https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 08/24/20

क्या शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं?हाँ १००% सच है!!

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

क्या शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं?

हाँ १००% सच है!!

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।

▪️ शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें।

▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।

▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।

▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।[1]
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।

▪️ ध्यान दें कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।

▪️ जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।

▪️ आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में ऐसे महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बनाये गये हैं। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कैसा विज्ञान और तकनीक था जिसे हम आज तक समझ ही नहीं पाये? उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडु का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को 79°E 41’54” Longitude की भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है।

▪️ यह सारे मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंचभूत कहते हैं। पंचभूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन्हीं पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों को प्रतिष्टापित किया गया है।

जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में है, 
आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में है, 
हवा का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में है, 
पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम् में है और अतं में 
अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में है!

वास्तु-विज्ञान-वेद का अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ये पांच मंदिर।

▪️ भौगोलिक रूप से भी इन मंदिरों में विशेषता पायी जाती है। इन पांच मंदिरों को योग विज्ञान के अनुसार बनाया गया था, और एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इस के पीछे निश्चित ही कोई विज्ञान होगा जो मनुष्य के शरीर पर प्रभाव करता होगा।

▪️ इन मंदिरों का करीब पाँच हज़ार वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध ही नहीं थी। तो फिर कैसे इतने सटीक रूप से पांच मंदिरों को प्रतिष्टापित किया गया था? उत्तर भगवान ही जानें।

▪️ केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी है। लेकिन ये सारे मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते हैं।आखिर हज़ारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयोग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया है, यह आज तक रहस्य ही है।
श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है।
तिरुवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत से पता चलता है कि यह जल लिंग है। 
अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से पता चलता है कि वह अग्नि लिंग है। 
कंचिपुरम् के रेत के स्वयंभू लिंग से पता चलता है कि वह पृथ्वी लिंग है और 
चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान की निराकारता यानी आकाश तत्व का पता लगता है।

▪️ अब यह आश्चर्य की बात नहीं तो और क्या है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिष्टापित किया गया है। हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्दिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास ऐसी विज्ञान और तकनीकी थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं भेद पाया है। माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं अपितु इसी रेखा में अनेक मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते हैं। इस रेखा को “शिव शक्ति अक्श रेखा” भी कहा जाता है। संभवतया यह सारे मंदिर कैलाश को ध्यान में रखते हुए बनाये गये हों जो 81.3119° E में पड़ता है!? उत्तर शिवजी ही जाने।
कमाल की बात है "महाकाल" से शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच सम्बन्ध देखिये

उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक-

▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी

▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी

▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी

▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी

▪️ उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी

▪️ उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी

▪️ उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी

▪️ उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी

▪️ उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी

▪️ उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी

हिन्दू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता था ।

उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं। इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये हैं करीब 2050 वर्ष पहले ।

और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला। आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते हैं सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये।

🙏 हर हर महादेव हर..!🙏

धन्यवाद 🙏

*स्त्रोत: वंदे मातृसंस्कृतम्*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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।। सुंदर कहानी ।।

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।। सुंदर कहानी ।।

*हम इस धरती के निवासी नहीं हैं। हमें यह मानव-शरीर कुछ दिनों के लिये मिला है। यह मानव चोला प्रभु का सबसे उत्तम निर्माण है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें यह मानव शरीर मिला है क्योंकि केवल इसी शरीर में हम जिंदगी के रहस्य को समझ सकते हैं। अब हमें स्वयं को स्वतंत्र करने का मार्ग ढूँढना है।*

 *मानव-शरीर एक कारागार है जिसमें से हमें बाहर निकलना है। इस कारागार में सुराग करके हम एक दरवाजा बना सकते हैं जिसके जरिये बाहर निकल सकते हैं। यह दरवाजा हम कहाँ बनाएं? संत-सत्गुरु फरमाते हैं कि इस शरीर के नौ भौतिक द्वार (दो आँखें, दो कान, नाक, मुँह और दो गुदा द्वार) हैं और इसके अतिरिक्त एक दसवाँ द्वार भी है, यह संकरा द्वार दो भू-मध्य के बीचों-बीच स्थित है, आत्मा मृत्यु के समय इसी द्वार से बाहर निकलती है और शरीर छोड़ देती है।*

*एक संत-सत्गुरु ही तुम्हें यहाँ से भागने का मार्ग दिखा सकता है। वह हमें इस मार्ग से बाहर निकलने में मददगार होता है। इस भौतिक शरीर से भागने का और सदा-सदा की असीम खुशी को पाने का एकमात्र यही रास्ता है। कबीर साहिब फरमाते हैं “मुझे इस संसार में कोई सच्चा सुख नजर नहीं आता, जिसे भी मैं देखता हूँ वह पूरी तरह दुखी है। यहाँ तक कि योगी भी दुखी हैं, जो तपस्वी हैं, वे तो दुगुने दुखी हैं। हम सभी कामना व लोभ से दुखी हैं। कोई भी इंसान इनसे मुक्त नहीं है। कबीर साहिब फ्रमाते हैं कि पूरी दुनिया दुखों से भरी है पर जो संत महापुरुष हैं केवल वेही सुखी हैं क्युकि उनका अपने मन पर नियंत्रण है।" 
*मन पर नियंत्रण कर हम पूरी दुनिया से जीत सकते है परन्तु इस पर नियंत्रण कैसे कर सकते है क्युकि यह  तो भौतिक सुखों के आकर्षणों के पीछे भाग रहा है। ऐसा देखा गया है कि हम जितना अधिक सुखों को पाने की इच्छा करते हैं उतना ही स्वयं को दुखी अथवा निराश महसूस करते हैं | इसका कारण है कि सच्ची खुशी हमारे अंदर विद्यमान है। सारी खुशियाँ और आनंद हमारे अंतर में विद्यमान है। जबकि इस दुनिया के सुख और आराम कुछ सीमित समय तक ही हमारे साथ रहते हैं। यदि हमारी आत्मा मन इंद्रियों के आकर्षणों से मुक्त हो जाए तभी वह प्रभु से एकमेक हो सकती है, जो कि सर्वशक्तिमान है और केवल तभी सदा-सदा की खुशी को पा सकती है। जो सदा रहने वाली शांति और खुशी पाना चाहते हैं; उन्हें प्रभु की शरण में जाना चाहिए | प्रभु कहाँ हैं? ऐसी कोई स्थान नहीं है, जहाँ प्रभु नहीं हैं | वे हमारे सबसे करीब मानव शरीर में ही वास करते हैं, यही उनका पवित्र निवास है। हम इस शरीर में हैं यानि हम प्रभु हैं किन्तु जब तक हम अपनी आत्मा मन और माया से भिन्न नहीं करते तब तक हम प्रभु का अनुभव नहीं कर पाते।*

