https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: *महाकाल के दर्शन तो आप रोजाना*

*महाकाल के दर्शन तो आप रोजाना*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*महाकाल के दर्शन तो आप रोजाना*   


महाकाल के दर्शन तो आप रोजाना 
 ही करते है ,तो विचार आया कि क्यों न श्री
महाकाल बाबा का पूरा महात्म लिखू पढ़ें जरूर
       जय श्री महाकाल

महाकाल महामात्य ( उज्जैन् )
       

महाकाल मंदिर परिसर में प्रमुख 42 देवताओं के मंदिर है,इस मन्दिर का लगभग साढ़े सात एकड़ में फैला विशाल परिसर संभवत भारत के किसी अन्य ज्योतिर्लिंग का नहीं है ।

देश के 12 ज्योर्तिलिंगो में एक  श्री महाकाल पृथ्वी लोक के अधिपति है। 

उज्जैन पूरी दुनिया से इस अर्थ में अलग है कि आकाश में उज्जैन को जो मध्य स्थान प्राप्त है, वहीं धरती पर भी प्राप्त है। 

आकाश व धरती दोनेां के केन्द्र बिन्दु पर उज्जैन स्थित है।


महाकाल का अर्थ समय और मृत्यु के देवता दोनों रूपों में लिया जाता है। 

इसी स्थान से पूरी पृथ्वी की काल गणना होती रही है। 

प्राचीन श्री महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण11वी शताब्दी में हुआ। 

श्री महाकाल पृथ्वी के नाभी केन्द्र पर स्थित दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जो दुनिया का एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है। 

तंत्र मन्त्र  की दृष्टि से भी इस दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग का बडा महत्व है।

विश्व में अकेले श्री महाकाल है जो विविध रूपों में भक्तों को दर्शन देते है। 

कभी प्राकृतिक रूप में तो कभी  राजसी रूप में आभूषण धारण कर। 

कभी भांग, कभी चंदन और सूखे मेवे से तो कभी फल, फूल से सजते है। 

राजाधिराज।

हनुमान, शिव, देवी सरस्वती, अवंतिका, भद्रकाली, नवग्रह, शनि, राधा - कृष्ण, गणेश के मंदिरों से विभूषित यह परिसर आध्यात्मिक अनुभूति का पावन  आंगन है।

श्री महाकाल मंदिर परिसर में यू तो छोटे - बडे अनेकों देवी देवताओं के मंदिर है परंतु परिसर में प्रमुख 42 मंदिर स्थापित है जो निम्नानुसार हैः-

श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर है जो मंदिर परिसर के गलियारे में स्थित हैं। 

ऋद्धि - सिद्धी गणेश जी का मंदिर है जो लक्ष्मी नृसिंह मंदिर के आगे ही स्थित है। 

विट्ठल पण्ढ़रीनाथ मंदिर है जो मंदिर के गलियारे में स्थित है। 

श्री राम दरबार मंदिर गलियारे से कोटीतीर्थ की ओर नीचे उतरने पर स्थित है। 

श्री अवंतिका देवी का मंदिर जो उज्जैन का एक प्राचीन नाम अवंतिका है। 

इसका मंदिर श्री रामदरबार मंदिर के पीछे स्थापित हैं। 

श्री चन्द्रादिप्तेश्वर मंदिर श्री रामदरबार मंदिर से आगे बढने पर बायें हाथ पर स्थित है। 

श्री मंगलनाथ का मंदिर दन्द्रादिप्तेश्वर मंदिर से आगे भूमि पुत्र मंगल शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है। 

श्री अन्नपूर्णा देवी का मंदिर मंगलनाथ शिवलिंग से आगे स्थापित है। 

वाच्छायन गणपति महाकाल मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार ( चांदी द्वार ) के पास पूर्व दिशा में प्रतिमा स्थिापित है। 

प्रवेश द्वार के गणेश जी की मूर्ति चांदी द्वार के उपर गणेश प्रतिमा विराजित है।


इसी तरह महाकाल मंदिर परिसर में ही गर्भगृह में विराजित ज्योर्तिलिंग के रूप में भगवान श्री महाकालेश्वर विराजमान है जो चांदी द्वार से नीचे उतरने पर गर्भगृह स्थापित है। 

गर्भगृह में ही देवी पार्वती, श्री गणेश व श्री कार्तिकेय की रजत प्रतिमाएं है। 

गर्भगृह में ही दो अखंड नंदा दीप है। 

श्री ओंकारेश्वर महादेव मंदिर है जो श्री महाकालेश्वर के ठीक उपर स्थित है। 

श्री नागचन्द्रेश्वर महादेव का मंदिर है जो ओंकारेश्वर महादेव के उपर यानी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर से तीसरी मंजिल पर स्थित है। 

इस मंदिर के पट वर्ष में एक बार नागपंचमी को ही खुलते है। 

नागचन्द्रेश्वर प्रतिमा के रूप में भी दर्शन होते है जो तीसरी मंजिल पर स्थापित है। 

सिद्धी विनायक मंदिर महाकालेश्वर प्रांगण में ओकारेश्वर मंदिर के सामने उत्तर दिशा की ओर स्थित है। 

साक्षी गोपाल मंदिर परिसर में सिद्धी विनायक के पास स्थित है। 

संकट मोचन सिद्धदास हनुमान मंदिर प्रांगण में उत्तर दिशा में स्थित है। 

स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर सिद्धदास हनुमान मंदिर के सामने स्थापित है।

