https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2

*आत्मबोध*

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*आत्मबोध*


*आत्मबोध*


( द्रवित परोपकार )

चेन्नई की सच्ची घटना पर आधारित यह बात कुछ दिनों पुरानी है, उस दिन स्कूल प्रबन्धक एवं ड्राइवरों के विवाद के कारण स्कूल बसों की हड़ताल चल रही थी।

मेरे पति अपने व्यवसाय की एक आवश्यक मीटिंग में बिजी थे। 





Pk & Pk Jewellers Maa Laxmi Ji | 24KT Gold Frame | Temple Collection | Extra Small Size [14x18 cm] (For Premium Gift, Temple, Table Decor, Home Decoration)

https://amzn.to/4kyXXiE


इस लिए मेरे 5 साल के बेटे को स्कूल से लाने के लिए मुझे ही स्कूटी पर जाना पड़ा।

जब मैं स्कूटी से घर की ओर वापस आ रही थी, तब अचानक रास्ते में एक तेज बाइक के आने से मेरा बैलेंस बिगड़ा और मैं एवं मेरा बेटा हम दोनों स्कूटी सहित नीचे गिर गए।

मेरे शरीर पर कई खरोंच एवं घाव आए, लगातार खून भी बह रहा था।  

प्रभु की कृपा से मेरे बेटे को एक भी खरोंच तक नहीं आई ।

हमें नीचे गिरा देखकर आसपास के कुछ लोग इकट्ठे हो गए पर किसी ने भी हमारी मदद करने का प्रयास नहीं किया ।

वहीं से मेरी कामवाली बाई राधा गुजर रही थी। स्कूटी को गिरी देखकर उसने मुझे दूर से ही पहचान लिया। और वह दौड़कर मेरे पास चली आई ।

उसने मुझे सहारा देकर खड़ा किया, और अपने एक परिचित से मेरी गाड़ी एक दुकान पर खड़ी करवा दी।

वह मुझे कंधे का सहारा देकर तुरन्त ओटो से पास ही उसके घर ले गई, जो पास में ही था। 

जैसे ही हम घर पहुंचे वैसे ही राधा के दोनों बच्चे हमारे पास आ गए। 

राधा ने अपने पल्लू से बंधे हुये 200 का नोट निकाला और अपने बेटे राजू को दूध, ब्रेड, बैंडेज, एंटीसेप्टिक क्रीम लेने के लिए भेजा तथा अपनी बेटी रानी को पानी गर्म करने को बोला। 

उसने मुझे कुर्सी पर बिठाया तथा मटके का ठंडा जल पिलाया। इतने में पानी गर्म हो गया था। 

वह मुझे लेकर बाथरूम में गई और वहां पर उसने मेरे सारे जख्मों को गर्म पानी से अच्छी तरह से धोकर साफ किए। मुझे 2 मिनिट बाथरूम में बैठने के लिए बोलकर वो पास ही बाजार से  एक नया टावेल, नया गाउन एवं नयी बेडशीट मेरे लिए खरीद कर ले आई। 

उसने टावेल से मेरा पूरा बदन पोंछा तथा जहां आवश्यक था वहां बैंडेज लगाई। साथ ही जहां चोट थी वहां पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाया।

अब मुझे कुछ राहत महसूस हो रही थी।

*"आपके कपड़े बहुत गंदे हो रहे हैं हम इन्हें धो कर सुखा देंगे फिर आप अपने कपड़े बदल लेना।"*




eSplanade Ganesha de latón de 8 pulgadas en acabado antiguo | Pooja Puja Ganesh Ganesha Ganpati Ganapati Murti Idol (5.75 pulgadas)