*मन और आत्मा एक-दूसरे के साथ परस्पर बंधे हैं और हमें इन्हे अलग करना नहीं आता। जिन्होंने इन्हें अलग कर लिया उन्होंने अपने आप को जान लिया और प्रभु को पा लिया।*

*प्रभु जो सबमें विराजमान हैं, सबका पिता-परमेश्वर है। वह समस्त जगत का कर्ता है, परमेश्वर है। सभी मानव एक हैं| हम स्वयं पर अलग-अलग धर्मों के लेबल लगाकर घूमते हैं परन्तु हम पहले इंसान हैं | हम चेतन स्वरूप हैं| इस मानव-चोले में ही हम आत्म -साक्षात्कतार और परमात्म साक्षात्कार कर सकते हैं | इस लक्ष्य को हम केवल मानव शरीर में रहकर ही प्राप्त कर सकते हैं, किसी अन्य योनि में रहकर नहीं | सिमरण करो हमारे पास यह एक सुनहरा मौका है।*
जय श्री कृष्ण
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।🍂🍃 भय और लोभ से बने सम्बन्ध अंततः बहुत दुखदायी साबित होते है!🍃🍂

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🍂🍃 भय और लोभ से बने सम्बन्ध अंततः बहुत दुखदायी साबित होते है!🍃🍂

कुछ पुरानी यहूदी बस्तियों में एक नियम था कि जब भी कोई नया यहूदी बस्ती में आए, तो सारा गांव एक-एक रुपया उसे भेंट कर दे--प्रत्येक व्यक्ति। तो अगर दस हजार लोग होते तो दस हजार रुपए उसे मिल जाते। उसकी जिंदगी गतिमान हो जाती। मकान बन जाता, उसकी दूकान खुल जाती। फिर दुबारा कभी कोई नगर में नया आदमी आएगा, तो इस आदमी को भी उसे एक रुपया देना होगा।
यह बढ़िया सामाजिक व्यवस्था थी। गांव में कोई आदमी गरीब नहीं रह सकता था। लेकिन इस घटना को मैं किसी दूसरे प्रयोजन से कह रहा हूं। हम भी इस जिंदगी में आते हैं और चारों तरफ से थोड़े-थोड़े टुकड़े हमें दिए जाते हैं। उन्हीं टुकड़ों के आधार पर हम भीतर अहंकार का भवन निर्माण करते हैं। कुछ पिता देते हैं, कुछ मां देती है, कुछ भाई-बहन देते हैं, कुछ संगी-साथी, गांव के लोग, पड़ोस के लोग देते हैं। और उन सबसे हमारे भीतर अहंकार का भवन निर्मित होता है। फिर भय बना रहता है--कोई भी कभी एक ईंट खींच ले! इसलिए जिनसे हमें मिलता है, उनसे हमें भय भी लगा रहता है, डर भी लगा रहता है। कभी भी, जो दिया है, वह वापस लिया जा सकता है। और जो नहीं दिया है, उस पर आंख भी लगी रहती है कि वह भी हमें मिल जाए।

ये लोभ और भय हमारे भीतर हैं। और इस लोभ और भय से हम जो भी संबंध निर्मित करते हैं जीवन में, वे सभी हमें दुख लाएंगे। उनसे किसी से भी सुख आने का कोई उपाय नहीं है। क्योंकि परतंत्रता गहरे से गहरा दुख है। और अगर मेरी आत्मा भी उधार है और केवल दूसरों के टुकड़ों से निर्मित हुई है...।

 प्रवचन--30 (पोस्ट 7)

       🍃🍂 *जय मुरलीधर*🍃🍂

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।। सुंदर कहानी ।।🌹🌹 *माँ की ममता*🌹🌹

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
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।। सुंदर कहानी ।।

🌹🌹 *माँ की ममता*🌹🌹

एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी ने जन्म लिया..

बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर,
मगर दिल से नही.... 

वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता,
और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था...
अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था........

उस लडकी की माँ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी। वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी.. 
वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती।
और कापी किताबों का खर्चा भी देती थी..
अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी।
मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी...

पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था।

जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था... 
वक्त का पहिया घूमता गया
"♥
"♥
बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी..
दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था।
मॉ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती..
बेटी डरडराते हुये पापा से बोली:
पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए मम्मी के पास पैसै नही है... 
बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने लगा बोला,तू कितनी भी पढ़ लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा ही सम्भालना है, क्या करेगी तू ज्यादा पढ़ लिख कर..

