https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: आस्था व विश्वास / 🌸नटखट कान्हा https://sarswatijyotish.com/India
લેબલ आस्था व विश्वास / 🌸नटखट कान्हा https://sarswatijyotish.com/India સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો
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🌹🌹 आस्था व विश्वास / 🌸नटखट कान्हा 🌹🌹

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🌹🌹 आस्था व विश्वास / 🌸नटखट कान्हा 🌹🌹


।। सुंदर कहानी ।।

🌹🌹 आस्था व विश्वास*🌹🌹


गरीबी से जूझती सरला दिन - ब - दिन परेशान रहने लगी थी।

भगवान के प्रति उसे असीम श्रद्धा थी और नित नेम करके ही वह दिन की शुरुआत करती थी।

आज भी नहा धोकर घर की पहली मंजिल पर बने पूजाघर में जाकर उसने श्रद्धा के साथ धूपबत्ती की और कल रात जो उसके पति को तनख्वाह मिली थी !

उसे भगवान के चरणों में अर्पित कर दी। 

पूजा खत्म करके वह घर के कामों में लग गई। 

बच्चों को तैयार करके उसने स्कूल भेज दिया और पति के लिए चाय नाश्ता बनाने लगी। 

पति नहाकर जैसे ही पूजा घर की तरफ़ बढ़ा।

कमरे से धुआँ निकल रहा था,वह अंदर की तरफ़ भागा "सरला!" उसने ज़ोर से आवाज दी।

" क्या हुआ " वह भी आवाज सुनकर ऊपर की तरफ़ भागी।

" हाय राम!यह क्या हुआ? "

            
कमरा धुएं से भर गया था,शायद पंखे के कारण जोत से आग फैल गई थी।

पास पड़ी सब धार्मिक किताबें और कुछ फोटो जल कर राख हो गए थे।वह वहीं जमीन पर बैठ गई।

अब क्या होगा कैसे बताए पति को कि जो पैसा वह महीना भर मेहनत करके लाया था,सब उसने स्वाह कर दिया। 

उसका अंतर्मन रो रहा था।
          
" चलो कोई बात नहीं अब जो होना था सो हो गया।

शुक्र करो कमरे में कोई सामान नहीं था,नहीं तो पता नहीं क्या होता। "

" यह सब बाद में संभाल लेना।

अभी मुझे काम के लिए लेट हो रहा है। " 

सरला का दिल बैठा जा रहा था,मन ही मन खुद को कोसती जा रही थी।

क्या जवाब देगी पति को जब वह पैसे के लिए पूछेगा?

" सामान की लिस्ट बना लेना,शाम को बाज़ार चलेंगे,राशन वगैरह लाना है ना। "

" हाँ!बना लूंगी,दुःखी मन से वह बोली। "

पति के निकलते ही उसने घर को ताला लगाया और अपने सुख दुःख की सहेली रूक्मणी के घर पहुंची,उसे देखते ही सरला रोते हुए उससे लिपट गई....!

 " अरे क्या हुआ,रो क्यों रही हो?

सारी घटना सुनकर वह भी परेशान हो गई, उसे सांत्वना देती हुई बोली....!

" भगवान पर भरोसा रखो वह सब भली करेंगे। "

वह चुप चाप उठी और बोझिल कदमों से घर  की तरफ़ चल दी। 

घर का ताला खोल बुझे मन से वह पूजा घर में जाकर बैठ गई। 

जले हुए सामान के बीच भगवान की फोटो उल्टी पड़ी हुई थी, उसने उसे सीधा कर दिया।तभी उसकी आंखें फैल गई।

