https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: ।। सुंदर कहानी ।।🍂🍃 भय और लोभ से बने सम्बन्ध अंततः बहुत दुखदायी साबित होते है!🍃🍂

।। सुंदर कहानी ।।🍂🍃 भय और लोभ से बने सम्बन्ध अंततः बहुत दुखदायी साबित होते है!🍃🍂

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

🍂🍃 भय और लोभ से बने सम्बन्ध अंततः बहुत दुखदायी साबित होते है!🍃🍂

कुछ पुरानी यहूदी बस्तियों में एक नियम था कि जब भी कोई नया यहूदी बस्ती में आए, तो सारा गांव एक-एक रुपया उसे भेंट कर दे--प्रत्येक व्यक्ति। तो अगर दस हजार लोग होते तो दस हजार रुपए उसे मिल जाते। उसकी जिंदगी गतिमान हो जाती। मकान बन जाता, उसकी दूकान खुल जाती। फिर दुबारा कभी कोई नगर में नया आदमी आएगा, तो इस आदमी को भी उसे एक रुपया देना होगा।
यह बढ़िया सामाजिक व्यवस्था थी। गांव में कोई आदमी गरीब नहीं रह सकता था। लेकिन इस घटना को मैं किसी दूसरे प्रयोजन से कह रहा हूं। हम भी इस जिंदगी में आते हैं और चारों तरफ से थोड़े-थोड़े टुकड़े हमें दिए जाते हैं। उन्हीं टुकड़ों के आधार पर हम भीतर अहंकार का भवन निर्माण करते हैं। कुछ पिता देते हैं, कुछ मां देती है, कुछ भाई-बहन देते हैं, कुछ संगी-साथी, गांव के लोग, पड़ोस के लोग देते हैं। और उन सबसे हमारे भीतर अहंकार का भवन निर्मित होता है। फिर भय बना रहता है--कोई भी कभी एक ईंट खींच ले! इसलिए जिनसे हमें मिलता है, उनसे हमें भय भी लगा रहता है, डर भी लगा रहता है। कभी भी, जो दिया है, वह वापस लिया जा सकता है। और जो नहीं दिया है, उस पर आंख भी लगी रहती है कि वह भी हमें मिल जाए।

ये लोभ और भय हमारे भीतर हैं। और इस लोभ और भय से हम जो भी संबंध निर्मित करते हैं जीवन में, वे सभी हमें दुख लाएंगे। उनसे किसी से भी सुख आने का कोई उपाय नहीं है। क्योंकि परतंत्रता गहरे से गहरा दुख है। और अगर मेरी आत्मा भी उधार है और केवल दूसरों के टुकड़ों से निर्मित हुई है...।

 प्रवचन--30 (पोस्ट 7)

       🍃🍂 *जय मुरलीधर*🍃🍂

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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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