https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: 08/25/20

।। सप्तऋषियों की कहानी ।।ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों?

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सप्तऋषियों की कहानी ।।

ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों?

〰️〰️🌸〰️🌸〰️🌸〰️〰️

हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि रहे है। जानिए कौन किस काल के है।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

आकाश में 7 तारों का एक मंडल नजर आता है। उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सप्तर्षि से उन 7 तारों का बोध होता है, जो ध्रुव तारे  की परिक्रमा करते हैं। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान 7 संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा  मिलती है।
ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों?

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

।।सप्त ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षय :
कण्डर्षिश्च, श्रुतर्षिश्च, राजर्षिश्च क्रमावश।।

अर्थात: 👇

1. ब्रह्मर्षि, 
2. देवर्षि, 
3. महर्षि, 
4. परमर्षि, 
5. काण्डर्षि, 
6. श्रुतर्षि और 
7. राजर्षि

ये 7 प्रकार के ऋषि होते हैं इसलिए इन्हें सप्तर्षि कहते हैं।

भारतीय ऋषियों और मुनियों ने ही इस धरती पर धर्म, समाज, नगर, ज्ञान, विज्ञान, खगोल, ज्योतिष, वास्तु, योग आदि ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया था। दुनिया के सभी धर्म और विज्ञान के हर क्षेत्र को भारतीय ऋषियों का ऋणी होना चाहिए। उनके योगदान को याद किया जाना चाहिए। उन्होंने मानव मात्र के लिए ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षी, समुद्र, नदी, पहाड़ और वृक्षों  सभी के बारे में सोचा और सभी के सुरक्षित जीवन  के लिए कार्य किया। आओ, संक्षिप्त में जानते हैं कि किस काल में कौन से ऋषि थे।

भारत में ऋषियों और गुरु-शिष्य की लंबी परंपरा रही है। ब्रह्मा के पुत्र भी ऋषि थे तो भगवान शिव  के शिष्यगण भी ऋषि ही थे। प्रथम मनु स्वायंभुव मनु से लेकर बौद्धकाल तक ऋषि परंपरा के बारे में जानकारी मिलती है। हिन्दू पुराणों ने काल को मन्वंतरों में विभाजित  कर प्रत्येक मन्वंतर में हुए ऋषियों के ज्ञान और उनके योगदान को परिभाषित किया है। प्रत्येक मन्वंतर में प्रमुख रूप से 7 प्रमुख ऋषि हुए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार इनकी नामावली इस प्रकार है-
1👉 प्रथम स्वायंभुव मन्वंतर में- मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वशिष्ठ।

2👉 द्वितीय स्वारोचिष मन्वंतर में- ऊर्ज्ज, स्तम्भ, वात, प्राण, पृषभ, निरय और परीवान।

3👉 तृतीय उत्तम मन्वंतर में- महर्षि वशिष्ठ के सातों पुत्र।

4👉 चतुर्थ तामस मन्वंतर में- ज्योतिर्धामा, पृथु, काव्य, चैत्र, अग्नि, वनक और पीवर।

5👉 पंचम रैवत मन्वंतर में- हिरण्यरोमा, वेदश्री, ऊर्ध्वबाहु, वेदबाहु, सुधामा, पर्जन्य और महामुनि।

6👉 षष्ठ चाक्षुष मन्वंतर में– सुमेधा, विरजा, हविष्मान, उतम, मधु, अतिनामा और सहिष्णु।

7👉 वर्तमान सप्तम वैवस्वत मन्वंतर में- कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज।

भविष्य में –👇

1👉 अष्टम सावर्णिक मन्वंतर में- गालव, दीप्तिमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृप, ऋष्यश्रृंग और व्यास।

2👉 नवम दक्षसावर्णि मन्वंतर में- मेधातिथि, वसु, सत्य, ज्योतिष्मान, द्युतिमान, सबन और भव्य।

3👉 दशम ब्रह्मसावर्णि मन्वंतर में- तपोमूर्ति, हविष्मान, सुकृत, सत्य, नाभाग, अप्रतिमौजा और सत्यकेतु।

4👉  एकादश धर्मसावर्णि मन्वंतर में- वपुष्मान्, घृणि, आरुणि, नि:स्वर, हविष्मान्, अनघ और अग्नितेजा।

5👉 द्वादश रुद्रसावर्णि मन्वंतर में- तपोद्युति, तपस्वी, सुतपा, तपोमूर्ति, तपोनिधि, तपोरति और तपोधृति।

6👉 त्रयोदश देवसावर्णि मन्वंतर में- धृतिमान, अव्यय, तत्वदर्शी, निरुत्सुक, निर्मोह, सुतपा और निष्प्रकम्प।

7👉 चतुर्दश इन्द्रसावर्णि मन्वंतर में- अग्नीध्र, अग्नि, बाहु, शुचि, युक्त, मागध, शुक्र और अजित।

इन ऋषियों में से कुछ कल्पान्त-चिरजीवी, मुक्तात्मा और दिव्यदेहधारी हैं।
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार 

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

1👉 गौतम,
2👉 भारद्वाज,
3👉 विश्वामित्र,
4👉 जमदग्नि,
5👉 वसिष्ठ,
6👉 कश्यप और
7👉 अत्रि।

महाभारत के अनुसार

〰️〰️〰️〰️〰️〰️

1👉 मरीचि,
2👉  अत्रि,
3👉 अंगिरा,
4👉 पुलह,
5👉 क्रतु,
6👉 पुलस्त्य और
7👉 वसिष्ठ सप्तर्षि माने गए हैं।

महाभारत में राजधर्म और धर्म के प्राचीन आचार्यों के नाम इस प्रकार हैं– बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज और गौरशिरस मुनि।

कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इनकी सूची इस प्रकार है- मनु, बृहस्पति, उशनस (शुक्र), भरद्वाज, विशालाक्ष (शिव), पराशर, पिशुन, कौणपदंत, वातव्याधि और बहुदंती पुत्र।