उस दिन उसने घर में आतंक मचाया व सबको मारा पीटा।

बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन ही मन में सोच लिया कि अब वो आगे की पढाई नही करेगी.... 
एक दिन उसकी माँ बाजार गयी। 

बेटी ने पूछा:माँ कहाँ गयी थी 
माँ ने उसकी बात को अनसुना करते हुये कहा :
बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउंगी।
बेटी ने कहा: नही़ं माँ मै अब नही पढूंगी। मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पड़ती है। पापा भी तुमको मारते पीटते हैं, कहते कहते रोने लगी..
माँ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा: बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर आयी हूं मै कराऊँगी तेरा दखिला..
बेटी ने माँ की ओर देखते हुये पूछा: माँ तुम इतने पैसै कहांसे लायी हो??
माँ ने उसकी बात को फिर अनसुना कर दिया...
वक्त बीतता गया 
"
"
"
"माँ ने जी तोड़ मेहनत करके बेटी को पढाया लिखाया।
बेटी ने भी माँ की मेहनत को देखते हुये मन लगा कर दिन रात पढाई की
और आगे बढ़ती चली गयी.......
इधर बाप दारू पी पी कर बीमार पड गया
डाक्टर के पास ले गये।
डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है।
एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर होने पर बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया..
दो दिन बाद उस जबे होश आया तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर उसके होश उड गये।


वो डाक्टरनी कोई और नही बल्कि उसकी
अपनी बेटी थी.. 
शर्म से पानी पानी होगया बाप।
कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा
और रोने लगा हाथ जोडकर बोला: बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ ना सका...
दोस्तों बेटी

आखिर बेटी होती है।
बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप को गले लगा लिया..

दोस्तों गरीबी और अमीरी से कोई फर्क नहीं पडता,,
अगर इन्सान का इरादा हो तो आसमान में भी छेद हो सकता है।

किसी ने खूब कहा //

"कौन कहता है कि आसमान मे छेद नही हो सकता,,
अरे एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"

"""♥♥♥
एक दिन बेटी माँ से बोली: माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के लिये पैसै कहाँ से लायी थी??

बेटी के बार बार पूछने पर
माँ ने जो बात बतायी
उसे सुनकर
बेटी की रूह काँप गयी.... 

*माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर बेटी का एडमीसन कराया था....*

*दोस्तों तभी तो माँ को भगवान का दर्जा दिया गया हैं।*
*माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है,उतना दुनियाँ में कोई और नही..*

*दो पंक्तियाँ माँ के लिये::::*

गोदी में तुझको सुलाया है माँ ने,, 
बडे प्यार से अपनी मीठी जुबाँ से, 
बेटा कह कर बुलाया है माँ ने,,
तुझको लेके अपनी नरम बाजुओं मे,
मोहब्बत का झूला झुलाया है माँ ने,,
सभी जख्म अपने सीने पे लेके,
हर चोट से बचाया है माँ ने,,
कभी तेरे माथे पे काला टीका लगा के,
यूं बचपन में तुझको सजाया है माँ ने,,
यूं चेहरा दिखा के मुझे रोज अपना,तुझे अपने रब से मिलाया है माँ ने,,
ऐ इन्सॉ तू जो इतना इतरा के चलता है,
काबिल तुझे बनाया है, इस माँ ने,,
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🌹 *राधे राधे जी*🌹
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय अंबे🌹🌹🌹🌹🌹
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।। जीवन की कड़वास भरी बात भी कभी कभी मिठास देती है ।।

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।। जीवन की कड़वास भरी बात भी कभी कभी मिठास देती है ।।

*पुराने लोग भावुक होते थे ,*
*तब वो संबंध को संभालते थे .*
*बाद में लोग प्रैक्टिकल हो गये ,*
*तब वो संबंध का फायदा उठाने लग गए ..*

*अब तो लोग प्रोफेशनल हो गए हैं फायदा अगर है तो ही संबंध रखते हैं नहीं तो बाय बाय ..*

*🙏जय जय श्री कृष्ण ...!🙏*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

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*🌺गणेशजी के तुलसी नही चढ़ने की पौराणिक कहानी🌺🙏🏻*

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जय द्वारकाधीश

*🌺गणेशजी के तुलसी नही चढ़ने की पौराणिक कहानी🌺🙏🏻*

प्राचीन समय की बात है | भगवान श्री गणेश गंगा के तट पर भगवान विष्णु के घोर ध्यान में मग्न थे | गले में सुन्दर माला , शरीर पर चन्दन लिपटा हुआ था और वे रत्न जडित सिंगासन पर विराजित थे | उनके मुख पर करोडो सूर्यो का तेज चमक रहा था | वे बहुत ही आकर्षण पैदा कर रहे थे | इस तेज को धर्मात्मज की यौवन कन्या तुलसी ने देखा और वे पूरी तरह गणेश जी पर मोहित हो गयी | तुलसी स्वयं भी भगवान विष्णु की परम भक्त थी| उन्हें लगा की यह मोहित करने वाले दर्शन हरि की इच्छा से ही हुए है | उसने गणेश से विवाह करने की इच्छा प्रकट की |
भगवान गणेश का तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराना : 
भगवान गणेश ने कहा कि वह ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं और विवाह के बारे में अभी बिलकुल नहीं सोच सकते | विवाह करने से उनके जीवन में ध्यान और तप में कमी आ सकती है | इस तरह सीधे सीधे शब्दों में गणेश ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया |
पढ़े : संकट चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा

तुलसी का गणेश को श्राप :
धर्मपुत्री तुलसी यह सहन नही कर सकी और उन्होंने क्रोध में आकार उमापुत्र गजानंद को श्राप दे दिया की उनकी शादी तो जरुर होगी और वो भी उनकी इच्छा के बिना |
गणेश का तुलसी को श्राप : 

