https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 3. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 2

*आज का संदेश* ==============🐘 *"कलंक चतुर्थी" पर विशेष* 🐘=======================

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*आज का संदेश* 

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🐘 *"कलंक चतुर्थी"  पर विशेष* 🐘

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भारत देश पर्व एवं त्यौहारों का देश है, यहाँ प्रतिदिन कोई न कोई पर्व, उत्सव एवं त्यौहार मनाकर आम जनमानस खुशियाँ मनाता रहता है। अभी विगत दिनों छ: दिवसीय "श्रीकृष्ण जन्मोत्सव" का पर्व धूमधाम से मनाने के बाद आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से पूरे देश में अनुपम श्रद्घा एवं विश्वास के साथ दस दिवसीय विघ्न विनाशक भगवान गणेश का जन्मोत्वस (गणेशोत्सव) गणेश चतुर्थी का पर्व प्रारम्भ हो गया। देशभर में जगह-जगह पंडालों की स्थापना करके भगवान गणेश की भव्य एवं सुंदर मूर्तियां का पूजन आराधना प्रारंभ हो गया है। विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव जहां प्रसन्नता का विषय है वहीं दूसरी ओर मानव मात्र को कुछ सावधानियां भी बनाए रखनी चाहिए। क्योंकि आज के दिन शापित चंद्रमा का दर्शन करने से मनुष्य को कोई ना कोई कलंक अवश्य लग जाता है। भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी के चंद्रमा को देखना हमारे पुराणों में वर्जित किया गया है, क्योंकि गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश को जब गज का शीश लगाया गया तो सभी देवताओं ने तो उनकी वन्दना की परन्तु चंद्रमा उनकी हंसी उड़ाने लगा। इसी बात पर कुपित होकर के भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि अपनी सुंदरता के अहंकार में चंद्रमा हम पर हंस रहा है तो आज के दिन जो भी इसको देख लेगा वह कलंकित हो जाएगा। तब से आज तक भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है। इसीलिए आज की चतुर्थी को "कलंक चतुर्थी" भी कहा जाता है। यदि भूलवश किसी ने इसका दर्शन कर भी लिया तो उसके दोष से बचने के लिए श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के माहात्म्य एवं श्रीमद्भीगवत के दशम स्कन्ध में वर्णित स्यमन्तमणि कथा प्रसंग का श्रवण या पाठ अवश्य करना चाहिए, नहीं तो मनुष्य को अपने जीवन काल में किसी ने किसी कलंक से कलंकित होना ही पड़ता है। इस कलंक से स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी नहीं बच पाए थे और उन्हें स्यमन्तकमणि की चोरी का कलंक लग गया था। 
आज एक और तो पूरे देश एवं विदेशों में भी "गणेशोत्सव" धूमधाम से मनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ आधुनिक लोग (जो स्वयं को ज्यादा पढ़ा लिखा मानते हैं) यह कहते घूम रहे हैं कि "गणेश महोत्सव" आधुनिकता का प्रतीक है एवं इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में कही नहीं है।
 
ऐसे सभी आधुनिक विद्वानों को मैं 
*"प प्रभु राज्यगुरु"* बताना चाहूंगा कि यह सनातन के प्राचीन ग्रंथों "शारदातिलकम्", "मंत्रमहोदधि" "महामंत्र महार्णव" तथा तंत्र शास्त्रों का अध्ययन करें, जहां उन्हें भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक भगवान गणेश के विग्रह को स्थापित करके उनकी पूजा उपासना का वर्णन प्राप्त हो जाएगा। भगवान गणेश सर्वव्यापी हैं बिना उनका पूजन किये किसी भी देवता की पूजा का भाग उस देवता को नहीं मिल पाता है। वैसे तो भगवान गणेश को जलतत्व का कारक माना जाता है परंतु इनका दर्शन सृष्टि के पांचों तत्वों में होता है। भगवान गणेश क्या है ? यदि जानना हो तो हमें उस प्रसंग पर ध्यानाकर्षित होना पड़ेगा जहां भगवान शिव + पार्वती ने अपने विवाह में भी भगवान गणेश का पूजन किया था। कुछ लोगों को यह प्रसंग सुनकर के भ्रम हो जाता है, परंतु सत्यता यह है कि जिस प्रकार भगवान श्री विष्णु ने अनेक अवतार धारण किए हैं उसी प्रकार भगवान गणेश ने भी अनेकों अवतार इस धराधाम पर लिए हैं। अतः किसी को भी इस विषय में भ्रम नहीं होना चाहिए। प्रेम से गणेश भगवान के जन्मोत्सव का आनंद लेते हुए जीवन को धन्य बनाना चाहिए। 

भगवान गणेश का जन्मोत्सव एवं उनका दर्शन करने से जीवन तो धन्य हो जाता है परंतु सावधान भी रहना चाहिए कि आज भूल से ही चंद्रमा को ना देखा जाए, जिससे कि किसी भी अघोषित कलंक से बचा जा सके। यही "कलंक चतुर्थी" का महत्व है।
🙏🙏🙏 हर हर महादेव हर 🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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