https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 09/01/20

*_पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पितरों की आत्मा हो जाती है नाराज_*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*_पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पितरों की आत्मा हो जाती है नाराज_*

1 पितृपक्ष में सनातन धर्म के लोग अपने पितरों की पूजा-अर्चना और पिंडदान करते हैं। इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 17 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किए जाते हैं। इसलिए इस पूजा को विधि-पूर्वक किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही से पितर नाराज हो जाते हैं। इसलिए इसको करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना गया है।  धयान रखे कि पितृपक्ष के दौरान आपको कौन सी चीजें ध्यान में रखनी चाहिए, जिससे आपकी पूजा बिना किसी गलती के पूरी हो सके…

2. ऐसे बर्तनों का ना करें प्रयोग

श्राद्ध कर्म के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में लोहे के बर्तन के प्रयोग करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष में लोहे के अलावा तांबा, पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।


3. न करें इनका प्रयोग

पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो उस दिन शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ना ही पान खाना चाहिए। इसके साथ ही दूसरे के घर का खाना पितृपक्ष में वर्जित बताया है और इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।


4  न करें शुभ कार्य शुरू

पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान परिवार में एकतरह से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, साथ ही नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।
5 नहीं करना चाहिए इनका अपमान

पितृपक्ष के दौरान भिखारी या फिर किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए। इसके साथ ही पशु-पक्षी जैसे कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसरा, पूर्वज इस दौरान किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं।

6  पुरुष ध्यान रखें यह चीज

पितृपक्ष में जो पुरुष अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें दाढ़ी और बाल नहीं कटवाना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान दाढ़ी और बाल कटवाने से धन की हानि होती है क्योंकि यह शोक का समय माना जाता है।

7  पितरों के लिए ऐसा भोजन उत्तम

पितृपक्ष में घर पर बनाए गए सात्विक भोजन से ही पितरों को भोग लगाना उत्तम माना गया है। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो उस दिन पिंडदान भी करना चाहिए। अन्यथा पितृपक्ष के आखिरी दिन भी पिंडदान अथवा तर्पण विधि से पूजा कर सकते हैं।
जय श्री कृष्ण...!!!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*🔥सर्मपण और अहंकार🔥*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*🔥सर्मपण और अहंकार🔥*

       *पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर लटक रहा नारियल रोज नीचे नदी मेँ पड़े पत्थर पर हंसता और कहता।*

     *" तुम्हारी तकदीर मेँ भी बस एक जगह पड़े रह कर, नदी की धाराओँ के प्रवाह को सहन करना ही लिखा है, देखना एक दिन यूं ही पड़े पड़े घिस जाओगे।*

      *मुझे देखो कैसी शान से उपर बैठा हूं?  पत्थर रोज उसकी अहंकार भरी बातोँ को अनसुना कर देता।*

       *समय बीता एक दिन वही पत्थर घिस घिस कर गोल हो गया और  विष्णु प्रतीक शालिग्राम के रूप मेँ जाकर, एक मन्दिर मेँ प्रतिष्ठित हो गया ।*

     *एक दिन वही नारियल उन शालिग्राम जी की पूजन सामग्री के रूप मेँ मन्दिर  मेँ लाया गया।*
     *शालिग्राम ने नारियल को पहचानते हुए कहा " भाई . देखो घिस घिस कर परिष्कृत होने वाले ही प्रभु के प्रताप से, इस स्थिति को पहुँचते हैँ।*

     *सबके आदर का पात्र भी बनते है, जबकि अहंकार के मतवाले अपने ही दभं के डसने से नीचे आ गिरते हैँ।*

      *तुम जो कल आसमान मे थे, आज से मेरे आगे टूट कर, कल से सड़ने भी लगोगे, पर मेरा अस्तित्व अब कायम रहेगा..*

*भगवान की दृष्टि मेँ मूल्य.. समर्पण का है अहंकार का नहीं।*
*जय श्री कृष्णा*
😊🙏🏻😊
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कलियुग का वर्णन!!!!!!गोस्वामी तुलसीदासजी श्रीमद्भागवद और रामायण के अनुसार ही रामचरित के उत्तर कांड में काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्म कथा और कलि महिमा का वर्णन करने का उल्लेख करते हैं।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

कलियुग का वर्णन!!!!!!

गोस्वामी तुलसीदासजी श्रीमद्भागवद और रामायण के अनुसार ही रामचरित के उत्तर कांड में काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्म कथा और कलि महिमा का वर्णन करने का उल्लेख करते हैं।
 
कई हजार वर्ष पूर्व भागवत में शुकदेवजी ने जिस बारीकी से और विस्तार के साथ कलयुग का वर्णन किया है वह हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है। आज उसी वर्णन अनुसार ही घटनाएं घट रही है और आगे भी जो लिखा है वैसा ही घटेगा। 

कलियुग यानी काला युग, कलह-क्लेश का युग, जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हों, वह युग ही कलियुग है। इस युग में धर्म का सिर्फ एक चैथाई अंश ही रह जाता है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता है। कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा, जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे। कलियुग के अंत और कल्कि अवतार के संबंध में अन्य पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है।
 

 क्या होगा कलियुग के अंत में??????

 
मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी : पांच वर्ष की उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेगी। 16 वर्ष में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु को प्रा‍प्त हो जाएंगे। इंसान का शरीर घटकर बोना हो जाएगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी, युवावस्था समाप्त हो जाएगी। कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे। 

श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं, ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा।...अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।...कलयुग के अंत में...जिस समय कल्कि अवतार अव‍तरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे। गौएं भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी।.

 
क्या खाएगा मनुष्य ???????

कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी। होगी तो वह बकरी समान होगी। एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद कर देगी। 
 
कैसा मनुष्यों का स्वभाव : - स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी। वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेगी। मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुस्सह, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा। लोग विषयी हो जाएंगे। धर्म-कर्म का लोप हो  जाएगा। मनुष्य जपरहित नास्तिक व चोर हो जाएंगे। सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा। जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा।
 

पुत्र, पिता का और पिता पुत्र का वध करके भी उद्विग्न नहीं होंगे। अपनी प्रशंसा के लिए  लोग  बड़ी-बड़ी बातें  बनायेंगे  किन्तु  समाज  में  उनकी निन्दा नहीं होगी। उस समय सारा  जगत्  म्लेच्छ हो जाएगा- इसमें संशयम नहीं। एक हाथ दूसरे हाथ को लूटेगा।
 
कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा। बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।

 
कलियुग के अंत में होगी क्यों प्रलय?????

 
श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं, ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा।...अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।...

महाप्रलय : - बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।
 
कलियुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे। लोग मकानों में नहीं रहेंगे। लोग गड्डे खोदकर रहेंगे। धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश नष्ट हो जाएगा। भूकंप आया करेंगे।... 
 
महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।...जल में फिर से जीव उत्पत्ति की शुरुआत होगी।
 
महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा। कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे। कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा।

कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। स्त्रियों को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा। कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा धन उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा। कलयुग की स्त्रियां अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैदा करने वाले पुरुषो में उनकी आसक्ति होगी। कलयुग में सब लोग सदा सबके लिए समानता का दावा करेंगे।
 
कलयुग की प्रजा बाड़ और सूखे के भय से व्याकुल रहेगी। सबके नेत्र आकाश की ओर लगे रहेंगे। वर्षा न होने से मनुष्य तपस्वी लोगो की तरह फल मूल व् पत्ते खाकर और कितने ही आत्मघात कर लेंगे। कलयुग में सदा अकाल ही पड़ता रहेगा। सब लोग हमेशा किसी न किसी कलेशो से घिरे रहेंगे। किसी-किसी तो थोड़ा सुख भी मिल जाएगा। सब लोग बिना स्नान करे ही भोजन करेंगे। देव पूजा अतिथि-सत्कार श्राद्ध और तर्पण की क्रिया कोई नहीं करेगा। कलयुग की स्त्रियां लोभी, नाटी, अधिक खानेवाली और मंद भाग्य वाली होंगी। गुरुजनों और पति की आज्ञा का पालन नहीं करेंगी तथा परदे के भीतर भी नहीं रहेंगी। अपना ही पेट पालेंगी, क्रोध में भरी रहेंगी। देह शुधि की ओर ध्यान नहीं देंगी तथा असत्य और कटु वचन बोलेंगी। इतना ही नहीं, वे दुराचारी पुरुषों से मिलने की अभिलाषा करेंगी।
 
