https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2: <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2948214362517194" crossorigin="anonymous"></script>
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*💐!! सातवां घड़ा !!💐*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
                                          

*💐!! सातवां घड़ा !!💐*


        गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। 

        नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। 

        उसे किसी तरह का लालच नहीं था। 

        नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। 

        कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी - खुशी से गुजर रही थी।

        नाई अपने काम में बहुत निपुण था। 

        एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा। 

        नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। 

        नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी। 

        इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। 

        अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। 

        घर पर किसी चीज़ की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। 

        नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।


        एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी। 

        आवाज एक यक्ष की थी। 

        यक्ष ने नाई से कहा, 

        ‘‘ मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। 

        क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?

        नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया। 

        नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ 

        " ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’ 

        नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। 

        नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। 

        उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था। 

        नाई ने पत्नी से कहा—

        ‘‘ कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। 

        जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। 

        और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।

        अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। 

        पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था। 

        धीरे - धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था। 

        नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। 

        पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—

        सातवां घड़ा भरने की।

        अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। 

        उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। 

        घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।

        एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। 

        नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था। 

        एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? 

        नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

        तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती। 

        नाई को सारी बात समझ में आ गयी। 

        नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये। 

        घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

*शिक्षा:- *

        हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। 

        भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। 

        अगर हम लालच करें तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता..।*

*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*

*आज का मंथन*
      
जैसे - जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। 

इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं।

अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी,मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। 

सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा।अब सामने वाले की संपत्ति,शक्ति या पद से डर नहीं लगता।

अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी। 

जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ।

बुजुर्गों और बच्चों की बार - बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ।

ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ।

जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है।

अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। 

यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है।

हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है।

आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। 

यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी। 

देर से ही सही,लेकिन अब मुझे जीना आ गया है।
🙏🙏🙏🙏🙏🌳जय श्री कृष्ण🌳🙏🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

रामेश्वर कुण्ड

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