https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 08/30/20

*जय सत्य सनातन**अनमोल ओर दुर्लभ जीवन को कैसे सफल बनायें:-*➖➖➖➖➖➖➖➖➖

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*जय सत्य सनातन*

*अनमोल ओर दुर्लभ जीवन को कैसे सफल बनायें:-*

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*तरकारी (सब्जी) काटने की उचित पद्धति-२*

*♦️२. तरकारी काटते समय ध्यान रखने योग्य मुद्दे*

*अ. डंठल*

तरकारी काटते समय उसका डंठल निकालने पर, उसमें घनीभूत और तमोगुण वर्धन हेतु पूरक सिद्ध होनेवाली सूक्ष्म-वायु वायुमंडल में उत्सर्जित होती है ।

*♦️आ. तरकारी के संदर्भ में दिशा*

तरकारी काटते समय सदैव ऊपर से नीचे की दिशा में काटें । 
इससे तरकारी काटने के नाद से उत्पन्न जडत्वदर्शक अधोगामी तरंगें भूमि में तत्काल विसर्जित हो पाती हैं ।

*इ. शाक*

शाक बहुत महीन (बारीक) न काटकर साधारणतः मध्यम आकार में काटें, जिससे पत्तों से रस बाहर न आए । 
और काटने के बाद धोना नहीं चाहिए, काटने के  पहले ही ठीक से धोना चाहिए

*♦️ई. तरकारी के टुकडों का आकार*

तरकारी को अनुपातिक आकार में अर्थात बहुत बडे अथवा बहुत छोटे भी नहीं, ऐसे मध्यम आकार के टुकडे करें । यदि भिंडी हो, तो एक से डेढ इंच के टुकडे करें । 

लौकी जैसी बडे आकार की तरकारी हो, तो 2से 3 इंच के टुकडे करें ।

2-3 इंच के टुकडे खाते समय उन्हें तोडना ही पडेगा । ऐसे में उन्हें पहले से ही छोटे क्यों न काटें ?

सामान्य आकार की तरकारी के टुकडे एक से डेढ इंच के हों । बडे आकार की तरकारी की अधिकतम सीमा 2-3 इंच बताई है । 

टुकडे एक-डेढ इंचसे छोटे न हों; क्योंकि उसमें विद्यमान सूक्ष्मजन्य प्रभावकारी पोषकता दर्शानेवाली रसबीजरूप रिक्तियों का ह्रास हो सकता है ।

 (तरकारी की सूक्ष्म रिक्तियां रसयुक्त होती हैं । अनुपातिक आकार में तरकारी काटने से जीव को भोजन ग्रहण करते समय इस पोषक रस का लाभ होता है ।)

*♦️उ. रूप*

*गोलाकार अथवा खडे और सीधे टुकडे :*

 इस स्वरूप में तरकारी काटने की प्रक्रिया से रज-तमात्मक स्पंदनों की निर्मिति रुक जाती है । 

*कलात्मक स्वरूप :* तरकारी को कलात्मक पद्धति से तिरछे अथवा पतले गोल टुकडों में न काटें; क्योंकि इन तिरछे टुकडों से कष्टदायक स्पंदनों की निर्मिति होती है । उनसे निकलनेवाले सूक्ष्म घर्षणात्मक नाद की ओर वायुमंडल की अनिष्ट शक्तियां आकर्षित होती हैं ।
*ऊ. यंत्र से तरकारी काटने से क्या हानि होती है ?*