ऐसे वचन सुनकर गणेशजी भी चुप बैठने वाले नही थे | उन्होंने भी श्राप के बदले तुलसी को श्राप दे दिया की तुम्हारी शादी भी एक दैत्य से होगी | यह सुनकर तुलसी को अत्यंत दुःख और पश्चाताप हुआ | उन्होंने गणेश से क्षमा मांगी | भगवान गणेश दया के सागर है वे अपना श्राप तो वापिस ले ना सके पर तुलसी को एक महिमापूर्ण वरदान दे दिए |

गजानंद का तुलसी को वरदान 

दैत्य के साथ विवाह होने के बाद भी तुम विष्णु की प्रिय रहोगी और एक पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी | तुम्हारे पत्ते विष्णु के पूजन को पूर्ण करेंगे | चरणामृत में तुम हमेशा साथ रहोगी | मरने वाला यदि अंतिम समय में तुम्हारे पत्ते मुंह में डाल लेगा तो उसे वैकुंट लोक प्राप्त होगा |

बाद में वही तुलसी वृन्दा बनी और दैत्य शंखचुड से उसका विवाह हुआ | भगवान विष्णु ने वृन्दा पतिव्रता धर्म खत्म कर शिवजी के हाथो शंखचुड की हत्या करवा दी | वृन्दा ने तब विष्णु को काले पत्थर शालिग्राम बनने का श्राप दे दिया |

ध्यान रखे गणेश चतुर्थी पूजा विधि या संकट चतुर्थी पर जब भी एकदंत की पूजा करे तो तुलसी जी को उनसे दूर ही रखे |
हर हर महादेव हर....!!!
{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.....जय जय परशुरामजी )))))) }}}}}}
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कहानी*=========*बहू की भावना*=============*भाग -तीन*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*कहानी*

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*बहू की भावना*

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*भाग -तीन*

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प्रायः इसके लिए बहू ही दोषी मानी जाती हैं, जबकि सभी मामलों में यह सच नही होता। लड़कियों के मन मे बचपन से ही यह बात बिठा दी जाती है कि विवाह के बाद ससुराल ही उसका असली घर है। उसे यह शिक्षा भी दी जाती हैं कि वह ससुराल में अपने सास, ससुर, देवर, ननद सभी से अच्छा व्यवहार करें और सभी का दिल जीत ले। ऐसी बहू को ही समाज आदर्श बहू की संज्ञा देता है। सामान्यतया सभी बहुएं "आदर्श बहू" बनने का सपना संजोए ही ससुराल में कदम रखती है। उनकी कोशिश यही होती है कि वे अपने आचरण और गुणों से सभी का दिल जीत ले। वे प्रायः भाग भाग कर काम किया करती हैं ताकि किसी को शिकायत का मौका न मिले और परिवार के सभी सदस्य मिल -जुलकर रहें।
पर देखने मे यही आता है कि बहू के आते ही परिवार के बिखरने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसका ठीकरा बहू के सर ही फोड़ा जाता है। बहू के प्रति यह दृष्टिकोण सर्वथा अनुचित है। बहू का व्यवहार प्रारम्भ में प्रशंशनीय था और बाद में बदल गया तो इसके लिए परिवार के और सदस्य भी दोषी है। सबसे अधिक दोषी तो पति ही है। प्रायः पति ही अपनी सहव्याहता पत्नी के साहचर्य के लिए ज्यादा व्याकुल रहता है। वह यही सोचता है कि पत्नी उसकी है और उसका हर पल अपना है। केवल उसकी देखभाल के लिए ही वह आयी है।

क्रमशः.....

जय अंबे.....!!!
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।। सुंदर कहानी ।।*मकान को घर बनाने वाली का कोना,* *🌹कौन सा??*

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जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

*मकान को घर बनाने वाली का कोना,*
             *🌹कौन सा??*

"क्या बताऊँ मम्मी, आजकल तो ,बासी कढ़ी में भी उबाल आया हुआ है| जबसे पापा जी रिटायर हुए है| दोनों लोग फिल्मी हीरो हीरोइन की तरह दिन भर अपने बगीचे में ही झूले पर विराजमान रहते हैं| न अपने बालों की सफेदी का लिहाज है न बहू बेटे का इस उम्र में दोनों मेरी और नवीन की बराबरी कर रहे हैं| "  तब तक चाय पीने के लिये सोनम को पूछने प्रभाजी उसके कमरे की तरफ बढ़ीं पर उदास मन से रसोई में दाखिल हुईं| उन्होंने सुन सब लिया था पर नज़रअंदाज़ करते हुए खामोशी से चाय बनाकर ले गयीं और सोनम को भी उसी के कमरे में दे दी|  उन्हें अशोक जी के लिए चाय ले जाते देख, उनकी बहू सोनम के चेहरे पर व्यंगात्मक मुस्कान तैर गयी| पर वह नज़र अंदाज़ कर सिर झुकाए  निकल गईं| 

