श्रावण मास विवाह :
श्रावण मास विवाह बाधा निवारण प्रयोग :
सामग्रीः कात्यायनी यंत्र एवं कात्यायनी माला।
कई जो संतान के विवाह में विलम्ब से दुखी हैं।
इस कष्ट के निवारण हेतु पुत्र या पुत्री जिसके विवाह में अड़चनें आ रही हों उसे यह प्रयोग करना चाहिए।
Collectible India Lord Shiva Idol Shiv Padmasana Sitting Statue | Gift Item for Home Family and Friends (3.1 Inches)
विवाह की कामना रखने वाले साधक ( लड़का या लड़की ) को बाजोट पर ‘कात्यायनी यंत्र एवं कार्यसिद्धि माला’ को स्थापित करना चाहिए।
विधिवत् यंत्र आदि का पूजन कर श्रावण के हर सोमवार को निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र :
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया|
मां कुरु कल्याणि कान्ताकान्ता सुदुर्लभाम||
लड़के के विवाह के लिए निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।
Okos Men's Jewellery Gold Plated Single Line Rudraksh Link Bracelet For Boys and Men BR1000052BWN
मंत्र :
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्यानुसारिणीम|
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवाम||
पूरे श्रावण मास में इस मंत्र की 108 माला जाप होना आवश्यक है।
श्रावण मास के पश्चात् यंत्र को व माला को पूजा स्थान में स्थापित कर दें और विवाह निश्चय होने के बाद इसे जल में प्रवाहित कर दें।
Original Black Narmadeshwar 2 Inch Shivling, Lingam, Shiva Lingam & 4 Inch Jaladhari, Yoni Base, Lingam Holder, Shivling Stand for Home Puja
श्रावण मास महात्म्य ( तीसरा अध्याय )
श्रावण माह में की जाने वाली भगवान् शिव की लक्ष पूजा का वर्णन...!
सनत्कुमार बोले – हे भगवन !
आपने श्रावण मासों का संक्षिप्त वर्णन किया है. हे स्वामिन !
इस से हमारी तृप्ति नहीं हो रही है, अतः आप कृपा कर के विस्तार से वर्णन करें. जिसे सुनकर हे सुरेश्वर !
मैं कृतकृत्य हो जाऊँगा।
Okos Men's Jewellery Gold Plated Single Line Rudraksh Link Bracelet For Boys and Men BR1000052BWN
ईश्वर बोले – हे योगीश !
जो बुद्धिमान नक्तव्रत के द्वारा श्रावण मास को व्यतीत करता है, वह बारहों महीने में नक्तव्रत करने के फल का भागी होता है...!
नक्तव्रत में दिन की समाप्ति के पूर्व सन्यासियों के लिए एवं रात्रि में गृहस्थों के लिए भोजन का विधान है....!
उसमें सूर्यास्त के बाद की तीन घड़ियों को छोड़कर नक्तभोजन का समय होता है...!
सूर्य के अस्त होने के पश्चात तीन घडी संध्या काल होता है. संध्या वेला में आहार, मैथुन, निद्रा और चौथा स्वाध्याय – इन चारों कर्मों का त्याग कर देना चाहिए....!
गृहस्थ और यति के भेद से उनकी व्यवस्था के विषय में मुझसे सुनिए....!
सूर्य के मंद पड़ जाने पर जब अपनी छाया अपने शरीर से दुगुनी हो जाए,..!
उस समय के भोजन को यति के लिए नक्त भोजन कहा गया है....!
रात्रि भोजन उनके लिए नक्त भोजन नहीं होता है।
Njels 925 Silver Karungali Bracelet for Men and Women | Natural Karungali Beads 7.00 MM Size with Silver Capping | Ebony Wood Beads Bracelet | Including Length Extension Chain
तारों के दृष्टिगत होने पर विद्वानों ने गृहस्थ के लिए नक्त कहा है....!
यति के लिए दिन के आठवें भाग के शेष रहने पर भोजन का विधान है...!
उसके लिए रात्रि में भोजन का निषेध किया गया है....!
गृहस्थ को चाहिए कि वह विधिपूर्वक रात्रि में नक्त भोजन करे और यति...!
विधवा तथा विधुर व्यक्ति सूर्य के रहते नक्तव्रत करें....!
विधुर व्यक्ति यदि पुत्रवान हो तब उसे भी रात्रि में ही नक्तव्रत करना चाहिए.....!
अनाश्रमी हो अथवा आश्रमी हो अथवा पत्नीरहित हो अथवा पुत्रवान हो –
उन्हें रात्रि में नक्तव्रत करना चाहिए।
ADA Handicraft® Lord Shiva & Family Photo Frame for Wall and Pooja/Poster for Pooja/Religious Framed Painting for Worship (35 x 25) cm ,Wood ,Multicolor
इस प्रकार बुद्धिमान मनुष्य को अपने अधिकार के अनुसार नक्तव्रत करना चाहिए....!
