सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्री विष्णुपुराण प्रवचन ।।
महारास एक चिंतन , *★पूंछरी के लोठा की जय ★*
🌕शरदपूर्णिमा की आप सबको बधाई।
( महारास एक चिंतन )
🌇प्रथमतः उस ब्रह्म द्वारा बाँसुरी का नाद किया जाता है ।
अर्थात् जीव को अपनी ओर आकर्षित करने हेतु आवाज लगाई जाती है।
कुछ लोग इस आवाज को सुन नहीं पाते हैं।
कुछ सुन तो लेते हैं लेकिन समझ नहीं पाते हैं।
मगर जो लोग इस इशारे को समझ लेते हैं ।
वो सब भोग विलास का त्याग करके उस प्रभु की शरण में चले जाते हैं।
🌇जब जीव द्वारा पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ श्रीकृष्ण की शरण ग्रहण की जाती है ।
तब श्रीकृष्ण द्वारा अपना वह ब्रह्म रस उन शरणागतों के मध्य मुक्त हस्तों से वितरित करके उन्हें उस अलौकिक ब्रह्म रस का आस्वादन कराके निहाल किया जाता है।
🌇जब तक जीव प्रभु के इशारे को अनसुना करके मैं और मेरे में उलझा रहता है ।
तब तक ही वह परेशान रहता है ।
मगर जिस दिन उसकी समझ में आ जाता है ।
कि अब मेरे प्रभु मुझे बुला रहे हैं ।
और वह सब छोड़कर उस प्रभु के शरणागत हो जाता है ।
उसी दिन उस प्रभु द्वारा उसे उस ब्रह्म रस में डुबकी लगाने हेतु महारास के उस ब्रह्म रस वितरण महोत्सव में प्रविष्ट करा दिया जाता है।
🌇जिस रस को ब्रह्मा,शंकर प्राप्त करने को लालायित रहते हैं।
उस रस को बृज की गोपियाँ प्राप्त करती हैं।
श्रीराधा रानी तो रास की स्वामिनी हैं और श्री ठाकुर जी को भी नचाने वाली हैं।
किशोरी जी की कृपा होती है तभी जीव को रास का आनंद प्राप्त होता है।
जय रणछोड !
जय श्री राधे कृष्ण !!
🌹🙏🌹🙏🌹
*★पूंछरी के लोठा की जय ★*
बहुत सुंदर कथा, बड़े भाव से पढ़े
श्रीकृष्ण के श्रीलोठाजी नाम के एक मित्र थे।
श्रीकृष्ण ने द्वारिका जाते समय लौठाजी को अपने साथ चलने का अनुरोध किया।
इस पर लौठाजी बोले-
'हे प्रिय मित्र !
मुझे ब्रज त्यागने की कोई इच्छा नहीं हैं।
परन्तु तुम्हारे ब्रज त्यागने का मुझे अत्यन्त दु:ख हैं।
अत: तुम्हारे पुन: ब्रजागमन होने तक मैं अन्न - जल छोड़कर प्राणों का त्याग यही कर दूंगा।
जब तू यहाँ लौट आवेगा, तब मेरा नाम लौठा सार्थक होगा।
'श्रीकृष्ण ने कहा-
'सखा !
ठीक है मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि बिना अन्न - जल के तुम स्वस्थ और जीवित रहोगे।
तभी से श्रीलौठाजी पूंछरी में बिना खाये-पिये तपस्या कर रहे हैं।
"धनि - धनि पूंछरी के लौठा।
अन्न खाय न पानी पीवै ऐसेई पड़ौ सिलौठा।"
उसे विश्वास है कि श्रीकृष्णजी अवश्य यहाँ लौट कर आवेंगे।
क्योंकि श्रीकृष्णजी स्वयं वचन दे गये हैं।
इस लिये इस स्थान पर श्रीलौठाजी का मन्दिर प्रतिष्ठित है।
श्री गोवर्धन का आकार एक मोर के सदृश है। श्रीराधाकुंड उनके जिहवा एवं कृष्ण कुण्ड चिवुक हैं।
ललिता कुण्ड ललाट है।
पूंछरी नाचते हुए मोर के पंखों - पूंछ के स्थान पर हैं।
इस लिये इस ग्राम का नाम पूछँरी प्रसिद्ध हैं।
इसका दूसरा कारण यह है, कि श्रीगिरिराजजी की आकृति गौरुप है।
आकृति में भी श्रीराधाकुण्ड उनके जिहवा एवं ललिताकुण्ड ललाट हैं एवं पूंछ पूंछरी में हैं।
इस कारण से भी इस गांव का नाम पूँछरी कहते हैं।
इस स्थान पर श्रीगिरिराजजी के चरण विराजित हैं।
ऐसा भी कहते है कि जब सभी गोप गोपियाँ गोवर्धन की परिक्रमा नाचते गाते कर रहे थे,तभी एक मोटा तकड़ा गोप वही गिर गए तभी पीछे से एक सखी ने कहा अरे सखी पूछ री कौ लौठा,
अर्थात "कौन लुढक गया" इस लिए भी इसे पूंछरी लौठा कहते है।
!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
🌹🙏🏻🌹
जगत की झूठी रौनक से है आँखे भर गयी मेरी
चले आओ मेरे मोहन दरस की प्यास काफी है
*🌹✨ हरे कृष्ण ✨🌹*
*🌹💦जय जय श्री राधे💦🌹*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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