वैवस्वत मन्वंतर में वशिष्ठ ऋषि हुए। उस मन्वंतर में उन्हें ब्रह्मर्षि की उपाधि मिली। वशिष्ठजी ने गृहस्थाश्रम की पालना करते हुए ब्रह्माजी के मार्गदर्शन में उन्होंने सृष्टि वर्धन, रक्षा, यज्ञ आदि से संसार को दिशाबोध दिया।
साभार-जय अंबे
〰️〰️🌸〰️हर हर महादेव हर..! 〰️🌸〰️जय जय परशुरामजी〰️🌸〰️हर हर गंगे हर...!〰️🌸〰️〰️

🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।*🛕💗💰 ◆कुबेर का घर◆ 💰💗🛕*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

*🛕💗💰 ◆कुबेर का घर◆ 💰💗🛕*

     *एक साधु, विचित्र स्वभाव का था। वह बोलता कम था। उसके बोलने का ढंग भी अजीब था। उनकी माँग सुनकर सब लोग हँसते😁थे।*
 
     *कोई चिढ़😠जाता था, तो कोई उसकी माँग सुनी😏अनुसनी कर अपने काम में जुट जाता था।*
     *साधु प्रत्येक घर के सामने खड़ा होकर पुकारता।*
     *'माई! अंजुलि भर मोती देना.. ईश्वर, तुम्हारा कल्याण करेगा.. भला करेगा।'*
     *साधु की यह विचित्र माँग सुनकर स्त्रियाँ चकित हो उठती थीं। वे कहती थीं - 'बाबा! यहाँ तो पेट भरने के लाले पड़े हैं। तुम्हें इतने ढेर सारे मोती कहाँ से दे सकेंगे।* 
     *किसी राजमहल में जाकर मोती माँगना। जाओ बाबा, जाओ... 💁‍♀️आगे बढ़ो...।'*
     *साधु को खाली हाथ, गाँव छोड़ता देख एक बुढ़िया को उस पर दया आई। बुढ़िया ने साधु को पास बुलाया।* 
     *उसकी हथेली पर एक नन्हा सा मोती रखकर वह बोली:- साधु महाराज! मेरे पास अंजुलि भर मोती तो नहीं हैं। नाक की नथनी टूटी, तो यह एक मोती मिला है। मैंने इसे संभालकर रखा था। यह मोती ले लो। मेरे पास एक मोती है, ऐसा मेरे मन को गर्व तो नहीं होगा। इसलिए तुम्हें सौंप रही हूँ। कृपा कर इसे स्वीकार करें। हमारे गाँव से, खाली हाथ मत जाना।'* 
     *बुढ़िया के  हाथ का नन्हा सा मोती देखकर साधु हँसने😊लगा।* 
     *उसने कहा, 'माताजी! यह छोटा मोती मैं अपनी फटी हुई झोली में कहाँ रखूँ? इसे आप अपने ही पास रखना।'*
     *ऐसा कहकर साधु उस गाँव के बाहर निकल पड़ा। दूसरे गाँव में आकर साधु प्रत्येक घर के सामने खड़ा होकर पुकारने लगा..!*
     *'माताजी प्याली भर मोती देना। ईश्वर तुम्हारा कल्याण करेगा।'*
     *साधु की यह विचित्र माँग सुनकर वहाँ की स्त्रियाँ भी अचंभित हो उठीं। वहाँ भी साधु को प्याली भर मोती नहीं मिले।* 
     *अंत में निराश होकर वह वहाँ से भी खाली हाथ जाने लगा।* 
     *उस गाँव के एक छोर में किसान👳🏼‍♀️का एक ही घर था। वहाँ मोती माँगने की चाह उसे घर के सामने ले गई।*
     *माताजी! प्याली भर मोती देना.. ईश्वर, तुम्हारा भला करेगा। साधु ने पुकार लगाई।*
     *किसान सहसा बाहर आया। ‍उसने साधु के लिए ओसारे में चादर बिछाई। और साधु से विनती की,कि....!*
     *'साधु महाराज, पधारिए... विराजमान होइए।' किसान ने साधु को प्रणाम🙏किया और मुड़कर पत्नी को आवाज दी..!* 
     *लक्ष्मी, बाहर साधु जी आए हैं। इनके दर्शन कर लो। किसान की पत्नी तुरंत बाहर आई। उसने साधुजी के पाँव धोकर दर्शन किए।* 
     *किसान ने कहा- 'देख लक्ष्मी; साधुजी बहुत भूखे हैं। इनके भोजन की तुरंत व्यवस्था करना।* 
     *अंजुलि भर मोती लेकर पीसना, और उसकी रोटियाँ बनाना। तब तक मैं मोतियों की गागर लेकर आता हूँ।' ऐसा कहकर वह किसान खाली गागर लेकर घर के बाहर निकला।* 
     *कुछ समय पश्चात किसान लौट आया। तब तक लक्ष्मी ने भोजन बनाकर तैयार कर रखा था।* 
     *साधु ने पेट भर भोजन किया। वह प्रसन्न हुआ। उसने हँसकर😂किसान से कहा... 'बहुत दिनों बाद कुबेर के घर का भोजन मिला है। मैं बहुत प्रसन्न हूँ।'* 
     *अब तुम्हारी याद आती रहे, इसलिए मुझे कान भर मोती देना। मैं तुम दंपति को सदैव याद करूँगा।'*
     *उस पर किसान ने हँसकर😊कहा - 'साधु महाराज! मैं अनपढ़ किसान, आपको कान भर मोती कैसे दे सकता हूँ?*
     *आप ज्ञान संपन्न हैं। इस कारण "हम" दोनों आपसे कान भर मोतियों की अपेक्षा रखते हैं।'*
     *साधु ने आँखें बन्द कर कहा - 'नहीं किसान राजा, तुम अनपढ़ नहीं हो। तुम तो विद्वान हो। इस कारण तुम मेरी इच्छा पूरी करने में सक्षम रहे।* 
     *मेरी विचित्र माँग पूरी होने तक मैं हमेशा भूखा-प्यासा हूँ। जब तुम जैसा कोई कुबेर भंडारी मिल जाता है तो मै, पेट भरकर भोजन कर लेता हूँ।'*
     *साधु ने, किसान की ओर देखा और कहा- "जो फसल के दानों, पानी की बूँदों और उपदेश के शब्दों को मोती समझता है। वही मेरी दृष्टि से सच्चा कुबेर का घर है।"* 
     *मैं वहाँ पेट भरकर भोजन करता हूँ। फिर वह भोजन दाल-रोटी हो या चटनी रोटी। प्रसन्नता का नमक उसमें स्वाद भर देता है।*
     *'जहाँ आतिथ्‍य का वास है। वहाँ मुझे भोजन अवश्य मिल जाता है। अच्छा, अब मुझे चलने की अन‍ुमति दे। ईश्वर तुम्हारा कल्याण करे।'*
     *किसान दंपत्ति को आशीर्वाद देकर साधु महाराज आगे चल पड़ा। कहा भी है...!*

