनुमान जी, भरत जी, लक्ष्मण जी, भगवान के सखा गुह, सनकादिक ऋषि-मुनि इत्यादि जैसी भक्ति का वरदान प्रभु से मांगते हैं उसे समझना होगा।

श्रीमद्भागवत में श्री हनुमान जी महाराज कोk 👉परम भागवत(अर्थात सर्वश्रेष्ठ भक्त) कहा गया है, श्री हनुमान जी महाराज स्वयं भगवान शिव के अवतार हैं, और शिव जी को भी परम-वैष्णव कहा गया है, अतः भक्ति में हनुमान जी महाराज और शिव जी दोनों हीं उच्चतम आदर्श हैं । 

श्री रामचरितमानस में श्रीहनुमान जी महाराज प्रभु से अनपायनी भक्ति का वर मांगते हैं।यथा-

चौ॰-नाथ भगति अति सुखदायनी ।
  देहु कृपा करि अनपायनी ॥

सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी ।
  एवमस्तु तब कहेउ भवानी ॥

 (Kश्रीरामचरितमानस 5.34.1v)

भावार्थ:-हे नाथ! मुझे अत्यंत सुख देने वाली अपनी निश्चल भक्ति कृपा करके दीजिए। 

श्री हनुमान्‌जी की अत्यंत सरल वाणी सुनकर, हे भवानी! तब प्रभु श्री रामचंद्रजी ने एवमस्तु' (ऐसा ही हो) कहा॥

उससे पहले श्री हनुमान जी को सीता माँ की कृपा मिल चुकी थी ..उन्हें पहले सीता जी का अनुपम वरदान मिल चूका था।

अजर अमर गुननिधि सुत होहू।
 करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
 (श्री रामचरितमानस 5.17.2)
भावार्थ:-हे पुत्र! तुम अजर (बुढ़ापे से रहित), अमर और गुणों के खजाने हो ओ। 

श्री रघुनाथजी तुम पर बहुत कृपा करें, वो तुमसे बहुत छोह (प्रेम) करें।

अतः साधक सीता जी के कृपा की छाया में रहते हुए श्री हनुमान जी महाराज का अनुसरण कर प्रभु श्री राम की"अनपायनी भक्ति को प्राप्त कर सकता है।

भक्ति का भाव स्वरुप जैसा भी हो सब में सीता जी की कृपा जरुरी है, सभी भावों में प्रभु के प्रति सेवा का भाव अर्थातv👉 "दास्यभक्ति" का तत्व हमेशा मौजूद होता है, दास्य-भक्ति के परम-आदर्श श्री हनुमान जी महाराज हैं।

  *🌹🙏जय जय राम सीताराम राम राम राम 🙏🌹*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

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