https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2

🏹🏹🏹 *धनुष यज्ञ* 🏹🏹🏹🍁🍁🍁 *भाग 38* 🍁🍁🍁☘💐☘💐☘💐☘💐☘💐---------- गतांक से आगे -----सज्जनों ,--- श्रीराम जी ने लक्ष्मण की तरफ देखा । लक्ष्मण जी शान्त हो गये । श्रीराम जी ने परशुराम जी तरफ देखकर कहा , महराज ! छमा करें बालक है - इसने आपका कुछ भी अपराध नही किया है , आपका असली अपराधी तो मै हूँ -

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🏹🏹🏹 *धनुष यज्ञ* 🏹🏹🏹

🍁🍁🍁 *भाग  38* 🍁🍁🍁

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---------- गतांक से आगे -----

सज्जनों ,--- श्रीराम जी ने लक्ष्मण की तरफ देखा । लक्ष्मण जी शान्त हो गये । श्रीराम जी ने परशुराम जी तरफ देखकर कहा ,  महराज ! छमा करें बालक है - इसने आपका कुछ भी अपराध नही किया है , आपका असली अपराधी तो मै हूँ -

*तेहिं नाही कछु काज बिगारा  । अपराधी मै नाथ तुम्हारा ।।*

महराज ! लक्ष्मण तो आपको एवं आपके प्रभाव को नही जानता । फिर महराज बालक के वचन पर आप ध्यान ही मत दीजिये । आपका अपराधी मै हूँ , आपके सामने खडा हूँ अब आप कृपा करिये या क्रोध करिये । दण्ड दीजिये या छमा करिये । जिस प्रकार से आपके हृदय को शान्ति मिले वही कीजिये ।  परशुराम जी ने कहा , तुम्हारी बात तो ठीक है , पर मै जब भी शान्त होना चाहता हुँ तब तुम्हारा भाई अपनी कुटिल मुस्कान से मुझे शान्त ही नही होने देता । मित्रों इतने मे लक्ष्मण जी परशुराम जी को देखकर पुनः मुस्करा दिये । परशुराम जी ने कहा ये देखो - ये देखो  

*अजहुँ अनुज तव चितव अनैसें* ।

 अब कुछ भी हो जाय , चाहे मुझे सारा ब्रम्ह्याण्ड धिक्कारे मै इसे छोडने वाला नही हूँ । मेरे फरसे की कहानी सुनकर राजाओ की स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है , वही फरसा हाथ मे होता हुआ भी यह बालक अभी तक जीवित है और जीवित ही नही वरन मुस्करा भी रहा है । मै फरसा उठाता तो हूँ कि इसका बध कर दूँ पर यह फरसा भी आज मुझसे विपरीत हो गया लगता है , मेरा हाथ ही नही उठ रहा है । आज मै और मेरा फरसा यह दया रुपी पाठ कहा से पढ लिया जो कि मेरे लिए अत्यन्त कष्टकारी हो रहा है । इतना सुनते ही लक्ष्मण जी कहते हैं महराज आज तक तो मैने सुना था कि क्रोध करने से शरीर जलता है और दया करने से शरीर की रक्षा होती है पर मुझे तो आज यह विपरीति दिख रहा है -

*जौ पै कृपाँ जरहिं मुनि गाता । क्रोध भएँ तनु राख बिधाता ।।*

मित्रों सभा मे अजीब सन्नाटा । परशुराम जी कहते हैं , इस बालक को मेरी आँख से दूर करो । गोस्वामी बाबा बडा सूक्ष्म अन्तर बताते है दोनो मे । किसी ने कहा लक्ष्मण जी कुछ ज्यादा ही बोल रहे है , दूसरे ने कहा परशुराम जी भी बोल रहे हैं ? तीसरे ने कहा , ना परशुराम जी बोल नही रहे हैं फिर , 

*बोलत लखनहिं* 

और परशुराम जी ? 

*भृगुपति बकहिं कुठार उठाए* । 

बडे क्रोध मे है फरसा लेकर । परशुराम जी कहते है इसे मेरी आँखो से दूर करो । लक्ष्मण जी कहते है! काहे को आँख से दूर कराते हो ? कोई करेगा कि नही करेगा । 

*मूदें आँखि कतहुँ कोउ नाही*

 ।आँखे ही मूँद लो कही कोई है ही नही । कितनी सुन्दर बात कही है । बहिर्मुखी दृष्टि से देखोगे तो दूसरा है । लेकर आँख मूंदकर अन्तर्मुखी वृत्ति से देखोगे तो कोई और है हि नही - एक ही है केवल एक ही । 
सज्जनों बात ज्यादा बढ गई । राम जी ने -

 *सुनि लछिमन बिहंसे बहुरि  नैन तरेरे राम*

 राम जी ने केवल लक्ष्मण की ओर देखा ।

 लक्ष्मण तुरंत -

 *गुरु समीप गवने सकुचि परिहरि बानी बाम ।*

 मित्रों यही लक्ष्मण जी की विशेषता हैं । इतने क्रोध मे है कि परशुराम जी का उत्तर दे रहे हैं लेकिन अभिमान से नही जुडे हुये हैं ।

 लक्ष्मण जी -- भगवान से जुडे़ है । अभिमान से जुडे हुये क्रोधी की और भगवान से जुडे हुये क्रोधी की स्थिति मे अन्तर है - बहुत अन्तर हैं ।जो अभिमान से जुडा हुआ होगा , उसे रोको तो कहेगा , हमे मत रोको , हम कह रहे हैं हमे मत रोको । दो लोग लड रहे हो एक को पकड लो तो ज्यादा जोश दिखायेगा । छोड़ दो बस -.छोड़ दो बस । ऐसे ही करते हैं क्रोधी । पर जो भगवान से जुडा है । राम जी ने कुछ कहा भी नही देखा बस ।

 लक्ष्मण जी बैठ गए । लक्ष्मण जी से किसी ने. पूँछा तुम्हे बुरा नही लगा ? तुम्हे रोंक दिया गया , उनसे कोई कुछ नही कह रहा हैं ।लक्ष्मण जी कहते है अपना भला बुरा क्या ? हमसे राम जी ने कहा बोलो तो बोलने लगे । उन्होने कहा चुप तो चुप हो गए ।जैसे राम जी की इच्छा । 

यह है भक्त का लक्षण ।

सज्जनों 
*गुरु समीप गवने सुकुचि* 

गुरु के पास जाकर ही क्यूँ बैठे ? राम जी नाराज न हो जाए

  *नैन तरेरे राम* । 

मानो संसार को उपदेश दिया अगर लीलाबस भगवान नाराज हो जाएं, भगवान रुठ जाएं तो सदगुरु की शरण मे चले जाना चाहिए ।

*कबिरा हरि के रुठते सदगुरु के सरने जाइ*

राम जी आगे आये । श्री राम जी ने परशुराम जी से कुछ कहा ,

 *राम वचन सुनि सकुच जुडाने* ।

 मित्रों बोलने का ढंग होता है । वही बात लक्ष्मण जी कह रहे हैं तो परशुराम जी नाराज हो जाते है और वही बात राम जी कह रहे है तो परशुराम जी शान्त हो जाते हैं । कैसे ? जानते है अगले सत्र मे --- तब तक *जय जय सीताराम*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...