https://amzn.to/3U71v0O


जब तक आप यह गाउन पहन लीजिए ।

मेरे पास कोई चॉइस नहीं थी । 

मैं गाउन पहनकर बाथरुम से बाहर आई। 

उसने झटपट चद्दर निकाल और पलंग पर बिछाकर बोली आप थोड़ी देर यहीं आराम कीजिए।

इतने मैं बिटिया ने दूध भी गर्म कर दिया था।

राधा ने दूध में दो चम्मच हल्दी मिलाई और मुझे पीने को दिया। 

और बड़े विश्वास से कहा मैडम आप यह दूध पी लीजिए आपके सारे जख्म भर जाएंगे। 

और मेरे सिर के सिरहाने बैठकर पंखी से हवा करने लगी। 

उसकी बेटी मेरा सिर सहला रही थी। 

नन्हें नन्हें हाथों के स्पर्श से मुझे राहत मिलने लगी। 

कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई। 

नींद से जागने के बाद में सोच रही थी। 

लेकिन अब मेरा ध्यान तन पर था ही नहीं बल्कि मेरे अपने मन पर था। 

*मेरे मन के सारे जख्म एक-एक कर के हरे हो रहे थे। 

मैं सोच रही थी "कहां मैं और कहां यह राधा?"*

*जिस राधा को मैं अपने पहने हुए फटे पुराने गन्दे कपड़े देती थी, उसने तंगहाली में होने के बाद भी नया टावेल, नया गाउन, नई बेडशीट को खून के धब्बे से खराब होने की परवाह नहीं करते हुए बिछा दिया। धन्य है यह राधा।*

एक तरफ मेरे दिमाग में यह सब चल रहा था तब दूसरी तरफ  राधा गरम गरम चपाती और आलू की सब्जी बना रही थी।

थोड़ी देर मे वह थाली लगाकर ले आई। वह बोली *"आप और बेटा दोनों खाना खा लीजिए।"*

राधा को मालूम था कि मेरा बेटा आलू की सब्जी ही पसंद करता है। और उसे गरम गरम रोटी चाहिए। इसलिए उसने रानी से तैयार करवा दी थी।

रानी बड़े प्यार से मेरे बेटे को आलू की सब्जी और रोटी खिला रही थी और मैं इधर प्रायश्चित की आग में जल रही थी।

सोच रही थी कि जब इसका बेटा राजू मेरे घर आता था मैं उसे एक तरफ बिठा देती थी, उसको नफरत से देखती थी। मेरा बेटा चॉकलेट, आइसक्रीम खाता रहता पर मैंने कभी भी राधा के बेटे को कुछ भी खाने को नहीं दिया। जबकि इन लोगों के मन में हमारे प्रति कितना प्रेम है ।

यह सब सोच सोच कर मैं आत्मग्लानि से भरी जा रही थी। मेरा मन दुख और पश्चाताप से भर गया था।

तभी मेरी नज़र राधा के बेटे राजू पर पड़ी। जो पैरों से लंगड़ा कर चल रहा था।

 मैंने राधा से पूछा...!
 
*"राधा इसके पैर को क्या हो गया तुमने इलाज नहीं करवाया ?"*

राधा ने बड़े दुख भरे शब्दों में कहा...!
 
*"मैडम इसके पैर का ऑपरेशन होगा जिसका खर्च करीबन ₹ 10000 रुपए है।"*

*"मैंने और राजू के पापा ने रात दिन मेहनत कर के ₹5000 तो जोड़ लिए हैं । 

पर ₹5000 की और आवश्यकता है। 

हमने बहुत कोशिश की लेकिन कहीं से मिल नहीं सके ।"*

*"थक हार कर भगवान पर भरोसा किया है, जब आएंगे तब इलाज हो जाएगा। 

फिर हम लोग कर ही क्या सकते हैं?"*

तभी मुझे ख्याल आया कि राधा ने एक बार मुझसे ₹5000 अग्रिम मांगे थे और मैंने बहाना बनाकर मना कर दिया था।

आज वही राधा अपने पल्लू में बंधे उसके जोड़े हुए सारे रुपए हम पर खर्च कर के खुश थी। 