ब्रह्मचारी लोग वेदों में कहे गए व्रत का पालन किए बिना ही वेदाध्यापन करेंगे। गृहस्थ पुरुष न तो हवन करेंगे न ही सत्पात्र को उचित दान देंगे। वनों में रहने वाले वन के कंद-मूल आदि से निर्वाह न करके ग्रामीण आहार का संग्रह करेंगे और सन्यासी भी मित्र आदि के स्नेह बंधन में बंधे रहेंगे। कलयुग आने पर राजा प्रजा की रक्षा न करके बल्कि कर के बहाने प्रजा के ही धन का अपहरण करेंगे। अधम मनुष्य संस्कारहीन होते हुए भी पाखंड का सहारा लेकर लोगों ठगने का काम करेंगे । उस समय पाखंड की अधिकता और अधर्म की वृद्धि होने से लोगो की आयु कम होती चली जाएगी। उस समय पांच, छह अथवा सात वर्ष की स्त्री और आठ, नौ, या दस वर्ष के पुरुषों से ही संतान होने लगेंगी। घोर कलयुग आने पर मनुष्य बीस वर्ष तक भी जीवित नहीं रहेंगे। उस समत लोग मंदबुद्धि, व्यर्थ के चिन्ह धारण करने वाले बुरी सोच वाले होंगे।
 
लोग ऋण चुकाए बिना ही हड़प लेंगे तथा जिसका शास्त्र में कहीं विधान नहीं है ऐसे यज्ञों का अनुष्ठान होगा। मनुष्य अपने को ही पंडित समझेंगे और बिना प्रमाण के ही सब कार्य करेंगे। तारों की ज्योति फीकी पड़ जाएगी, दसों दिशाएं विपरीत होंगी। पुत्र पिता को तथा बहुएं सास को काम करने भेजेंगी। कलयुग में समय के साथ-साथ मनुष्य वर्तमान पर विश्वास करने वाले, शास्त्रज्ञान से रहित, दंभी और अज्ञानी होंगे। जब जगत के लोह सर्वभक्षी हो जाएं, स्वंय ही आत्मरक्षा के लिए विवश हो तथा राजा उनकी रक्षा करने में असमर्थ हो जाएंगे तब मनुष्यों में क्रोध-लोभ की अधिकता हो जाएगी।
 
कलयुग के अंत के समय बड़े-बड़े भयंकर युद्ध होंगे, भारी वर्षा, प्रचंड आंधी और जोरों की गर्मी पड़ेगी। लोग खेती काट लेंगे, कपड़े चुरा लेंगे, पानी पिने का सामान और पेटियां भी चुरा ले जाएंगे। चोर अपने ही जैसे चोरों की संपत्ति चुराने लगेंगे। 

हत्यारों की भी हत्या होने लगेगी, चोरों से चोरों  का नाश हो जाने के कारण जनता का कल्याण होगा। युगान्त्काल में मनुष्यों की आयु अधिक से अधिक तीस वर्ष की होगी। लोग दुर्बल, क्रोध-लोभ, तथा बुड़ापे और शोक से ग्रस्त होंगे। उस समय रोगों के कारण इन्द्रियां क्षीण हो जाएंगी। फिर धीरे-धीरे लोग साधू पुरुषों की सेवा, दान, सत्य एवं प्राणियों की रक्षा में तत्पर होंगे। 

इससे धर्म के एक चरण की स्थापना होगी। उस धर्म से लोगों को कल्याण की प्राप्ति होगी। लोगों के गुणों में परिवर्तन होगा और धर्म से लाभ होने का अनुमान होने लगेगा। फिर श्रेष्ठ क्या है, इस बात पर विचार करने से धर्म ही श्रेष्ठ दिखाई देगा। 

जिस प्रकार क्रमशः धर्म की हानि हुई थी, उसी प्रकार धीरे-धीरे प्रजा धर्म की वृद्धि को प्राप्त होगी। इस प्रकार धर्म को पूर्णरूप से अपना लेने पर सब लोग सत्ययुग देखेंगे। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।। जय श्री कृष्णा मित्रगण।।जय श्री सीताराम जी
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी महेनत का फल ।। 🌧️🌥️🌧️🌥️🌧️🌥️🌧️🌧️🌥️🌧️🌥️

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी महेनत का फल ।। 

🌧️🌥️🌧️🌥️🌧️🌥️🌧️🌧️🌥️🌧️🌥️

एक बार बादलों की हड़ताल हो गई बादलों ने कहा अगले दस साल पानी नहीं बरसायेंगे। ये बात जब किसानों ने सुनी तो उन्होंने अपने हल वगैरह पैक कर के रख दिये लेकिन एक किसान अपने नियमानुसार हल चला रहा था। कुछ बादल थोड़ा नीचे से गुजरे और किसान से बोले क्यों भाई पानी तो हम बरसाएंगे नहीं फिर क्यों हल चला रहे हो? 
किसान बोला कोई बात नहीं जब बरसेगा तब बरसेगा लेकिन मैं हल इसलिए चला रहा हूँ कि मैं दस साल में कहीं हल चलाना न भूल जाऊँ। अब बादल भी घबरा गए कि कहीं हम भी बरसना न भूल जाएं। तो वो तुरंत बरसने लगे और उस किसान की मेहनत जीत गई। जिन्होंने सब सामग्री बांध करके रख दिया वो हाथ मलते ही रह गए , *सो लगे रहो भले ही परिस्थितियां अभी हमारे विपरीत है , लेकिन आने वाला समय निःसंदेह हमारे लिये अच्छा होगा ।*

Moral of the Story : --- *कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी पुरुषार्थ करना नहीं छोड़ते हैं l*

*आज़ नहीं तो कल होगा, निश्चय ही समस्या का हल होगा! प्रभु के यहां देर हो सकती हैं, पर अंधेर नहीं!!*

*🌷जय श्री राम 🙏 🌹
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।एक सुबह, अभी सूरज निकला भी नहीं था

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

एक सुबह, अभी सूरज निकला भी नहीं था और एक मांझी नदी के किनारे पहुंच गया था।

उसका पैर किसी चीज़ से टकरा गया, झुककर देखा तो पत्थरों से भरा एक झोला पड़ा था। उसने अपना जाल किनारे पर रख दिया और सुबह के सूरज उगने की प्रतीक्षा करने लगा कि सूरज उग आये तो वह अपना जाल फेंके और मछलीयां पकड़े। वह जो झोला उसे मिला था जिसमें पत्थर पड़े थे, वह एक एक कर पत्थर निकालकर शांत नदी में फेंकने लगा, सुबह के सन्नाटे में उन पत्थरों के गिरने की छपाक की आवाज सुनता फिर दूसरा पत्थर फेंकता।

धीरे धीरे सुबह का सूरज निकला, रौशनी हुई तब तक उसने झोले के सारे पत्थर फेंके दिये थे, सिर्फ एक ही पत्थर उसके हाथ में रह गया था। सूरज की रोशनी में देखते ही उसके हृदय की धड़कन बंद हो गयी,सांस रूक गयी।

 उसने जिन्हें पत्थर समझ कर नदी में फेंक दिया था, वे हीरे-जवाहरात थे; लेकिन अब तो हाथ में बचा था अंतिम टुकड़ा और वह पूरे झोले को फेंक चुका था, वह रोने लगा कि इतनी संपदा उसे मिल गयी थी जो अनंत जन्मों के लिए काफी थी लेकिन अंधेरे में, अंजान, अपरिचित उसने सारी संपदा को फेंक दिया।
लेकिन फिर भी वो मछुआ सौभाग्यशाली था, क्योंकि अंतिम पत्थर फेंकने से पहले सूरज निकल आया था और उसे दिखाई पड़ गया कि उसके हाथ में हीरा है। 

हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही व्यतीत हो जाता है, हमें पता ही नहीं चलता कि जीवन क्या है ! हम उसे यूं ही गंवा देते हैं!
जीवन में कौन -सा राज़, कौन -सा आनंद, कौन -सा स्वर्ग, कौन -सी मुक्ति छुपी है उन सब का अनुभव भी नहीं होता और जीवन हाथ से निकल जाता है।

जीवन में बहुत कुछ छुपा है इन पत्थरों और मिट्टी के बीच में! अगर खोजने वाली आंखें हों तो जीवन से वह सीढ़ी भी निकलती है जो परमात्मा तक पहुंचा देती है।

इस साधारण सी देह में जो आज जन्मती है कल मर जाती है और मिट्टी हो जाती है !

