सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। सुंदर कहानी ।।
*👉🏻यह कहानी अवश्य पढ़ें में भगवान का ओर भगवान मेरा*
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एक शख्स सुबह सवेरे उठा साफ कपड़े पहने और सत्संग घर की तरफ चल दिया ताकि सत्संग का आनंद प्राप्त कर सके.
चलते चलते रास्ते में ठोकर खाकर गिर पड़ा, कपड़े कीचड़ में सन गए वापस घर आया.
कपड़े बदल कर वापस सत्संग की तरफ रवाना हुआ फिर ठीक उसी जगह ठोकर खाकर गिर पड़ा और वापस घर आकर कपड़े बदले.
फिर सत्संग की तरफ रवाना हो गया.
जब तीसरी बार उस जगह पर पहुंचा तो क्या देखता है कि एक शख्स चिराग हाथ में लिए खड़ा है और उसे अपने पीछे चलने के लिए कह रहा है.
इस तरह वह शख्स उसे सत्संग घर के दरवाजे तक ले आया.पहले वाले शख्स ने उससे कहा कि आप भी अंदर आकर सत्संग सुन लें.
लेकिन वह शख्स चिराग हाथ में थामे खड़ा रहा और सत्संग घर में दाखिल नहीं हुआ. दो तीन बार इनकार करने पर उसने पूछा आप अंदर क्यों नहीं आ रहे हैं...?
दूसरे वाले शख्स ने जवाब दिया "इसलिए क्योंकि मैं काल हूं"
यह सुनकर पहले वाले शख्स की हैरत का ठिकाना न रहा।
काल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा मैं ही था जिसने आप को जमीन पर गिराया था. जब आपने घर जाकर कपड़े बदले और दोबारा सत्संग घर की तरफ रवाना हुए तो भगवान ने आपके सारे पाप क्षमा कर दिए.जब मैंने आपको दूसरी बार गिराया और आपने घर जाकर फिर कपड़े बदले और फिर दोबारा जाने लगे तो भगवान ने आपके पूरे परिवार के गुनाह क्षमा कर दीजिए.
मैं डर गया कि अगर अबकी बार मैंनेआपको गिराया और आप फिर कपड़े बदल कर चले गए तो कहीं ऐसा ना हो आपके सारे गांव के लोगों के पाप क्षमा कर दें. इसलिए मैं यहां तक आपको खुद पहुंचाने आया हूं.
अब हम देखें कि उस शख्स ने दो बार गिरने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार फिर पहुंच गया और एक हम हैं यदि हमारे घर पर कोई मेहमान आ जाए या हमें कोई काम आ जाए तो उसके लिए हम सत्संग छोड़ देते हैं, भजन ,जाप छोड़ देते हैं क्यों...?
क्योंकि हम जीव अपने भगवान से ज्यादा दुनिया की चीज़ और रिश्तेदारों से ज्यादा प्यार करते हैं। उनसे ज्यादा मोह है।
इसके विपरीत वह शख्स दो बार कीचड़ में गिरने के बाद भी तीसरी बार फिर घर जाकर कपड़े बदलकर सत्संग घर चला गया। क्यों...?
क्योंकि उसे अपने दिल में भगवान के लिए बहुत प्यार था वह किसी कीमत पर भी अपनी बंदगी का नियम टूटने नहीं देना चाहता था इसलिए काल ने स्वयं उस शख्स को मंजिल तक पहुंचाया जिसने कि उसे दो बार कीचड़ में गिराया और भगवान की प्रार्थना ओर अर्चना में रुकावट डाल रहा था बाधा पहुंचा रहा था इसी तरह हम जीव भी जब हम भजन सिमरन पर बैठे तब हमारा मन चाहे कितना ही चालाकियां करे, कितना ही बाधित करें हमें हार नहीं माननी चाहिए और मन का डटकर मुकाबला करना चाहिए। एक दिन हमारा मन स्वयं हमें उठाएगा और उसमें भी रस लेगा। बस हमें भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। और ना ही किसी काम के लिए भजन सिमरन में ढील देनी है। वह मालिक आप ही हमारे काम सिद्ध और सफल करेगा। इसीलिए हमें भी मन से हार नहीं मानना चाहिए और निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए जी...!!
🙏जय श्री कृष्ण🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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