पति के रिटायर होने के बाद कुछ दिन से उनकी यही दिनचर्या हो गयी थी|  अशोक जी की इच्छानुसार अच्छे से तैयार होकर अपने घर के सबसे खूबसूरत हिस्से अपने पेड़ पौधों  के साथ बैठना| क्योंकि सारी उम्र तो उनकी बच्चों के लिये जीने में निकल गयी थी|  तो जीवन सन्ध्या में दोनोँ लोग साथ समय भी गुजारते वहाँ पड़ी मेज चार कुर्सी उस भाग को  और मोहक बना देतीं और दिन भर के बहुत से कार्य वहाँ आसानी ने निपट जाते|   पाण्डेय विला...दोमंजिला कोठीनुमा घर अशोक और प्रभा का जीवन भर का सपना था, बड़ा खूबसूरत लगता देखने में उस पर वातावरण भी बेहद सुरम्य |  बीस बाई बीस गज़ की कच्ची जगह भी थी  उस घर में, बाहर जहाँ था प्रभा के सपनोँ का बगीचा| बेला के पौधे, हरसिंगार का घनेरा पेड़,अंगारो सा दहकता गुड़हल का पेड़  और छोटा सा टैंक जिसमें कमल के फूल खिले रहते|  जाड़े में तो रँग बिरंगे फूल डहेलिया, गुलाब, पैंजी और तमाम किचन गार्डन की सब्जियां चार चाँद लगा देतीं देखने वाले की आँखों में और रसोईघर में भी  ताज़े धनिया, पोदीना मेंथी की बहार रहती|  हर मौसम में घर खुशबू और सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर रहता,उस पर वहाँ पड़ा झूला जो भी वहाँ बैठ जाता तो उठने की इच्छा ही न होती उसकी|  जाड़ों में वहीँ तसले में आग जलती और भुने आलू,शकरकन्द के मज़े लिये जाते तो बरसात में सुलगते कोयलों पर सिंकते भुट्टे स्वर्ग के आनन्द की अनुभूति करवाते| 

अशोक जी ने वह जगह छुड़वाई तो प्रभा और अपने लिये कमरे के लिये | लेकिन संयोग ऐसा बना कि ज़िम्मेदारी ने उन्हें उस जगह का इस्तेमाल  ही न करने दिया|  ऐसे में प्रभा ने अपने खाली समय और  उस ख़ाली जगह का इस्तेमाल इस बुद्धिमत्ता से किया कि वह कोना घर की जान बन गया| उनका पूरा खाली समय वहीँ बीत जाता| अब उन्हें उस जगह कमरा न बन पाने का मलाल भी न था|  पर प्रभा को अरमान था घर में झूला हो तो अशोक जी ने उसे वहाँ ज़रूर लगवा दिया| पेड़ों से लगाव कुछ ऐसा हो गया कि फिर दोनों में से किसी की इच्छा उनके स्थान पर कमरा बनवाने की हुई ही नहीँ|   

पर वह और अशोक कभी एक साथ उस जगह कम ही बैठ पाते,कभी प्रभा अनमनी होतीं तो अशोक बड़े ज़िंदादिल शब्दों में कहते, "पार्टनर रिटायरमेंट के बाद दोनों इसी झूले पर साथ बैठेंगे  और खाना भी  साथ में ही खायेंगे| हर शिकायत दूर कर देँगे| फ़िलहाल हमें बच्चों के लिये जीना है| बच्चों के कैरियर पर सब कुछ बलिदान हो गया,अब बेटा भी अच्छी नौकरी में था और बेटी भी अपने घर की हो चुकी थी | 

रिटायरमेंट के बाद घर में थोड़ी रौनक रहने लगी थी,अशोक जी को भी घर में रहना अच्छा लग रहा था| बड़े पद पर थे तो कभी उनके कदम घर में टिके ही नहीँ|  गाँव से आकर शहर में बसेरा बनाना आसान न था, लेकिन किसी तरह चार सौ गज़ ज़मीन कर ली| सहधर्मिणी प्रभा जी भी सहयोगी महिला थीं तो मन्ज़िल और आसान हो गयी|  अब दोनों पति पत्नी आराम के पलों को सँजो लेना चाहते थे उनके घर  में ज़रूरी सब सुविधाएं भी थी फिर भी  बहू सोनम  को न जाने क्योँ वह कोना सबसे ज़्यादा खटकता था|  क्योंकि कोई भी बन्धन न होने पर भी अशोक जी के घर में रहने से उसे घर का काम बढ़ा महसूस होता| दिन भर उसके साथ लगी रहने वाली प्रभा का अब थोड़ा समय  अपने पति को देना उसे अखरने लगा था|  

अक्सर वह नवीन को उसके माता पिता के लिये ताने देने का कोई मौका न छोड़ती| उसने उस कोने से छुटकारा पाने के लिये नवीन को एक रास्ता सुझाते हुए कहा,"क्योँ न हम बड़ी कार खरीद लें...नवीन"|  "आईडिया तो अच्छा है पर रखेंगे कहाँ एक कार रखने की ही तो जगह है घर में",नवीन थोड़ा चिंतित स्वर में बोला|

"जगह तो है न, वो गार्डन तुम्हारा..जहाँ आजकल दोनों लव बर्ड्स बैठते हैं"सोनम थोड़े तीखे स्वर में बोली|  थोड़ा तमीज़ से बात करो,नवीन क्रोध से बोला ज़रूर पर उसने भी अशोक जी से बात करने का मन बना लिया था|  

अगले दिन वह कुछ कार की तस्वीरों के साथ शाम को अपने पिता के पास गया और बोला," पापा !मैं और सोनम एक बड़ी गाड़ी खरीदना चाहते हैं| "  पर बेटा बड़ी गाड़ी तो घर में पहले ही है, फिर उसे रखेंगे भी कहाँ?अशोक जी ने प्रश्न किया|  ये जो बगीचा है यहीँ  गैराज बनवा लेंगे वैसे भी सोनम से तो इनकी देखभाल होने से  रही और मम्मी कब तक करेंगी? इन पेड़ों को कटवाना ही ठीक रहेगा| वैसे भी ये सब जड़े मज़बूत कर घर की दीवारें कमज़ोर कर रहें है|  