 🙏जय हो माई की🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। आज का भगवद चिन्तन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। आज का भगवद चिन्तन ।।
            
   🙏 *!! अनंत चतुर्दशी की मंगल बधाई !!*🙏

  🚩    जीवन में कोई भी चीज इतनी खतरनाक नहीं जितना भ्रम में और डांवाडोल की स्थिति में रहना है। आदमी स्वयं अनिर्णय की स्थिति में रहकर अपना नुकसान करता है। सही समय पर और सही निर्णय ना लेने के कारण ही व्यक्ति असफल भी होता है।

   🚩       यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ? महत्वपूर्ण यह है कि आप स्वयं के बारे में क्या सोचते हैं ? स्वयं के प्रति एक क्षण के लिए नकारात्मक ना सोचें और ना ही निराशा को अपने ऊपर हावी होने दें।
    🚩      सफ़ल होने के लिए 3 बातें बड़ी आवश्यक हैं। सही फैसले लें, साहसी फैसले लें और सही समय पर लें। आगे  बढ़ने के लिए आवश्यक है कि प्रयास की अंतिम सीमाओं तक पहुंचा जाए।

शुभ अनंत चतुर्दशी !
जय श्री राधे कृष्ण !!
🌹🙏🌹🙏🌹
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

🌾🌿जय श्री हरि जय श्री राम जी🌾🌿 🌷जासु नाम बल संकर कासी। 🌷देत सबहि सम गति अबिनासी।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ....
जय द्वारकाधीश...!

🌾🌿जय श्री हरि जय श्री राम जी🌾🌿

 🌷जासु नाम बल संकर कासी।
 🌷देत सबहि सम गति अबिनासी।। 

✍🏿....भगवन्नाम के बल से शंकर जी काशी में मरने वालों को मुक्ति देते ही रहते हैं। 

🌾‘कासी मरत जन्तु अवलोकी। 
 🌿जासु नाम बल करउँ बिसोकी।।

✍🏿..... काशी में मरते हुए जीव को यदि मैं देख लेता हूँ तो  - हे पार्वती! उन परम प्रभु के नाम अर्थात् ओम् के बल से मैं उसे अविनाशी पद प्रदान कर देता हूँ। इसलिए शंकर जी की शरण में जो कोई आया, जैसे– कागभुशुण्डि, उन सबको भगवान की भक्ति प्रदान कर दिया। पहले तो उन्हें श्राप दिया कि गुरु महाराज आये, तू बैठा रह गया! कागभुशुण्डि के गुरु महाराज ने बीच-बचाव किया कि इस गरीब का तो कोई दोष ही नहीं है–

🌿तव माया बस जीव जड़, संतत फिरइ भुलान।
🌾तेहि पर क्रोध न करिअ प्रभु, कृपा सिंधु भगवान।।

🌹प्रभो! यह तो जीव है, जड़ है, आपकी माया से विवश होकर भूला भटक रहा है। जैसे आपकी माया ने नचाया, वैसे ही नाच रहा है बेचारा! जब आपकी कृपादृष्टि पड़ ही गयी है तो इसका परम कल्याण कर डालें। भगवान शिव ने कहा– यह दुष्ट इसी लायक था। गुरु महाराज की साधुता देख भगवान शिव ने उसे क्षमा किया, आशीर्वाद भी दिया–

  🌿पुरी प्रभाव अनुग्रह मोरें।
 🌾राम भगति उपजिहि उर तोरें।। 

.....एक तो अवधपुरी में तुम्हारा जन्म हुआ उसका प्रभाव; मेरी सेवा की है उसके अनुग्रह से तुम्हारे हृदय में रामभक्ति का उदय होगा। उन्होंने मुक्ति नहीं दिया, राम की भक्ति दे दिया–
🌿सिव सेवा कर फल सुत सोई। 
🌿अबिरल भगति राम पद होई।। 

✍🏿....शिवसेवा का फल है भगवान राम की अविरल भक्ति, जो एक बार जागृत होने पर स्थिति प्राप्त कराकर ही दम लेती है। बीच में कोई रुकावट नहीं, कहीं व्यवधान नहीं।

🌾बिनु छल विस्वनाथ पद नेहू। 
🌾राम भगत कर लच्छन एहू।। 

✍🏿.....बिना छल-कपट के विश्व के नाथ शिव के चरणों में प्रीति रामभक्त के लक्षण हैं। भक्ति करे शंकर जी की, पा जायें राम को! भोजन आप करें, पेट हमारा भर जाय! वास्तव में ऐसा ही है; क्योंकि शंकर आदि सद्गुरु थे, योगेश्वर थे।

🌷जेहि पर कृपा न करहिं पुरारी। 
🌷सो न पाव मुनि भगति हमारी।। 
🌿सत्, रज और तम– इन तीनों पुरों का अन्त करने वाले त्रिपुरारी भोलेनाथ शिव जिस पर कृपा न करें कोई भगवान की भक्ति नहीं पा सकता, यह भगवान स्वयं कह रहे हैं। 

🌾‘संकर भजन बिना नर, भगति न पावइ मोरि।’ 🌾

.✍🏿... भगवान राम बार-बार इस पर बल दे रहे हैं कि भगवान शिव में समर्पण के बिना कोई भक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। साधना के आरम्भ में जब तक राम-नाम हृदय से जागृत नहीं हो जाता, तब तक हम-आप कोई भी नाम जप सकते हैं, उसके पश्चात् आपको ओम् या राम ही चुनना होगा। आदि शास्त्र गीता में ओम् जपने का निर्देश है, वैदिक ऋषि भी ओम् जपते थे। ओ माने वह अविनाशी, अहं अर्थात् मैं स्वयं! वह भगवान जो आपके हृदय-देश में निवास करते हैं।

       🌿🌷 हर हर भोले नमः शिवाय🌷🌿
 🌹🙏 जय श्री कृष्ण वंदन अभिनंदन मित्रों🙏🌹
    🌲शुभ एवं मंगलमय हो  🌲
आपकी और आपके परिवारजनों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों, भगवान श्री भोलेनाथ जी से यही मेरी कामना है. !!!  ऊँ नमः पार्वती पत्यै हर हर महादेव !!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*पितृपक्ष विशेष*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*पितृपक्ष विशेष*

पितृपक्ष 2 सितम्बर से आरम्भ हो रहे है और 17 सितम्बर तक रहेंगे। आप अपने कुल अथवा पारिवार की मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध आदि कर्म करें।

पितृदोष आदि से भयभीत होकर तथा पितरों की शांति हेतु  इधर उधर के उपायों या अत्यधिक पूजन-भजन आदि इस पक्षकाल में करने से बचना चाहिए। आपको अपने परिवार में चली आ रही परम्परा के अनुसार बस श्राद्ध कर्म करना है और तन मन से यथासंभव सात्विक और आध्यात्मिक रहना है। 

 *पितृ* और कोई नहीं यह आपके परिवार कुल से जुड़े हुए वह सदस्य हैं जिनका वंश आप चला रहे हैं इस अनंत कोटि ब्रह्मांड में 49 प्रकार की वायु में सूक्ष्म रूप से व्याप्त उनकी दिव्य चेतना आपको आगे बढ़ता हुआ देखकर प्रसन्न होती है और उन्नति के मार्ग में सहायक भी होती है लेकिन आप से आशा भी रखती है कि आप उनके लिए उनके नाम पर कुछ न कुछ अवश्य करें। अनिवार्य नहीं कि आप को उनके बारे में जानकारी हो, लेकिन यदि जानकारी है तो बहुत ही अच्छी बात है नहीं होने पर जो प्रयोग यहां बताए जा रहे हैं वह अवश्य करें जिससे आपके पितृ  प्रसन्न होकर आपको लाभ प्रदान करें और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें इसके साथ ही जिनके परिवार में सती मातेश्वरी का पूजन होता है वह सौभाग्य नवमी का तथा चतुर्दशी का श्राद्ध अवश्य रूप से करें व जिनको अपने पितृ की किसी भी तिथि का ध्यान नहीं है, वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन अवश्य रूप से श्राद्ध पिंडदान तर्पण जो भी यथासंभव है अवश्य करें