महाकाल परिसर में ही बृहस्पतेश्वर महादेव मंदिर है जो प्रांगण के उत्तर में स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित हैं। 

शिव की प्राचीन प्रतिमाएं त्रिविष्टपेश्वर महादेव मंदिर श्री महाकाल मंदिर के पीछे स्थित है। 

मां भद्रकाल्ये मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर से सटे उत्तरी कक्ष में है। 

नवग्रह मंदिर श्री महाकाल के निर्गम द्वार के पास स्थित है। 

मारूतिनंदन हनुमान मंदिर महाकाल परिसर के आग्नेय कोण में स्थित है। 

श्री राम मंदिर मारूतिनंदन हनुमान के पीछे स्थिापित है।

नीलकंठेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर के निर्गम द्वार के पीछे स्थित है। 

मराठों का मंदिर नीलकंठेश्वर महादेव के पास स्थित है। 

इसका निर्माण देवास के नरेश द्वारा कराया गया था। 

गोविन्देश्वर महादेव मंदिर वृद्धकालेश्वर महाकाल मंदिर के समीप स्थित है। 

सूर्यमुखी हनुमान मंदिर कोटितीर्थ के प्रदक्षिणा मार्ग पर श्री महाकाल के प्रमुख द्वार के पास स्थित है। 

लक्ष्मीप्रदाता मोढ़ गणेश मंदिर कोटितीर्थ के उत्तर दिशा में स्थित है। 

कोटेश्वर महादेव मंदिर यह महाकाल के गण तथा कोटितीर्थ के अधिष्ठाता है। 

यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है। 

प्रदोष के दिन श्री महाकाल की संध्या - पूजा के पहले कोटेश्वर की पूजा की जाती है।

सप्तऋषि मंदिर महाकाल परिसर के पीछे की ओर सप्तऋषियों के सात मंदिर है। 

अनादिकल्पेश्वर महादेव मंदिर सप्तऋषि मंदिर के ठीक सामने है। 

श्री बाल विजय मस्त हनुमान मंदिर अनादिकल्पेश्वर महादेव के सामने स्थित है। 

यह एक चैतन्य देव स्थान माना जाता है। 

श्री ओंकारेश्वर महादेव का मंदिर परिसर में ही स्थित है। 

श्री वृद्धकालेश्वर महाकाल ( जूना महाकाल ) श्री बाल हनुमान मंदिर के पास स्थित है। 

पवित्र कोटितीर्थ महाकाल के आंगन का जल तीर्थ है। 

महाभारत इस तीर्थ का उल्लेख है। 

कोटितीर्थ के पवित्र जल से नित्य महाकाल का अभिषेक होता है।

भगवान श्री महाकाल की प्रतिदिन पांच आरती होती है। 

भस्मार्ती  प्रतिदिन प्रातः होती है।

भस्मार्ती का समय केवल श्रावण मास में परिवर्तन किया जाता है। 

इसी प्रकार महाशिवरात्रि पर्व पर भस्मार्ती दोपहर 12 बजे होती है। 

विश्वभर में एक मात्र श्री महाकाल है जिनकी प्रातः 4 से 6 बजे तक वैदिक मंत्रों, स्त्रोत - पाठ, वाद्य यंत्रों, शंख, डमरू, घंटी घडियालों के साथ भस्मार्ती होती है। 

दद्दयोदय आरती प्रातः काल 7 बजे से होती है। 

इस आरती में समय पर परिवर्तन होता रहता है। 

तीसरी आरती प्रातः 10 बजे से नैवेद्य आरती होती है। 

शाम 5 बजे गर्भगृह में बाबा महाकाल का जलाभिषेक बंद रहता है और इस समय पूजन श्रंगार किया जाता है। 

इसके बाद शाम को संध्या आरती 7 बजे से की जाती है। शयन आरती रात्रि 10.30 बजे से होती है इसके बाद गर्भगृह के पट बंद हो जाते है। 

जेा अगले दिन प्रातः 4 बजे खुलते है। 

आरतियों में समय - समय पर परिवर्तन होता रहता है।


मंदिर परिसर के बाहर ही सिद्ध विनायक  गणेश जी की विशाल प्रतिमा है ।

इसी से थोड़ा आगे माँ हरसिद्धि का मंदिर है जो देवी के 52 शक्तिपीठो में से एक है ।

प्रसिद्द शिप्रा का घाट रामघाट भी हरसिध्दि मंदिर के समीप ही है ।समीप ही चार धाम मंदिर है ।

एक तरह से देखा जाय तो यह देवताओ की नगरी है जहाँ भी नजर दौड़ाये मंदिर नजर आएंगे।

यहां के कण कण में भगवान है  84 महादेव,9 नारायण,सप्तसागर , अष्टकालभैरव, चोसठ योगनी  सिद्धवट, सांदीपनि आश्रम,गोपाल मंदिर,भर्तहरि गुफा, इस्कॉन मंदिर, गढ़कालिका,चिन्तामण गणेश, हनुमानजी के सेकड़ो सिद्ध मंदिर यहां की शोभा बढ़ाते है ।

सिद्ध संतों की जाग्रत समाधि

इसी लिये कहा जाता है महाकाल यहाँ सपरिवार विराजित है ।

🔱जयश्री महाकाल🔱
🙏सुप्रभात वंदन अभिनंदन मित्रों👏
🕉️🌅शुभ औऱ मंगलमय हो सोमवार🌞🕉️
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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