https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन https://sarswatijyotish.com/India
લેબલ श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन https://sarswatijyotish.com/India સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો
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।। श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन ।।


💐💐ईश्वर की सच्ची भक्ति💐💐

एक पुजारी थे, ईश्वर की भक्ति में लीन रहते. सबसे मीठा बोलते. सबका खूब सम्मान करते. जो जैसा देता है वैसा उसे मिलता है. लोग भी उन्हें अत्यंत श्रद्धा एवं सम्मान भाव से देखते थे।




पुजारी जी प्रतिदिन सुबह मंदिर आ जाते. दिन भर भजन -पूजन करते. लोगों को विश्वास हो गया था कि यदि हम अपनी समस्या पुजारी जी को बता दें तो वह हमारी बात बिहारी जी तक पहुंचा कर निदान करा देंगे।

एक तांगेवाले ने भी सवारियों से पुजारी जी की भक्ति के बारे में सुन रखा था. उसकी बड़ी इच्छा होती कि वह मंदिर आए लेकिन सुबह से शाम तक काम में लगा रहता क्योंकि उसके पीछे उसका बड़ा परिवार भी था।

उसे इस बात काम हमेशा दुख रहता कि पेट पालने के चक्कर में वह मंदिर नहीं जा पा रहा. वह लगातार ईश्वर से दूर हो रहा है. उसके जैसा पापी शायद ही कोई इस संसार में हो. यह सब सोचकर उसका मन ग्लानि से भर जाता था. इसी उधेड़बुन में फंसा उसका मन और शरीर इतना सुस्त हो जाता कि कई बार काम भी ठीक से नहीं कर पाता. घोड़ा बिदकने लगता, तांगा डगमगाने लगता और सवारियों की झिड़कियां भी सुननी पड़तीं।

तांगेवाले के मन का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया, तब वह एक दिन मंदिर गया और पुजारी से अपनी बात कही- मैं सुबह से शाम तक तांगा चलाकर परिवार का पेट पालने में व्यस्त रहता हूं. मुझे मंदिर आने का भी समय नहीं मिलता. पूजा - अनुष्ठान तो बहुत दूर की बात है।

पुजारी ने गाड़ीवान की आंखों में अपराध बोध और ईश्वर के कोप के भय का भाव पढ लिया. पुजारी ने कहा- 

तो इसमें दुखी होने की क्या बात है ?

तांगेवाला बोला- 

मुझे डर है कि इस कारण भगवान मुझे नरक की यातना सहने न भेज दें. मैंने कभी विधि - विधान से पूजा - पाठ किया ही नहीं, पता नहीं आगे कर पाउं भी या नहीं. क्या मैं तांगा चलाना छोड़कर रोज मंदिर में पूजा करना शुरू कर दूं ?

पुजारी ने गाड़ीवान से पूछा- 

तुम गाड़ी में सुबह से शाम तक लोगों को एक गांव से दूसरे गांव पहुंचाते हो. क्या कभी ऐसा भी हुआ है कि तुमने किसी बूढ़े, अपाहिज, बच्चों या जिनके पास पास पैसे न हों, उनसे बिना पैसे लिए तांगे में बिठा लिया हो ?

गाड़ीवान बोला- 

बिल्कुल ! 

अक्सर मैं ऐसा करता हूं. यदि कोई पैदल चलने में असमर्थ दिखाई पड़ता है तो उसे अपनी गाड़ी में बिठा लेता हूं और पैसे भी नहीं मांगता।

पुजारी यह सुनकर खुश हुए. उन्होंने गाड़ीवान से कहा- 

तुम अपना काम बिलकुल मत छोड़ो. बूढ़ों, अपाहिजों, रोगियों और बच्चों और परेशान लोगों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।

जिसके मन में करुणा और सेवा की भावना हो, उनके लिए पूरा संसार मंदिर समान है. मंदिर तो उन्हें आना पड़ता है जो अपने कर्मों से ईश्वर की प्रार्थना नहीं कर पाते।

तुम्हें मंदिर आने की बिलकुल जरूरत नहीं है. परोपकार और दूसरों की सेवा करके मुझसे ज्यादा सच्ची भक्ति तुम कर रहे हो।

