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जय द्वारकाधीश
।। श्री ऋग्वेद के अनुसार कौनसा तिलक किस दिन किस भगवान को लगाने का फल ।।
श्री ऋग्वेद के अनुसार जानें, किस दिन किस भगवान का कौनसा तिलक लगाएं ।
इस तरह तिलक लगाने से अदभुत चमात्कार होते हैं ।
अगर तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं तो शांति मिलती है।
मध्यमा अंगुली से आयु में बढ़ोत्तरी होती है ।
अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक माना गया है।
सनातन हिन्दू धर्म के वेदों की परंपराओं में सिर, मस्तक, गले, हृदय, दोनों बाजू, नाभि, पीठ, दोनों बगल आदि मिलाकर शरीर के कुल 12 स्थानों पर तिलक लगाने का विधान है।
माथे के ठीक बीच के हिस्से को ललाट बिंदु कहते हैं ।
यह भौहों का भी मध्य भाग है।
तिलक हमेशा इसी स्थान पर धारण किया जाना चाहिए।
ऐसा करना बहुत लाभदायक है क्योंकि सिंदूर उष्ण होता है।
पूजा के समय तिलक लगाने का विशेष महत्व है और भगवान को स्नान करवाने के बाद उन्हें चन्दन और सुखड का तिलक किया जाता है।
पूजन करने वाला भी अपने मस्तक पर चंदन का तिलक लगाता है।
यह सुगंधित होता है तथा इसका गुण शीतलता देने वाला होता है।
तिलक पांच प्रकार के होते हैं-
1- कुमकुम
2- केशर
3- चंदन
4- सुखड
5- भष्म
कुमकुम हल्दी चुना मिलकर बना होता है ।
जो हमारे आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए ।
उसे केल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्व्व्लित करता है।
केशर जिसका मस्तिष्क ठंडा/ शीतल होता है।
उसको केसर का तिलक प्रज्ज्वलित करता है।
चंदन और सुखड दिमाग को शीतलता प्रदान करते हुए ।
मानसिक शान्ति भी देता है।
भस्मी वैराग्य की अग्रसर करते हुए ।
मस्तष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।
जो भी व्यक्ति बिना तिलक लगाए भोर या संध्या का हवन करता है ।
उसे इसका फल नहीं प्राप्त होता।
ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है ।
तो सभी पाप नष्ट हो जाते है ।
सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग - अलग तिलक होते हैं।
सुखड और चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है ।
व्यक्ति संकटों से बचता है ।
उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है ।
ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।
यदि साप्ताहिक के वार अनुसार तिलक धारण किया जाए ।
तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।
सोमवार :
सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है ।
तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं।
चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है।
मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।
मंगलवार :
मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है।
इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है।
मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है।
इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है।
इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।
बुधवार :
बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है।
वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।
इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह।
इस दिन सूखे सिंदूर ( जिसमें कोई तेल न मिला हो ) का तिलक लगाना चाहिए।
इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।
गुरुवार :
गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है।
बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं।
इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा।
इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है।
इस दिन सफेद सुखड या चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं।
इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा।
जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा।
शुक्रवार :
शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है।
इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।
हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है।
दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे।
इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख - सुविधाओं में भी वृद्धि होती है।
इस दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।
शनिवार :
शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है।
इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए।
जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते।
दिन शुभ रहता है।
रविवार :
रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है।
इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह जो ग्रहों के राजा हैं।
इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं।
भगवान विष्णु की कृपा रहने से जहां मान-सम्मान बढ़ता है वहीं निर्भयता आती है।
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है ।
कि आखिर टीका लगाने से फायदा क्या है?
टीका लगाने के पीछे आध्यात्मिफक भावना के साथ - साथ दूसरे तरह के लाभ की कामना भी होती है।
आम तौर पर सुखड, चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है।
अगर कोई तिलक लगाने का लाभ तो लेना चाहता है।
पर दूसरों को यह दिखाना नहीं चाहता, तो शास्त्रों में इसका भी उपाय बताया गया है।
कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ललाट पर जल से तिलक लगा लेना चाहिए।
तिलक लगाने का लाभ
तिलक करने से व्यक्ति त्व प्रभावशाली हो जाता है।
दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है ।
क्योंकि इससे व्यक्तिञ के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है।
ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है।
लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं ।
यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है।
दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है ।
जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है ।
यह उत्साह लोगों को अच्छे कामों में लगाता है।
इससे सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।
हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है।
हल्दी में एंटी बैक्ट्रिवयल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है.।
लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।
माना जाता है कि सुखड और चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न - धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
हर सुबह भगवान की पूजा के बाद नाभि पर लगाएं , यह चंदन सुखड के इत्र आर्थिक मानशिक और सुख शान्ति बन सकता है :-
पूजा में सुगंधि का प्रयोग अवश्य किया जाता है।
सुगंधि अर्थात खुशबू....
