सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
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*🙏सादर वन्दे🙏*
*🚩धर्मयात्रा 🚩*
*🐍 परशुराम महादेव गुफा मंदिर 🐍*
*👌मेवाड़ का अमरनाथ👌*
*👉स्थान से जुडी है कई मान्यताएँ :---*
*इस स्थान से जुडी एक मान्यता के अनुसार भगवान बद्रीनाथ के कपाट वही व्यक्ति खोल सकता है , जिसने परशुराम महादेव के दर्शन कर रखे हो ।*
*👉_एक अन्य मान्यता :---*
*गुफा मंदिर में स्थित शिवलिंग से जुडी है -- गुफा मंदिर में स्थित शिवलिंग में एक छिद्र है , जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें दूध का अभिषेक करने से दूध छिद्र में नहीं जाता जबकि पानी के सैकड़ों घड़े डालने पर भी वह नहीं भरता और पानी शिवलिंग में समा जाता है।*
*इसी जगह पर परशुरामजी ने दानवीर कर्ण को शिक्षा दी थी।*
स्वयं परशुरामजी ने फरसे से चट्टान को काटकर किया था इसका निर्माण ।
अरावली की सुरम्य पहाड़ियों में स्थित " परशुराम महादेव गुफा मंदिर " का निर्माण स्वयं परशुरामजी ने अपने फरसे से चट्टान को काटकर किया था। इस गुफा मंदिर तक जाने के लिए 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। इस गुफा मंदिर के अंदर एक स्वयं भू शिवलिंग है जहाँ पर विष्णु के छठे अवतार परशुरामजी ने भगवान शिव की कई वर्षो तक कठोर तपस्या की थी। तपस्या के बल पर उन्होंने भगवान शिव से धनुष , अक्षय तूणीर एवं दिव्य फरसा प्राप्त किया था।
हैरतअंगेज करने वाली बात यह है कि , पूरी गुफा एक ही चट्टान में बनी हुई है। ऊपर का स्वरूप गाय के थन जैसा है। *प्राकृतिक स्वयं-भू लिंग के ठीक ऊपर गोमुख बना है , जिससे शिवलिंग पर अविरल प्राकृतिक जलाभिषेक हो रहा है।* मान्यता है कि मुख्य शिवलिंग के नीचे बनी धूणी पर कभी भगवान परशुरामजी ने शिव की कठोर तपस्या की थी। इसी गुफा में एक शिला पर एक राक्षस की आकृति बनी हुई है। जिसे परशुरामजी ने अपने फरसे से मारा था।
दुर्गम पहाड़ी , घुमावदार रास्ते , प्राकृतिक शिवलिंग , कल-कल करते झरने एवं प्राकृतिक सौंदर्य से ओत-प्रोत होने के कारण भक्तों ने इसे " *मेवाड़ का अमरनाथ*" का नाम दे दिया है।
*कहाँ स्थित है :---*
परशुराम महादेव का मंदिर राजस्थान के राजसमन्द और पाली जिले की सीमा पर स्थित है। मुख्य गुफा मंदिर राजसमन्द जिले में आता है जबकि कुण्ड धाम पाली जिले में आता है। पाली से इसकी दुरी करीब 100 किलोमीटर और विश्व प्रसिद्ध *कुम्भलगढ़ दुर्ग से मात्र 10 किलोमीटर दूर है।*
इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 3600 फ़ीट है। यहाँ से कुछ दूर सादड़ी क्षेत्र में परशुराम महादेव की बगीची है। गुफा मंदिर से कुछ ही मील दूर मातृकुंडिया नामक स्थान है , *जहाँ परशुराम को मातृहत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। इसके अलावा यहाँ से 100 किमी दूर पर परशुराम के पिता *महर्षि जमदग्नीजी की तपोभूमि है।*
*इसी जगह पर परशुरामजी ने दानवीर कर्ण को
शिक्षा दी थी।*
*सावन में भरता है विशाल मेला :---*
परशुराम महादेव मंदिर में परशुराम जयंती पर तो कोई खास कार्यक्रम नहीं होता है लेकिन हर साल श्रावण शुक्ल षष्ठी और सप्तमी को यहाँ विशाल मेला लगता है।
*🙏 शिव शिव शिव 🙏*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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