https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म
લેબલ कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો
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कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए....!

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए....!


कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म, जानिए उनका परिवार!

भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जिक्र विष्णु, पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। 

राधा और रुक्मणि दोनों ही कृष्ण से उम्र में बड़ी थीं। 

मान्यता और किवदंतियों के आधार राधा के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। 

आओ जानते हैं कि राधा के जन्म और उनके माता पिता के बारे में।। 

पंडित प्रभु राज्यगुरु ने नीचे दिया पुराणों का उलेख भी जिंक  किया हुवा है ।।


1. पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक वैष्य गोप की पुत्री थीं। 

उनकी माता का नाम कीर्ति था। 

उनका नाम वृषभानु कुमारी पड़ा। 

बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। 

कुछ विद्वान मानते हैं कि राधाजी का जन्म यमुना के निकट स्थित रावल ग्राम में हुआ था ! 

और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। 

लेकिन अधिकतर मानते हैं कि उनका जन्म बरसाना में हुआ था।


2. कहते हैं कि नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने 12 वर्षों तक तप करके ब्रह्म देव से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा था। 

इसी के परिणाम स्वरूप द्वापर में ये दोनों वृषभानु और रानी कीर्ति नाम से जन्में और फिर दोनों पति पत्नी बने। 

कीर्ति के गर्भ से राधा का जान्म भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन हुआ। 

तब चारों ओर उल्लास का वातावरण निर्मित हो गया।


3. ब्रह्मवैवर्त पुराण की एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के साथ राधा गोलोक में रहती थीं। 

एक बार उनकी अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी दूसरी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे। 

तभी राधा आ गईं, वे विरजा पर नाराज होकर वहां से चली गईं। 

श्रीकृष्ण के सेवक और मित्र श्रीदामा को राधा का यह व्यवहार ठीक नहीं लगा और वे राधा को भला बुरा कहने लगे। 

राधा ने क्रोधित होकर श्रीदामा को अगले जन्म में शंखचूड़ नामक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। 

इस पर श्रीदामा ने भी उनको पृथ्वी लोक पर मनुष्य रूप में जन्म लेने लेकर 100 वर्ष तक कृष्ण विछोह का श्राप दे दिया। 

राधा को जब श्राप मिला था तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म तो होगा, लेकिन तुम सदैव मेरे पास रहोगी।


4. पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। 

यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। 

यह भी कहा जाता है कि वृषभानु जी को एक सुंदर शीतल सरोवर में सुनहरे कमल में एक दिव्य कन्या लेटी हुई मिली। 

वे उसे घर ले आए लेकिन वह बालिका आंखें खोलने को राजी ही नहीं थी। 

पिता और माता ने समझा कि वे देख नहीं सकतीं लेकिन जब बाल रूप में श्री कृष्ण जी से उनका सामना हुआ तो उन्होंने आंखें खोल दीं।


5. ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड 2 के अध्याय 49 के श्लोक 39 और 40 के अनुसार राधा जब बड़ी हुई तो उनके माता पिता ने रायाण नामक एक वैश्य के साथ उसका संबंध निश्चित कर दिया। 

उस समय राधा घर में अपनी छाया का स्थापित करके खुद अन्तर्धान हो गईं। 

उस छाया के साथ ही उक्त रायाण का विवाह हुआ। 

इसी श्लोक में आगे बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा का वह रायाण सगा भाई था, जो गोलक में कृष्ण का अंश और यहां यशोदा के संबंध से उनका मामा था। 

मतलब यह कि राधा श्रीकृष्ण की मामी थी। 

यदि हम यह मानें कि श्रीकृष्ण यशोदा के नहीं देवकी के पुत्र थे तो फिर राधा उनकी मामी नहीं लगती थीं। 

रायाण को रापाण अथवा अयनघोष भी कहा जाता था। 

पिछले जन्म में राधा का पति रायाण गोलोक में श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था। 


जय श्री कृष्ण....!!!
जय जय श्री गौकलेश....!!!

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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