यंत्र से काटी गई तरकारी का चेतनाहीन हो जाती है । विद्युतवेग से चलनेवाले यंत्र वेग के बल पर प्रचंड मात्रा में रज-तमात्मक ऊर्जा का निर्माण करते हैं और यह ऊर्जा ही उस विशिष्ट घटक में विद्यमान जीवसत्त्वरूप कणों को नष्ट करती है । यंत्र अल्प अवधि में अत्युच्च वेग धारण कर तरकारी के टुकडे करता है; इसलिए इस वेग की घर्षणात्मक तरंगों के सूक्ष्म आघातदायी स्पर्श से तरकारी में विद्यमान सूक्ष्म-रस रिक्तियों का उसी स्थान पर विघटन हो जाता है । इसलिए यंत्र से काटी गई तरकारी चेतनाहीन, अर्थात किसी शव समान दिखता है; क्योंकि तरकारी काटने के उपरांत भी उससे बहुत समयतक रज-तमात्मक तेजदायी विघटनात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन होता है । इसलिए ऐसी तरकारी गैस के चूल्हेपर पकाने पर इस उत्सर्जित (उत्सारण करनेवाला) ऊर्जा को (उत्सर्जन प्रक्रिया को) और गति मिलती है और कालांतर में यह विघटनात्मक ऊर्जा अन्न पकते हुए ही उसमें घनीभूत होती है । इसलिए हमारे सर्व ओर उत्सारक पीडादायी स्पंदनों के सूक्ष्म वायुमंडल का निर्माण करती है ।


*संदर्भ ग्रंथ : सनातन का ग्रंथ, ‘रसोईके आचारोंका* अध्यात्मशास्त्र’

*👉आगे...दाहिने हाथसे भोजन क्यों करना चाहिए ?*

*🤝बने रहिए रोज जीवन के कुछ अनमोल सूत्र, सनातन के अनमोल वचन आप तक समिति द्वारा पहुँचाये जाएंगे*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌺संकल्प शक्ति 🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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।। सुंदर कहानी ।।

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🌹🌺संकल्प शक्ति 🌺🌹

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एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पहाड़ी इलाके में ठहरे थे। शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले। दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे। 

विशाल और मजबूत चट्टानों को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जागी। उसने पूछा- 'इन चट्टानों पर तो किसी का शासन नहीं होगा, क्योंकि ये अटल, अविचल और कठोर हैं।' 

शिष्य की बात सुनकर बुद्ध बोले- 'नहीं, इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन चलता है। लोहे के प्रहार से इन चट्टानों के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं।' 

इस पर शिष्य बोला- 'तब तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ।' 

बुद्ध मुस्कुराए और बोले- 'नहीं, अग्नि अपने ताप से लोहे का रूप परिवर्तित कर सकती है।' 

उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहे शिष्य ने कहा- 'मतलब, अग्नि सबसे ज्यादा शक्तिवान है।' 

बुद्ध बोले, 'नहीं। अग्नि की उष्णता को जल शीतलता में बदल देता है तथा अग्नि को शांत कर देता है।' 
शिष्य ने फिर प्रश्न किया- 'आखिर जल पर किसका शासन है?' 

बुद्ध ने उत्तर दिया- 'वायु का वेग जल की दिशा भी बदल देता है।' 

शिष्य कुछ कहता, उससे पहले ही बुद्ध ने कहा- 'अब तुम कहोगे कि पवन सबसे शक्तिशाली हुआ। नहीं। वायु सबसे शक्तिशाली नहीं है। सबसे शक्तिशाली है मनुष्य की संकल्प शक्ति, क्योंकि इसी से पृथ्वी, जल, वायु, और अग्नि को नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी संकल्प शक्ति से ही अपने भीतर व्याप्त कठोरता, उष्णता और शीतलता के आगमन को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए संकल्प शक्ति ही सर्वशक्तिशाली है। 
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

🌺☘️जय श्री सूर्यदेव☘️🌺
🙏जय द्वारकाधीश वंदन अभिनंदन मित्रों👏
🌅🌻शुभ औऱ मंगलमय हो जय श्री कृष्ण🌻🌞
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// सुंदर कहानी //जय श्री राम🙏🙏🙏जय श्री कृष्णघर में जरूर लगाएं तुलसी का पौधा, जानें महत्व

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जय द्वारकाधीश

// सुंदर कहानी //

जय श्री राम🙏🙏🙏जय श्री कृष्ण

घर में जरूर लगाएं तुलसी का पौधा, जानें महत्व और नियम

तुलसी के पौधे का महत्व धर्मशास्त्रों में भी बखूबी बताया गचया है. तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं. शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुसली अत्यधिक प्रिय है. तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है. क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बिना तुलसी दल के पूर्ण नहीं होता है. तुलसी की प्रतिदिन का पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है. मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है. धन की कभी कोई कमी महसूस नहीं होती.

- जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर की कलह और अशांति दूर हो जाती है. घर-परिवार पर मां लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहती है.

- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पत्तों के सेवन से भी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है. जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चंद्रायण व्रतों के फल के समान पवित्रता प्राप्त कर लेता है.

- तुलसी के पत्ते पानी में डालकर स्नान करना तीर्थों में स्नान कर पवित्र होने जैसा है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति ऐसा करता है वह सभी यज्ञों में बैठने का अधिकारी होता है.

- भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है. इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं.

- कार्तिक महीने में तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है. कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

- शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी पूजन और उसके पत्तों को तोड़ने के लिए नियमों का पालन करना अति आवश्यक है.

तुलसी पूजन के नियम

- तुलसी का पौधा हमेशा घर के आंगन में लगाना चाहिए. आज के दौर में में जगह का अभाव होने की वजह तुलसी का पौधा बालकनी में लगा सकते है.

- रोज सुबह स्वच्छ होकर तुलसी के पौधे में जल दें और एवं उसकी परिक्रमा करें.

- सांय काल में तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, शुभ होता है.

- रविवार के दिन तुलसी के पौधे में दीपक नहीं जलाना चाहिए.

- भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं.

- आप कभी भी तुलसी का पौधा लगा सकते हैं लेकिन कार्तिक माह में तुलसी लगाना सबसे उत्तम होता है.

- तुलसी ऐसी जगह पर लगाएं जहां पूरी तरह से स्वच्छता हो.

- तुलसी के पौधे को कांटेदार पौधों के साथ न रखें
 
तुलसी की पत्तियां तोड़ने के भी कुछ विशेष नियम हैं-

- तुलसी की पत्तियों को सदैव सुबह के समय तोड़ना चाहिए. अगर आपको तुलसी का उपयोग करना है तो सुबह के समय ही पत्ते तोड़ कर रख लें, क्योंकि तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं.
- बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.

- तुलसी की पत्तियां तोड़ते समय स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें.

- तुलसी के पौधे को कभी गंदे हाथों से न छूएं.

- तुलसी की पत्तियां तोड़ने से पहले उसे प्रणाम करेना चाहिए और इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए- महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते.

- बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.

- रविवार, चंद्रग्रहण और एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए.
जय श्री कृष्ण...!!!
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।।  सुंदर छंद ।।

जय श्री कृष्ण...!!!

हरि नाम मुख सजे, 
बादल गगन सजे, 
रवि संग नभ सजे, 
*सजी अरुणाई रे!*

झड़ी सजे लगातार,पंछी आदि भूख मरे, 
चोंच सजे अन्न-कण, 
*पड़े जो दिखाई रे!*
भाग दौड़ जीवन ये, थम सा  गया है अब, 
परिवार बीच सजे, 
*खुशियाँ समाई रे!*

छलक प्रभात रंग,भोर सजे वत्स संग,
देशवासी धरा सजे, 
*सुनें रघुराई रे!*

जय श्री कृष्ण!!

