https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: ।। सुंदर अद्भुत रचना ।।*गोपीगीत* *पुष्प-*🌹

।। सुंदर अद्भुत रचना ।।*गोपीगीत* *पुष्प-*🌹

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर अद्भुत रचना ।।

*गोपीगीत*

  *पुष्प-*🌹


 *सुरतवर्धनम् शोक नाशनम् स्वरित वेणुना सुष्ठु चुम्बितम् ।* *इतररागविस्मारणं नृणां वितर वीर नस्तेऽ-धरामृतम्।।1️⃣4️⃣।।*


🌹     भगवान हंसते हुए कहते हैं, 'अरी सखि ! तुमने अपने लिये तो कुछ भी नहीं माँगा, सब कुछ तो तुमने मेरे लिये ही माँगा है। गोपिका प्रत्युत्तर में कहती है, महाराज ! अब तो मैं रही ही कहाँ हूँ? आप ही तो सर्वत्र हैं। मेरे शरीर का, मेरे मन का एक कोना आप ऐसा तो बताइये कि जहाँ मैं होऊँ और आप न हों? आपही आत्मा है और आपही आनन्द हैं। इसका नाम है, 'सुरति'।

🌹    जब श्यामसुन्दर वेणु के नाद में अधरामृत पधराते हैं तब भक्ति की सुरति को अभिवृद्ध करते हैं। अनन्य प्रेम को और अधिक अनन्य बनाते हैं तथा निष्काम प्रेम को और अधिक निष्काम बनाते हैं। आसक्ति वाला प्रेम वेणुनाद में स्थित अमृत का पान करते हुए व्यसन को प्राप्त हो जाता है। हमें यदि एक बार किसी व्यंजन का स्वाद लग जाय तो हम उस व्यजन को बनवाने के लिये बार-बार प्रयास करेंगे। अपना मन पसंद भोजन करने की सबको इच्छा होती है। भक्तों के लिये प्रभु का स्वरूपामृत ही 'सुरत वर्धन' है । मन पसंद भोजन है।
🌹    यह अधरामृत तो मात्र 'सुरत वर्धन' ही नहीं है, वह तो तापनाशनम् शोक नाशन भी है। इस अमृत में भक्त के ताप, पाप तथा सन्ताप धुल जाते
हैं। अविद्या व्यक्ति को तीन वस्तुओं से दुःख देती है। शोक, मोह तथा भय। ये तीनों त्रिविध ताप को देने वाले हैं। भूतकाल को याद करने से शोक होता है, वर्तमान में होश खो जाने पर (भान भूल जाने पर) मोह उत्पन्न होता है तथा भविष्यत् काल को याद करने से भय उत्पन्न होता है। हम कभी भूतकाल में कभी वर्तमान काल में और कभी भविष्यत् काल में उलझ जाते हैं। उसमें से ही शोक, मोह तथा भय जागृत होता है। भगवान की भक्ति, भगवान की सेवा तथा भगवान का वेणुनाद इन शोक, मोह तथा भय को दूर करने वाले हैं।
  
           क्रमशः.......
           
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   *)🌼कृष्णमयीरात्रि🌼(*
*°🌹श्रीकृष्णाय समर्पणं 🌹°*
   *)🌼जैश्रीराधेकृष्ण (*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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