इस मास में नक्तव्रत करने वाला व्यक्ति परम गति प्राप्त करता है....!
“मैं प्रातःकाल स्नान करूँगा, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करूँगा, नक्तभोजन करूँगा, पृथ्वी पर सोऊँगा और प्राणियों पर दया करूँगा. हे देव !
इस व्रत को प्रारम्भ करने पर यदि मैं मर जाऊँ तो हे जगत्पते !
आपकी कृपा से मेरा व्रत पूर्ण हो” –
ऐसा संकल्प करके बुद्धिमान व्यक्ति को श्रावण मास में प्रतिदिन नक्तव्रत करना चाहिए. इस प्रकार नक्तव्रत करने वाला मुझे अत्यंत प्रिय होता है।
Divine Harmony: Jellybean Retails Vamavarti Original Loud Blowing Shankh|Conch For Pooja - 350 grm, 6 Inch (Size Guarantee - Quality Matters)
ब्राह्मण के द्वारा अथवा स्वयं ही अतिरुद्र, महारुद्र अथवा रुद्रमंत्र से महीने भर प्रतिदिन अभिषेक करना चाहिए....!
हे वत्स ! मैं उस व्यक्ति पर प्रसन्न हो जाता हूँ....!
क्योंकि मैं जलधारा से अत्यंत प्रीति रखने वाला हूँ अथवा रुद्रमंत्र के द्वारा मेरे लिए अत्यंत प्रीतिकर होम प्रतिदिन करना चाहिए....!
अपने लिए जो भी भोज्य पदार्थ अथवा सुखोपभोग की वस्तु अतिप्रिय हो...!
संकल्प करके उन्हें श्रेष्ठ ब्राह्मण को प्रदान करके स्वयं महीने भर उन पदार्थों का त्याग करना चाहिए।
Valampuri / Dakshinavarti Shankh, Sangu 13-14 CM Whole sale offer - Original Product from Rameswaram
हे मुने! अब इसके बाद उत्तम लक्षपूजाविधि को सुनिए....!
लक्ष्मी चाहने वाले अथवा शान्ति की इच्छा वाले मनुष्य को लक्ष विल्वपत्रों या लक्ष दूर्वादलों से शिव की पूजा करनी चाहिए. आयु की कामना करने वाले को चम्पा के लक्ष पुष्पों तथा विद्या चाहने वाले व्यक्ति को मल्लिका या चमेली के लक्ष पुष्पों से श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए....!
शिव तथा विष्णु की प्रसन्नता तुलसी के दलों से सिद्ध होती है....!
पुत्र की कामना करने वाले को कटेरी के दलों से शिव तथा विष्णु का पूजन करना चाहिए.....!
बुरे स्वप्न की शान्ति के लिए धान्य से पूजन करना प्रशस्त होता है....!
देव के समक्ष निर्मित किए गए रंगवल्ली आदि से विभिन्न रंगों से रचित पद्म, स्वस्तिक और चक्र आदि से प्रभु की पूजा करनी चाहिए....!
इस प्रकार सभी मनोरथों की सिद्धि के लिए सभी प्रकार के पुष्पों से यदि मनुष्य लक्ष पूजा करे तो शिवजी प्रसन्न होंगे....!
तत्पश्चात उद्यापन करना चाहिए. मंडप निर्माण करना चाहिए और मंडप के त्रिभाग परिमाण में वेदिका बनानी चाहिए....!
तदनन्तर पुण्याहवाचन कर के आचार्य का वरण करना चाहिए और उस मंडप में प्रविष्ट होकर गीत तथा वाद्य के शब्दों और तीव्र वेदध्वनि से रात्रि में जागरण करना चाहिए.....!
वेदिका के ऊपर उत्तम लिंगतोभद्र बनाना चाहिए और उसके बीच में चावलों से सुन्दर कैलाश का निर्माण करना चाहिए....!
उसके ऊपर तांबे का अत्यंत चमकीला तथा पंचपल्लवयुक्त कलश स्थापित करना चाहिए और उसे रेशमी वस्त्र से वेष्टित कर देना चाहिए....!
उसके ऊपर पार्वतीपति शिव की सुवर्णमय प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. तत्पश्चात पंचामृतपूर्वक धूप, दीप तथा नैवेद्य से उस प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए और गीत, वाद्य, नृत्य तथा वेद, शास्त्र तथा पुराणों के पाठ के द्वारा रात्रि में जागरण करना चाहिए।
MAYAPURI Original Non-Blowing Authentic Puja Jal Shankh with Brass Sankh Stand, Pooja Jal Shankha, Jani Wala Shankh, Size Small Approx 3 inches (Pack of 1 Set)
इसके बाद प्रातःकाल भली भाँति स्नान कर के पवित्र हो जाना चाहिए और अपनी शाखा में निर्दिष्ट विधान के अनुसार वेदिका निर्माण करना चाहिए....!