जो पूजा में चढ़ाए जाने वाले फूलों समेत धूपबत्ती आदि में भी होता है।
खुशबू ताजगी का प्रतीक है और मन की प्रसन्नता देकर आपको ऊर्जा देती है।
इस प्रकार आप खुशहाल मन से जो भी काम करते हैं वह अवश्य सफल होता है।
शास्त्रों में इत्र के प्रयोग के बहुत मायने हैं।
यहां हम आपको इत्र का एक ऐसा प्रयोग बता रहे हैं : -
जिसे अगर हर सुबह पूजा के बाद किया जाए तो आपके घर मे सुख शांति की किस्मत आ शक्ति है।
धन पाने से लेकर, सामाज में सम्मान - प्रसिद्धि पाने, नौकरी में तरक्की पाने, भाग्य जगाने के लिए यह अत्यंत कारगर है।
इसके लिए आपको अपनी दिनचर्या में किसी भी प्रकार से बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है ।
लेकिन रोजाना नहाने के बाद जिस भी प्रकार से पूजा या भगवान का ध्यान करते हैं, करें।
इसके पश्चात् किसी भी अंगुली का प्रयोग करते हुए गुलाब या सुखड या चंदन के इत्र की थोड़ी सी मात्रा अपनी नाभि पर लगाएं।
आप किसी भी खुशबू का इत्र प्रयोग कर सकते हैं।
लेकिन दो खास मनोकामनाओं के लिए इन दो खास खुशबूओं का प्रयोग करना अधिक लाभकारी होगा।
धन संबंधी –
गुलाब मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय माना जाता है।
इस लिए आर्थिक तंगी दूर करनी हो या धन लाभ चाहिए तो ऐसे में गुलाब का इत्र प्रयोग करें।
सम्मान-प्रसिद्धि –
इसी प्रकार अगर नौकरी में पदोन्नति चाहिए या समाज में आपको अपनी खास पहचान बनाने की चाह हो ।
सम्मान और प्रसिद्धि चाहते हों तो ऐसे में चंदन की खुशबू वाला इत्र प्रयोग करें।
अपने शरीर के इस अंग पर लगा लें परफ्यूम, आर्थिक मानसिक कष्ट दूर हो जाता है : -
आजकल शीतकाल शर्दी यो की मौसम चल रहा है ।
ऐसे में शीतकालीन शर्दी के मौषम वीक में कई दिन होते हैं ।
जो अलग अलग होते हैं जैसे रोज नवरात्रियों , दीपावली , लाभ पंचमी , राधिका अष्टमी , तुलशी विवाह , वसंत पंचमी महा नवरात्री , महा शिवरात्रि , और होलिका दहन तक शर्दी के मौषम शीतकालीन दिन रहता है ।
ऐसे में आज दुनियाभर में अलग अलग दिन में परफ्यूम दिन मनाया जा रहा है ।
आप सभी को बता दें कि आज सभी कपल एक दूजे को परफ्यूम गिफ्ट करते नजर आएँगे।
ऐसे में आज हम आपको ज्योतिष के अनुसार परफ्यूम का एक ऐसा उपयोग बताने जा रहे हैं।
जिसे करने के बाद आप अपने धर में सुख शांति पूर्ण जीवन बना सकते हैं ।
जी हाँ, हर व्यक्ति दुनिया में धन, एश्वर्य और यश ही भगवान के पास मांग रहे है उनका नाम ही सुख सुख शांति है ।
तो अगर आप भी यह चाहते हैं ।
तो आज हम आपको बताने जा आरहे हैं ।
कि आपको शरीर के किस अंग पर परफ्यूम लगाने से यह सुख शांति संपति मिल सकती है।
जी हाँ, आइए जानते हैं : -
1. कहते हैं इत्र को नाभि पर लगाने से व्यक्ति को यह तीनो चीज़े मिल जाती है।
इस कारण से हर रोज घर निकलने से पहले अपने नाभि पर इत्र लगा लेने से कभी भी धन और एश्वर्य मान सन्मान की कमी नहीं होती है और घर में खूब धन आता है ।
2. कहा जाता है सुखड चंदन, गुलाब और मोगरे से बने इत्र को अपने नाभि पर लगाने से सबसे ज्यादा फायदा मिलता है ।
3. आप सभी को बता दें कि सुखड चंदन और मोगरे का इत्र नाभि पर लगाने से अनिद्रा और गुस्से से छुटकारा मिल जाता है ।
इस वजह से जो इंसान ज्यादा गुस्सा करता है।
उसे अपनी नाभि पर चंदन या मोगरे का इत्र लगाना चाहिए।
4. आप सभी को बता दें कि माईग्रेन या फिर सिर दर्द से परेशान लोगों के लिए भी यह बहुत असरदार उपाय है ।
अगर वह अपनी नाभि पर चंदन या मोगरे का इत्र लगाते हैं ।
तो उनके माइग्रेन और सिर दर्द की समस्या खत्म हो जाती है वह भी जड़ से।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
( 2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science )
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