सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
*🌺गणेशजी के तुलसी नही चढ़ने की पौराणिक कहानी🌺🙏🏻*
प्राचीन समय की बात है | भगवान श्री गणेश गंगा के तट पर भगवान विष्णु के घोर ध्यान में मग्न थे | गले में सुन्दर माला , शरीर पर चन्दन लिपटा हुआ था और वे रत्न जडित सिंगासन पर विराजित थे | उनके मुख पर करोडो सूर्यो का तेज चमक रहा था | वे बहुत ही आकर्षण पैदा कर रहे थे | इस तेज को धर्मात्मज की यौवन कन्या तुलसी ने देखा और वे पूरी तरह गणेश जी पर मोहित हो गयी | तुलसी स्वयं भी भगवान विष्णु की परम भक्त थी| उन्हें लगा की यह मोहित करने वाले दर्शन हरि की इच्छा से ही हुए है | उसने गणेश से विवाह करने की इच्छा प्रकट की |
भगवान गणेश का तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराना :
भगवान गणेश ने कहा कि वह ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं और विवाह के बारे में अभी बिलकुल नहीं सोच सकते | विवाह करने से उनके जीवन में ध्यान और तप में कमी आ सकती है | इस तरह सीधे सीधे शब्दों में गणेश ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया |
पढ़े : संकट चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा
तुलसी का गणेश को श्राप :
धर्मपुत्री तुलसी यह सहन नही कर सकी और उन्होंने क्रोध में आकार उमापुत्र गजानंद को श्राप दे दिया की उनकी शादी तो जरुर होगी और वो भी उनकी इच्छा के बिना |
गणेश का तुलसी को श्राप :
ऐसे वचन सुनकर गणेशजी भी चुप बैठने वाले नही थे | उन्होंने भी श्राप के बदले तुलसी को श्राप दे दिया की तुम्हारी शादी भी एक दैत्य से होगी | यह सुनकर तुलसी को अत्यंत दुःख और पश्चाताप हुआ | उन्होंने गणेश से क्षमा मांगी | भगवान गणेश दया के सागर है वे अपना श्राप तो वापिस ले ना सके पर तुलसी को एक महिमापूर्ण वरदान दे दिए |
गजानंद का तुलसी को वरदान
दैत्य के साथ विवाह होने के बाद भी तुम विष्णु की प्रिय रहोगी और एक पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी | तुम्हारे पत्ते विष्णु के पूजन को पूर्ण करेंगे | चरणामृत में तुम हमेशा साथ रहोगी | मरने वाला यदि अंतिम समय में तुम्हारे पत्ते मुंह में डाल लेगा तो उसे वैकुंट लोक प्राप्त होगा |
बाद में वही तुलसी वृन्दा बनी और दैत्य शंखचुड से उसका विवाह हुआ | भगवान विष्णु ने वृन्दा पतिव्रता धर्म खत्म कर शिवजी के हाथो शंखचुड की हत्या करवा दी | वृन्दा ने तब विष्णु को काले पत्थर शालिग्राम बनने का श्राप दे दिया |
ध्यान रखे गणेश चतुर्थी पूजा विधि या संकट चतुर्थी पर जब भी एकदंत की पूजा करे तो तुलसी जी को उनसे दूर ही रखे |
हर हर महादेव हर....!!!
{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.....जय जय परशुरामजी )))))) }}}}}}
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
बहुत सुंदर
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