प्रभा तो वहीँ कुर्सी पर सीना पकड़ कर बैठ गईं,अशोक जी ने  क्रोध को काबू में करते हुए कहा, मुझे तुम्हारी माँ से भी बात करके थोड़ा सोचने का मौका दो|  क्या पापा... मम्मी से क्या पूछना ..वैसे भी इस जगह का इस्तेमाल भी क्या है नवीन थोड़ा चिड़चिड़ा कर बोला|  ,"आप दोनों दिन भर इस जगह बगैर कुछ सोचे समझे,चार लोगों का लिहाज किये बग़ैर साथ बैठे रहते हैं| कोई बच्चे तो हैं नहीं आप दोनों और अब घर में सोनम भी है छोटे बच्चे  भी है |  पर आप दोनों ने दिन भर झूले पर  साथ बैठे रहने का रिवाज बना लिया है और ये भी नहीँ सोचते कि चार लोग क्या  कहेंगे|  इस उम्र में मम्मी के साथ बैठने की बजाय अपनी उम्र के लोगों में उठा बैठी करेंगे तो वो ज़्यादा अच्छा लगेगा न कि ये सब और वह दनदनाते हुए अंदर चला गया|  अंदर सोनम की बड़बड़ाहट भी ज़ारी थी,
अशोक जी भी एहसास कर रहे थे प्रभा के साथ अपनी ज़्यादती का| जब कभी पत्नी ने अपने मन की कही तो उन्होंने उन्हें ही सामन्जस्य बिठाने की सीख दी|  पर आज की बात से तो उनके साथ प्रभा जी भी सन्न रह गईं,अपने बेटे के मुँह से ऐसी बातें सुनकर|  रिटायरमेंट को अभी कुछ ही समय हुआ था उनके, ज़िन्दगी तो भागमभाग में ही निकल गयी थी बच्चों के लिए सुख साधन जुटाने में|  

नवीन और सोनम ने उस शाम खाना बाहर से ऑर्डर कर दिया पर प्रभा से न खाना खाया गया और न उन्हें नींद आयी| नींद तो अशोक को भी नहीँ आ रही थी और वो प्रभा की मनोस्थिति भी समझ रहे थे |  किसी ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े सिपाही जैसी जिससे हर रिश्ता बस अपनी ही तवज्जोह चाह रहा था| पर सोचते सोचते सुबह, कुछ सोचकर उनके होंठों पर मुस्कान तैर गयी|  अगले दिन जब सोकर वह उठे तो देखा प्रभा जी सो रहीं थी पर बेचैनी चेहरे पर दिख रही थी| 

वह रसोई में गये और खुद चाय बनाई | कमरे में आकर पहला कप प्रभा को उठा कर पकड़ाया और दूसरा खुद पीने लगे|  आपने क्या सोचा?प्रभा ने रोआंसे लहज़े में पूछा|  मैं सब ठीक कर दूँगा बस तुम धीरज रखो,अशोक बोले|  पर हद से ज़्यादा निराश प्रभा  उस दिन पौधों में पानी देने भी न निकलीं,और न ही किसी से कोई बात की|  

दिन भर सब सामान्य रहा,लेकिन शाम को अपने घर के बाहर To Let का बोर्ड टँगा देख नवीन ने भौंचक्के स्वर में अशोक से प्रश्न किया,"पापा  माना कि घर  बड़ा है पर ये To Let का बोर्ड  किसलिए"?  " अगले महीने मेरे स्टाफ के मिस्टर गुप्ता रिटायर हो रहें है,तो वो इसी घर में रहेँगे",उन्होंने शान्ति पूर्ण तरीके से उत्तर दिया| हैरान नवीन बोला,"पर कहाँ?"  "तुम्हारे पोर्शन में",अशोक जी ने सामान्य स्वर में उत्तर दिया|  नवीन का स्वर अब हकलाने लगा था,"और हम लोग "  "तुम्हे इस लायक बना दिया है दो तीन महीने में कोई फ्लैट देख लेना या कम्पनी के फ्लैट में रह लेना,अपनी उम्र के लोगों के साथ | "अशोक एक- एक शब्द चबाते हुए बोले|  हम दोनों भी अपनी उम्र के लोगों में उठे बैठेंगे,सारी उम्र तुम्हारी माँ की सबका लिहाज़ करने में निकल गयी| कभी बुजुर्ग तो कभी बच्चे| अब लिहाज़ की सीख तुम सबसे लेना बाकी रह गया था|  "पापा मेरा वो मतलब नहीँ था",नवीन सिर झुकाकर बोला|  

नही बेटा तुम्हारी पीढ़ी ने हमें भी प्रैक्टिकल बनने का सबक दे दिया,जब हम तुम दोनों को साथ देखकर खुश हो सकते है तो तुम लोगों को हम लोगों से दिक्कत क्योँ है| "?  इस मकान को घर तुम्हारी माँ ने बनाया, ये पेड़ और इनके फूल तुम्हारे लिए माँगी गयी न जाने कितनी मनौतियों के साक्षी हैं,तो उसका कोना मैं किसी को छीनने का अधिकार नहीं दूँगा|  पापा आप तो सीरियस हो गये, नवीन के स्वर अब नम्र हो चले थे|  न बेटा... तुम्हारी मां ने जाने कितने कष्ट सहकर, कितने त्याग कर के मेरा साथ दिया आज इसी के सहयोग से मेरे सिर पर कोई कर्ज़ नहीँ है| इसलिये सिर्फ ये कोना ही नहीं पूरा घर तुम्हारी माँ का ऋणी है| घर तुम दोनों से पहले उसका है, क्योंकि जीभ पहले आती है, न कि दाँत|  औलाद होने का हमसे लाभ उठाओ पर जब मंदिर में ईश्वर जोड़े में अच्छा लगता है तो मां बाप साथ में बुरे क्योँ लगते हैं? ज़िन्दगी हमें भी तो एक ही बार मिली है|😊
*मां बाप की इज्जत जरूर करिए*