 वैसे तो पितरों  जलांजलि  अर्थात जल के तर्पण से जिसमें तिल और यव मिले हुए हो साथ ही पिंडदान और विष्णु सूक्त और पितृ सूक्त के पाठ से प्रसन्न होते हैं प्रतिदिन सूर्य व चंद्र को अर्घ्य देने से भी मातृ व पितृ कुल के पितृ प्रसन्न होते हैं किंतु आज के भागम भाग वाले युग में कुछ प्रयोग जो बता रहे हैं वह करने से भी लाभ मिल जाता है।

 आप शांत और प्रसन्न  होकर एक माला (108 बार) यह मंत्र 
 'ॐ पितृ दैवतायै नम:'
 ॐ कारण शरीराय विद्महे 
 दिव्य देहाय धीमहि 
तन्नो पितृ प्रचोदयात।।
सुबह, दोपहर अथवा संध्याकाल में किसी समय इन पंद्रह दिनों में प्रतिदिन जप लेंगें इतना ही आपकी सारी बाधाओं को हर लेगा और आपकी उन्नति के मार्ग खुल जाएंगे। 

पितरो को प्रसन्न करने को बस ये उपाय करें-
1. जब आप अपने कुलपरिवार  की चली आ रही धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं का पालन करते हैं। 

2. जब आप गाय, कौवा, कुत्ते और किसी विकलांग के लिए प्रतिदिन कुछ भोजन निकालते हैं।

3. प्रत्येक रात्रि चंद्रमा का थोड़ी देर दर्शन करते हैं और दूध तथा जल को नष्ट नहीं करते हैं। 

4. अपना सूर्य, बृहस्पति और चंद्रमा ग्रह अच्छा रखते हैं अर्थात पिता, माँ, गुरु, ज्ञानी, पुजारी, स्त्रियों  आदि को उचित मान सम्मान देते हैं। 

5.  प्रतिदिन भवन में जल पीने का स्थान जिसे परिंडा कहा जाता है वहां पर दो मटकी या कलश के पास दो बत्ती वाला दीपक लगाएं साथ ही कच्चे दूध में शहद मिलाकर पितरों के नाम पर निवेद्य स्वरूप में अर्पण करें और वह प्रसाद परिवार के लोग लेवे।

6.प्रति अमावस्या पूर्णिमा घर में  गोमूत्र गंगाजल का छिड़काव कर गूगल का धूप लगावें।

7. परिवार के प्रत्येक सदस्य से स्नेह पूर्ण व्यवहार करें चाहे बड़े हो सम वयस्क हो या छोटे हो माता-पिता पत्नी बच्चे सभी से जितना स्नेहमय व्यवहार होगा उतना लाभ अधिक मिलेगा।

8. यह विशेष प्रयोग है - 
 एक प्लेट में कुशा रख लीजिए उसके ऊपर एक दीपक प्रज्वलित कीजिए जिसमें गोल बाती हो और साथ ही कपूर पर चलाइए अपने घर में जो भी देवस्थान है वहां से आरंभ कीजिए उन्हें दर्शन कराते हुए संध्या समय घर के प्रत्येक कमरे में उसे घुमाइए और जल पीने का जो स्थान है वहां पर ले जाकर रख दीजिए प्रतिदिन कीजिए कपूर लगातार जलता रहे उतना ले कि जब तक आप वहां रखें उसके बाद भी कुछ समय कपूर जले चमत्कारिक रूप से आपको परिणाम सामने आने लगेंगे।
*।।जय जय श्री राम।।*
*।।हर हर महादेव..हर....।।*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*👉रुद्राक्ष संस्कार ::-************

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*👉रुद्राक्ष संस्कार ::-

************

जो व्यक्ति बिना मन्त्र से अभिमंत्रित किये रुद्राक्ष धारण करता है, वह 14 इन्द्रों के कालपर्यंत नरक में वास करता है ।
अतएव रुद्राक्ष का संस्कार आवश्यक है ।
पंचगव्य तथा पंचामृत से रुद्राक्ष का प्रक्षालन करके उस पर इन मन्त्रों-

''ॐ नमः शिवाय'', 

''ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ''

और 

''ॐ हौं अघोरे ॐ हौं घोरे हुं घोरतरे ॐ ह्रैं ह्रीं सर्वतः सर्वेभ्यो नमस्ते रूद्ररूपिणे'' ।
का जप करे,

फिर एक एक रुद्राक्ष पर जितने मुखी का हो उनके मंत्रों का 100 बार जप करे ।

1. एकमुखी- ॐ ऊं भृशं नमः ।

2. दोमुखी- ॐ ऊं नमः ।

3. तीनमुखी- ॐ ह्रां नमः ।

4. चारमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

5. पांचमुखी- ॐ हुं नमः ।

6. छःमुखी- ॐ हूं नमः ।

7. सातमुखी- ॐ ऊं हुं हूं नमः ।

8. आठमुखी- ॐ सं हुं नमः ।

9. नौमुखी- ॐ हुं नमः ।

10. दशमुखी- ॐ हं नमः ।

11. एकादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

13. तेरहमुखी- ॐ क्षां क्षौं नमः ।

14. चौदहमुखी- ॐ नमो नमः ।
👉अब इनको धारण करने का मंत्र:-

1. एकमुखी- ॐ ऐं ।

2. दोमुखी- ॐ श्रीं ।

3. तीनमुखी- ॐ ध्रुं ध्रुं ।

4. चारमुखी- ॐ हां हूंः ।

5. पांचमुखी- ॐ ह्रीं ।

6. छःमुखी- ॐ ऐं ह्रीं ।

7. सातमुखी- ॐ ह्रीं ।

8. आठमुखी- ॐ रुं रं ।

9. नौमुखी- ॐ ह्रां ।

10. दशमुखी- ॐ ह्रीं ।

11. एकादशमुखी- ॐ श्रीं ।

12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रां ह्रीं ।

13. तेरहमुखी- ॐ क्षौं स्रौं ।

14. चौदहमुखी- ॐ डं मां ।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷


एक मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को साक्षात् भगवान शिव का ही रूप माना गया है | इसकी उत्पत्ति बहुत कम होती है | अतः इसे प्राप्त कर पाना बहुत ही दुर्लभ है | एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य जनित दोषों को समाप्त करता है | इसे धारण करने से नेत्र संबधी रोग , ह्रदय रोग , पेट रोग और हड्डी के रोगों से मुक्ति मिलती है | इस धारण करने से सांसारिक , मानसिक ,शारीरिक और देवीय कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ -साथ आत्म मनोबल में वृद्धि होती है | राशि अनुसार कर्क , सिंह और मेष राशि के व्यक्ति इसे धारण करें तो उनके लिए यह अधिक उत्तम होता है |  असली एक मुखी रुद्राक्ष को प्राप्त कर पाना बहुत ही मुश्किल है | अतः किसी विशेषज्ञ द्वारा असली एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान करने के पश्चात ही इसे धारण करना चाहिए | ऑनलाइन और ऊँची कीमत पर मिलने वाले रुदाक्ष को उनकी कीमत के आधार पर उनके असली व नकली होने की पहचान कदापि न करें |

दो मुखी रुद्राक्ष/ 2 Mukhi Rudraksha :-

दो मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को शिव शक्ति का स्वरुप माना जाता है | मष्तिष्क , ह्रदय , फेफड़ों  और नेत्र रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ  प्राप्त होता है | इसे धारण करने से भगवान अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते है | इसे धारण/dharan करने से पति – पत्नी के बीच प्रेम भाव बढ़ता है | गो हत्या के पाप का दोष इस रुद्राक्ष के धारण करने और इसकी नित्य पूजा करने से समाप्त हो जाता है | युवक- युवतियों के विवाह में यदि  विलम्ब हो रहा हो तो  इस रुद्राक्ष के धारण करने से शीघ्र शुभ परिणाम मिलते है | कर्क राशी वालो के लिए यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी है |

