सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
मथुरा मे तीन मुखारविंद है :
🙇🏼दान घाटी, जतिपुरा, मानसी गंगा
🙇🏼गिरीराज महाराज तीनो लोको के स्वामी है
🙇🏼परिक्रमा हमेशा प्रथम मुखारविंद से ही शूरू की जाती है अथात दान घाटी मुखारविंद से
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🙇🏼परिक्रमा चालू करने से पहले आप गिरीराज जी पर दूध चढाये और थोडा सा प्रसाद चढाये
🙇🏼परिक्रमा चालू हमेशा दूध चढाकर ही शूरू होती है
🙇🏼परिक्रमा की शुरूवात तीन दंडवत के साथ की जाती है
🙇🏼गिरीराज महाराज साक्षात कृष्ण भगवान है अत:हमेशा कृष्ण को केंद्र मानकर ही परिक्रमा लगाये
🙇🏼परिक्रमा मार्ग पर हर पल कृष्ण और भगवत चिंतन ही होना चाहिये
🙇🏼भगवन नाम की बडी महिमा बताई गई है अत:ज्यादा से ज्यादा भगवान का नाम लेना चाहिये
🙇🏼जतिपुरा मे भी गिरीराज महाराज पर दूध और प्रसाद चढाये
🙇🏼आप गिरीराज परिक्रमा लगाने पावन तलहटी तक पहुंचे कयोकी आपको नही जाना था परंतु कृष्ण को आपको अपने दर तक बुलाना था
🙇🏼जो जीव गिरीराज महाराज की परिक्रमा भाव से लगाते है उनके जीवन मे कभी धन की कमी नही आती है...!
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अपने जीवन मे गिरीराज परिक्रमा अवश्य लगाये और अन्य लोगो को भी भगवन नाम जपनै के लिये प्रेरित करै सभी परिक्रमा मै सव श्रेष्ठ परिक्रमा गिरीराज महाराज की परिक्रमा कहलाती है
भक्ति भव बंधन काटने वाली है
एक महात्मा थे।
जीवन भर उन्होंने भजन ही किया था। उनकी कुटिया के सामने एक तालाब था।
जब उनका शरीर छूटने का समय आया तो देखा कि एक बगुला मछली मार रहा है ।
उन्होंने बगुले को उड़ा दिया।
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इधर उनका शरीर छूटा तो नरक गए। उनके चेले को स्वप्न में दिखाई दिया; वे कह रहे थे- "बेटा!
हमने जीवन भर कोई पाप नहीं किया, केवल बगुला उड़ा देने मात्र से नरक जाना पड़ा।
तुम सावधान रहना।"
जब शिष्य का भी शरीर छूटने का समय आया तो वही दृश्य पुनः आया।
बगुला मछली पकड़ रहा था।
गुरु का निर्देश मानकर उसने बगुले को नहीं उड़ाया।
मरने पर वह भी नरक जाने लगा तो गुरु भाई को आकाशवाणी मिली कि गुरुजी ने बगुला उड़ाया था इस लिए नरक गए।
हमने नहीं उड़ाया इसलिए नरक में जा रहे हैं।
तुम बचना!
गुरु भाई का शरीर छूटने का समय आया तो संयोग से पुनः बगुला मछली मारता दिखाई पड़ा।
गुरु भाई ने भगवान् को प्रणाम किया कि भगवन्!
आप ही मछली में हो और आप ही बगुले में भी।
हमें नहीं मालूम कि क्या झूठ है?
क्या सच है?
कौन पाप है, कौन पुण्य ?
आप अपनी व्यवस्था देखें।
मुझे तो आपके चिन्तन की डोरी से प्रयोजन है।
वह शरीर छूटने पर प्रभु के धाम गया।
नारद जी ने भगवान से पूछा, "भगवन्! अन्ततः वे नरक क्यों गए ?
महात्मा जी ने बगुला उड़ा कर कोई पाप तो नहीं किया?"
उन्होंने बताया, "नारद! उस दिन बगुले का भोजन वही था।
उन्होंने उसे उड़ा दिया।
भूख से छटपटाकर बगुला मर गया अतः पाप हुआ, इसलिए नरक गए।"
नारद ने पूछा, "दूसरे ने तो नहीं उड़ाया, वह क्यों नरक गया?"
बोले, "उस दिन बगुले का पेट भरा था।
वह विनोद वश मछली पकड़ रहा था, उसे उड़ा देना चाहिए था।
शिष्य से भूल हुई, इसी पाप से वह नरक गया।"
नारद ने पूछा, "और तीसरा ?"
भगवान् ने कहा, "तीसरा अपने भजन में लगा रह गया, सारी जिम्मेदारी हमारे ऊपर सौंप दी।
जैसी होनी थी, वह हुई; किन्तु मुझसे संबंध जोड़े रह जाने के कारण, मेरे ही चिन्तन के प्रभाव से वह मेरे धाम को प्राप्त हुआ।"
अतः-
पाप - पुण्य की चिन्ता में समय को न गवां कर जो निरन्तर चिन्तन में लगा रहता है, वह पा जाता है।
जितने समय हमारा मन भगवान् के नाम'रुप, लीला, गुण,धाम और उनके संतों में रहता है केवल उतने समय ही हम पाप मुक्त रहते हैं, शेष सारे समय पाप ही पाप करते रहते हैं।
"भगवान कृष्ण कहते हैं- "यज्ञार्थात्कर्मणोsन्यत्र लोकोयं कर्मबन्धन:''- यज्ञ के अतिरिक्त जो कुछ भी किया जाता है वह इसी लोक में बांध कर रखने वाला है, जिसमें खाना - पीना सभी कुछ आ जाता है।
पाप, पुण्य दोनों बंधन कारी हैं, इन दोनों को छोड़कर जो भक्ति वाला कर्म है अर्थात् मन को निरंतर भगवान में रखें तो पाप, पुण्य दोनों भगवान को अर्पित हो जाएंगे।
भगवान केवल मन की क्रिया ही नोट करेंगे, इसका मन तो मुझ में था, इसने कुछ किया ही नहीं।
यह भक्ति ही भव बंधन काटने वाली है..!!
श्री गिरिराज धरण की जय...
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