जिस प्लेट में उसने रूपए रखे थे वह ज्यों के त्यों सही सलामत पड़े थे।

कांच का फ्रेम होने के कारण उसने प्लेट को पूरी तरह ढक दिया था।

अचानक यह सब देख सरला की आंखों से ख़ुशी के आंसुओं का सैलाब बहने लगा।

भगवान के प्रति उसका * विश्वास और आस्था * अचानक से और मजबूत महसूस होने लगी।

शिक्षा :- 

" अपने भगवान पर हमेशा विश्वास बनाए रखे।

मेरे भगवान कभी किसी का गलत या अमंगल होने नहीं देते।

कभी कभी आपको लगता होगा कि आपकी ज़िन्दगी में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। 

आप सोचते कुछ और हैं और होता कुछ और है।

पर कुछ समय बीतने के बाद आपको एहसास होता है कि जो हुआ था अच्छा ही हुआ।

बस आपको उनपर पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिये। "

🌹 *राधे राधे जी*🌹




          🌸नटखट कान्हा🌸


कान्हा आज अद्भुत आनन्द में हैँ। 

सखाओं संग इधर उधर डोल रहे हैँ। 

इन का पेटू सखा मधुमंगल और शरारती बन्दर तो इनके सदा के संगी हो गए है। 

इन के साथ मिलकर ये तरह तरह की शरारत करते हैं। 

राधा जू की एक सखी फल की टोकरी लेकर जा रही थी उसे मार्ग में ही रोक लिए। 

सखी ये फल तू किधर लेकर जा रही है। 

कान्हा ये राधा जू के लिए हैँ। 

अरे मैं भी तो उधर ही जा रहा हूँ। 

ला ओ ये टोकरी मुझे दे दो। 

नहीं कान्हा राधा जू तक न पहुंचेंगें ये फल। 

ये तुम्हारे पेटू सखा और बन्दर ही खा जायेंगें । 

तब भी कान्हा सखी की टोकरी से शरारत करके कुछ फल उड़ा लेते हैँ और तुरंत छिपा देते हैँ। 

सखी फल लेकर राधा जू के पास जाती है।

इधर राधा जू की स्थिति विचित्र बनी हुई है। 

सखी देखती है श्री जू राधा जू का पीताम्बर ओढ़ कर बैठी हुई है। 

अद्भुत आनन्द में है जैसे पीताम्बर उनके वस्त्र न होकर स्वयम् कान्हा ही उनसे लिपट गए हों । 

सखी प्रिया जू को फल खिलाती है पर वो अपने ही आनन्द में डूबी हुई हैँ। 

राधा जू अनुभव करती हैँ जैसे कान्हा ही उन्हें फल खिला रहे हैँ। 

कान्हा के मन की की इच्छा श्री को श्री जू अनुभूत कर रही हैँ कि वह कान्हा के संग हैँ और वही उन्हें खिला रहे हैँ। 

पुनः पुनः पीताम्बर में मुख छिपा कर प्रसन्न होती हैँ।

कुछ देर बाद वही सखी श्री जू की ओर आ रही है। 

कान्हा उसे मार्ग में ही रोक लेते हैँ। सखी तेरे पास क्या है और तू किधर जा रही है। 

कान्हा मेरे पास तो श्री जू के लिए चुनर है उनको देने जा रही हूँ । 

ये मैंने उनके लिए सजाई है। 

कान्हा उसे कहते हैँ ये चुनर मुझे दे दो श्री जू जब पाकशाला आएँगी तो बाद में उनको दे दूंगा। 

सखी देने से मना करती है। 

अरी ये कोई फल न हैँ जो मैं और मेरे सखा खा लेंगें । 

ये चुनर श्री जू अपने हाथों से ओढ़ा दूंगा। 

ये सुनकर सखी आनन्दित होती है ओर कान्हा को चुनर दे देती है। 

कुछ समय पश्चात वह देखती है कि कान्हा चुनर को ओढ़ वैसे ही आनन्दित होने लगते हैँ जैसे श्री जू उनके पीताम्बर को ओढ़ रखी थीं । 

