सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
युधिष्ठर को पूर्ण आभास था,कि कलयुग में क्या होगा ?
युधिष्ठर को पूर्ण आभास था,
कि कलयुग में क्या होगा ?
पूरा अवश्य पढें।
अच्छा लगेगा।
पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था।
पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान
ढूंढ रहे थे।
उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी शनिदेव के मन विचार आया कि इन 5 में बुद्धिमान कौन है परीक्षा ली जाय।
शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।
अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी
और वो आकर्षित हो गया ,
भीम, यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।
भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,
भीम बोला- मुझे महल देखना है!
शनिदेव ने कहा- महल की कुछ शर्त है ।
1- शर्त महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
2-शर्त महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
3-शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।
भीम ने कहा-
मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।
और वह महल के पूर्व छोर की ओर गया ।
वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा,
आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुआ।
बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।
दरबान - क्या देखा आपने ?
भीम- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे।
एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।
दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।
अर्जुन आया बोला-
मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया।
आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है।
एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।
बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा
मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही ।
अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।
दरबान ने पूछा क्या देखा,
अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।
शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।
नकुल आया बोला
मुझे महल देखना है ।
फिर वह उत्तर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।
शनिदेव ने पूछा क्या देखा ?
नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।
सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है वहां पर एक सोने की बड़ी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।
चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।
भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।
युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा ?
भीम ने कुंऐ के बारे में बताया
तब युधिष्ठिर ने कहा-
यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।
भीम को छोड़ दिया।
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??
उसने फसल के
बारे में बताया
युधिष्ठिर ने कहा-
यह भी कलियुग में होने वाला है।
वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी।
अर्जुन भी छूट गया।
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।
तब युधिष्ठिर ने कहा-
कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।
तब नकुल भी छूट गया।
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,
तब युधिष्ठिर बोले-
कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।।
आज के कलयुग में यह
सारी बातें सच
साबित हो रही है ।।
मुझे अच्छा लगा।
आपके समक्ष रखा है ।
मैं आशा करता हूँ
🙏 कि आप इसे और भी लोगों तक पहुचायेंगे !!!!!!!
👏🏻👏🏻 जयश्रीकृष्ण, जय श्रीराधे 👏🏻👏🏻
🙏🏻 *ॐ शांति*🙏🏻
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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