तीन मुखी रुद्राक्ष /3 Mukhi Rudraksha:- 

तीन मुखी रुद्राक्ष Rudraksha अग्नि देव का स्वरुप माना गया है इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है | नीरस बन चुके जीवन में फिर से  नई  उमंग जगाने के साथ -साथ  तीन मुखी रुद्राक्ष पेट से संबधित होने वाली सभी बिमारियों के लिए भी बहुत लाभदायक है

चार मुखी रुद्राक्ष /4 Mukhi Rudraksha:- 

चार मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को धारण करने से संतान प्राप्ति होते है | यह रुद्राक्ष बुद्धि को तीव्र करता है शरीर के रोगों को भी दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला विकसित होती है | वेदों और धार्मिक ग्रंथो के अध्यन में भी सफलता प्राप्त होती है | शिवमहापुराण  के अनुसार इस रुद्राक्ष को लम्बे समय तक धारण करने से और भगवान शिव के बीज मंत्रो का पाठ करने से जीव हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है |

पांच मुखी रुद्राक्ष/5 Mukhi Rudraksha :- 

पंच मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को सर्वगुण संपन्न कहा गया है | यह भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है   इसे सभी रुद्राक्षो में सबसे अधिक शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है |इसका अधिपति गृह बृहस्पति है  इसलिए बृहस्पति गृह के प्रतिकूल होने के कारण आने वाली समस्याएं  इस रुद्राक्ष के धारण करने से स्वतः दूर हो जाती है | पांच मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से जीवन में सुख -शांति और प्रसद्धि प्राप्त होती है | पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के नाम से विख्यात है पंचमुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का निवास माना गया है |

पंचमुखी रुद्राक्ष के धारण करने से रक्तचाप और मधुमेह सामान्य रहता है | पेट के रोगों में भी यह रुद्राक्ष लाभ पहुंचाता है | मन में आने वाले गलत विचारो को नियंत्रित कर मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है | राशि के अनुसार मेष , कर्क , सिंह , वृश्चिक , धनु और मीन राशी वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है |

छह मुखी रुद्राक्ष/ 6 Mukhi Rudraksha :-

छह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान शिव पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना गया है | शिव महापुराण अनुसार इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने और नियमित पूजा करने से ब्रह्म हत्या के पाप से सभी मुक्ति मिल सकती है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि का विकास होने के साथ -साथ  नेतृत्व करने की क्षमता भी विकसित होती है |  शरीर में आने वाले रोगों को भी दूर कर स्वस्थ जीवन प्रदान करता है | इस रुद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप जीवन में आने वाले सभी कष्ट स्वतः ही दूर होने लगते है | इस रुद्राक्ष के प्रधान देव शुक्र देव को माना गया है |

सात मुखी रुद्राक्ष /7 Mukhi Rudraksha :- 

सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्त्व करता है | माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर हमेशा बनी रहती है | घर में धन की वृद्धि होती है | सात मुखी रुद्राक्ष Rudraksha पर शनिदेव का प्रभाव माना गया है | इसलिए इसको धारण करने पर शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा बनाये रखते है | सप्तमुखी होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर में सप्धातुओं की रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है | जो व्यक्ति मानसिक बीमारी या जोड़ो के दर्द से परेशान है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए |

आठ मुखी रुद्राक्ष / 8 Mukhi Rudraksha : – 

आठ मुखी रुद्राक्ष भैरो देव जी का स्वरुप माना गया  है | और इसके प्रधान देव श्री गणेश जी है | इसे धारण करने से अष्टदेवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है | इसे धारण करने से इन्द्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति जागृत होती है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि , ज्ञान, धन और यश की प्राप्ति होती है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से और विधिवत पूजन करने से  पर स्त्री भोग के पाप से मुक्ति मिलती है | यह रुद्राक्ष जीवन की हर मुश्किलों को दूर कर रिद्धि -सिद्धि प्रदान करता है |आठ मुखी रुद्राक्ष राहू गृह से सम्बंधित है | अगर आपकी कुंडली में राहू दोष होने के कारण कठिनाइयाँ आ रही है तो इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें |

नौ मुखी रुद्राक्ष /9 Mukhi Rudraksha :- 

नौ मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को माँ भगवती की नौ शक्तियों  का प्रतीक माना गया है | इसके साथ -साथ कपिलमुनि और भैरोदेव की भी कृपा इस रुद्राक्ष पर है | इस रुद्राक्ष Rudraksha को धारण करने से शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है |   इस रुद्राक्ष का प्रधान गृह केतु है अतः यह  केतु गृह के कारण जीवन में आने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से कीर्ति , मान -सम्मान में वृद्धि होती है और मन को शांति मिलती है | माँ नवदुर्गा का स्वरुप होने के कारण यह रक्षा कवच का कार्य करता है | जो माँ दुर्गा की पूजा करते है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिये |

दस मुखी रुद्राक्ष/ 10 Mukhi Rudraksha :- 

इस रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से उपरी बाधाएं , भूत-प्रेत  जैसी नकारात्मक शक्तियां शरीर से दूर रहती है | तंत्र – मंत्र और साधनाएं करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए | पेट के रोगों में , गठिया ,दमा और नेत्र रोगों में यह रुद्राक्ष विशेष लाभ पहुंचाता है |

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष/ 11 Mukhi Rudraksha : –

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान शिव के 11 रुद्रों का प्रतीक माना गया है | भगवान शिव के 11वे अवतार हनुमान जी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने पर बनी रहती है | व्यापार में उन्नत्ति प्राप्त करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण/dharan करना चाहिए | इस रुद्राक्ष के धारण करने पर अकाल मृत्यु का भय नही रहता | धार्मिक अनुष्ठान , यज्ञ -हवन आदि धार्मिक कार्यों में यह रुद्राक्ष सफलता प्रदान करता है |

बारह मुखी रुद्राक्ष/ 12 Mukhi Rudraksha : – 

बारह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान महाविष्णु का स्वरुप माना गया है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से असाध्य से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते है | इस रुद्राक्ष के धारण/Dharan करने से ह्रदय , मष्तिस्क और उदर रोगों में लाभ प्राप्त होता है | गोवध और रत्नों की चोरी करने जैसे महापापों में इस रुद्राक्ष द्वारा मुक्ति प्राप्त होती है | यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओ से आपको बचाता है |

तेरह  मुखी रुद्राक्ष/ 13 Mukhi Rudraksha : –

तेरह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को स्वर्ग के राजा इन्द्रदेव का स्वरुप माना गया है | इसके साथ -साथ इसे धारण करने पर कामदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है | इस धारण करने से वशीकरण और किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण भी आता है | जिनके जीवन में प्रेम और ग्रहस्थ सुख की कमी हो उन्हें इस रुद्राक्ष Rudraksha को अवश्य धारण करना चाहिए | सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बनाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण/Dharan किया जा सकता है |

चौदह मुखी रुद्राक्ष/ 14 Mukhi Rudraksha : – 

चौदह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को साक्षात् हनुमान जी का स्वरुप माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए | भूत – प्रेत और उपरी बाधाएं इस रुद्राक्ष के धारण करने स्वतः अपना स्थान छोड़ देती है | यह रुद्राक्ष व्यक्ति को उर्जावान और निरोगी बनाता है | इस रुद्राक्ष Rudraksha के धारण/Dharan करने से साधना में सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है |*
हर हर महादेव हर....!!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

🔱🔆🐍🌙🔱🔆🐍🌙*_भगवान शिव के "35" रहस्य_*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🔱🔆🐍🌙🔱🔆🐍🌙

*_भगवान  शिव  के   "35"  रहस्य_*

*_आज  से  9  दिन  तक  प्रतिदिन  भगवान  शिव  के  4  रहस्य  शेयर  किए  जाएंगे ।  आज  केवल  तीन  ही  होंगे !  आइए  हम  अपनी  पौराणिक  जानकारी  बढ़ाएं !_*

*_भगवान  शिव  अर्थात  पार्वती  के  पति  शंकर  जिन्हें  महादेव,  भोलेनाथ,  आदिनाथ  आदि  कहा  जाता  है।  आइए  उन  भगवान  शिव  के   "35"  रहस्य  समझें:_*

