सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। आज का भगवद चिन्तन ।।
आज का भगवद चिन्तन
यदि कोई यह कहता है कि उसने अपने जीवन में कभी कोई गलती नहीं की, तो इसका मतलब हुआ...!
कि उसने अपने जीवन में कुछ हटके नहीं किया, नया नहीं किया।
गलती करना कोई बुरी बात नहीं, एक गलती को बार - बार करना बुरी बात है।
कोई भी गलती आप दो बार नहीं कर सकते, अगर आप गलती दोहराते हैं तो फिर ये गलती नहीं आपकी इच्छा है।
उपलब्धि और आलोचना दोनों बहिन हैं।
उपलब्धियाँ बढेंगी तो निश्चित ही आपकी आलोचना भी बढ़ेगी।
लोग निंदा करते हैं या प्रशंसा ये महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण ये है कि जिम्मेदारियाँ ईमानदारी से पूरी की गई हैं या नहीं ?
और एक बात !
जिस काम को करने में डर लगे, उसी को करने का नाम साहस है।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा बन जाता है।
खुद पर भरोसा रखो।
छोड़ो ये बात कि लोग क्या कहेंगे ?
लोगों की परवाह किये बिना अपने विचारों को सृजन का रूप दे दो ताकि हर कोई कह सके...!
" मान गए आपको। "
भगवान शालिग्राम को महिलाएं नहीं लगा सकतीं हाथ,केवल जनेऊधारी को ही पूजा का अधिकार।
सनातन धर्म के अनुसार आदिकाल से शालिग्राम भगवान के पूजन का बड़ा महत्व है।
शालिग्राम की अराधना से पुण्य के अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
शालिग्राम भगवान का पूजन वही कर सकता है जो जनेऊ धारी हो।
जिसने गायत्री की उपासना की हो, जो सूर्य को रोज अर्घ देता हो उसे ही भगवान शालिग्राम की पूजा करने का अधिकार है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार जहां शालिग्राम होते हैं वहां सभी दोष स्वत ही दूर हो जाते हैं।
आज कल आपको बहुत सुनने को मिल रहा है कि घर में वास्तु दोष है।
वास्तु शांति करा लो, जिस घर में भगवान शालिग्राम होते हैं उस घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष नहीं होता यदि होता भी है तो वह अपने आप दूर हो जाता है।
स्पष्ट शब्दों में कहा है कि महिलाएं और विवाहित स्त्री को शालिग्राम का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
विवाहित स्त्रियां भगवान शालिग्राम का स्पर्श नहीं कर सकतीं और पूजन भी नहीं।
इस बात की पुष्टि स्वयं निर्णय सिंधु पुस्तक करती है।
नीचे श्लोक पुष्टि करती है..!
असत्छुद्रगतं दासं निषेधं विद्धि मानद् !
स्त्रीणामपिच साध्वीनां नैवाभावः प्रकीर्तिताः।।
ऐसे में महिलाओं को स्वयं विचार करना चाहिए कि अब दूसरा प्रश्न स्त्रियों के सामने यह उठता है कि हमारे घर में कोई पुरुष पूजा नहीं करते हैं या उनको पूजा करने का समय ही नहीं मिलता है।
नित्य पूजा स्त्रियों को ही करना पड़ता है ऐसे में हम क्या करें ?
इस समस्या का समाधान स्कंद पुराण में मिल जाएगा लेकिन इसका उत्तर जानने के बाद महिलाओं को स्वयं विचार करना चाहिए कि उन्हें शालिग्राम का स्पर्श करना चाहिए या नहीं-
यहां समझें स्थिति..।
जिन स्त्रियों का मन पवित्र है, पूर्ण रूप से पतिव्रता है,मन में किसी पर पुरुष के लिए गलत भावना नहीं हैं,अपने पति को ही सर्वस्व मानती हैं।
पति और अपने परिवारों के लिए ही जीती हैं ऐसी स्त्रियां नारियां भगवान शालिग्राम का पूजन व उनको स्नान करा सकती हैं।
उनको कुछ दोष नहीं लगता।
अत: वह महिलाएं खुद विचार करें कि उन्हें भगवान शालिग्राम का पूजन करना चाहिए कि नहीं।
|| भगवान सालिग्राम जी की जय हो ||
जय श्री राधे कृष्ण !!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