सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
*"हिम्मत"*
"हिम्मत"
जय श्री कृष्ण
उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला, मैं रेलवे स्टेशन पहुचा...!
पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी....!
मेरे पास 9.30 की ट्रेन के आलावा कोई चारा नही था...!
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मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए, बहुत जोर की भूख लगी थी मैं होटल की ओर जा रहा था।
अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी, दोनों लगभग 10 - 12 साल के रहे होंगे बच्चों की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।
कमजोरी के कारण अस्थिपिंजर साफ दिखाई दे रहे थे, वे भूखे लग रहे थे।
छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था, बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था, मैं अचानक रुक गया दौड़ती भागती जिंदगी में यह ठहर से गये।
जीवन को देख मेरा मन भर आया l
सोचा इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाए, मैंने उन्हें 10 रु दे कर आगे बढ़ गया।
तुरंत मेरे मन में एक विचार आया कितना कंजूस हु मैं, 10 रु क्या मिलेगा, चाय तक ढंग से न मिलेगी, स्वयं पर शर्म आयी फिर वापस लौटा।
मैंने बच्चों से कहा: कुछ खाओगे ?
बच्चे थोड़े असमंजस में पड़े मैंने कहा बेटा मैं नाश्ता करने जा रहा हु, तुम भी कर लो, वे दोनों भूख के कारण तैयार हो गए।
उनके कपड़े गंदे होने से होटल वाले ने डाट दिया और भगाने लगा, मैंने कहा भाई साहब उन्हें जो खाना है वो उन्हें दो पैसे मैं दूंगा।
होटल वाले ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा..!
उसकी आँखों में उसके बर्ताव के लिए शर्म साफ दिखाई दी।
बच्चों ने नाश्ता मिठाई व् लस्सी मांगी।
सेल्फ सर्विस के कारण मैंने नाश्ता बच्चों को लेकर दिया बच्चे जब खाने लगे, उनके चेहरे की ख़ुशी कुछ निराली ही थी।
मैंने बच्चों को कहा बेटा अब जो मैंने तुम्हे पैसे दिए है उसमे 1 रु का शैम्पू ले कर हैण्ड पम्प के पास नहा लेना।
और फिर दोपहर शाम का खाना पास के मन्दिर में चलने वाले लंगर में खा लेना, और मैं नाश्ते के पैसे दे कर फिर अपनी दौड़ती दिनचर्या की ओर बढ़ निकला।
वहा आसपास के लोग बड़े सम्मान के साथ देख रहे थे होटल वाले के शब्द आदर मे परिवर्तित हो चुके थे।
मैं स्टेशन की ओर निकला, थोडा मन भारी लग रहा था मन थोडा उनके बारे में सोच कर दुखी हो रहा था।
रास्ते में मंदिर आया मैंने मंदिर की ओर देखा और कहा हे भगवान !
आप कहा हो ?
इन बच्चों की ये हालत ये भूख, आप कैसे चुप बैठ सकते है।
दूसरे ही क्षण मेरे मन में विचार आया...!
पुत्र अभी तक जो उन्हें नाश्ता दे रहा था वो कौन था ?