युगल के मन में एक से भाव उठे देख सखी आश्चर्य में पड़ जाती है। 

पहले कान्हा का मन फल खिलाने को हुआ तो देखती है कि श्री जू यही अनुभूत कर रही हैं। 

अभी दोनों एक दूसरे के वस्त्र ओढ़ आनंदमग्न हो रहे हैँ। 

सखी इनके प्रेम पर बलिहार जाती है।

कुछ समय बाद सखी श्री जू के पास पाकशाला चली जाती है। 

श्री जू कई प्रकार के व्यंजन बना रही होती हैँ। 

ये सखी उनकी सहायता करते हुए गुनगुनाने लगती है। 

तभी कान्हा मधुमंगल और बन्दर पाकशाला की ओर आ जाते हैँ। 

बन्दर तो बाहर से ही बर्तनों की तोड़ फोड़ करने लगता है। 

पानी से भरी मटकी उल्टा देता है मटकी फोड़ देता है और कीच मचानी शुरू कर देता है।

पाकशाला से व्यंजन बनने की सुगन्ध के साथ गुनगुनाने की ध्वनि आती है। 

कान्हा भीतर आकर नाचने लगते हैँ। 

ये कोई नृत्य करने का स्थान है सखी पूछती है। 

स्थान तो ये गाने का भी नहीं है बाँवरी। 

मैं तो राधा जू का मन बहलाने को काम करती हुई गुनगुना रही थी। 

मैं भी राधा जू की प्रसननता के लिए नृत्य कर रहा हूँ । 

कान्हा राधा जू के हाथ से खाना बनाने की कड़छी और खोंची लेकर स्वयम् व्यंजन हिलाने लगते हैँ। 

सखी कहती है कान्हा तुम छोड़ दो। 

सारा श्रम तो राधा जू ने किया भोजन बनाने का तुम सबसे यही कहोगे कि ये व्यंजन मैंने बनाये हैं। 

कान्हा अपनी बातों में मग्न हो जाते हैँ और व्यंजन बर्तन में नीचे चिपकने लगता है । 

धीरे धीरे जलने जैसे गन्ध आने लगती है और बहुत सारा धुआँ इकठ्ठा हो जाता है। 

लो देख लो तुम्हारे नाच गाने का कमाल। 

एक ही व्यंजन को छूकर उसे भी खराब किये हो।

इधर पेटू मधुमंगल और नटखट बन्दर धुंए में खाँसते हुए बन्द पड़े बर्तनों में खाद्य सामग्री खोजने लगते। 

देखें तो सही इस बन्द बर्तन में क्या है। 

इस से पहले कि कोई उनको रोके मिर्च की डिबिया खोल लेते हैँ और शरारतों में सारी मिर्च गिरा देते हैँ। 

पहले धुएँ के कारण खाँस रहे थे अभी मिर्ची के कारण छींकने भी लगते। सभी पाकशाला से बाहर आ जाते हैँ। 

कान्हा और मण्डली को यशोदा मैया की और से खूब डांट पड़ती है। 

तुम पाकशाला के भीतर क्या करने गए थे।

कान्हा मैया के सामने कह नहीं पाते कि वो श्री जू को चुनर ओढ़ाने आये थे।

मैया ये पेटू मधुमंगल ही पुनः पुनः भोजन मांगता है।

मुझे इसकी बात माननी पड़ती है न।

भोजन के पश्चात कान्हा श्री जू के लौटने से पहले अपने करों से उन्हें वो चुनर ओढ़ा देते हैँ।

श्री जू सखी की दी हुई चुनर पहनकर आनन्दित होती हैँ तथा कान्हा छिपाये हुए कुछ फल भी उन्हें अपने हाथों से खिलाते हैँ।

सखी श्री जू के आनन्द से आनन्दित है।

नटखट कान्हा अपनी शरारतों द्वारा सभी को आनन्द देते हैँ..!!
   💧💧💧💧जय श्री कृष्ण💧💧💧💧💧जय श्री कृष्ण💧💧💧💧💧💧💧
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

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