https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: *👉रुद्राक्ष संस्कार ::-************

*👉रुद्राक्ष संस्कार ::-************

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*👉रुद्राक्ष संस्कार ::-

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जो व्यक्ति बिना मन्त्र से अभिमंत्रित किये रुद्राक्ष धारण करता है, वह 14 इन्द्रों के कालपर्यंत नरक में वास करता है ।
अतएव रुद्राक्ष का संस्कार आवश्यक है ।
पंचगव्य तथा पंचामृत से रुद्राक्ष का प्रक्षालन करके उस पर इन मन्त्रों-

''ॐ नमः शिवाय'', 

''ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ''

और 

''ॐ हौं अघोरे ॐ हौं घोरे हुं घोरतरे ॐ ह्रैं ह्रीं सर्वतः सर्वेभ्यो नमस्ते रूद्ररूपिणे'' ।
का जप करे,

फिर एक एक रुद्राक्ष पर जितने मुखी का हो उनके मंत्रों का 100 बार जप करे ।

1. एकमुखी- ॐ ऊं भृशं नमः ।

2. दोमुखी- ॐ ऊं नमः ।

3. तीनमुखी- ॐ ह्रां नमः ।

4. चारमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

5. पांचमुखी- ॐ हुं नमः ।

6. छःमुखी- ॐ हूं नमः ।

7. सातमुखी- ॐ ऊं हुं हूं नमः ।

8. आठमुखी- ॐ सं हुं नमः ।

9. नौमुखी- ॐ हुं नमः ।

10. दशमुखी- ॐ हं नमः ।

11. एकादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।

13. तेरहमुखी- ॐ क्षां क्षौं नमः ।

14. चौदहमुखी- ॐ नमो नमः ।
👉अब इनको धारण करने का मंत्र:-

1. एकमुखी- ॐ ऐं ।

2. दोमुखी- ॐ श्रीं ।

3. तीनमुखी- ॐ ध्रुं ध्रुं ।

4. चारमुखी- ॐ हां हूंः ।

5. पांचमुखी- ॐ ह्रीं ।

6. छःमुखी- ॐ ऐं ह्रीं ।

7. सातमुखी- ॐ ह्रीं ।

8. आठमुखी- ॐ रुं रं ।

9. नौमुखी- ॐ ह्रां ।

10. दशमुखी- ॐ ह्रीं ।

11. एकादशमुखी- ॐ श्रीं ।

12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रां ह्रीं ।

13. तेरहमुखी- ॐ क्षौं स्रौं ।

14. चौदहमुखी- ॐ डं मां ।
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एक मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को साक्षात् भगवान शिव का ही रूप माना गया है | इसकी उत्पत्ति बहुत कम होती है | अतः इसे प्राप्त कर पाना बहुत ही दुर्लभ है | एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य जनित दोषों को समाप्त करता है | इसे धारण करने से नेत्र संबधी रोग , ह्रदय रोग , पेट रोग और हड्डी के रोगों से मुक्ति मिलती है | इस धारण करने से सांसारिक , मानसिक ,शारीरिक और देवीय कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ -साथ आत्म मनोबल में वृद्धि होती है | राशि अनुसार कर्क , सिंह और मेष राशि के व्यक्ति इसे धारण करें तो उनके लिए यह अधिक उत्तम होता है |  असली एक मुखी रुद्राक्ष को प्राप्त कर पाना बहुत ही मुश्किल है | अतः किसी विशेषज्ञ द्वारा असली एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान करने के पश्चात ही इसे धारण करना चाहिए | ऑनलाइन और ऊँची कीमत पर मिलने वाले रुदाक्ष को उनकी कीमत के आधार पर उनके असली व नकली होने की पहचान कदापि न करें |