  *पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नंसुभाषितम्।*
    *मूढ़ै: पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञाभिधीयते।।*

     *पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं। जल, अन्न और सुभाषित। मूर्ख लोग ही पत्थर के टुकड़ों हीरे, मोती माणिक्य आदि को रत्न कहते हैं।*

           *"असली रत्न है, राम नाम,"*
          *"असली रत्न है, कृष्ण नाम,"*
           *"असली रत्न है, राधा नाम,"*

*🦚💖🎄 जय जय श्री राधे  🎄💖🦚*

🙏जय ठाकर🙏🌹🙏जय श्री कृष्ण🙏🌹🙏जय द्वारकाधीश🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। आज का भगवद चिन्तन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। आज का भगवद चिन्तन ।।
           
 🚩       सुखी जीवन जीने का सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है अभाव की तरफ दृष्टि ना डालना। आज हमारी स्थिति यह है जो हमें प्राप्त है उसका आनंद तो लेते नहीं, वरन जो प्राप्त नहीं है उसकी चिन्ता करके जीवन को शोकमय कर लेते हैं।
  🚩       दुःख का मूल कारण हमारी आवश्कताएं नहीं हमारी इच्छाएं हैं। हमारी आवश्यकताएं तो  पूर्ण हो सकती हैं, मगर इच्छाएं नहीं। इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकतीं और ना ही किसी की हुईं आज तक। एक इच्छा पूरी होती है तभी दूसरी खड़ी हो जाती है।

  🚩      
दुःख का मूल हमारी आशा ही हैं। हमे संसार में कोई दुखी नहीं कर सकता, हमारी अपेक्षाएं ही हमे रुलाती हैं। अति इच्छा रखने वाले और असंतोषी हमेशा दुखी ही रहते हैं।

जय द्वारकाधीश !!
जय श्री राधे कृष्ण !!
🌹🙏🌹🙏🌹
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*पर-निंदा के दुष्परिणाम*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*पर-निंदा के दुष्परिणाम*

राजा पृथु एक दिन सुबह-सुबह घोड़ों के तबेले में जा पहुँचे। तभी वहाँ एक साधु भिक्षा मांगने आ पहँचा। सुबह-सुबह साधु को भिक्षा मांगते देख पृथु क्रोध से भर उठे। उन्होंने साधु की निंदा करते हुये, बिना विचारे तबेले से घोड़े की लीद उठाई और उसके पात्र में डाल दी। साधु भी शांत स्वभाव का था, सो भिक्षा ले वहाँ से चला गया और वह लीद कुटिया के बाहर एक कोने में डाल दी।
कुछ समय उपरान्त राजा पृथु शिकार के लिये गये। पृथु ने जब जंगल में देखा कि, एक कुटिया के बाहर घोड़े की लीद का बड़ा सा ढेर लगा हुआ है। उन्होंने देखा कि, यहाँ तो न कोई तबेला है और न ही दूर-दूर तक कोई घोड़े दिखाई दे रहे हैं। वह आश्चर्यचकित हो कुटिया में गये और साधु से बोले, 
*"महाराज ! आप हमें एक बात बताइये, यहाँ कोई घोड़ा भी नहीं, न ही तबेला है, तो यह इतनी सारी घोड़े की लीद कहा से आई ?"*
साधु ने कहा,
 *" राजन् ! यह लीद मुझे एक राजा ने भिक्षा में दी है। अब समय आने पर यह लीद उसी को खानी पड़ेगी।"* 
 यह सुन राजा पृथु को पूरी घटना याद आ गई। वे साधु के पैरों में गिर क्षमा मांगने लगे। उन्होंने साधु से प्रश्न किया,
 *हमने तो थोड़ी-सी लीद दी थी, पर यह तो बहुत अधिक हो गई ?*
साधु ने कहा,
 *हम किसी को जो भी देते हैं, वह दिन-प्रतिदिन प्रफुल्लित होता जाता है और समय आने पर हमारे पास लौटकर आ जाता है, यह उसी का परिणाम है।*
यह सुनकर पृथु की आँखों में अश्रु भर आये। वे साधु से विनती कर बोले,