            *_पहला  दिन_*

*_🔱1. आदिनाथ  शिव : -_ सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।*
*_🔱2. शिव  के  अस्त्र-शस्त्र : -_ शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।*

*_🔱3. भगवान  शिव  का  नाग : -_ शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।*

       *_कल  भी  जारी...._*
🔱🔆🐍🌙🔱🔆🐍🌙
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

(देव, ऋषि और पितृ सम्पूर्ण तर्पण विधि )〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

(देव, ऋषि और पितृ सम्पूर्ण तर्पण विधि )

〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️

।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।।

पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारंबार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।

क्या है तर्पण

〰️🌸🌸〰️

पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं।

श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं।

'हे अग्नि! हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञ को संपन्न करने वाले पितरों ने जैसे देहांत होने पर श्रेष्ठ ऐश्वर्य वाले स्वर्ग को प्राप्त किया है वैसे ही यज्ञों में इन ऋचाओं का पाठ करते हुए और समस्त साधनों से यज्ञ करते हुए हम भी उसी ऐश्वर्यवान स्वर्ग को प्राप्त करें।'- यजुर्वेद
ऋषि और पितृ तर्पण विधि

〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ 

तर्पण के प्रकार

〰️〰️🌸〰️〰️

पितृतर्पण, 
मनुष्यतर्पण, 
देवतर्पण, 
भीष्मतर्पण, 
मनुष्यपितृतर्पण, 
यमतर्पण

तर्पण विधि

〰️🌸🌸〰️

सर्वप्रथम पूर्व दिशा की और मुँह कर,दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर,सव्य होकर(जनेऊ व् अंगोछे को बांया कंधे पर रखें) गायत्री मंत्र से शिखा बांध कर, तिलक लगाकर, दोनों हाथ की अनामिका अँगुली में कुशों का  पवित्री (पैंती) धारण करें । फिर हाथ में त्रिकुशा ,जौ, अक्षत और जल लेकर संकल्प पढें—

ॐ विष्णवे नम: ३। हरि: ॐ तत्सदद्यैतस्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे अमुकसंवत्सरे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकगोत्रोत्पन्न: अमुकशर्मा (वर्मा, गुप्त:) अहं श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं देवर्पिमनुष्यपितृतर्पणं करिष्ये । 

तीन कुश ग्रहण कर निम्न मंत्र को तीन बार कहें- 

ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमोनमः। 

तदनन्तर एक ताँवे अथवा चाँदी के पात्र में श्वेत चन्दन, जौ, तिल, चावल, सुगन्धित पुष्प और तुलसीदल रखें, फिर उस पात्र में तर्पण के लिये जल भर दें । फिर उसमें रखे हुए त्रिकुशा को तुलसी सहित सम्पुटाकार दायें हाथ में लेकर बायें हाथ से उसे ढँक लें और  देवताओं का आवाहन करें ।

आवाहन मंत्र : ॐ विश्वेदेवास ऽआगत श्रृणुता म ऽइम, हवम् । एदं वर्हिनिषीदत ॥

‘हे विश्वेदेवगण  ! आप लोग यहाँ पदार्पण करें, हमारे प्रेमपूर्वक किये हुए इस आवाहन को सुनें और इस कुश के आसन पर विराजे ।

इस प्रकार आवाहन कर कुश का आसन दें और त्रिकुशा द्वारा दायें हाथ की समस्त अङ्गुलियों के अग्रभाग अर्थात् देवतीर्थ से ब्रह्मादि देवताओं के लिये पूर्वोक्त पात्र में से एक-एक अञ्जलि तिल चावल-मिश्रित जल लेकर दूसरे पात्र में गिरावें और निम्नाङ्कित रूप से उन-उन देवताओं के नाममन्त्र पढते रहें—
1.देवतर्पण:

〰️🌸🌸〰️

ॐ ब्रह्मास्तृप्यताम् ।

ॐ विष्णुस्तृप्यताम् ।

ॐ रुद्रस्तृप्यताम् ।

ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम् ।

ॐ देवास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ छन्दांसि तृप्यन्ताम् ।

ॐ वेदास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ ऋषयस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ पुराणाचार्यास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ गन्धर्वास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ इतराचार्यास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ संवत्सररू सावयवस्तृप्यताम् ।

ॐ देव्यस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ अप्सरसस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ देवानुगास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ नागास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ सागरास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ पर्वतास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ सरितस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ मनुष्यास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ यक्षास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ रक्षांसि तृप्यन्ताम् ।

ॐ पिशाचास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ सुपर्णास्तृप्यन्ताम् ।

ॐ भूतानि तृप्यन्ताम् ।

ॐ पशवस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ वनस्पतयस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ ओषधयस्तृप्यन्ताम् ।

ॐ भूतग्रामश्चतुर्विधस्तृप्यताम् ।
2.ऋषितर्पण

〰️〰️🌸〰️〰️

इसी प्रकार निम्नाङ्कित मन्त्रवाक्यों से मरीचि आदि ऋषियों को भी एक-एक अञ्जलि जल दें—

ॐ मरीचिस्तृप्यताम् ।

ॐ अत्रिस्तृप्यताम् ।

ॐ अङ्गिरास्तृप्यताम् ।

ॐ पुलस्त्यस्तृप्यताम् ।

ॐ पुलहस्तृप्यताम् ।

ॐ क्रतुस्तृप्यताम् ।

ॐ वसिष्ठस्तृप्यताम् ।

ॐ प्रचेतास्तृप्यताम् ।

ॐ भृगुस्तृप्यताम् ।

ॐ नारदस्तृप्यताम् ॥

3.मनुष्यतर्पण

〰️〰️🌸〰️〰️

उत्तर दिशा की ओर मुँह कर, जनेऊ व् गमछे को माला की भाँति गले में धारण कर, सीधा बैठ कर  निम्नाङ्कित मन्त्रों को दो-दो बार पढते हुए दिव्य मनुष्यों के लिये प्रत्येक को दो-दो अञ्जलि जौ सहित जल प्राजापत्यतीर्थ (कनिष्ठिका के मूला-भाग) से अर्पण करें—

ॐ सनकस्तृप्यताम् -2

ॐ सनन्दनस्तृप्यताम् – 2

ॐ सनातनस्तृप्यताम् -2

ॐ कपिलस्तृप्यताम् -2

ॐ आसुरिस्तृप्यताम् -2

ॐ वोढुस्तृप्यताम् -2

ॐ पञ्चशिखस्तृप्यताम् -2

4.पितृतर्पण

〰️🌸🌸〰️

दोनों हाथ के अनामिका में धारण किये पवित्री व त्रिकुशा को निकाल कर रख दे ,

अब दोनों हाथ की तर्जनी अंगुली में नया पवित्री धारण कर मोटक नाम के कुशा के मूल और अग्रभाग को दक्षिण की ओर करके  अंगूठे और तर्जनी के बीच में रखे, स्वयं दक्षिण की ओर मुँह करे, बायें घुटने को जमीन पर लगाकर अपसव्यभाव से (जनेऊ को दायें कंधेपर रखकर बाँये हाथ जे नीचे ले जायें ) पात्रस्थ जल में काला तिल मिलाकर पितृतीर्थ से (अंगुठा और तर्जनी के मध्यभाग से ) दिव्य पितरों के लिये निम्नाङ्कित मन्त्र-वाक्यों को पढते हुए तीन-तीन अञ्जलि जल दें—

ॐ कव्यवाडनलस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

ॐ सोमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

ॐ यमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

ॐ अर्यमा तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

ॐ अग्निष्वात्ता: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: – 3

ॐ सोमपा: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: – 3

ॐ बर्हिषद: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: – 3
5.यमतर्पण

〰️🌸🌸〰️

इसी प्रकार निम्नलिखित मन्त्रो को पढते हुए चौदह यमों के लिये भी पितृतीर्थ से ही तीन-तीन अञ्जलि तिल सहित जल दें—