और हम उसको, पैसे होते हुए भी मुकर गए थे और सोच रहे थे कि बला टली।

आज मुझे पता चला कि उस वक्त इन लोगों को पैसों की कितनी सख्त आवश्यकता थी।




मैं अपनी ही नजरों में गिरती ही चली जा रही थी। 

अब मुझे अपने शारीरिक जख्मों की चिंता बिल्कुल नहीं थी बल्कि उन जख्मों की चिंता थी जो मेरी आत्मा को मैंने ही लगाए थे। 

मैंने दृढ़ निश्चय किया कि जो हुआ सो हुआ लेकिन आगे जो होगा वह सर्वश्रेष्ठ ही होगा।

मैंने उसी वक्त राधा के घर में जिन जिन चीजों का अभाव था उसकी एक लिस्ट अपने दिमाग में तैयार की। थोड़ी देर में मैं लगभग ठीक हो गई।

मैंने अपने कपड़े चेंज किए  लेकिन वह गाउन मैंने अपने पास ही रखा और राधा को बोला

 *"यह गाऊन अब तुम्हें कभी भी नहीं दूंगी यह गाऊन मेरी जिंदगी का सबसे अमूल्य तोहफा है।"*

राधा बोली 

*"मैडम यह तो बहुत हल्की रेंज का है।"* 

राधा की बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैं घर आ गई लेकिन रात भर सो नहीं पाई ।

मैंने अपनी सहेली के पति, जो की हड्डी रोग विशेषज्ञ थे, उनसे राजू के लिए अगले दिन का अपॉइंटमेंट लिया। दूसरे दिन मेरी किटी पार्टी भी थी । 

लेकिन मैंने वह पार्टी कैंसिल कर दी और राधा की जरूरत का सारा सामान खरीदा  और वह सामान लेकर में राधा के घर पहुंच गई।

राधा  समझ ही नहीं पा रही थी कि इतना सारा सामान एक साथ में उसके घर में क्यों लेकर गई।

मैंने धीरे से उसको पास में बिठाया और बोला..! 

*"मुझे मैडम मत कहो मुझे अपनी बहन ही समझो और हां कल सुबह 7:00 बजे राजू को दिखाने चलना है उसका ऑपरेशन जल्द से जल्द करवा लेंगे और तब राजू भी ठीक हो जाएगा"* 

खुशी से राधा रो पड़ी लेकिन यह भी कहती रही कि *"मैडम यह सब आप क्यों कर रहे हो? हम बहुत छोटे लोग हैं हमारे यहां तो यह सब चलता ही रहता है।"* 

वह मेरे पैरों में झुकने लगी। 

यह सब सुनकर और देखकर मेरा मन भी द्रवित हो उठा और मेरी आंखों से भी आंसू के झरने फूट पड़े। 

मैंने उसको दोनों हाथों से ऊपर उठाया और गले लगा लिया मैंने बोला...! 

*"बहन रोने की जरूरत नहीं है अब इस घर की सारी जवाबदारी मेरी है।"* 

मैंने मन ही मन कहा राधा तुम क्या जानती हो कि मैं कितनी छोटी हूं और तुम कितनी बड़ी हो आज तुम लोगों के कारण मेरी आंखे खुल सकीं। 

मेरे पास इतना सब कुछ होते हुए भी मैं भगवान से और अधिक की भीख मांगती रही मैंने कभी संतोष का अनुभव नहीं किया।

*लेकिन आज मैंने जाना के* *असली खुशी पाने में नहीं देने में है*

     *🙏जय जय श्री कृष्ण🙏*






OUPINKE 腕時計 メンズ 自動巻き -機械式ムーブメント- 防水-カレンダー40mm 中空文字盤-夜光-ステンレス製- ブラック

https://amzn.to/4lMSw0t

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

श्रीमहाभारतम् , श्री लिंग महापुराण , श्रीस्कन्द महापुराण :

श्रीमहाभारतम्  , श्री लिंग महापुराण  , श्रीस्कन्द महापुराण :    श्रीमहाभारतम् :  ।। श्रीहरिः ।। * श्रीगणेशाय नमः * ।। श्रीवेदव्यासाय नमः ।। ...