 *"महाराज ! मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं आइन्दा ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा। कृपया कोई ऐसा उपाय बता दीजिये, जिससे मैं अपने दुष्ट कर्मों का प्रायश्चित कर सकूँ।"* राजा की ऐसी दु:खमयी हालत देखकर साधु बोला,
 *"राजन् ! एक उपाय है। आपको कोई ऐसा कार्य करना है, जो देखने में तो गलत हो, पर वास्तव में गलत न हो।* जब लोग आपको गलत देखेंगे, तो आपकी निंदा करेंगे। जितने ज्यादा लोग आपकी निंदा करेंगे, आपका पाप उतना हल्का होता जायेगा। *आपका अपराध निंदा करने वालों के हिस्से में आ जायेगा।*
यह सुनकर राजा पृथु ने महल में आकर काफी सोच-विचार किया और अगले दिन सुबह से शराब की बोतल लेकर चौराहे पर बैठ गये। सुबह-सुबह राजा को इस हाल में देखकर सब लोग आपस में राजा की निंदा करने लगे कि, कैसा राजा है ? कितना निंदनीय कृत्य कर रहा है, क्या यह शोभनीय है ? आदि-आदि ! निंदा की परवाह किये बिना राजा पूरे दिन शराबियों की तरह अभिनय करते रहे। इस पूरे कृत्य के पश्चात जब राजा पृथु पुनः साधु के पास पहुँचे, तो लीद के ढेर के स्थान पर एक मुट्ठी लीद देख आश्चर्य से बोले, *"महाराज ! यह कैसे हुआ ? इतना बड़ा ढेर कहाँ गायब हो गया ?"*
साधू ने कहा, *"यह आपकी अनुचित निंदा के कारण हुआ है राजन् ! जिन-जिन लोगों ने आपकी अनुचित निंदा की है,, आपका पाप उन सबमें बराबर-बराबर बंट गया है।*
फिर राजा बोले, *" महाराज, फिर ये मुट्ठी भर बचा क्यूँ?? ये क्यूँ नहीं बंटा??"*
तो फिर ऋषि बोले, *"राजन, ये तुम्हारा कर्म है। जितना तुमने मेरे भिक्षा पात्र मे मेरे खाने के लिए दिए थे उतना तो तुम्हें खाना ही पड़ेगा। "*
कोई कितना भी उपाय, दान, पुण्य करले उसका कर्म दोष कट तो जाएगा पर उसका मूल नष्ट नहीं होगा... उतना तो भरना ही पड़ेगा..
जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है। तथा हमें अपने किये गये कर्मों का फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब चाहे हँसकर भुगतें या रोकर। *हम जैसा देंगे, वैसा ही लौटकर वापिस आयेगा।*
*दूसरे की निंदा करिये और अपना घड़ा भरिये।*
*जय द्वारकाधीश*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। बहुत सुंदर कहानी ।।आज की कथा मै पढ़े की किस प्रकार राजा भर्तृहरि को अपने जीवन से वैराग्य हुआ, बहुत ही शिक्षाप्रद कथा है ,

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। बहुत सुंदर कहानी ।।

आज की कथा मै पढ़े की किस प्रकार राजा भर्तृहरि को अपने जीवन से वैराग्य हुआ, बहुत ही शिक्षाप्रद कथा है ,

यही इस संसार की वास्तविकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है कि वह व्यक्ति भी उसे उतना ही प्रेम करे। परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है।

पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थीं। 

भर्तृहरि ने स्त्री के सौंदर्य और उसके बिना जीवन के सूनेपन पर 100 श्लोक लिखे, जो श्रृंगार शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं।
उन्हीं के राज्य में एक ब्राह्मण भी रहता था, जिसने
अपनी नि:स्वार्थ पूजा से देवता को प्रसन्न कर लिया।
देवता ने उसे वरदान के रूप में अमर फल देते हुए
कहा कि इससे आप लंबे समय तक युवा रहोगे।
ब्राह्मण ने सोचा कि भिक्षा मांग कर जीवन बिताता हूं,
मुझे लंबे समय तक जी कर क्या करना है। हमारा राजा बहुत अच्छा है, उसे यह फल दे देता हूं। वह लंबे समय तक जीएगा तो प्रजा भी लंबे समय तक सुखी रहेगी। वह राजा के पास गया और उनसे सारी बात बताते हुए वह फल उन्हें दे आया।

राजा फल पाकर प्रसन्न हो गया। फिर मन ही मन
सोचा कि यह फल मैं अपनी पत्नी को दे देता हूं। वह
ज्यादा दिन युवा रहेगी तो ज्यादा दिनों तक उसके
साहचर्य का लाभ मिलेगा। अगर मैंने फल खाया तो वह
मुझ से पहले ही मर जाएगी और उसके वियोग में मैं
भी नहीं जी सकूंगा। उसने वह फल अपनी पत्नी को दे
दिया।
लेकिन, रानी तो नगर के कोतवाल से प्यार करती थी। वह अत्यंत सुदर्शन, हृष्ट-पुष्ट और बातूनी था। अमर फल उसको देते हुए रानी ने कहा कि इसे खा लेना, इससे तुम लंबी आयु प्राप्त करोगे और मुझे सदा प्रसन्न करते रहोगे। फल ले कर कोतवाल जब महल से बाहर निकला तो सोचने लगा कि रानी के साथ तो मुझे धन-दौलत के लिए झूठ-मूठ ही प्रेम का नाटक करना पड़ता है। और यह फल खाकर मैं भी क्या करूंगा। इसे मैं अपनी परम मित्र राज नर्तकी को दे देता हूं। वह कभी मेरी कोई बात नहीं टालती। मैं उससे प्रेम भी करता हूं। और यदि वह सदा युवा रहेगी, तो दूसरों को भी सुख दे पाएगी। उसने वह फल अपनी उस नर्तकी मित्र को दे दिया।
राज नर्तकी ने कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप वह अमर फल अपने पास रख लिया। कोतवाल के जाने के बाद उसने सोचा कि कौन मूर्ख यह पाप भरा जीवन
लंबा जीना चाहेगा। हमारे देश का राजा बहुत अच्छा है,
उसे ही लंबा जीवन जीना चाहिए। यह सोच कर उसने
किसी प्रकार से राजा से मिलने का समय लिया और एकांत में उस फल की महिमा सुना कर उसे राजा को दे दिया। और कहा कि महाराज, आप इसे खा लेना।

राजा फल को देखते ही पहचान गया और भौंचक रह गया। पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई, तो उसे वैराग्य हो गया और वह राज-पाट छोड़ कर जंगल में चला गया। वहीं उसने वैराग्य पर 100 श्लोक लिखे जो कि वैराग्य शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं। 
यही इस संसार की वास्तविकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है कि वह व्यक्ति भी उसे उतना ही प्रेम करे। परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है। इसका कारण यह है कि संसार व इसके सभी प्राणी अपूर्ण हैं। सब में कुछ न कुछ कमी है। सिर्फ एक ईश्वर पूर्ण है।
एक वही है जो हर जीव से उतना ही प्रेम करता है,
जितना जीव उससे करता है। बस हमीं उसे सच्चा प्रेम
नहीं करते ।
जय श्री कृष्ण
जय द्वारकाधीश
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। बहुत सुंदर अच्छी कहानी ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। बहुत सुंदर अच्छी कहानी ।।


गौतम बुद्ध रोज अपने शिष्यों को उपदेश देते थे। 
जहां भी बुद्ध ठहरते थे, वहां रहने वाले लोग भी बुद्ध के प्रवचन सुनने पहुंच जाते थे। 
एक व्यक्ति रोज बुद्ध के प्रवचन सुनने आ रहा था। वह सारी बातें बहुत ध्यान से  सुनता था। लगभग एक माह तक उसने बुद्ध के सारे प्रवचन सुने।

एक माह बाद वह बुद्ध के पास गया और बोला कि तथागत मैं आपके प्रवचन रोज सुन रहा हूं। लेकिन, मुझे इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। 
आप हर एक बात सत्य बता रहे है, लेकिन मुझ पर इन बातों का कोई असर नहीं हुआ है। कृपया बताएं मुझे प्रवचन का लाभ कैसे मिल सकता है?

बुद्ध ने उसकी सुनी और पूछा कि तुम कहां रहते हो? व्यक्ति ने कहा कि मैं श्रावस्ती में रहता हूं।
बुद्ध ने फिर पूछा ये जगह यहां से कितनी दूर है?

व्यक्ति ने श्रावस्ती की दूरी बताई। इसके बाद बुद्ध ने फिर पूछा कि तुम वहां कैसे पहुंचते हो?


व्यक्ति ने उत्तर दिया कि कभी घोड़े पर, कभी बैलगाड़ी पर बैठकर जाता हूं। बुद्ध ने फिर पूछा कि तुम्हे वहां पहुंचने में समय कितना लगता है?

व्यक्ति ने समय भी बता दिया। इसके बाद बुद्ध ने अंतिम प्रश्न पूछा कि क्या तुम यहां बैठे-बैठे ही श्रावस्ती पहुंच सकते हो?

ये प्रश्न सुनकर व्यक्ति हैरान हो गया। 
वह बोला कि तथागत ये कैसे संभव है? जब तक मैं चलूंगा नहीं, वहां कैसे पहुंच सकता हूं। मुझे श्रावस्ती पहुंचने के लिए चलना होगा।

बुद्ध बोले कि भाई ये बात एकदम सही है। 
हम चलकर ही अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। 
ठीक इसी तरह जब तक हम अच्छी बातों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारेंगे, तब तक हमें प्रवचनों से लाभ नहीं मिल सकता है।

अगर प्रवचनों से लाभ चाहते हो तो इन बातों का पालन करो। बुराइयों से बचो। 
क्रोध मत करो। 
दूसरों की मदद करो। 
जब बातें तुम अपने जीवन में उतार लोगे तो उन्हें प्रवचनों का लाभ स्वत: मिलने लगेगा। 
व्यक्ति को अपने सवालों का जवाब मिल गया�
जय ठाकर 

" रूस का बहुत बड़ा गणितज्ञ आस्पेंस्की, एक अद्भुत फकीर गुरजिएफ के पास गया।

आस्पेंस्की विश्वविख्यात था। उसकी किताबें दुनिया की चौदह भाषाओं में अनुवादित हो चुकी थीं। 

और उसने एक ऐसी अदभुत किताब लिखी थी कि कहा जाता है कि दुनिया में वैसी केवल तीन किताबें लिखी गई हैं।

पहली किताब अरिस्टोटल ने लिखी थी। 

उस किताब का नाम है: आर्गानम, ज्ञान का सिद्धांत। 

दूसरी किताब बेकन ने लिखी, उसका नाम है: नोवम आर्गानम, ज्ञान का नया सिद्धांत। 

और तीसरी किताब पी.डी.आस्पेंस्की ने लिखी: टर्शियम आर्गानम, ज्ञान का तीसरा सिद्धांत। 

कहते हैं इन तीन किताबों के मुकाबले दुनिया में और किताबें नहीं। 

और बात में सच्चाई है। 

मैंने तीनों किताबें देखी हैं। 

बात में बल है। 

ये तीन किताबें अद्भुत हैं। 

और आस्पेंस्की ने तो हद्द कर दी! उसने किताब के प्रथम पृष्ठ पर ही यह लिखा है कि पहला सिद्धांत और दूसरा सिद्धांत जब पैदा भी नहीं हुए थे, तब भी मेरा तीसरा सिद्धांत मौजूद था। 

मेरा तीसरा सिद्धांत उन दोनों से ज्यादा मौलिक है। 

और इसमें भी बल है। यह बात भी झूठी नहीं है, कोरा दंभ नहीं है। 

इस बात में सचाई है। 

आस्पेंस्की की किताब बेकन, अरस्तू दोनों को मात कर देती है। 

दोनों को बहुत पीछे छोड़ देती है।

ऐसा प्रसिद्ध गणितज्ञ गुरजिएफ को मिलने आया। 

और गुरजिएफ ने पता है उससे क्या कहा! एक नजर उसकी तरफ देखा, उठा कर एक कागज उसे दे दिया - कोरा कागज - और कहा, बगल के कमरे में चले जाओ। 

एक तरफ लिख दो जो तुम जानते हो - ईश्वर, आत्मा, स्वर्ग, नरक - जो भी तुम जानते हो, एक तरफ लिख दो। 

और दूसरी तरफ, जो तुम नहीं जानते हो। 

फिर मैं तुमसे बात करूँगा। 

उसके बाद ही बात करूँगा। 

बुद्धिवादियों से मेरे मिलने का यही ढंग है।

हतप्रभ हुआ आस्पेंस्की। 

ऐसे स्वागत की अपेक्षा न थी, यह कैसा स्वागत! नमस्कार नहीं, बैठो, कैसे हो, कुशलता - क्षेम भी नहीं पूछी। 

उठा कर कागज दे दिया और कहा -- 

बगल के कमरे में चले जाओ!

सर्द रात थी, बर्फ पड़ रही थी। 

और आस्पेंस्की ने लिखा है, मेरे जीवन में मैं पहली बार इतना घबड़ाया। 

उस आदमी की आँखों ने डरा दिया! उस आदमी के कागज के देने ने डरा दिया! और जब मैं कलम और कागज लेकर बगल के कमरे में बैठा सोचने पहली दफा जीवन में- 

कि मैं क्या जानता हूँ? 

तो मैं एक शब्द भी न लिख सका। 

क्योंकि जो भी मैं जानता था वह मेरा नहीं था। 

और इस आदमी को धोखा देना मुश्किल है। 

मैंने जो किताबें लिखी हैं, वे और किताबों के आधार पर लिखी थीं; 

उनको माँजा था, सँवारा था, मगर वे किताबें मेरे भीतर आविर्भूत नहीं हुई थीं। 

वे फूल मेरे नहीं थे; वे किसी बगीचे से चुन लाया था। 

गजरा मैंने बनाया था, फूल मेरे नहीं थे। 

एक फूल मेरे भीतर नहीं खिला।

आस्पेंस्की ने लिखा है कि मैं पसीने से तरबतर हो गया; 

बर्फ बाहर पड़ रही थी और मुझसे पसीना चू रहा था! 

मैं एक शब्द न लिख सका।

वापस लौट आया घंटे भर बाद। 

कोरा कागज कोरा का कोरा ही गुर जिएफ को लौटा दिया और कहा कि मैं कुछ भी नहीं जानता हूँ। 

आप यहीं से शुरू करें- 

यह मान कर कि मैं कुछ भी नहीं जानता हूँ।

गुर जिएफ ने पूछा, तो फिर इतनी किताबें क्यों लिखीं?

कैसे लिखीं?

आस्पेंस्की ने कहा, अब उस दुखद प्रसंग को न उठाएँ। 

अब मुझे और दीन न करें, और हीन न करें। 

क्षमा करें। 

मैं होश में नहीं था। 

मैं बेहोशी में लिख गया। 

वह मेरे पांडित्य का प्रदर्शन था। 

लेकिन आपके पास ज्ञान के लिए आया हूँ, झोली फैलाता हूँ भिखमंगे की। 

एक अज्ञानी की तरह आया हूँ।

गुरजिएफ ने कहा, तो फिर कुछ हो सकेगा। 

फिर क्रांति हो सकती है।"

जय रणछोड़
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 Web:https://sarswatijyotish.com/,
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*"स्वाभिमान, वात्सल्य और प्रेम"*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*"स्वाभिमान, वात्सल्य और प्रेम"*
:
शाम हो चली थी..
लगभग साढ़े छह बजे थे..
वही हॉटेल, वही किनारे वाली टेबल और वही चाय, सिगरेट..
सिगरेट के एक कश के साथ साथ चाय की चुस्की ले रहा था..

उतने में ही सामने वाली टेबल पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया..

उस आदमी का शर्ट फटा हुआ था, ऊपर की दो बटने गायब थी. पैंट भी मैला ही था, रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था..
लड़की का फ्रॉक धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई थी..

उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वो बड़े कुतूहल से पूरे हॉटेल को इधर-उधर से देख रही थी.. 
उनके टेबल के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वो बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था..

बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वो और भी प्रसन्न दिख रही थी..

उसी समय वेटरने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा..

उस आदमी ने अपनी लड़की के लिये एक डोसा लाने का आर्डर दिया. 
यह आर्डर सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई..

और तुमको? वेटर ने पूछा..
नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये: उस आदमी ने कहा.

कुछ ही समय में गर्मा गर्म बड़ा वाला, फूला हुआ डोसा आ गया, साथ में चटनी-सांभार भी..

लड़की डोसा खाने में व्यस्त हो गई और वो उसकी ओर उत्सुकता से देखकर पानी पी रहा था..

इतने में उसका फोन बजा. वही पुराना वाला फोन. उसके मित्र का फोन आया था, वो बता रहा था कि आज उसकी लड़की का जन्मदिन है और वो उसे लेकर हॉटेल में आया है..
वह बता रहा था कि उसने अपनी लड़की को कहा था कि यदि वो अपनी स्कूल में पहले नंबर पर आयेगी तो वह उसे उसके जन्मदिन पर डोसा खिलायेगा..

और वो अब डोसा खा रही है..
थोडा पॉज..

नहीं रे, हम दोनों कैसे खा सकते हैं? हमारे पास इतने पैसे कहां है? मेरे लिये घर में बेसन-भात बना हुआ है ना..

उसकी बातों में व्यस्त रहने के कारण मुझे गर्म चाय का चटका लगा और मैं वास्तविकता में लौटा..

कोई कैसा भी हो..
अमीर या गरीब,
दोनों ही अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिये कुछ भी कर सकते हैं।

मैं उठा और काउंटर पर जाकर अपनी चाय और दो डोसे के पैसे दिये और कहा कि उस आदमी को एक और डोसा दे दो उसने अगर पैसे के बारे में पूछा  तो उसे कहना कि हमनें तुम्हारी बातें सुनी, आज तुम्हारी बेटी का जन्मदिन है और वो स्कूल में पहले नंबर पर आई है..
इसलिये हॉटेल की और से यह तुम्हारी लड़की के लिये ईनाम उसे आगे चलकर इससे भी अच्छी पढ़ाई करने को बोलना..
परन्तु, परन्तु भूलकर भी "मुफ्त" शब्द का उपयोग मत करना वरना उसके पिता के "स्वाभिमान" को चोट पहुचेंगी..
होटल मैनेजर मुस्कुराया और बोला कि यह बिटिया और उसके पिता आज हमारे मेहमान हैं, आपका बहुत-बहुत आभार कि आपने हमें इस बात से अवगत कराया।

उनकी आवभगत का पूरा जिम्मा आज हमारा है, आप यह  पुण्य कार्य और किसी अन्य जरूरतमंद के लिए कीजिएगा।

वेटर ने एक और डोसा उस टेबल पर रख दिया, मैं बाहर से देख रहा था..
उस लड़की का पिता हड़बड़ा गया और बोला कि मैंने एक ही डोसा बोला था..
तब मैनेजर ने कहा कि, अरे तुम्हारी लड़की स्कूल में पहले नंबर पर आई है..
इसलिये ईनाम में आज हॉटेल की ओर से तुम दोनों को डोसा दिया जा रहा है।

उस पिता की आँखे भर आई और उसने अपनी लड़की को कहा, देखा बेटी ऐसी ही पढ़ाई करेगी तो देख क्या-क्या मिलेगा..
उस पिता ने वेटर को कहा कि क्या मुझे यह डोसा बांधकर मिल सकता है? 
यदि मैं इसे घर ले गया तो मैं और मेरी पत्नी दोनों आधा-आधा मिलकर खा लेंगे, उसे ऐसा खाने को नहीं मिलता...
जी नहीं श्रीमान, आप अपना दूसरा डोसा यहीं पर खाइए।
आपके घर के लिए मैंने 3 डोसे  और मिठाइयों का एक पैकेट अलग से बनवाया है।

आज आप घर जाकर अपनी बिटिया का बर्थडे बड़ी धूमधाम से मनाइएगा और मिठाईयां इतनी है कि आप पूरे मोहल्ले को बांट सकते हो।

यह सब सुनकर मेरी आँखे खुशी से भर आई।

मुझे इस बात पर पूरा विश्वास हो गया कि जहां चाह है, वहां राह है ।
अच्छे काम के लिए एक कदम आप आगे तो बढ़ाइए,
फिर देखिए आगे आगे होता है क्या!!!

*टिप्पणी: देने से कभी कम नहीं होता,बल्कि कई गुणा बढ़कर मिलता है...इसे कहते हैं "देने का आनन्द "*

       *😍JOY OF GIVING😍* 

*🙏जय श्री कृष्ण🙏*
    *🙏जय द्वारकाधीश🙏*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए....!

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए....!


कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए उनका परिवार!

भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जिक्र विष्णु, पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। 

राधा और रुक्मणि दोनों ही कृष्ण से उम्र में बड़ी थीं। 

मान्यता और किवदंतियों के आधार राधा के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। 

आओ जानते हैं कि राधा के जन्म और उनके माता पिता के बारे में।। 

पंडित प्रभु राज्यगुरु ने नीचे दिया पुराणों का उलेख भी जिंक  किया हुवा है ।।


1. पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक वैष्य गोप की पुत्री थीं। 

उनकी माता का नाम कीर्ति था। 

उनका नाम वृषभानु कुमारी पड़ा। 

बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। 

कुछ विद्वान मानते हैं कि राधाजी का जन्म यमुना के निकट स्थित रावल ग्राम में हुआ था ! 

और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। 

लेकिन अधिकतर मानते हैं कि उनका जन्म बरसाना में हुआ था।


2. कहते हैं कि नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने 12 वर्षों तक तप करके ब्रह्म देव से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा था। 

इसी के परिणाम स्वरूप द्वापर में ये दोनों वृषभानु और रानी कीर्ति नाम से जन्में और फिर दोनों पति पत्नी बने। 

कीर्ति के गर्भ से राधा का जान्म भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन हुआ। 

तब चारों ओर उल्लास का वातावरण निर्मित हो गया।


3. ब्रह्मवैवर्त पुराण की एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के साथ राधा गोलोक में रहती थीं। 

एक बार उनकी अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी दूसरी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे। 

तभी राधा आ गईं, वे विरजा पर नाराज होकर वहां से चली गईं। 

श्रीकृष्ण के सेवक और मित्र श्रीदामा को राधा का यह व्यवहार ठीक नहीं लगा और वे राधा को भला बुरा कहने लगे। 

राधा ने क्रोधित होकर श्रीदामा को अगले जन्म में शंखचूड़ नामक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। 

इस पर श्रीदामा ने भी उनको पृथ्वी लोक पर मनुष्य रूप में जन्म लेने लेकर 100 वर्ष तक कृष्ण विछोह का श्राप दे दिया। 

राधा को जब श्राप मिला था तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म तो होगा, लेकिन तुम सदैव मेरे पास रहोगी।


4. पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। 

यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। 

यह भी कहा जाता है कि वृषभानु जी को एक सुंदर शीतल सरोवर में सुनहरे कमल में एक दिव्य कन्या लेटी हुई मिली। 

वे उसे घर ले आए लेकिन वह बालिका आंखें खोलने को राजी ही नहीं थी। 

पिता और माता ने समझा कि वे देख नहीं सकतीं लेकिन जब बाल रूप में श्री कृष्ण जी से उनका सामना हुआ तो उन्होंने आंखें खोल दीं।


5. ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड 2 के अध्याय 49 के श्लोक 39 और 40 के अनुसार राधा जब बड़ी हुई तो उनके माता पिता ने रायाण नामक एक वैश्य के साथ उसका संबंध निश्चित कर दिया। 

उस समय राधा घर में अपनी छाया का स्थापित करके खुद अन्तर्धान हो गईं। 

उस छाया के साथ ही उक्त रायाण का विवाह हुआ। 

इसी श्लोक में आगे बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा का वह रायाण सगा भाई था, जो गोलक में कृष्ण का अंश और यहां यशोदा के संबंध से उनका मामा था। 

मतलब यह कि राधा श्रीकृष्ण की मामी थी। 

यदि हम यह मानें कि श्रीकृष्ण यशोदा के नहीं देवकी के पुत्र थे तो फिर राधा उनकी मामी नहीं लगती थीं। 

रायाण को रापाण अथवा अयनघोष भी कहा जाता था। 

पिछले जन्म में राधा का पति रायाण गोलोक में श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था। 


जय श्री कृष्ण....!!!
जय जय श्री गौकलेश....!!!

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 Web:https://sarswatijyotish.com/,
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर सुविचार ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर सुविचार ।।

*नाथ एक आवा कपि भारी ।*
*तेहिं अशोक बाटिका उजारी ।।*

*खाएसि फल अरु बिटप उपारे ।*
*रच्छक मर्दि मर्दि डारे ।। 2 ।।*
*श्री हनुमानजी की लीला बखान करते हुए पेहेरदार राक्षस रावण से बोले कि हे लंकापति एक बड़ा सा वानर आया है जिसने सारी अशोक वाटिका मानो उजाड़ने की ठान रखी हो। 
जब तक फल खा रहा था हमने कुछ नहीं कहा उससे पर महाराज उसने तो फिर वृक्ष उखाड़ने चालू कर दिये, जब बलशाली राक्षसों ने रोकना चाहा तो उसने उन सब को जान से मार दिया, हम तो डर के दूर से ही ये सब देख कर भाग आये, वैसे हम उसे मार देते पर हमने सोचा एक बार आपको सब घटना बता दें कहीं हमारा भी कल्याण न हो जाये उस वानर के हाथ!*

                   *।। राम  राम ।।*
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

*_संक्षिप्त गीता : बारहवां अध्याय_*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

💢☀️🐚✨🔆🌟🔱💢

*_संक्षिप्त  गीता : बारहवां  अध्याय_* 

〰️〰️〰️〰️〰️

*बारहवें अध्याय में श्री कृष्ण ने बताया कि जो भगवान के ध्यान में लग जाते हैं वे भगवन्निष्ठ होते हैं अर्थात भक्ति से भक्ति पैदा होती है।*
*नौ प्रकार की साधना भक्ति हैं तथा इनके आगे प्रेमलक्षणा भक्ति साध्य भक्ति है जो कर्मयोग और ज्ञानयोग सबकी साध्य है। भगवान कृष्ण ने कहा जो मनुष्य अपने मन को स्थिर करके निरंतर मेरे सगुण रूप की पूजा में लगा रहता है, वह मेरे द्वारा योगियों में अधिक पूर्ण सिद्ध योगी माने जाते हैं। वहीं जो मनुष्य परमात्मा के सर्वव्यापी, अकल्पनीय, निराकार, अविनाशी, अचल स्थित स्वरूप की उपासना करता है और अपनी सभी इन्द्रियों को वश में करके, सभी परिस्थितियों में समान भाव से रहते हुए सभी प्राणीयों के हित में लगा रहता है वह भी मुझे प्राप्त करता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा की तू अपने मन को मुझमें ही स्थिर कर और मुझमें ही अपनी बुद्धि को लगा, इस प्रकार तू निश्चित रूप से मुझमें ही सदैव निवास करेगा। यदि तू ऐसा नही कर सकता है, तो भक्ति-योग के अभ्यास द्वारा मुझे प्राप्त करने की इच्छा उत्पन्न कर। अगर तू ये भी नही कर सकता है, तो केवल मेरे लिये कर्म करने का प्रयत्न कर, इस प्रकार तू मेरे लिये कर्मों को करता हुआ मेरी प्राप्ति रूपी परम-सिद्धि को प्राप्त करेगा।*

〰️ *अगला  अध्याय  कल....*〰️
🎍✡️🏹🕉️🛕☸️✨✡️
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। सुंदर कहानी ।।आज के जीवन और पूर्वजो के जीवन मे कितना फर्क है

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

आज के जीवन और पूर्वजो के जीवन मे कितना फर्क है 

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके, यह आम चलन था । 

हमने (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं अपनी आंखों से देख हुई हैं ।  जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं । 
यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा ।

उस जमाने का देसी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि  2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है ।

उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा -आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था । 

टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है ।  हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा  समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । 

उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी । सब आस्तिक थे । 

दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।

बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था । बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था,  मरने तक उसकी सेवा होती थी ।
उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है , अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें , कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ??? 

जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था ।

 माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे । पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।

 वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था । 

वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था , वह अतुल्य भारत था । पिछले 30-40 वर्ष में लार्ड मैकाले की शिक्षा उस गौरवशाली सुसम्पन्न भारत को निगल गई । 

हाय रे लार्ड मैकाले
तेरा सत्यानाश हो । 

तेरी शिक्षा सबसे पहले किसी देश की संवेदनाओं को जहर का टीका लगाती है , फिर शर्म-हया की जड़ों में तेजाब डालती है और फिर मानवता को पूरी तरह अपंग बनाकर उसे अपनी जरूरत की मशीन का रूप दे देती है ।
जय ठाकर....!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...