ॐ यमाय नम: – 3

ॐ धर्मराजाय नम: – 3

ॐ मृत्यवे नम: – 3

ॐ अन्तकाय नम: – 3

ॐ वैवस्वताय नमः – 3

ॐ कालाय नम: – 3

ॐ सर्वभूतक्षयाय नम: – 3

ॐ औदुम्बराय नम: – 3

ॐ दध्नाय नम: – 3

ॐ नीलाय नम: – 3

ॐ परमेष्ठिने नम: – 3

ॐ वृकोदराय नम: – 3

ॐ चित्राय नम: – 3

ॐ चित्रगुप्ताय नम: – 3

6.मनुष्यपितृतर्पण

इसके पश्चात् निम्नाङ्कित मन्त्र से पितरों का आवाहन करें—

ॐ आगच्छन्तु मे पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम'  

ॐ हे पितरों! पधारिये तथा जलांजलि ग्रहण कीजिए। 

‘हे अग्ने ! तुम्हारे यजन की कामना करते हुए हम तुम्हें स्थापित करते हैं । यजन की ही इच्छा रखते हुए तुम्हें प्रज्वलित करते हैं । हविष्य की इच्छा रखते हुए तुम भी तृप्ति की कामनावाले हमारे पितरों को हविष्य भोजन करने के लिये बुलाओ ।’

तदनन्तर अपने पितृगणों का नाम-गोत्र आदि उच्चारण करते हुए प्रत्येक के लिये पूर्वोक्त विधि से ही तीन-तीन अञ्जलि तिल-सहित जल इस प्रकार दें—

अस्मत्पिता अमुकशर्मा  वसुरूपस्तृप्यतांम् इदं सतिलं जलं (गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

अस्मत्पितामह: (दादा) अमुकशर्मा रुद्ररूपस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं (गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

अस्मत्प्रपितामह: (परदादा) अमुकशर्मा आदित्यरूपस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं (गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: – 3

अस्मन्माता अमुकी देवी वसुरूपा तृप्यताम् इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नम: – 3

अस्मत्पितामही (दादी) अमुकी देवी  रुद्ररूपा तृप्यताम् इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नम: – 3

अस्मत्प्रपितामही परदादी अमुकी देवी आदित्यरूपा तृप्यताम् इदं सतिलं जल तस्यै स्वधा नम: – 3

इसके बाद नौ बार पितृतीर्थ से जल छोड़े।

इसके बाद सव्य होकर पूर्वाभिमुख हो नीचे लिखे श्लोकों को पढते हुए जल गिरावे—

देवासुरास्तथा यक्षा नागा गन्धर्वराक्षसा: ।  पिशाचा गुह्यका: सिद्धा: कूष्माण्डास्तरव: खगा: ॥

जलेचरा भूमिचराः वाय्वाधाराश्च जन्तव: । प्रीतिमेते प्रयान्त्वाशु मद्दत्तेनाम्बुनाखिला: ॥

नरकेषु समस्तेपु यातनासु च ये स्थिता: । तेषामाप्ययनायैतद्दीयते सलिलं मया ॥

येऽबान्धवा बान्धवा वा येऽन्यजन्मनि बान्धवा: । ते सर्वे तृप्तिमायान्तु ये चास्मत्तोयकाङ्क्षिण: ॥

अर्थ : ‘देवता, असुर , यक्ष, नाग, गन्धर्व, राक्षस, पिशाच, गुह्मक, सिद्ध, कूष्माण्ड, वृक्षवर्ग, पक्षी, जलचर जीव और वायु के आधार पर रहनेवाले जन्तु-ये सभी मेरे दिये हुए जल से भीघ्र तृप्त हों । जो समस्त नरकों तथा वहाँ की यातनाओं में पङेपडे दुरूख भोग रहे हैं, उनको पुष्ट तथा शान्त करने की इच्छा से मैं यह जल देता हूँ । जो मेरे बान्धव न रहे हों, जो इस जन्म में बान्धव रहे हों, अथवा किसी दूसरे जन्म में मेरे बान्धव रहे हों, वे सब तथा इनके अतिरिक्त भी जो मुम्कसे जल पाने की इच्छा रखते हों, वे भी मेरे दिये हुए जल से तृप्त हों ।’

ॐ आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवषिंपितृमानवा: । तृप्यन्तु पितर: सर्वे मातृमातामहादय: ॥

अतीतकुलकोटीनां सप्तद्वीपनिवासिनाम् । आ ब्रह्मभुवनाल्लोकादिदमस्तु तिलोदकम् ॥

येऽबान्धवा बान्धवा वा येऽन्यजन्मनि बान्धवा: ।ते सर्वे तृप्तिमायान्तु मया दत्तेन वारिणा ॥

अर्थ : ‘ब्रह्माजी  से लेकर कीटों तक जितने जीव हैं, वे तथा देवता, ऋषि, पितर, मनुष्य और माता, नाना आदि पितृगण-ये सभी तृप्त हों मेरे कुल की बीती हुई करोडों पीढियों में उत्पन्न हुए जो-जो पितर ब्रह्मलोकपर्यम्त सात द्वीपों के भीतर कहीं भी निवास करते हों, उनकी तृप्ति के लिये मेरा दिया हुआ यह तिलमिश्रित जल उन्हें प्राप्त हो जो मेरे बान्धव न रहे हों, जो इस जन्म में या किसी दूसरे जन्म में मेरे बान्धव रहे हों, वे सभी मेरे दिये हुए जल से तृप्त हो जायँ ।

वस्त्र-निष्पीडन करे तत्पश्चात् वस्त्र को चार आवृत्ति लपेटकर जल में डुबावे और बाहर ले आकर निम्नाङ्कित मन्त्र : “ये के चास्मत्कुले जाता अपुत्रा गोत्रिणो मृतारू । ते गृह्णन्तु मया दत्तं वस्त्रनिष्पीडनोदकम् ” को पढते हुए अपसव्य होकर अपने बाएँ भाग में भूमिपर उस वस्त्र को निचोड़े । पवित्रक को तर्पण किये हुए जल मे छोड दे । यदि घर में किसी मृत पुरुष का वार्षिक श्राद्ध आदि कर्म हो तो वस्त्र-निष्पीडन नहीं करना चाहिये ।

7.भीष्मतर्पण :

〰️〰️🌸〰️〰️

इसके बाद दक्षिणाभिमुख हो पितृतर्पण के समान ही अनेऊ अपसव्य करके हाथ में कुश धारण किये हुए ही बालब्रह्मचारी भक्तप्रवर भीष्म के लिये पितृतीर्थ से तिलमिश्रित जल के द्वारा तर्पण करे । उनके लिये तर्पण का मन्त्र निम्नाङ्कित श्लोक है–

“वैयाघ्रपदगोत्राय साङ्कृतिप्रवराय च । गङ्गापुत्राय भीष्माय प्रदास्येऽहं तिलोदकम् । अपुत्राय ददाम्येतत्सलिलं भीष्मवर्मणे ॥”
अर्घ्य दान:

〰️〰️〰️

फिर शुद्ध जल से आचमन करके प्राणायाम करे । तदनन्तर यज्ञोपवीत सव्य कर एक पात्र में शुद्ध जल भरकर उसमे श्वेत चन्दन, अक्षत, पुष्प तथा तुलसीदल छोड दे । फिर दूसरे पात्र में चन्दन् से षडदल-कमल बनाकर उसमें पूर्वादि दिशा के क्रम से ब्रह्मादि देवताओं का आवाहन-पूजन करे तथा पहले पात्र के जल से उन पूजित देवताओं के लिये अर्ध्य अर्पण करे ।

अर्ध्यदान के मन्त्र निम्नाङ्कित हैं—

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

ॐ ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्वि सीमत: सुरुचो व्वेन ऽआव:। स बुध्न्या ऽउपमा ऽअस्य व्विष्ठा: सतश्च योनिमसतश्व व्विव:॥ ॐ ब्रह्मणे नम:। ब्रह्माणं पूजयामि ॥

ॐ इदं विष्णुर्विचक्रमे त्रेधा निदधे पदम् । समूढमस्यपा, सुरे स्वाहा ॥ ॐ विष्णवे नम: । विष्णुं पूजयामि ॥

ॐ नमस्ते रुद्र मन्यव ऽउतो त ऽइषवे नम: । वाहुब्यामुत ते नम: ॥ ॐ रुद्राय नम: । रुद्रं पूजयामि ॥

ॐ तत्सवितुर्व रेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो न: प्रचोदयात् ॥ ॐ सवित्रे नम: । सवितारं पूजयामि ॥