    *🙏🕉 जय जय श्री राधे🕉🙏*
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काले घोड़े की नाल के दस प्रयोगः-

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काले घोड़े की नाल के दस प्रयोगः-

1- काले वस्त्र में लपेट कर अनाज में रख दो तो अनाज में वृद्धि हो।

2- काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रख दो तो धन में
वृद्धि हो।

3- अंगूठी या छल्ला बनाकर धारण करे तो शनि के दुष्प्रभाव
से मुक्ति मिले।

4- द्वार पर सीधा लगाये तो दैवीय कृपा मिले।

5- द्वार पर उल्टा लगाओ तो भूत, प्रेत, या किसी
भी तंत्र मंत्र से बचाव हो।
6- शनि के प्रकोप से बचाव हेतु काले घोड़े की नाल से बना
छल्ला सीधे हाथ में धारण करें।

7- काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और
शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दें।

8- काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और
शनि पीड़ित व्यक्ति के घर के चारो कोने पे लगायें।

9- काले घोड़े की नाल से एक कील बनाकर सवा
किलो उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में
प्रवाहित करे।

10- काले घोड़े की नाल से एक कील या छल्ला
बनवा ले, शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे
एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर कर है
छल्ला या कील दाल कर अपना मुख देखे और
पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।
।।।।। जय श्री कृष्ण।।।।।।।
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श्रीगणेश चतुर्थी 2020 : 10 दिनों में गणेशजी के इन 11 उपायों में से कोई भी 1 करें

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श्रीगणेश चतुर्थी 2020 : 10 दिनों में गणेशजी के इन 11 उपायों में से कोई भी 1 करें

धर्म ग्रंथों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश का प्राकट्य माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजन किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। अगर आप भी इस विशेष अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं तो ये उपाय विधि-विधान पूर्वक करें-

जो चाहिए वो मिलेगा गणेशजी के इन उपायों में से , कोई भी 1 करें

1. शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने का विधान बताया गया है। गणेश चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने से विशेष लाभ होता है। इस दिन आप शुद्ध पानी से श्रीगणेश का अभिषेक करें। साथ में गणपति अथर्व शीर्ष का पाठ भी करें। बाद में मावे के लड्डुओं का भोग लगाकर भक्तों में बांट दें।

2. गणेश यंत्र बहुत ही चमत्कारी यंत्र है। गणेश चतुर्थी पर घर में इसकी स्थापना करें। इस यंत्र की स्थापना व पूजन से बहुत लाभ होता है। इस यंत्र के घर में रहने से किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं करती।

3. अगर आपके जीवन में बहुत परेशानियां हैं, तो आप गणेश चतुर्थी को या 10 दिन हाथी को हरा चारा खिलाएं और गणेश मंदिर जाकर अपनी परेशानियों का निदान करने के लिए प्रार्थना करें। इससे आपके जीवन की परेशानियां कुछ ही दिनों में दूर हो सकती हैं।

4. अगर आपको धन की इच्छा है, तो इसके लिए आप गणेश चतुर्थी को सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीगणेश को शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय 10 दिन तक करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो सकता है।

5. गणेश चतुर्थी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद समीप स्थित किसी गणेश मंदिर जाएं और भगवान श्रीगणेश को 21 गुड़ की गोलियां बनाकर दूर्वा के साथ चढ़ाएं। इस उपाय से भगवान आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं।
6. गणेश चतुर्थी पर पीले रंग की गणेश प्रतिमा अपने घर में स्थापित कर पूजा करें। पूजन में श्रीगणेश को हल्दी की पांच गठान श्री गणाधिपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ाएं। इसके बाद 108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर श्री गजवकत्रम नमो नम: का जाप करके चढ़ाएं। यह उपाय लगातार 10 दिन तक करने से प्रमोशन होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

7. गणेश चतुर्थी पर किसी गणेश मंदिर में जाएं और दर्शन करने के बाद अपनी इच्छा के अनुसार गरीबों को दान करें। कपड़े, भोजन, फल, अनाज आदि दान कर सकते हैं। दान के बाद दक्षिणा यानी कुछ रुपए भी दें। दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान श्रीगणेश भी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

8. यदि बिटिया का विवाह नहीं हो पा रहा है, तो गणेश चतुर्थी पर विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाएं व व्रत रखें। शीघ्र ही उसके विवाह के योग बन सकते हैं।

9. गणेश चतुर्थी को दूर्वा (एक प्रकार की घास) के गणेश बनाकर उनकी पूजा करें। मोदक, गुड़, फल, मावा-मिष्ठान आदि अर्पण करें। ऐसा करने से भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

10. यदि लड़के के विवाह में परेशानियां आ रही हैं, तो वह गणेश चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इससे उसके विवाह के योग बन सकते हैं।

11. गणेश चतुर्थी पर शाम के समय घर में ही गणपति अर्थवशीर्ष का पाठ करें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाएं। इसी प्रसाद से अपना व्रत खोलें और भगवान श्रीगणेश से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
🙏🙏🙏हर हर महादेव हर 🙏🙏🙏
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*झूठा अभिमान*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*झूठा अभिमान*

*एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी। हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी।*

