सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। आज का भगवद चिन्तन / प्रारब्ध ( पाप ) क्या है ।।
।। आज का भगवद चिन्तन ।।
मानसिक आलस्य बहुत खतरनाक होता है।
शरीर द्वारा किसी काम को करने की असमर्थता व्यक्त करना, यह शारीरिक आलस्य है।
मगर किसी काम को करने से पहले ही यह सोच लेना कि यह काम मेरे वश का नहीं है अथवा किसी काम को करने से पहले ही हार मानकर बैठ जाना, पीछे हट जाना मानसिक आलस्य है।
इस मानसिक आलस्य के कारण बहुत लोग दुखी होते हैं, असफल होते हैं और इसी निराशा के कारण डिप्रेशन तक पहुँच जाते हैं।
इस मानसिक आलस्य को दूर करने का उपाय है सदचिन्तन, सकारात्मक चिन्तन और अच्छे लोगों का संग।
एक विचार आदमी के संसार को बदल देता है।
यदि वह विचार शुभ है तो वह ना केवल स्वयं की प्रगति का कारण बनता है अपितु दूसरे लोगों के जीवन को भी बदलने तक की सामर्थ्य रखने वाला होता है।
अतः हमेशा अच्छा सोचना ताकि मानसिक आलस्य से बच सकें।
शुभ शिक्षक दिवस !
🌿 प्रारब्ध ( पाप ) क्या है 🌿
एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था।
धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था ।
जब भी उसे शौच; स्नान आदि के लिये जाना होता था;
वह अपने बेटो को आवाज लगाता था और बेटे ले जाते थे।
धीरे धीरे कुछ दिन बाद बेटे कई बार आवाज लगाने के बाद भी कभी कभी आते और देर रात तो नहीं भी आते थे।
इस दौरान वे कभी-कभी गंदे बिस्तर पर ही रात बिता दिया करते थे।
अब और ज्यादा बुढ़ापा होने के कारण उन्हें कम दिखाई देने लगा था एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही उन्होंने आवाज लगायी ।
तुरन्त एक लड़का आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ उनको निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है ।
अब ये रोज का नियम हो गया।
एक रात उनको शक हो जाता है कि, पहले तो बेटों को रात में कई बार आवाज लगाने पर भी नही आते थे।
लेकिन ये तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है।
एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड लेता है और पूछता है कि सच बता तू कौन है ?
मेरे बेटे तो ऐसे नही हैं।
अभी अंधेरे कमरे में एक अलौकिक उजाला हुआऔर उस लड़के रूपी ईश्वर ने अपना वास्तविक रूप दिखाया।
वह व्यक्ति रोते हुये कहता है : हे प्रभु आप स्वयं मेरे निवृत्ती के कार्य कर रहे है।
यदि मुझसे इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही दे दो ना।
प्रभु कहते है कि जो आप भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध है।
आप मेरे सच्चे साधक है; हर समय मेरा नाम जप करते है ।
इस लिये मै आपके प्रारब्ध भी आपकी सच्ची साधना के कारण स्वयं कटवा रहा हूँ।
व्यक्ति कहता है कि क्या मेरे प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे है;
क्या आपकी कृपा ।
मेरे प्रारब्ध नही काट सकती है।
प्रभु कहते है कि, मेरी कृपा सर्वोपरि है;
ये अवश्य आपके प्रारब्ध काट सकती है;
लेकिन फिर अगले जन्म मे आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर से आना होगा।
यही कर्म नियम है।
इस लिए आपके प्रारब्ध मैं स्वयं अपने हाथो से कटवा कर इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति देना चाहता हूँ ।
ईश्वर कहते है:
*प्रारब्ध तीन तरह*
के होते है :
मन्द, तीव्र, तथा तीव्रतम
⚘*मन्द प्रारब्ध*
मेरा नाम जपने से कट जाते है ।
⚘*तीव्र प्रारब्ध*
किसी सच्चे संत का संग करके श्रद्धा और विश्वास से मेरा नाम जपने पर कट जाते है ।
पर
⚘*तीव्रतम प्रारब्ध*
भुगतने ही पडते है।
लेकिन जो हर समय श्रद्धा और विश्वास से मुझे जपते हैं।
उनके प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर कटवाता हूँ और तीव्रता का अहसास नहीं होने देता हूँ ।
🌹🍀ऊँ नमो नारायण🍀🌹
🙏जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्णं👏
🕉️🌅जय द्वारकाधीश🌞🕉️
जय श्री राधे कृष्ण !!
🌹🙏🌹🙏🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