प्रभास पाटण प्राची से सूरज उगा , गगन हो गया लाल ,
 रजनी का तम दूर है , 
मन में नहीं मलाल
जय मुरलीधर...!!!!
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*_संक्षिप्त गीता : सत्रहवां अध्याय_* 〰️〰️〰️〰️〰️

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*_संक्षिप्त  गीता  : सत्रहवां  अध्याय_* 

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*सत्रहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि सत, रज और तम जिसमें इन तीन गुणों का प्रादुर्भाव होता है, उसकी श्रद्धा या जीवन की निष्ठा वैसी ही बन जाती है। इसका संबंध सत, रज और तम, इन तीन गुणों से ही है, अर्थात् जिसमें जिस गुण का प्रादुर्भाव होता है, उसकी श्रद्धा या जीवन की निष्ठा वैसी ही बन जाती है।*
*यज्ञ, तप, दान, कर्म ये सब तीन प्रकार की श्रद्धा से संचालित होते हैं। यहाँ तक कि आहार भी तीन प्रकार का है। उनके भेद और लक्षण गीता ने यहाँ बताए हैं। जिस प्रकार यज्ञ से, तप से और दान से जो स्थिति प्राप्त होती है, उसे भी "सत्‌" ही कहा जाता है और उस परमात्मा की प्रसन्नता लिए जो भी कर्म किया जाता है वह भी निश्चित रूप से "सत्‌" ही कहा जाता है। बिना श्रद्धा के यज्ञ, दान और तप के रूप में जो कुछ भी सम्पन्न किया जाता है, वह सभी "असत्‌" कहा जाता है, इसलिए वह न तो इस जन्म में लाभदायक होता है और न ही अगले जन्म में लाभदायक होता है।*

     〰️ *अगला  अध्याय  कल....*〰️

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।। श्री रामायण के प्रवचन ।।*मेघनाथ को बाबा तुलसीदास जी ने सम्मान देते हुए

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।। श्री रामायण के प्रवचन ।।

*मेघनाथ को बाबा तुलसीदास जी ने सम्मान देते हुए उसको "अतुलित योद्धा" कहके सम्बोधित किया है। मेघनाथ बहुत तापशाली, बलशाली व ज्ञानवान है।*
*उसकी पत्नी सुलोचना शेषनाग जी की पुत्री है। वो प्रभु की व रावण दोनों की अन्तरलीला को जानता है, इसलिए वो बिना किसी को रोके-टोके बस अपना पात्र कुशलता से निभा रहा है।भाई अक्षयकुमार के वध की बात सुनकर बड़े क्रोध के साथ वो रथ पर चढ़ कर महाबलि योद्धाओं के साथ अशोक वाटिका गया, उसे देख कर श्री हनुमानजी जोर से गर्जना की तथा तेजी से उसकी तरफ भागे !*

                *।। राम  राम ।।*
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🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 🌷🌹💐🌺🌷🌹💐 🌷 शाश्वतज्ञान-वेदान्त🌷 🌷🌹💐🌺🌷🌹💐🕉 *सागर के मोती*

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🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

    🌷🌹💐🌺🌷🌹💐
      🌷 शाश्वतज्ञान-वेदान्त🌷
     🌷🌹💐🌺🌷🌹💐

🕉 *सागर के मोती*

मनुष्य वर्तमान को देखता है और भूत भविष्य की चिंता करता है। चिंता उसकी करता है जो अभी नहीं है।  वर्तमान को ठीक बनाओ। वर्तमान ठीक रहेगा तो भूत भी ठीक हो जाएगा और भविष्य भी ; क्योंकि भविष्य भी वर्तमान में आएगा।

करने योग्य कर्म न करने से और न करने योग्य कर्म करने से दुख होता है।  अतः ऐसा कर्म करें जिससे अभी भी हित हो और परिणाम में भी ; हमारा भी हित हो और दूसरों का भी। दूसरों को दिया गया दुख कई गुना होकर मिलेगा क्योंकि यह मनुष्य शरीर खेत है। किसी के हित की भावना करना अपने अहित को निमंत्रण देना है।
मनुष्य शरीर अपने उद्धार के लिए मिला है अतः जो देश, काल, परिस्थिति आदि मिली है उसी में हर मनुष्य को परमात्मा प्राप्ति हो सकती है। केवल अपनी इच्छा और सच्ची लगन हो तो भगवान भी सहायता करते हैं।

       🕉🕉🕉🕉🕉🕉
       🕉🙏हरि ॐ🙏 🕉
      🕉🕉🕉🕉🕉🕉
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रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...