*मक्खी बहुत भिनभिनाई आवाज की, और कहा, ‘भाई! तुझे कोई तकलीफ हो तो बता देना।* वजन मालूम पड़े तो खबर कर देना, मैं हट जाऊंगी।’ लेकिन हाथी को कुछ सुनाई न पड़ा। फिर *हाथी एक पुल पर से गुजरने लगा बड़ी पहाड़ी नदी थी, भयंकर गङ्ढ था, मक्खी ने कहा कि ‘देख, दो हैं, कहीं पुल टूट न जाए!* अगर ऐसा कुछ डर लगे तो मुझे बता देना। मेरे पास पंख हैं, मैं उड़ जाऊंगी।’
हाथी के कान में थोड़ी-सी कुछ भिनभिनाहट पड़ी, पर उसने कुछ ध्यान न दिया। *फिर मक्खी के बिदा होने का वक्त आ गया। उसने कहा, ‘यात्रा बड़ी सुखद हुई, साथी-संगी रहे, मित्रता बनी, अब मैं जाती हूं, कोई काम हो, तो मुझे कहना, तब मक्खी की आवाज थोड़ी हाथी को सुनाई पड़ी, उसने कहा,  ‘तू कौन है कुछ पता नहीं, कब तू आयी, कब तू मेरे शरीर पर बैठी, कब तू उड़ गयी, इसका मुझे कोई पता नहीं है।* लेकिन मक्खी तब तक जा चुकी थी सन्त कहते हैं, ‘हमारा होना भी ऐसा ही है। इस बड़ी पृथ्वी पर हमारे होने, ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

*हाथी और मक्खी के अनुपात से भी कहीं छोटा, हमारा और ब्रह्मांड का अनुपात है। हमारे ना रहने से क्या फर्क पड़ता है? लेकिन हम बड़ा शोरगुल मचाते हैं।* वह शोरगुल किसलिये है? वह मक्खी क्या चाहती थी? वह चाहती थी हाथी स्वीकार करे, तू भी है; तेरा भी अस्तित्व है, वह पूछ चाहती थी। *हमारा अहंकार अकेले तो नहीं जी सक रहा है। दूसरे उसे मानें, तो ही जी सकता है।* इसलिए हम सब उपाय करते हैं कि किसी भांति दूसरे उसे मानें, ध्यान दें, हमारी तरफ देखें; उपेक्षा न हो।

*सन्त विचार- हम वस्त्र पहनते हैं तो दूसरों को दिखाने के लिये, स्नान करते हैं सजाते-संवारते हैं ताकि दूसरे हमें सुंदर समझें। धन इकट्ठा करते, मकान बनाते, तो दूसरों को दिखाने के लिये। दूसरे देखें और स्वीकार करें कि तुम कुछ विशिष्ट हो, ना की साधारण।*

*तुम मिट्टी से ही बने हो और फिर मिट्टी में मिल जाओगे,  तुम अज्ञान के कारण खुद को खास दिखाना चाहते हो वरना तो तुम बस एक मिट्टी के पुतले हो और कुछ नहीं।*  अहंकार सदा इस तलाश में है–वे आंखें मिल जाएं, जो मेरी छाया को वजन दे दें।

*याद रखना आत्मा के निकलते ही यह मिट्टी का पुतला फिर मिट्टी बन जाएगा इसलिए अपना झूठा अहंकार छोड़ दो और सब का सम्मान करो क्योंकि जीवों में परमात्मा का अंश आत्मा है..!!*
   *🙏जय जय श्री राधे🙏*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कविता ।।*"अनुभव कहता है*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कविता ।।

*"अनुभव कहता है*

*खामोशियाँ ही बेहतर हैं,*
*शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."*

 *जिंदगी गुजर गयी....*
 *सबको खुश करने में ..*
*जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,*
*जो अपने थे वो कभी खुश नहीं* *हुए...*

*कितना भी समेट लो..* 
*हाथों से फिसलता ज़रूर है..*

*ये वक्त है साहब..*
*बदलता ज़रूर है..*

*मेहनत लगती है सपनो को सच बनाने में*

*हौसला लगता है बुलन्दियों को पाने में*

*बरसो लगते है जिन्दगी बनाने में*

*और जिन्दगी फिर भी* *कम पडती है रिश्ते निभाने में*....🌹🙏जय श्री कृष्ण🙏🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। जीवन का सुंदर मर्मज्ञ ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। जीवन का सुंदर मर्मज्ञ ।।

🌹🙏
*एक दिन मेरा*
     *मोबाइल चलते-चलते*
           *धीरे चलने लगा*
      *तो कभी हैंग होने लगा*
           *एक जानकार ने बताया*
      *इसे हल्का करना जरूरी है*
       *फोन ओवरलोड हो गया है*
   *इसलिए चलने में दिक्कत करता है*
*मैंने बेकार की तस्वीरें, फाइलें, डाटा डीलीट कर दिये*
           *चमत्कार सा हो गया।* 
           *फोन चलने ही नहीं, दौड़ने लग गया*

           *फोन क्या चलने लगा*
       *दिमाग का इंजन दौड़ने लगा*
                *मन में आया*
     *यदि अनपेक्षित सामग्री मिटाने से* 
     *एक निर्जीव फोन तीव्र गति से*
                 *चल सकता है,*
     *तो मन में भरी हुई, जमी हुई*  
         *अनावश्यक यादगारें,*
   *अप्रिय घटनाएँ, वैर विरोध की*
         *भावनाएँ आदि-आदि*  
  *सारी नकारात्मकताएँ मिटा दी*
                     *जाएँ,*
               *भूला दी जाएं,*
     *तो आत्मा का पट सद्विचारों,*
       *सकारात्मकताओं के लिए* 
               *खाली हो जाए।*

               *जीवन बहुत  छोटा है।*
   *क्यों न खुल कर आनन्द से जीया जाए*
🌹🌹🙏🙏जय श्री कृष्ण🙏🙏🌹🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...