तत्पश्चात मूल मन्त्र से या गायत्री मन्त्र से या शिव के सहस्त्रनामों के द्वारा तिल तथा घृतमिश्रित खीर से होम कराना चाहिए अथवा जिस मन्त्र से पूजा की गई है....!
उसी से होम करके पूर्णाहुति डालनी चाहिए....!
इसके बाद वस्त्र, अलंकार तथा भूषणों से भली - भाँति आचार्य का पूजन करना चाहिए।
Collectible India Lord Shiva Idol Shiv Padmasana Sitting Statue | Gift Item for Home Family and Friends (3.1 Inches)
तत्पश्चात अन्य ब्राह्मणों का पूजन करना चाहिए और उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए....!
जिस - जिस वस्तु से उमापति शिव की लक्षपूजा की हो उसका दान करना चाहिए.....!
स्वर्णमयी मूर्त्ति बनाकर शिव की पूजा करनी चाहिए. यदि दीपकर्म किया हो तो उस दीपक का दान करना चाहिए...!
चांदी का दीपक और स्वर्ण की वर्तिका अर्थात बत्ती बनाकर उसे गोघृत से भर कर सभी कामनाओं और अर्थ की सिद्धि के लिए उसका दान करना चाहिए....!
इसके बाद प्रभु से क्षमा-प्रार्थना करनी चाहिए और अंत में एक सौ ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. हे मुने !
जो व्यक्ति इस प्रकार पूजा करता है, मैं उस पर प्रसन्न होता हूँ....!
उसमें भी जो श्रावण मास में पूजा करता है...!
उसका अनंत फल मिलता है।
Collectible India Lord Shiva Idol Shiv Padmasana Sitting Statue | Gift Item for Home Family and Friends (3.1 Inches)
यदि अपने लिए अत्यंत प्रिय कोई वस्तु मुझे अर्पण करने के विचार से इस मास में कोई त्यागता है तो अब उसका फल सुनिए.....!
इस लोक में तथा परलोक में उसकी प्राप्ति लाख गुना अधिक होती है.....!
सकाम करने से अभिलषित सिद्धि होती है और निष्काम करने से परम गति मिलती है....!
इस मास में रुद्राभिषेक करने वाला मनुष्य उसके पाठ की अक्षर-संख्या से एक - एक अक्षर के लिए करोड़ - करोड़ वर्षों तक रुद्रलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है....!
पंचामृत का अभिषेक करने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त करता है।
Shiva Murti de latón sentado Nandi Shivling con Rudraksha Mala con estatua de Trishul y Damru para inauguración de la casa Mandir Mahashivaratri regalo (LxBxH 9.5x6x10 pulgadas)
इस मास में जो मनुष्य भूमि पर शयन करता है, उसका फल भी मुझसे सुनिए. हे द्विजश्रेष्ठ !
वह मनुष्य नौ प्रकार के रत्नों से जड़ी हुई, सुन्दर वस्त्र से आच्छादित, बिछे हुए कोमल गद्दे से सुशोभित, देश तकियों से युक्त, रम्य स्त्रियों से विभूषित, रत्ननिर्मित दीपों से मंडित तथा अत्यंत मृदु और गरुडाकार प्रवालमणिनिर्मित अथवा हाथी दाँत की बनी हुई अथवा चन्दन की बनी हुई उत्तम तथा शुभ शय्या प्राप्त करता है....!
इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन करने से वीर्य की दृढ पुष्टि होती है. ओज, बल, शरीर की दृढ़ता और जो भी धर्म के विषय में उपकारक होते हैं –
वह सब उसे प्राप्त हो जाता है....!
निष्काम ब्रह्मचर्य व्रती को साक्षात ब्रह्मप्राप्ति होती है और सकाम को स्वर्ग तथा सुन्दर देवांगनाओं की प्राप्ति होती है।
इस मास में दिन-रात अथवा केवल दिन में अथवा भोजन के समय मौनव्रत धारण करने वाला भी महान वक्ता हो जाता है.....!
व्रत के अंत में घंटा और पुस्तक का दान करना चाहिए.....!
मौनव्रत के माहात्म्य से मनुष्य सभी शास्त्रों में कुशल तथा वेद - वेदांग में पारंगत हो जाता है तथा बुद्धि में बृहस्पति के समान हो जाता है.....!
मौन धारण करने वाले का किसी से कलह नहीं होता अतः मौनव्रत अत्यंत उत्कृष्ट है।
[セイコー] 腕時計 セイコーimport SEIKO 5 セイコーファイブ 自動巻き 海外モデル SNKE03KC メンズ ブラック
||श्रीस्कन्दपुराण के अंतर्गत ईश्वरसानत्कुमार संवाद में श्रावण मास महात्म्य में “नक्तव्रतलक्षपूजा-भूमिशयनमौनादिव्रतकथन” नामक तीसरा अध्याय पूर्ण हुआ||
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો