सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
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🌷 शाश्वतज्ञान-वेदान्त🌷
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🕉 *सागर के मोती*
भगवदभजन में परतंत्रता नहीं होती-- यह सिद्धांत है। सांसारिक प्रतिकूलता भजन में बाधक नहीं होती। प्रतिकूलता में मनुष्य संसार से ऊंचा उठता है। भगवान ने भागवत में कहा है कि मैं कृपा करता हूं तो धन हरण कर लेता हूं अर्थात प्रतिकूलता भेजता हूं। भगवान धन नहीं हटाते प्रत्युत परमात्मा प्राप्ति की बाधा हटाते हैं। अपने सुख दुख का कारण दूसरे को मानना ही बाधा है सुख या दुख को देने वाला कोई दूसरा नहीं है-- *सुखस्य दुखस्य न कोऽपि दाता* मनुष्य वर्तमान के कर्मों से बंधता है पूर्व के कर्मों से नहीं। पूर्व कर्मों के अनुसार तो परिस्थिति आती है परिस्थिति दुख नहीं देती प्रत्युत अनुकूलता की इच्छा दुख देती है।
भजन में सभी स्वतंत्र हैं परंतु मनुष्य अनुकूलता में न तो भजन करता है न पुण्य। अनुकूलता हो या प्रतिकूलता, स्वार्थ और अभिमान का त्याग करके दूसरों का हित करें। क्रोध करने से भी किसी का हित होता है तो वैसा करो। हमारा ध्येय हित का होना चाहिए। *सभी प्रश्नों का उत्तर शास्त्र में है हम जाने चाहे ना जाने*। प्रतिकूलता में अपना विवेक काम ना करें तो भगवान को पुकारो।
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🕉🙏हरि ॐ🙏 🕉
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🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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