https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 09/25/20

।। बहुत सुंदर कहानी ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। बहुत सुंदर कहानी ।।


श्री डोंगरे जी महाराज वचनामृत 


भगवान शंकराचार्य जी से  किसी ने पूछा था भगवन इस संसार में शत्रु कौन है तो शंकराचार्य स्वामी जी ने उत्तर दिया कि अपना मन ही शत्रु है ; 

फिर से प्रश्न किया कि मित्र कौन है तो कहा कि मन ही मित्र है । 

जिस चाबी से ताला बंद होता है,उसी चाबी से खुलता भी है। 

यही मन जब काम सुख का चिंतन करता है ;

विषयों का चिंतन करता है तो पतन करने वाला बन जाता है और भय क्रोध और अशांति उत्पन्न करता है और यही मन जब परमात्मा का चिंतन करता है तो आनंद देने वाला हो जाता है और भगवान की गोद में बैठा देता है । 

मन से ही बंधन है और मुक्ति भी मन से ही है ।

जयति जय बालकपि केलि
कौतुक उदित -चंडकर - मंडल -ग्रासकर्त्ता।

राहु  - रवि  - शुक्र - पवि  - गर्व खर्वीकरण
शरण  - भयहरण  जय  भुवन - भर्त्ता।।

हनुमानजी आपकी जय हो, जय हो। 

आपने बचपन में ही बाललीला से उदयकालीन प्रचण्ड सूर्य के मण्डल को लाल - लाल खिलौना समझकर निगल लिया था। 

उस समय आपने राहु, सूर्य,इन्द्र और वज्र का गर्व चूर्ण कर दिया था। 

हे शरणागत के भय हरने वाले! हे विश्व का भरण - पोषण करने वाले! ! 

आपकी जय हो,जय हो।'

जय श्री कृष्ण 


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     अनुपयोगिता सें लोहा जंग खा जाता है,

स्थिरता से पानी अपनी शुद्धता खो देता है..

          इसी तरह

निष्क्रियता मस्तिष्क की ताकत सोख लेती है..!

इस लिए  जीवन में निरंतर सक्रिय रहें .
    
संस्कारो पर नाज

बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...!

इस लिए बात - बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। 

मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, 

" यही तो उम्र है शौक की,खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा। "

बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इस लिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी।

बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी।

बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती....! 

वो कहता....!

कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है, मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। "

तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो।

क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।

और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।"

आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे।

हार्ट अटेक आया था।

डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, *तीन लाख* और जमा करने थे। 

डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। 

वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे।

उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। 

आँखों में आँसू थे और वह उदास था तभी खुशबू  खाने का टिफिन लेकर आई और बोली,"अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। 

ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो। 

कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये।

" पति की आँखों से टप - टप आँसू झरने लगे। "

" कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। 

जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये, देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं। "

" पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था।

कि खुशबू का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। "

और वह पीठ  को सहलाने लगी।

"सबने मना कर दिया। "

सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू।

आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। 

 किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।"

" इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। 

खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक।

 कितना जमा कराना है? "

" अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ? "

"तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।"

"क्या मतलब....?"

" तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं।

माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे।

बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं।

टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।"

खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया।

" खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था।
मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े. आज वही काम आए हैं। "

सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रही थी।

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

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