क्या तुम्हें लगता है तुमने वह सब अपनी सोच से किया।
मैं स्तब्ध हो गया, मेरे सारे प्रश्न समाप्त हो गए ऐसा लगा जैसे मैंने ईश्वर से बात की हो।
मुझे समझ आ चुका था हम निमित्त मात्र है उसके कार्य कलाप के वो महान है।
भगवान हमे किसी की मदद करने तब ही भेजता है जब वह हमे उस काम के लायक समझता है, किसी मदद को मना करना वैसा ही है जैसे भगवान के काम को मना करना।
जय श्री राधे राधे
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विपुल लगभग एक माह से तेज ज्वर से पीड़ित था।
वह इतना कमजोर हो चुका था कि बिना किसी सहारे के उठ भी नहीं पाता था।
आज रात वह बहुत बैचेनी महसूस करते हुए कराह रहा था।
उसकी यह हालत देखकर उसकी माँ उसके पास आयी और उसके माथे पर हाथ रखकर महसूस कि हिदायत दी।
विपुल दवा पीकर बड़बडाने लगा कि माँ, तुम मेरे लिए इतने दिनों से कितना कष्ट उठाकर मेरी सेवा, सुश्रुषा कर रहीया कि उसे बुखार बहुत तेज है।
उसने विपुल को दवा पिलायी और आराम करने की हो, मुझे ऐसा महसूस होता है कि मेरा जीवन का समय पूरा हो चुका है और तुमसे बिछुड़ने का समय नज़दीक आता जा रहा है।
माँ ने उसकी बात सुनकर उसके माथे पर हाथ रखकर समझाया कि जब तक साँस है जीवन में आस है।
विपुल बोला, मैं सभी आशाएँ छोड़ चुका हूँ, आज की रात मुझे गहरी नींद में सोने दो, मैं कल का सूरज देख पाता हूँ या नहीं, ये नहीं जानता हूँ।
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मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मेरी आत्मा के द्वार पर चाँद का दूधिया प्रकाश दस्तक दे रहा है।
मैं अंधकार से प्रकाश की ओर प्रस्थान कर रहा हूँ।
मुझे भूत, वर्तमान और भविष्य के अहसास के साथ पाप और पुण्य का हिसाब भी दिख रहा है।
मैंने धर्म से जो कर्म किये हैं वे ही मेरे साथ जाएँगे, माँ तू ही बता यह मेरा प्रारंभ से अंत है या अंत से प्रारंभ ?
विपुल की करूणामय बातें सुनकर माँ का मन भी विचलित हो गया, उसने अपनी आँखों में आए, आँसुओं के सैलाब को रोकते हुए अपने बेटे से कहा कि देखो तुम हिम्मत मत हारना, यही तुम्हारा सच्चा मित्र है।
सुख - दुख में सही राह दिखलाता है और विपरीत परिस्थितियों में भी तुम्हारा साथ निभाकर तुम्हें शक्ति देकर तुम्हारे हाथों को थामे रहता है, डॉक्टर साहब ने तुम्हारा रोग पहचान लिया है और उन्होंने दवाईयाँ भी बदल दी हैं।
जिनके प्रभाव से तुम कुछ ही दिनों में ठीक हो जाओगे।
आज में तुम्हें एक कविता सुना रही हूँ जिसे तुम ध्यान से सुनकर इसपर गंभीरतापूर्वक मनन करना।
भंवर में, मंझधार में, ऊँची लहर में
नाव बढ़ती जा रही है।
दुखों से, कठिनाइयों से जूझकर भी सांस चलती जा रही है।
स्वयं पर विश्वास जिसमें जो परिश्रमरत रहा है
लक्ष्य पर थी दृष्टि जिसकी और संघर्षों में जो अविचल रहा है...!
वह सफल है...!
और जिसका डिग गया विश्वास वह निश्चित मरा है।
विपुल पर माँ की बातों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
और उसके अंदर असीमित ऊर्जा, दृढ़ इच्छा शक्ति व आत्म विश्वास जागृत हो गया।
यह ईश्वरीय कृपा थी, माँ का आर्शीवाद, स्नेह एवं प्यार था या विपुल का भाग्य कि वह कुछ दिनों में ही ठीक हो गया।
आज वह पुनः ऑफिस जा रहा था।
उसकी माँ उसे दरवाजे तक विदा करने आयी, उसका बैग उसे दिया और मुस्कुरा कर आँखों से ओझल होने तक उसे देखती रही।
🌹🙏🏻🚩 *जय सियाराम* 🚩🙏🏻🌹
🚩🙏🏻 *जय श्री महाकाल* 🙏🏻🚩
🌹🙏🏻 *जय श्री पेड़ा हनुमान* 🙏🏻🌹
🚩🚩🚩जय श्री कृष्ण🚩🚩🚩
🌹🌹🌹जय श्री कृष्ण🌹🌹🌹
🙏🏻🙏🏻🙏🏻जय श्री कृष्ण🙏🏻🙏🏻🙏🏻
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