ईमानदारी से परिवार के भरण-पोषण के साथ ही दूसरों के प्रति दया रखने वाले लोग प्रभु को सबसे ज्यादा प्रिय हैं.यदि अपना यह काम बंद कर दोगे तो ईश्वर को अच्छा नहीं लगेगा पूजा - पाठ, भजन - कीर्तन ये सब मन को शांति देते हैं.मंदिर में हम स्वयं को ईश्वर के आगे समर्पित कर देते हैं.संसार के जीव ईश्वर की  संतान हैं और इनकी सेवा करना ईश्वर की सेवा करना ही है।

आप चाहे किसी भी समाज से हो,अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो..!!

   🙏🏿🙏🏻🙏🏾जय श्री कृष्ण🙏🏼🙏🏽🙏

आज का भगवद चिंतन❌🙏  स्वरूप बोध ❌🙏


         किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में स्वयं की शक्ति और स्वभाव  को समझने की बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। 

हमारे जीवन के प्रगति पथ में निराशा सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करती है। 

हम थोड़ी देर में ही परिस्थिति के आगे घुटने टेक कर उसे अपने ऊपर हावी होने का अवसर दे देते हैं। 

       किसी संग दोष के कारण, किन्हीं बातों के प्रभाव में आकर निराश हो जाना, यह संयोग जन्य स्थिति है और आनंद , प्रसन्नता, उत्साह, उल्लास एवं  सात्विकता यही हमारा मूल स्वभाव है। 

यही हमारा वास्तविक स्वरूप भी है। 

        पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जायेगा। 

इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में अशांति में आ जायें पर थोड़ी देर बाद बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है।

          प्रकृति ने प्रत्येक मानव को असीम ऊर्जा से भरा है। 

यदि हम स्वयं को पहचानकर अपनी ऊर्जा का उपयोग परहित में करने लगें तो स्वयं के साथ  -  साथ लाखों लोगों के कल्याण के निमित्त बन सकते है ।

🌹🙏🏻हरि ऊं गुरूदेव  🙏🏻🌹
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भगवद  गीता अध्याय: 18

श्लोक 36-37

श्लोक:
सुखं त्विदानीं त्रिविधं श्रृणु मे भरतर्षभ।
 अभ्यासाद्रमते यत्र दुःखान्तं च निगच्छति॥

 यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्‌।
 तत्सुखं सात्त्विकं प्रोक्तमात्मबुद्धिप्रसादजम्‌॥

भावार्थ:

हे भरतश्रेष्ठ! 

अब तीन प्रकार के सुख को भी तू मुझसे सुन। 

जिस सुख में साधक मनुष्य भजन, ध्यान और सेवादि के अभ्यास से रमण करता है। 

और जिससे दुःखों के अंत को प्राप्त हो जाता है । 

जो ऐसा सुख है ।


वह आरंभकाल में यद्यपि विष के तुल्य प्रतीत ( जैसे खेल में आसक्ति वाले बालक को विद्या का अभ्यास मूढ़ता के कारण प्रथम विष के तुल्य भासता है । 

वैसे ही विषयों में आसक्ति वाले पुरुष को भगवद्भजन, ध्यान, सेवा आदि साधनाओं का अभ्यास मर्म न जानने के कारण प्रथम 'विष के तुल्य प्रतीत होता' है ) होता है ।

परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है ।

इसलिए वह परमात्मविषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है।

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*✍️जिंदगी में....*

  *रोकने टोकने वाला कोई  है,*

  *तो भगवान का एहसान मानिए..*

  *क्योंकि जिन बागों में माली नहीं होते,*

  *वो बाग जल्दी ही उजड़ जाते हैं!*

*( इसलिये ईश्वर से प्रार्थना करें कि बडों का आशीर्वाद हम पर सदा बना रहे )*
 
      *🙏जय द्वारकाधीश🙏*
    *🙏जय श्री कृष्णा 🙏*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

 || रामेश्वर कुण्ड || रामेश्वर कुण्ड एक समय श्री कृष्ण इसी कुण्ड के उत्तरी तट पर गोपियों के साथ वृक्षों की छाया में बैठकर श्रीराधिका के साथ ...