दो मुखी रुद्राक्ष/ 2 Mukhi Rudraksha :-

दो मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को शिव शक्ति का स्वरुप माना जाता है | मष्तिष्क , ह्रदय , फेफड़ों  और नेत्र रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ  प्राप्त होता है | इसे धारण करने से भगवान अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते है | इसे धारण/dharan करने से पति – पत्नी के बीच प्रेम भाव बढ़ता है | गो हत्या के पाप का दोष इस रुद्राक्ष के धारण करने और इसकी नित्य पूजा करने से समाप्त हो जाता है | युवक- युवतियों के विवाह में यदि  विलम्ब हो रहा हो तो  इस रुद्राक्ष के धारण करने से शीघ्र शुभ परिणाम मिलते है | कर्क राशी वालो के लिए यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी है |

तीन मुखी रुद्राक्ष /3 Mukhi Rudraksha:- 

तीन मुखी रुद्राक्ष Rudraksha अग्नि देव का स्वरुप माना गया है इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है | नीरस बन चुके जीवन में फिर से  नई  उमंग जगाने के साथ -साथ  तीन मुखी रुद्राक्ष पेट से संबधित होने वाली सभी बिमारियों के लिए भी बहुत लाभदायक है

चार मुखी रुद्राक्ष /4 Mukhi Rudraksha:- 

चार मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को धारण करने से संतान प्राप्ति होते है | यह रुद्राक्ष बुद्धि को तीव्र करता है शरीर के रोगों को भी दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला विकसित होती है | वेदों और धार्मिक ग्रंथो के अध्यन में भी सफलता प्राप्त होती है | शिवमहापुराण  के अनुसार इस रुद्राक्ष को लम्बे समय तक धारण करने से और भगवान शिव के बीज मंत्रो का पाठ करने से जीव हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है |

पांच मुखी रुद्राक्ष/5 Mukhi Rudraksha :- 

पंच मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को सर्वगुण संपन्न कहा गया है | यह भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है   इसे सभी रुद्राक्षो में सबसे अधिक शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है |इसका अधिपति गृह बृहस्पति है  इसलिए बृहस्पति गृह के प्रतिकूल होने के कारण आने वाली समस्याएं  इस रुद्राक्ष के धारण करने से स्वतः दूर हो जाती है | पांच मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से जीवन में सुख -शांति और प्रसद्धि प्राप्त होती है | पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के नाम से विख्यात है पंचमुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का निवास माना गया है |

पंचमुखी रुद्राक्ष के धारण करने से रक्तचाप और मधुमेह सामान्य रहता है | पेट के रोगों में भी यह रुद्राक्ष लाभ पहुंचाता है | मन में आने वाले गलत विचारो को नियंत्रित कर मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है | राशि के अनुसार मेष , कर्क , सिंह , वृश्चिक , धनु और मीन राशी वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है |

छह मुखी रुद्राक्ष/ 6 Mukhi Rudraksha :-

छह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान शिव पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना गया है | शिव महापुराण अनुसार इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने और नियमित पूजा करने से ब्रह्म हत्या के पाप से सभी मुक्ति मिल सकती है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि का विकास होने के साथ -साथ  नेतृत्व करने की क्षमता भी विकसित होती है |  शरीर में आने वाले रोगों को भी दूर कर स्वस्थ जीवन प्रदान करता है | इस रुद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसके फलस्वरूप जीवन में आने वाले सभी कष्ट स्वतः ही दूर होने लगते है | इस रुद्राक्ष के प्रधान देव शुक्र देव को माना गया है |

सात मुखी रुद्राक्ष /7 Mukhi Rudraksha :- 

सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्त्व करता है | माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर हमेशा बनी रहती है | घर में धन की वृद्धि होती है | सात मुखी रुद्राक्ष Rudraksha पर शनिदेव का प्रभाव माना गया है | इसलिए इसको धारण करने पर शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा बनाये रखते है | सप्तमुखी होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर में सप्धातुओं की रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है | जो व्यक्ति मानसिक बीमारी या जोड़ो के दर्द से परेशान है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए |

आठ मुखी रुद्राक्ष / 8 Mukhi Rudraksha : – 

आठ मुखी रुद्राक्ष भैरो देव जी का स्वरुप माना गया  है | और इसके प्रधान देव श्री गणेश जी है | इसे धारण करने से अष्टदेवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है | इसे धारण करने से इन्द्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति जागृत होती है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि , ज्ञान, धन और यश की प्राप्ति होती है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से और विधिवत पूजन करने से  पर स्त्री भोग के पाप से मुक्ति मिलती है | यह रुद्राक्ष जीवन की हर मुश्किलों को दूर कर रिद्धि -सिद्धि प्रदान करता है |आठ मुखी रुद्राक्ष राहू गृह से सम्बंधित है | अगर आपकी कुंडली में राहू दोष होने के कारण कठिनाइयाँ आ रही है तो इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें |

नौ मुखी रुद्राक्ष /9 Mukhi Rudraksha :- 

नौ मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को माँ भगवती की नौ शक्तियों  का प्रतीक माना गया है | इसके साथ -साथ कपिलमुनि और भैरोदेव की भी कृपा इस रुद्राक्ष पर है | इस रुद्राक्ष Rudraksha को धारण करने से शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है |   इस रुद्राक्ष का प्रधान गृह केतु है अतः यह  केतु गृह के कारण जीवन में आने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से कीर्ति , मान -सम्मान में वृद्धि होती है और मन को शांति मिलती है | माँ नवदुर्गा का स्वरुप होने के कारण यह रक्षा कवच का कार्य करता है | जो माँ दुर्गा की पूजा करते है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिये |

दस मुखी रुद्राक्ष/ 10 Mukhi Rudraksha :- 

इस रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से उपरी बाधाएं , भूत-प्रेत  जैसी नकारात्मक शक्तियां शरीर से दूर रहती है | तंत्र – मंत्र और साधनाएं करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए | पेट के रोगों में , गठिया ,दमा और नेत्र रोगों में यह रुद्राक्ष विशेष लाभ पहुंचाता है |

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष/ 11 Mukhi Rudraksha : –

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान शिव के 11 रुद्रों का प्रतीक माना गया है | भगवान शिव के 11वे अवतार हनुमान जी की विशेष कृपा इस रुद्राक्ष को धारण करने पर बनी रहती है | व्यापार में उन्नत्ति प्राप्त करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण/dharan करना चाहिए | इस रुद्राक्ष के धारण करने पर अकाल मृत्यु का भय नही रहता | धार्मिक अनुष्ठान , यज्ञ -हवन आदि धार्मिक कार्यों में यह रुद्राक्ष सफलता प्रदान करता है |

बारह मुखी रुद्राक्ष/ 12 Mukhi Rudraksha : – 

बारह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को भगवान महाविष्णु का स्वरुप माना गया है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से असाध्य से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते है | इस रुद्राक्ष के धारण/Dharan करने से ह्रदय , मष्तिस्क और उदर रोगों में लाभ प्राप्त होता है | गोवध और रत्नों की चोरी करने जैसे महापापों में इस रुद्राक्ष द्वारा मुक्ति प्राप्त होती है | यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओ से आपको बचाता है |

तेरह  मुखी रुद्राक्ष/ 13 Mukhi Rudraksha : –

तेरह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को स्वर्ग के राजा इन्द्रदेव का स्वरुप माना गया है | इसके साथ -साथ इसे धारण करने पर कामदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है | इस धारण करने से वशीकरण और किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण भी आता है | जिनके जीवन में प्रेम और ग्रहस्थ सुख की कमी हो उन्हें इस रुद्राक्ष Rudraksha को अवश्य धारण करना चाहिए | सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बनाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण/Dharan किया जा सकता है |

चौदह मुखी रुद्राक्ष/ 14 Mukhi Rudraksha : – 

चौदह मुखी रुद्राक्ष Rudraksha को साक्षात् हनुमान जी का स्वरुप माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले जातक को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए | भूत – प्रेत और उपरी बाधाएं इस रुद्राक्ष के धारण करने स्वतः अपना स्थान छोड़ देती है | यह रुद्राक्ष व्यक्ति को उर्जावान और निरोगी बनाता है | इस रुद्राक्ष Rudraksha के धारण/Dharan करने से साधना में सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है |*
हर हर महादेव हर....!!!
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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