ॐ मित्रस्य चर्षणीधृतोऽवो देवस्य सानसि । द्युम्नं चित्रश्रवस्तमम् ॥ ॐ मित्राय नम:। मित्रं पूजयामि ॥

ॐ इमं मे व्वरूण श्रुधी हवमद्या च मृडय ।   त्वामवस्युराचके ॥ ॐ वरुणाय नम: । वरूणं पूजयामि ॥
फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य दें –

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

एहि सूर्य सहस्त्राशों तेजो राशिं जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणाघ्र्य दिवाकरः। 
हाथों को उपर कर उपस्थान मंत्र पढ़ें –

चित्रं देवाना मुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरूणस्याग्नेः। आप्राद्यावा पृथ्वी अन्तरिक्ष सूर्यआत्माजगतस्तस्थुशश्च।

फिर परिक्रमा करते हुए दशों दिशाओं को नमस्कार करें।

ॐ प्राच्यै इन्द्राय नमः। ॐ आग्नयै अग्नयै नमः। ॐ दक्षिणायै यमाय नमः। ॐ नैऋत्यै नैऋतये नमः। ॐ पश्चिमायै वरूणाय नमः। ॐ वायव्यै वायवे नमः। ॐ उदीच्यै कुवेराय नमः। ॐ ऐशान्यै ईशानाय नमः। ॐ ऊध्र्वायै ब्रह्मणै नमः। ॐ अवाच्यै अनन्ताय नमः।

इस तरह दिशाओं और देवताओं को नमस्कार कर बैठकर नीचे लिखे मन्त्र से पुनः देवतीर्थ से तर्पण करें।

ॐ ब्रह्मणै नमः। ॐ अग्नयै नमः। ॐ पृथिव्यै नमः। ॐ औषधिभ्यो नमः। ॐ वाचे नमः। ॐ वाचस्पतये नमः। ॐ महद्भ्यो नमः। ॐ विष्णवे नमः। ॐ अद्भ्यो नमः। ॐ अपांपतये नमः। ॐ वरूणाय नमः। 

फिर तर्पण के जल को मुख पर लगायें और तीन बार ॐ अच्युताय नमः मंत्र का जप करें।

समर्पण- उपरोक्त समस्त तर्पण कर्म भगवान को समर्पित करें।

ॐ तत्सद् कृष्णार्पण मस्तु।

नोट- यदि नदी में तर्पण किया जाय तो दोनों हाथों को मिलाकर जल से भरकर गौ माता की सींग जितना ऊँचा उठाकर जल में ही अंजलि डाल दें।
🌸〰️जय श्री कृष्ण〰️🌸〰️जय श्री कृष्ण〰️🌸〰️जय श्री कृष्ण〰️🌸
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। श्री रामचरितमानस प्रवर्चन ।।*सारी राक्षसों की सेना को पल भर में और मेघनाथ

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री रामचरितमानस प्रवर्चन ।।

*सारी राक्षसों की सेना को पल भर में और मेघनाथ के रथ को चकनाचूर करके अब श्री हनुमानजी मेघनाद के साथ द्वंद्व युद्ध कर रहे हैं, बाबा तुलसीदास उपमा देते हैं कि ऐसा लग रहा है जैसे दो मदमस्त विशाल हाथी लड़ रहे हों।*
*श्री हनुमानजी एक मुक्का जोर से मेघनाथ के सीने पर मार के पेड़ पर चढ़ जाते हैं और उसको मरा समझते हैं, पर चूंकि मेघनाथ को वरदान प्राप्त है अतः वो सिर्फ मूर्छित होता है, और कुछ देर में फिर होश में आजाता है !*

               *।। राम  राम ।।*

*कल पूरनमासी है,*
*श्राद्ध-पक्ष की शुरुआत भी कल से है।*
🙏🏹🚩🛕🙏🏹🚩🛕
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 🌷🌹💐🌺🌷🌹💐 🌷 शाश्वतज्ञान-वेदान्त🌷 🌷🌹💐🌺🌷🌹💐🕉 *सागर के मोती*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

    🌷🌹💐🌺🌷🌹💐
      🌷 शाश्वतज्ञान-वेदान्त🌷
     🌷🌹💐🌺🌷🌹💐

🕉 *सागर के मोती*

व्यवहार बिगड़ा है, परमार्थ नहीं।  इसलिए व्यवहार सुधार की आवश्यकता है। कोई भी कर्म करते समय हम किस भाव, उद्देश्य से कर्म कर रहे हैं यह जानना जरूरी है। प्राय: साधक की नजर क्रिया पर जाती है भाव पर बहुत कम।  भाव पर दृष्टि रखने से उन्नति जल्दी होती है। दूसरे की अपेक्षा अपने में कमी देखना अच्छा है, पर अपने में कमी मानना ठीक नहीं।
भगवान ने गीता में मन की स्थिरता की अपेक्षा बुद्धि की स्थिरता को महत्व दिया है। बुद्धि ठीक होने पर मन भी ठीक हो जाएगा। बुद्धि में एक परमात्मा प्राप्ति का यह निश्चय होना बुद्धि की स्थिरता है। जब तक भोग और संग्रह की आसक्ति है तब तक बुद्धि स्थिर नहीं हो सकती। मन की चंचलता मिटाने की अपेक्षा बुद्धि की चंचलता मिटाना आवश्यक है। 

*संसार मनुष्य शरीर से ही आरंभ हुआ है और मनुष्य शरीर में ही समाप्त हो सकता है अभी समाप्ति का मौका है*

       🕉🕉🕉🕉🕉🕉
       🕉🙏हरि ॐ🙏 🕉
      🕉🕉🕉🕉🕉🕉
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*गोपीगीत* *पुष्प-*🌹

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*गोपीगीत*

  *पुष्प-*🌹

 *सुरतवर्धनम् शोक नाशनम् स्वरित वेणुना सुष्ठु चुम्बितम् ।* *इतररागविस्मारणं नृणां वितर वीर नस्तेऽ-धरामृतम्।।*


🌹   चौथा है स्वरूपामृत । भगवान अपने स्वरूप रूपी जो अमृत प्रदान करते हैं उसका पान करते हुए इस भूतल में ही जीवात्मा को अक्षय आनन्द प्राप्त होता है । श्यामसुन्दर के इस स्वरूपामृत के आगे अन्य सभी अमृतों का स्वाद तुच्छ बन जाता है, फीका हो जाता है। अधरामृत अर्थात् सर्वश्रेष्ठ अमृत । अधरा' अर्थात् जो पूरी पृथ्वी पर नहीं है ऐसा । पृथ्वी के किसी भी व्यक्ति के पास या वस्तु के पास भी जो उपलब्ध नहीं हो सकता है ऐसा जो अमृत है उसी का नाम है 'अधरामृत' ।

🌹     उसका दान केवल भगवान ही करते हैं । इस प्रकार वेणुनाद के कारण अन्दर से प्रकट होने वाले अमृत का पान करने की इच्छा इस श्लोक में गोपिकाओं ने की है। इससे पूर्व श्लोक में तथा इस श्लोक में अनन्य पूर्वा गोपिकाओं ने दो माँगे प्रस्तुत की है, "आपके चरणारविन्द हमारे वक्षःस्थल पर पधराइये तथा आपके अधरामृत का हमें पान करवाइये।
🌹    आगे के तीन श्लोकों में तामस भाव वाली गोपिकाओं का वर्णन होगा। हम जानते हैं कि तमोगुण का स्वभाव जरा कड़क होता है। जब तमोगुण आता है तब सब कुछ तमतमाने लगता है तामस भाव वाली गोपिकाएं इन आगे आने वाले तीन श्लोकों में तीन वस्तुओं की निन्दा करती हैं (१) देव निन्दा (२) भगवद् निन्दा तथा (३) अपने आपकी निन्दा। हम पूछ सकते हैं या यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है, "इतनी महान् भक्त होकर भी क्या गोपीजन भगवान की निन्दा करती है?" 

           क्रमशः.......
              
     €﹏^°*)🌼(*°^﹏€
            *🌴🌹🌴*
   *)🌼कृष्णमयीरात्रि🌼(*
*°🌹श्रीकृष्णाय समर्पणं 🌹°*
   *)🌼जैश्रीराधेकृष्ण (*
             *🌴 🌹🌴*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...